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प्रीटर्म लेबर के इन लक्षणों को पहचानना है जरूरी, ताकि बचा जा सके कई कॉम्प्लीकेशन्स से!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 24/09/2021

    प्रीटर्म लेबर के इन लक्षणों को पहचानना है जरूरी, ताकि बचा जा सके कई कॉम्प्लीकेशन्स से!

    ऐसा माना जाता है कि प्रसव, मां के लिए एक नए जन्म के जैसा होता है। गर्भावस्था के दौरान महिला कई तरह के उतार-चढाव से गुजरती है। यही नहीं, इस समय कॉम्प्लीकेशन्स से बचने के लिए कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता हैं। इन्हीं में से एक है प्रीटर्म लेबर (Preterm Labor)। प्रीटर्म लेबर के लक्षणों (Signs of preterm labor) को पहचानना बेहद जरूरी है, ताकि सही समय पर आपको मेडिकल हेल्प मिल सके और आपको या आपके शिशु को कोई समस्या न हो। आइए ,जानते हैं कि प्रीटर्म लेबर के लक्षण (Signs of preterm labor) क्या हैं? लेकिन, सबसे पहले प्रीटर्म लेबर के बारे में जान लेते हैं।

    प्रीटर्म लेबर (Preterm labor) क्या है?

    अधिकतर महिलाओं में प्रेग्नेंसी पीरियड लगभग 40 हफ्ते तक का होता है। लेकिन, कई बार किन्हीं कारणों से प्रसव जल्दी हो सकता है। ऐसे में, प्रीटर्म लेबर के लक्षण (Signs of preterm labor) क्या हैं, इसके बारे में जानना बेहद आवश्यक है। क्योंकि, इस स्थिति में तुरंत आपको और आपके बच्चे को मेडिकल देखभाल की जरूरत होती है। इसके साथ ही इस बारे में अन्य जानकारी भी जरूरी है। लेकिन, पहले जान लेते हैं कि प्रीटर्म लेबर या जल्दी प्रसव क्या है? गर्भावस्था आमतौर पर 38 से 42 हफ्तों तक रहती है। लेकिन, प्रीमेच्योर बर्थ उसे कहा जाता है, जब शिशु का जन्म 37 हफ्तों से पहले हो जाता है।

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    प्रीमेच्योर शिशुओं के विकास के बारे में जानने के लिए हम उनकी जेस्टेशनल एज (Gestational Age) के बारे में न बात करेंगे। इसका अर्थ यह है कि शिशु ने गर्भ में कितनी देर तक ग्रो किया है। इसे लास्ट पीरियड के पहले दिन से कैलकुलेट किया जाता है। जेस्टेशनल एज (Gestational Age) के अनुसार शिशु की प्रीमेच्योरिटी को इन शब्दों में डिस्क्राइब किया जा सकता है:

    • बहुत अधिक प्रीमेच्योर – 23 हफ्ते से  28 हफ्तों से कम समय
    • अधिक प्रीमेच्योर – 28–32 हफ्ते
    • मॉडरेट प्रीमेच्योर – 32–36 हफ्ते
    • लेट प्री-टर्म – 36–37 हफ्ते

    जब कोई शिशु प्रीमेच्योरली जन्म लेता है, तो वो सामान्य शिशुओं की तुलना में पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ होता है। उनकी जेस्टेशनल एज (Gestational Age) इस बात का सूचक होती है कि शिशु, डेवलपमेंट के किस चरण में पहुंच चुका है। प्रीमेच्योर शिशुओं की देखभाल के लिए खास इक्विपमेंट्स का होना जरूरी होता है। ऐसे में, उन्हें अस्पताल में नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (Neonatal intensive care unit) यानी NICU में रखा जाता है। नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (Neonatal intensive care unit) में मौजूद इक्विपमेंट से शिशु को सांस लेने, हार्ट रेट, फीडिंग और टेम्प्रेचर आदि में सपोर्ट मिलती है और साथ ही उन्हें अच्छे से मॉनिटर किया जा सकता है। अब जानते हैं प्रीटर्म लेबर के लक्षण (Signs of preterm labor) क्या हैं?

    प्रीटर्म लेबर के लक्षण कौन से हैं? (Signs of preterm labor)

    जैसा की आप जानते ही हैं कि प्रीटर्म या प्रीमेच्योर लेबर में तुरंत मेडिकल हेल्प की जरूरत होती है।  तुरंत मेडिकल हेल्प के लिए इसके वार्निंग लक्षणों की पहचान करना बेहद जरूरी है। क्योंकि, इसके लक्षण नजर आने पर तुरंत मेडिकल हेल्प लेने पर आप बड़ी कॉम्प्लीकेशन्स से बच सकते हैं। अगर गर्भावस्था में आपका वाटर बैग ब्रेक हो जाए या आपको गर्भावस्था के 37 हफ्ते से पहले कॉन्ट्रैक्शंस शुरू हो जाएं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। प्रीटर्म लेबर के लक्षण (Signs of preterm labor) कुछ इस प्रकार हो सकते हैं

    प्रीटर्म लेबर के लक्षण: पीठ में दर्द (Backache)

    प्रीटर्म लेबर के लक्षण में सबसे पहला है पीठ में दर्द। यह दर्द आमतौर पर पीठ में निचले हिस्से में दर्द होती है। यह दर्द स्थायी हो सकती है या आप ऐसा भी महसूस कर सकते हैं कि दर्द एकदम से हो रही और कुछ ही देर में खुद ही ठीक हो रही है। हालांकि, यह दर्द होने पर आपको अपनी पोजीशन बदलने या अन्य इससे राहत पाने के तरीकों को अपनाने के बाद भी आराम नहीं मिलता है।

    प्रीटर्म लेबर के लक्षण: कॉन्ट्रैक्शंस (Contractions)

    प्रीटर्म लेबर के लक्षण (Signs of preterm labor) में कॉन्ट्रैक्शंस भी शामिल है। यह हरेक कॉन्ट्रैक्शंस हर दस मिनटों में महसूस होती है। जो अधिक तेज और गंभीर हो सकती है।

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    प्रीटर्म लेबर के लक्षण: क्रैम्पिंग (Cramping)

    पेट के नीचे हिस्से में क्रैम्पिंग भी इस समस्या का संकेत हो सकता है। इसके साथ मेंस्ट्रुअल जैसे क्रैम्प्स भी हो सकते हैं। यह क्रैम्प्स गैस की दर्द ही तरह होता है, जिसके साथ डायरिया भी हो सकता है।

    प्रीटर्म लेबर के लक्षण: फ्लूइड लीकेज (Fluid Leakage)

    प्रीटर्म लेबर के लक्षण (Signs of preterm labor) में वजायना से फ्लूइड लीकेज (Fluid Leakage) भी शामिल हो सकते हैं। इसके साथ ही इस समस्या के लक्षणों में फ्लू के समान लक्षण भी शामिल हैं, जैसे जी मचलना, उल्टी और डायरिया आदि।

    इसके अलावा, पेल्विस या वजाइना में प्रेशर का बढ़ना और वजाइनल ब्लीडिंग भी इस समस्या का संकेत हो सकती है। जिसमें लाइट ब्लीडिंग भी शामिल है।

    इनमे से कुछ लक्षणों को आप सामान्य प्रेग्नेंसी के लक्षण भी मान सकती हैं। कई बार प्रीटर्म लेबर लक्षण का अनुभव होने के बाद भी अधिकर महिलाएं, इन्हें प्रसव के लक्षण नहीं मानती हैं। क्योंकि, उन्हें लगता है कि अभी उनकी एक्सपेक्टिंग लेबर डेट दूर है। लेकिन, इन लक्षणों को नजरअंदाज करना नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए, अगर आपको ऊपर दिए कोई भी लक्षण नजर आते हैं तो अपने डॉक्टर से अवश्य राय लें। जानिए, प्रीमेच्योर लेबर के लक्षण (Signs of preterm labor) अनुभव करने के बाद आपको क्या करना चाहिए?

    प्रीटर्म लेबर के लक्षण

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    प्रीटर्म लेबर के लक्षण अनुभव होने पर क्या करें? (Signs of preterm labor)

    अगर आपको ऊपर दिए प्रीटर्म लेबर के लक्षण (Signs of preterm labor) अनुभव हों, तो अपने डॉक्टर से बात करें। क्योंकि, अगर आपका शिशु समय से पहले जन्म लेने वाला हो, तो जितनी जल्दी हो सके मेडिकल हेल्प लेना अनिवार्य है। इसके अलावा अगर आप अपने चेहरे, हाथों या पैरों पर सूजन और डबल विजन, नजर में धुंधलापन आदि महसूस करें, तब भी तुरंत डॉक्टर से मिलें। क्योंकि, यह प्रीएक्लेम्पसिया (Preeclampsia) का संकेत हो सकता है। जो प्रीटर्म लेबर का सबसे सामान्य कारण है। अगर आपको प्रीमेच्योरली लेबर हो रहे हैं, तो आपको ऐसे अस्पताल में जाना चाहिए। जहां नवजात शिशु के लिए सभी सुविधाएं हों जैसे निओनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (Neonatal intensive care unit ) या स्पेशल केयर नर्सरी (Special care nursery) आदि। अब जानिए प्रीमेच्योर लेबर से जुड़े रिस्क फैक्टर्स के बारे में।

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    प्रीटर्म लेबर के रिस्क फैक्टर्स (Risk Factors of preterm labor)

    आप प्रीटर्म लेबर के लक्षण (Signs of preterm labor) कौन से हो सकते हैं, इस बारे में तो जान ही गए होंगे। नेशनल हेल्थ पोर्टल (National Health Portal) के अनुसार पूरी दुनिया में हर साल लगभग 15 मिलियन बच्चे प्रीमेच्योरली जन्म लेते हैं। अधिकतर प्रीटर्म बेबीज कई डिसाबिलिटीज़ का शिकार होते हैं। ऐसी कई चीजें और परिस्थितियां हैं जो प्रीमेच्योर लेबर के जोखिम को बढ़ा सकती हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

    • स्मोकिंग (Smoking)
    • गर्भावस्था से पहले वजन का बहुत अधिक या बहुत कम होना (Being overweight or underweight)
    • गर्भावस्था के दौरान टीनएज या चालीस साल से अधिक उम्र का होना (Being Pregnant in teenage or age 40 or older)
    • अच्छी प्रीनेटल केयर न मिल पाना (Not getting good prenatal care)
    • गर्भावस्था के दौरान एल्कोहॉल का सेवन (Drinking Alcohol)
    • कुछ हेल्थ कंडीशंस जैसे हाय ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर या इंफेक्शन का होना (Having health conditions)
    • ऐसे बच्चे का गर्भ में होना जिसे कोई खास बर्थ डिफेक्ट हो (Pregnant with a baby that has Birth defects)
    • गर्भ में दो या दो से अधिक बच्चों का होना (Pregnant with twins or other multiples)
    • प्रीमेच्योर लेबर की फॅमिली या पर्सनल हिस्ट्री होना (Family or personal history of premature labor)
    • एक बच्चे के होने के तुरंत बाद गर्भवती होना (Getting pregnant too soon after having a baby)

    यह तो थी प्रीटर्म लेबर के लक्षण (Signs of preterm labor) और रिस्क फैक्टर के बारे में जानकारी। अब जान लेते हैं कि इसका निदान कैसे संभव है?

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    प्रीटर्म लेबर का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Preterm labor)

    अगर आपके डॉक्टर को लगता है कि आपको प्रीटर्म लेबर की समस्या हो सकती है, तो वो आपको अस्पताल में जांच कराने के लिए कह सकते हैं। प्रीटर्म लेबर में एक इलेक्ट्रॉनिक मॉनिटर की मदद से यह जांचा जाता है कि कॉन्ट्रैक्शंस कितनी जल्दी हो रही हैं और कितनी देर तक रह रही हैं? इस डिवाइस का मॉनिटर छोटा होता है, जिसे एक बेल्ट की मदद से आपके पेट पर प्लेस किया जाता है। इसे ट्रांसड्यूसर (Transducer) कहा जाता है। यह ट्रांसड्यूसर (Transducer) मॉनिटर में कॉन्ट्रैक्शंस के बारे में इंफॉर्मेशन भेजता है और शिशु की हार्ट रेट को भी इससे मॉनिटर किया जा सकता है। प्रीटर्म लेबर को चेक करने के लिए अन्य टेस्ट भी कराए जा सकते हैं, जैसे:

    • सर्वाइकल जांच (Cervical exam): इस समस्या के निदान के लिए डॉक्टर सर्विक्स की जांच करते हैं और जानते हैं कि इसमें क्या बदलाव आएं हैं?
    • ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड जांच (Transvaginal ultrasound exam): अल्ट्रासाउंड जांच के लिए एक डिवाइस का प्रयोग किया जाता है। जिसे वजाइना में प्लेस किया जाता है। इससे डॉक्टर को सर्विक्स की लेंथ का पता चलता है।
    • एमनियॉटिक फ्लूइड की जांच (Testing for amniotic fluid): इस टेस्ट से डॉक्टर को पता चलता है कि शिशु के चारों और मौजूद सैक टूटी है या नहीं?
    • फीटल फाइब्रोनेक्टिन के लिए टेस्ट (Testing for fetal fibronectin): फीटल फाइब्रोनेक्टिन (Fetal fibronectin) एक प्रोटीन होती है जो एमनियॉटिक मेम्ब्रेन (Amniotic membrane) और यूटरिन लायनिंग (Uterine lining)  के बीच में पाई जाती है। इसकी जांच के लिए सर्वाइकल या वजाइनल फ्लूइड का सैंपल लिया जाता है। जानिए कैसे किया जाता है इस परेशानी का उपचार?

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    प्रीटर्म लेबर का उपचार (Treatment of Preterm labor)

    अगर आप लेबर में हैं, तो लेबर को रोकने में लिए किसी भी मेडिकेशन या सर्जिकल प्रोसीजर का प्रयोग नहीं किया जाता है। हालांकि, इसे अस्थायी रूप से रोका जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर कुछ दवाईयों की सलाह दे सकते हैं। इस समस्या का उपचार इस तरह से संभव है:

    • बेड रेस्ट (Bed Rest): अगर डॉक्टर को लगता है कि किसी गर्भवती महिला में प्रीटर्म लेबर की संभावना है, तो वो उसे बेड रेस्ट के लिए कह सकते हैं।
    • टोकोलिटिक मेडिसिन्स (Tocolytic medicines): यह दवाईयां कॉन्ट्रैक्शंस को धीमा कर सकती है या बंद कर सकती है। इस दवाई को इंजेक्शन के माध्यम से या इंटरवेंसली दिया जा सकता है।
    • कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स (Corticosteroids): यह दवाईयां शिशु के लंग्स को विकसित होने में मदद कर सकती हैं। प्रीटर्म बेबीज के लंग्स खुद से काम करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं ।
    • सर्वाइकल सरक्लेज (Cervical Cerclage): इस प्रोसीजर के माध्यम से सर्विक्स को टांकों के माध्यम से बंद किया जाता है। ऐसा तब किया जाता है, जब सर्विक्स वीक होता है और क्लोज होने में सक्षम नहीं होता।
    • एंटीबायोटिक्स (Antibiotics): इंफेक्शन के उपचार के लिए एंटीबायोटिक्स का प्रयोग भी किया जाता है।
    • शिशु की डिलीवरी (Delivery of the baby): अगर उपचार के बाद प्रीटर्म लेबर बंद न हो व मां या शिशु को किसी तरह की कॉम्प्लीकेशन्स हों, तो शिशु की डिलीवरी कराई जाती है। इसके लिए सी-सेक्शन डिलीवरी की जरूरत भी हो सकती है। अब जानिए, कैसे बचा जा सकता है इस समस्या से?

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    प्रीटर्म बर्थ से कैसे बचा जा सकता है? (Prevention of preterm labor)

    अगर आप एक हेल्दी शिशु चाहती हैं, तो प्रेग्नेंट होने से पहले और प्रेग्नेंसी के दौरान आपके लिए कुछ खास चीजों का ध्यान रखना जरूरी है। प्रीटर्म लेबर और प्रीटर्म बर्थ को नजरअंदाज करना चाहते है तो यह स्टेप आपके लिए मददगार हो सकते हैं:

    • स्ट्रेस को कम करें। तनाव कई समस्याओं का कारण बन सकता है, खासतौर पर गर्भावस्था में। ऐसे में इससे दूर रहना बेहद जरूरी है।
    • मुंह का ध्यान रखें। शोधकर्ताओं के अनुसार गम डिजीज (Gum Disease) और प्रीटर्म बर्थ के बीच में लिंक है। इसलिए, इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए नियमित रूप से दांतों को ब्रश और फ्लॉस करें।
    • स्मोकिंग छोड़ दें। अगर आप चाहती हैं कि आपका शिशु हेल्दी हो, तो ऐसे में प्रीमेच्योर डिलीवरी (Premature delivery) के जोखिम से बचने के लिए स्मोकिंग करना पूरी तरह से छोड़ दें।
    • इसके साथ ही आपको अपने खानपान का ध्यान रखना चाहिए और डॉक्टर के बताए अनुसार शारीरिक गतिविधियां भी करनी चाहिए। यह बात भी साबित हो चुकी है कि एक हॉर्मोन के साथ ट्रीटमेंट से भी कुछ महिलाओं में प्रीटर्म बर्थ से बचा जा सकता है। इस हॉर्मोन को प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) कहा जाता है। जिन महिलाओं को पहली डिलीवरी के दौरान इस समस्या का सामना करना पड़ा था। दूसरे शिशु के जन्म के दौरान जोखिम को कम करने के लिए वो गर्भावस्था में प्रोजेस्टेरोन शॉट प्राप्त कर सकती हैं।

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    यह तो थी प्रीटर्म लेबर और प्रीटर्म लेबर के लक्षण (Signs of preterm labor) के बारे में जानकारी। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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