क्या कहती है रिसर्च गर्भावस्था में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर?
‘जर्नल ऑफ इपिडीमियोलॉजी एंड कम्यूनिटी हेल्थ’ की एक रिपोर्ट के अनुसार गर्भावस्था में मोबाइल फोन का इस्तेमाल अधिक करने से शिशु गर्भाशय में ही इसके संपर्क आ जाते हैं। जिसके कारण इन शिशुओं के सात वर्ष के होने तक उनमें व्यवहार संबंधी समस्याओं का खतरा 30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय की शोधार्थी ‘लीका कीफेट्स’ कहती हैं कि अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि मोबाइल फोन के इस्तेमाल से बच्चे के सात वर्ष की उम्र तक पहुंचने पर उसमें व्यवहार संबंधी परेशानियां हो सकती हैं।
दुनिया भर में प्रसिद्ध समाचार पत्र ‘डेली मेल’ के अनुसार जो शिशु जन्म से पहले और बचपन में मोबाइल फोन के संपर्क में आते हैं उनमें सामान्य बच्चों की तुलना में व्यवहार संबंधी परेशानियां होने का 50 प्रतिशत अधिक खतरा रहता है। इसलिए इन शोध में गर्भावस्था में मोबाइल फोन के इस्तेमाल को करने की सालह दी गई है जिससे मां के साथ-साथ बच्चा भी स्वस्थ रहे।
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गर्भावस्था में मोबाइल फोन का इस्तेमाल कैसे प्रभावित कर सकता है?
1990 में आए ग्लोबलाइजेशन के समय पूरी दुनिया मोबाइल से बड़े पैमाने पर परिचित हुई। आज का आलम यह है कि मोबाइल फोन हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में सबसे जरूरी चीजों में से एक बन चुका है। मोबाइल फोन कम स्तर पर ही सही लेकिन, रेडियो तरंग रिलीज करते हैं। जिन्हें नॉन-आयोनाइजिंग इलैक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन कहा जाता है। यह रेडिएशन हर घर में मौजूद कंप्यूटर, टीवी तथा माइक्रोवेव जैसे मशीनी उपकरण द्वारा भी छोड़े जाते हैं। ऐसे में अगर गर्भावस्था में मोबाइल फोन का इस्तेमाल महिलाएं करती हैं तो इससे बच्चों को अलग-अलग स्वास्थ संबंधी परेशानियां हो सकती हैं।
गर्भावस्था में मोबाइल फोन के अधिक उपयोग से होने वाले खतरे: