गर्भावस्था के दौरान शिशु बाहरी दुनिया से जुड़ा नहीं होता, लेकिन हां महिला की गतिविधियों का गर्भ में पल रहे शिशु पर जरूर प्रभाव पड़ता है। जैसे कि जब आप गर्भावस्था में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करती हैं तो उससे किसी-न-किसी रूप में शिशु प्रभावित होता है। आपने कभी सोचा नहीं होगा कि जब आप गर्भावस्था में मोबाइल फोन का उपयोग पार्टनर से बात करने के लिए, डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लेने तथा ऑनलाइन शॉपिंग करते हुए बेबी केयर प्रोडक्ट्स को देखने के लिए करती हैं तो इसका असर भ्रूण पर हो सकता है।
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शोधकर्ताओं ने हाल ही में सेल फोन और भ्रूण पर मोबाइल और अन्य डिवाइस से निकलने वाली रेडियो तरंगों के संभावित प्रभावों का अध्ययन शुरू किया है। अभी तक इसके परिणाम को लेकर उनके बीच कोई अंतिम सहमति नहीं बन पाई है क्योंकि कोई भी शोधकर्ता मानव भ्रूण को इन तरंगों से होने वाले नुकसान को लेकर किसी निर्णय तक नहीं पहुंच पाए हैं। इसलिए गर्भावस्था में मोबाइल फोन का स्वास्थ्य या व्यवहार संबंधी समस्याओं के लिए जोड़ कर अध्ययन कर रहे हैं।
गर्भावस्था में मोबाइल फोन के उपयोग से शिशु को संभावित खतरे:
वैज्ञानिकों के बीच बहुत मतभेद हैं कि गर्भ में पल रहे शिशु को गर्भावस्था में मोबाइल के इस्तेमाल से क्या प्रभाव पड़ सकता है? इसलिए वे स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से शोध कर रहे हैं। दरअसल प्रेग्नेंसी में मोबाइल फोन के दुष्प्रभाव के तौर पर दिखाई देने वाले लक्षण आगे चलकर मां और शिशु में गंभीर मानसिक बीमारी, कान बजना, जोड़ों में दर्द, याद्दाश्त में कमी और सेहत संबंधी अनेक समस्याओं को जन्म दे सकते हैं। इसके अलावा गर्भावस्था में मोबाइल फोन का उपयोग माइग्रेन और ब्रेन ट्यूमर जैसी बीमारियों के खतरा को बढ़ा सकता है। हालांकि ड़ॉक्टर भी महिलाओं को गर्भावस्था में मोबाइल फोन का इस्तेमाल कम करने को कहते हैं लेकिन आजकल की लाइफस्टाइल को देखते हुए इसका उपयोग होना लाजमी है।
गर्भावस्था में मोबाइल फोन का इस्तेमाल शिशु के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकता है। यह जन्म से पहले शिशु की दिमागी क्षमता को प्रभावित करने के अलावा व्यवहार संबंधी समस्याओं को पैदा कर सकता है। यह दुष्प्रभाव गर्भावस्था में स्मोकिंग या, एल्कोहॉल के दुष्प्रभावों के बराबर माना जाता हैं। गर्भावस्था में मोबाइल फोन का इस्तेमाल मां के पेट में पल रहे बच्चे के साथ-साथ महिलाओं को भी नुकसान पहुंचाता है।
कई अध्ययनों में इस बात की पुष्टि की गई, कि गर्भावस्था में मोबाइल फोन से निकलने वाले हानिकारक किरणों गर्भवती महिला या शिशु को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का शिकार बनाने के साथ-साथ ब्लडप्रेशर और हृदय रोग का शिकार भी बना सकती है। इसका मुख्य कारण यह है कि यह सारी बीमारियां एक दूसरे से जुड़ी हैं।
क्या कहती है रिसर्च गर्भावस्था में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर?
‘जर्नल ऑफ इपिडीमियोलॉजी एंड कम्यूनिटी हेल्थ’ की एक रिपोर्ट के अनुसार गर्भावस्था में मोबाइल फोन का इस्तेमाल अधिक करने से शिशु गर्भाशय में ही इसके संपर्क आ जाते हैं। जिसके कारण इन शिशुओं के सात वर्ष के होने तक उनमें व्यवहार संबंधी समस्याओं का खतरा 30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय की शोधार्थी ‘लीका कीफेट्स’ कहती हैं कि अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल से बच्चे के सात वर्ष की उम्र तक पहुंचने पर उसमें व्यवहार संबंधी परेशानियां हो सकती हैं।
दुनिया भर में प्रसिद्ध समाचार पत्र ‘डेली मेल’ के अनुसार जो शिशु जन्म से पहले और बचपन में मोबाइल फोन के संपर्क में आते हैं उनमें सामान्य बच्चों की तुलना में व्यवहार संबंधी परेशानियां होने का 50 प्रतिशत अधिक खतरा रहता है। इसलिए इन शोध में गर्भावस्था में मोबाइल फोन के इस्तेमाल को करने की सालह दी गई है जिससे मां के साथ-साथ बच्चा भी स्वस्थ रहे।
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गर्भावस्था में मोबाइल फोन का इस्तेमाल कैसे प्रभावित कर सकता है?
1990 में आए ग्लोबलाइजेशन के समय पूरी दुनिया मोबाइल से बड़े पैमाने पर परिचित हुई। आज का आलम यह है कि मोबाइल फोन हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में सबसे जरूरी चीजों में से एक बन चुका है। मोबाइल फोन कम स्तर पर ही सही लेकिन, रेडियो तरंग रिलीज करते हैं। जिन्हें नॉन-आयोनाइजिंग इलैक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन कहा जाता है। यह रेडिएशन हर घर में मौजूद कंप्यूटर, टीवी तथा माइक्रोवेव जैसे मशीनी उपकरण द्वारा भी छोड़े जाते हैं। ऐसे में अगर गर्भावस्था में मोबाइल फोन का इस्तेमाल महिलाएं करती हैं तो इससे बच्चों को अलग-अलग स्वास्थ संबंधी परेशानियां हो सकती हैं।
गर्भावस्था में मोबाइल फोन के अधिक उपयोग से होने वाले खतरे:
गर्भावस्था के दौरान मोबाइल फोन का अधिक उपयोग करना आपको और आपके बच्चे को निम्नलिखित तरीकों से प्रभावित कर सकता है:
- गर्भावस्था के दौरान मोबाइल फोन के लंबे समय तक उपयोग से शिशु में सक्रियता जैसी व्यवहार संबंधी समस्याएं घेर सकती हैं। इससे शिशु ज्यादा या कम एक्टिव हो सकता है।
- कुछ अध्ययनों का मानना है कि गर्भावस्था में मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशंस से अधिक समय तक संपर्क मां के माइटोकॉन्ड्रिया में जीन सीक्वेंस को बदल सकता है। जिससे शिशु का डीएनए प्रभावित हो सकता है।
- बच्चे में डिजेनरेटिव डिजीज के खतरे बढ़ सकते हैं।
- गर्भावस्था के दौरान रेडिएशंस के संपर्क में ज्यादा देर रहने से गर्भवती महिला को थकान, चिंता रहती है और याद्दाश्त कम होने के साथ ही नींद की कमी हो सकती है।
- गर्भावस्था के दौरान रेडियो तरंगों के लगातार संपर्क शरीर के सेलुलर रिसेप्टर्स के साथ हस्तक्षेप कर सकते हैं। संभवतः इससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। इस पर और शोध किया जा रहा है।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट :
जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि भ्रूण पर होने वाले प्रभावों पर वैज्ञानिक आपस में एकमत नहीं हैं। हालांकि कुछ वैज्ञानिक यह मानते हैं कि नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन, आयोनाइजिंग रेडिएशन की तुलना में हल्की होती हैं। हॉस्पिटल में इस्तेमाल किए जाने वाले एक्स-रे मशीन, रेडिएशन थैरेपी मशीन और सीटी स्कैनर आदि आयोनाइजिंग रेडिएशन छोड़ती हैं। इस लिए विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भावस्था में नॉन-आयोनाइजिंग रेडिएशन से गर्भ में पलने वाले शिशु को ज्यादा नुकसान पहुंचने की संभावना नहीं रहती। किन्हीं विशेष परिस्थितियों में यह संभावना बढ़ सकती है। इसलिए शोधार्थी सलाह देते हैं कि गर्भावस्था में मोबाइल फोन के अधिक इस्तेमाल से दूर रहना चाहिए।
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