शिशुओं में किसी भी बीमारी के होने की संभावना वयस्कों की तुलना में अधिक होती है। छोटे बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होती है। ऐसे में वो किसी भी रोग का शिकार आसानी से हो जाते हैं। इन्हीं में से एक है रेस्पिरेटरी सिंसिशल वायरस (RSV) इंफेक्शन। मौसम के बदलने पर शिशु को सर्दी-जुकाम होना सबसे सामान्य समस्या है। लेकिन, कई बार रेस्पिरेटरी सिंसिशल वायरस (Respiratory syncytial virus) को सर्दी जुकाम समझने की गलती कर ली जाती है क्योंकि इस बीमारी के लक्षण सर्दी-जुकाम के जैसे ही होते हैं। जानिए शिशुओं में RSV (RSV in Babies) के बारे में विस्तार से, ताकि आप इसे सामान्य सर्दी जुकाम न समझ लें।
शिशुओं में RSV क्या है? (RSV in Babies)
रेस्पिरेटरी सिंसिशल वायरस(Respiratory syncytial virus) एक ऐसी समस्या है, जिसके बारे में शायद आपने न सुना हो। लेकिन, यह इतनी भी सामान्य नहीं है। यह उन वायरस में से एक है, जिनके कारण सर्दी-जुकाम होता है। इसकी वजह से फेफड़ों और रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट से जुड़े इंफेक्शन भी हो सकते हैं। दो साल तक के शिशुओं का इस समस्या से पीड़ित होना बेहद सामान्य है। हालांकि यह वायरस वयस्कों को भी प्रभावित कर सकता है। वयस्कों, बुजुर्गों, स्वस्थ बच्चों में इसके लक्षण हल्के या सामान्य हो सकते हैं। शिशुओं में RSV (RSV in Babies) की समस्या से राहत पाने के लिए उसकी देखभाल जरूरी है। नवजात शिशुओं खासतौर पर प्रीमैच्योर शिशु, बुजुर्ग, हार्ट और फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित या कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में यह समस्या गंभीर हो सकती है। अब जानते हैं शिशुओं में RSV (RSV in Babies) के लक्षण क्या हैं?
और पढ़ें : टोडलर ग्रोथ स्पर्ट्स : बच्चे की ग्रोथ के महत्वपूर्ण चरण, जानिए विस्तार से!
शिशुओं में RSV के लक्षण (Symptoms of RSV in Babies)
शिशुओं में RSV (RSV in Babies) के लक्षण वायरस के संपर्क में आने के दो से पांच दिन के बाद नजर आते हैं। हालांकि, शिशुओं और बच्चों में इस समस्या का शुरुआती चरण अक्सर माइल्ड होता है जैसे की सामान्य सर्दी-जुकाम। तीन साल से कम उम्र के बच्चों में यह समस्या फेफड़ों को प्रभावित कर सकती है और खांसी व व्हीजिंग का कारण बन सकती है। कुछ बच्चों में यह इंफेक्शन गंभीर रेस्पिरेटरी डिजीज में बदल सकता है। ऐसे में बच्चे को अस्पताल में उपचार के लिए ले जाना पड़ता है। इसके लक्षण भी सर्दी-जुकाम जैसे ही होते हैं, जो इस प्रकार हैं:
- नाक का बंद होना या बहना (Runny or Stuffy Nose)
- छींकें आना (Sneezing)
- गले में खराश (Sore Throat)
- हल्की खांसी (Mild Cough)
- हल्का सिरदर्द (Mild Headache)
- बुखार (Fever)
- चिड़चिड़ापन (Fussiness)
- पुअर फीडिंग (Poor Feeding)
अगर शिशुओं में RSV (RSV in Babies) इंफेक्शन लोअर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट (Lower Respiratory Tract) में फैल जाता है, तो इसके कारण ब्रोन्कियोलायटिस (Bronchiolitis) भी हो सकता है। जो फेफड़ों की स्मॉल एयरवेज में होने वाला संक्रमण है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:
- रेपिड ब्रीदिंग (Rapid Breathing)
- व्हीजिंग (Wheezing)
क्विज : बच्चा गर्भ में लात (बेबी किक) क्यों मारता है ?
और पढ़ें : रटी-रटाई बातें भूल जाता है बच्चा? ऐसे सुधारें बच्चों में भूलने की बीमारी वाली आदत
शिशुओं में RSV के कारण क्या हैं? (Causes of RSV in Babies)
रेस्पिरेटरी सिंसिशल वायरस (Respiratory syncytial virus) आंख, नाक और मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। यह हवा में इंफेक्टेड रेस्पिरेटरी ड्रॉप्लेट्स के माध्यम से आसानी से फैल सकता है। शिशु या वयस्क इसका शिकार तब भी बन सकते हैं, जब उनके आसपास इस वायरस का शिकार कोई व्यक्ति छींकता और खांसता है। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के सीधे कांटेक्ट के माध्यम से भी फैल सकता है जैसे हाथ उससे मिलाने से। बच्चों के खिलौनों, पलंग या अन्य चीजों पर यह वायरस कई घंटों तक जीवित रह सकता है। जब बच्चे इन दूषित चीजों को उठाते हैं और उसके बाद अपने मुंह, नाक और आंखों को छूते हैं, तो वह इस वायरस का शिकार हो सकते हैं।
इंफेक्टेड व्यक्ति इंफेक्शन के तुरंत बाद या पहले हफ्ते में बहुत अधिक संक्रामक होता है। लेकिन, शिशुओं में या कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों में लक्षणों के जाने के चार हफ्तों बाद भी यह संक्रमण स्प्रेड होता रहता है। अब जानते हैं कि किन स्थितियों में तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए?
और पढ़ें : शिशुओं में गैस की परेशानी का घरेलू उपचार
डॉक्टर की सलाह कब लें? (When to see a Pediatrician)
शिशुओं में RSV (RSV in Babies) के मामले माइल्ड से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। लेकिन, अगर आपको यह संदेह है कि आपके बच्चे को यह समस्या है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना जरूरी है। इसके साथ ही इन स्थितियों में भी तुरंत डॉक्टर की सलाह लें:
- बच्चे का डीहायड्रेटेड लगना जैसे रोते हुए आंखों से पानी न निकलना।
- खांसते हुए थिक बलगम निकलना जो ग्रे, हरी या पीले रंग की हो सकती है। जिसके कारण उसे सांस लेने में समस्या हो सकती है।
- तीन महीने से छोटे बच्चों में 100.4°F से अधिक बुखार होना।
- किसी भी उम्र के बच्चों में 104.0°F से अधिक बुखार होना।
अगर आपके शिशु की उंगलियों के नाखून या मुंह नीले रंग के हों, तो तुरंत मेडिकल केयर प्राप्त करें। इसका अर्थ यह हो सकता है कि आपके बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल रही है और यह एक आपातकालीन स्थिति है।
और पढ़ें : क्या शिशु भी हमारी तरह ही देख सकते हैं अपनी आसपास की चीजें?
शिशुओं में RSV का निदान कैसे होता है? (Diagnosis of RSV in Babies)
शिशुओं में RSV (RSV in Babies) के निदान के लिए बच्चों के डॉक्टर यानी पीडियाट्रिशन्स सबसे पहले लक्षणों के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही शिशु की शारीरिक जांच भी की जाएगी। आपके बच्चे को RSV है या कोई अन्य वायरस, इसके लिए नेजल स्वैब टेस्ट (Nasal Swab test) भी किया जा सकता है। लंग कंजेशन (Lung Congestion) की जांच के लिए चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray) और ऑक्सीजन सेचुरेशन टेस्ट (Oxygen Saturation Test) भी कराया जा सकता है। क्योंकि, इस समस्या से पीड़ित अधिकतर बच्चे बिना किसी परेशानी के रिकवर हो जाते हैं और इस समस्या के लिए कोई खास उपचार भी मौजूद नहीं है। ऐसे में, इन टेस्ट्स की आमतौर पर जरूरत नहीं पड़ती। अब, जानते हैं कैसे संभव है इस समस्या का उपचार।
और पढ़ें : गर्भ में बच्चा मां की आवाज से उसकी खुशबू तक इन चीजों को लगता है पहचानने
शिशुओं में RSV का उपचार (Treatment of RSV in Babies)
शिशुओं में RSV (RSV in Babies) का उपचार बच्चे में इसके लक्षण, उम्र और जनरल हेल्थ पर निर्भर करता है। इसके साथ ही यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि शिशु की स्थिति कितनी गंभीर है। इसके उपचार में एंटीबायोटिक का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसके उपचार का उद्देश्य लक्षणों से राहत पाना है।शिशुओं में RSV (RSV in Babies) के उपचार में या सब शामिल है:
- अधिक फ्लूइड (More Fluids) : यह बहुत जरूरी है कि आपका बच्चा पर्याप्त फ्लूइड का सेवन करें। अगर जरूरी हो तो आपके बच्चे को फ्लूइड या इलेक्ट्रोलाइट्स देने के लिए इंट्रावेनस (IV) लाइन (intravenous (IV) line) का प्रयोग भी किया जा सकता है।
- ऑक्सीजन (Oxygen) : किन्ही स्थितियों में जरूरत पड़ने पर शिशु को मास्क, नेजल प्रोन्गस (nasal prongs) आदि के माध्यम से अतिरिक्त ऑक्सीजन दी जा सकती है।
- सक्शनिंग ऑफ म्यूकस (Suctioning of Mucus) : इसमें अतिरिक्त बलगम को बाहर निकालने में लिए फेफड़ों में एक पतली ट्यूब डाली जाती है।
- ब्रांकोडायलेटर दवाइयां (Bronchodilator Medicines) : शिशु की एयरवेज को खोलने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है। यह मास्क या इनहेलर के माध्यम से दिए जा सकते हैं।
और पढ़ें : शिशु के विकास में देरी के कारण क्या होते हैं? जान लीजिए इसका इलाज भी
- ट्यूब फीडिंग (Tube Feeding) : इसका तब प्रयोग किया जाता है, जब बच्चे को सकिंग में समस्या होती है। इसमें एक छोटी ट्यूब को शिशु के नाक के माध्यम से पेट में डाला जाता है और इस ट्यूब के माध्यम से लिक्विड न्यूट्रिशन को भेजा जाता है।
- मैकेनिकल वेंटिलेशन (Mechanical Ventilation) : अगर बच्चा बहुत ही बीमार हो तो उसे ब्रीदिंग मशीन यानी वेंटिलेटर पर रखा जा सकता है ताकि सांस लेने में मदद मिल सके।
- एंटीवायरल दवाइयां (Antivirals Medications) : गंभीर इंफेक्शन की स्थिति में कुछ बच्चों के उपचार के लिए उन्हें एंटीवायरल दवाइयां दे सकते हैं।
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार शिशुओं में RSV (RSV in Babies) भयानक हो सकता है। इसके लिए अभी कोई वैक्सीन नहीं है। हालांकि इस पर अभी काम चल रहा है और उम्मीद है कि यह जल्दी ही उपलब्ध होगी। हालांकि, कुछ दवाइयां हैं जिनसे शिशु इस समस्या की गंभीरता से बच सकते हैं। अगर आपके मन में अपने शिशु में रेस्पिरेटरी सिंसिशल वायरस (Respiratory syncytial virus) इंफेक्शन को लेकर कोई भी चिंता हो, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। शिशु में RSV की समस्या होने पर डॉक्टर से उपचार के रिस्क्स, फायदों या साइड-इफेक्ट्स के बारे में अवश्य जान लें।
और पढ़ें : बच्चा खाना खाते समय करता है आना-कानी तो अपनाएं ये टिप्स
शिशु में RSV से कैसे बचाया जा सकता है? (Prevention from RSV in Babies)
शिशु में RSV जैसे रोग को फैलने से रोकने के लिए आपको कई चीजों का ध्यान रखना चाहिए। जिसमें सबसे जरूरी है साफ-सफाई। आपको भी अपने हाथों को बार-बार धोना चाहिए क्योंकि इससे आप कई रोगों और इस वायरस से बच सकते हैं। अपने बच्चे को बार-बार हाथ धोने और साफ-सफाई का ध्यान रखने की आदत डालें। इसके साथ ही शिशु को रेस्पिरेटरी सिंसिशल वायरस (Respiratory Syncytial Virus) से बचाने के लिए आपको इन बातों का भी ध्यान रखना चाहिए:
वैक्सीनेशन (Vaccination)
- अपने शिशु को रेस्पिरेटरी सिंसिशल वायरस (Respiratory Syncytial Virus) या अन्य समस्या से बचाने के लिए उनका नियमित रूप से वैक्सीनेशन कराएं। उन्हें फ्लू शॉट्स (Flu Shots) देना न भूलें।
- शिशु को भीड़ में न जाने दें या ऐसे बच्चों या किसी भी व्यक्ति से दूर रखें, जिन्हें सर्दी-जुकाम हो। अगर आपके बच्चे को सर्दी या जुकाम है तो उसे घर पर ही रखें। खांसी और छींक के दौरान मुंह को ढकना भी अपने बच्चे को सिखाएं।
- सभी चीजों और घर की सतह को समय-समय पर डिसइंफेक्ट करते रहें। यही नहीं, बच्चे को तंबाकू, सिगरेट के धुएं या अन्य हानिकारक चीजों के संपर्क में भी न आने दें।
- अपने बच्चे को ब्रेस्टमिल्क दें। इंफेक्शन से बचने और लड़ने के लिए यह इसमें दुर्लभ एंटीबाडीज (Rare Antibodies) होती हैं।
और पढ़ें : गर्भ में महसूस करता है बच्चा अपने आसपास की दुनिया, क्या आप जानते हैं?
आमतौर, पर यह इंफेक्शन एक हफ्ते तक ही रहता है लेकिन कुछ मामलों में इसका असर कई हफ्तों तक रह सकता है। स्कूल या चाइल्डकेयर सेंटर्स (Childcare Centers) में यह वायरस एक बच्चे से दूसरे में तेजी से फैलता है। ऐसा भी माना जाता है कि दो साल का होने तक सभी बच्चे कभी न कभी इस समस्या से अवश्य पीड़ित होते हैं। शिशुओं में RSV (RSV in Babies) होने पर वो एक या दो हफ्तों में इस समस्या से पूरी तरह से रिकवर हो जाते हैं। यही नहीं, बच्चों को इसके लिए अस्पताल भी जाने की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन, अगर आपको लगता है कि आपका शिशु डीहायड्रेटेड है या उसे अन्य कोई परेशानी हो रही है. तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें।
[embed-health-tool-vaccination-tool]