फुल बॉडी चेकअप का अर्थ है पूरे शरीर की जांच। फुल बॉडी चेकअप किसी भी उम्र में किया जा सकता है। इसका शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है। अगर किसी व्यक्ति को कोई शारीरिक परेशानी नहीं है, तो भी फुल बॉडी चेकअप करवाना चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार उम्र बढ़ने के साथ ही कई बीमारियां शरीर में दस्तक देने के लिए तैयार रहती हैं। इन बीमारियों से बचने के लिए फुल बॉडी चेकअप जरूरी है। 25 साल की आयु के बाद नियमित रूप से फुल बॉडी चेकअप करवाना चाहिए। एक रिसर्च के अनुसार विश्व भर में 9 करोड़ से ज्यादा व्यक्ति हृदय संबंधित अन्य बीमारियों से पीड़ित होते हैं।
इसके साथ ही इस बदलती भागदौड़ भरी जिंदगी, बदलती लाइफ स्टाइल, तनाव, चिंता और बढ़ते प्रदूषण की वजह से भी कई शारीरिक परेशानियां शुरू हो जाती हैं। इन सभी परेशानियों से बचने के लिए फुल बॉडी चेकअप जरूरी हो जाता है।
फुल बॉडी चेकअप एक तरह से रूटीन चेकअप है जो प्राइमरी केयर प्रोवाइडर (PCP) के द्वारा किया जाता है। प्राइमरी केयर प्रोवाइडर डॉक्टर, नर्स या फिजिशियन असिस्टेंट के द्वारा की जाती है। ऐसा नहीं है कि जब कोई व्यक्ति बीमार पड़े तभी फुल बॉडी चेकअप किया जा सकता है। अगर आपको कोई शारीरिक परेशानी समझ आती है, तो इस बारे में अपने हेल्थ एक्सपर्ट से बात करें। शरीर में होने वाले किसी भी नकारात्मक बदलाव को नजरअंदाज न करें। इससे परेशानी कम होने की बजाय बढ़ सकती है। इसलिए फुल बॉडी चेकअप साल में एक बार अवश्य करवाएं।
फुल बॉडी चेकअप क्यों करवाना चाहिए?
फुल बॉडी चेकअप निम्नलिखित कारणों से करवाना चाहिए।
- पूरे शरीर की जांच से यह पता चल जाता है कि आप हर तरीके से फिट हैं या नहीं।
- अगर कोई बीमारी का खतरा है या शुरुआत है, तो इसकी जानकारी मिल जाती है।
- जेनेटिक बीमारियों की जानकारी मिल जाती है।
- भविष्य में होने वाली बीमारी की जानकारी मिल सकती है।
- आवश्यक वैक्सीन की जानकारी मिलती है।
- फुल बॉडी चेकअप से यह जानकारी मिलती है की आप सही डायट और वर्कआउट फॉलो कर रहें हैं या नहीं।
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फुल बॉडी चेकअप के लिए क्या करें?
प्राइमरी केयर प्रोवाइडर के संपर्क में रहकर अपॉइंटमेंट लेना चाहिए। इसके साथ ही निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
- आपके द्वारा ली जाने वाली वर्तमान दवाओं की लिस्ट होनी चाहिए जिनमें ओवर-द-काउंटर दवाएं या अगर आप किसी भी हर्बल सप्लीमेंट का सेवन करते हैं तो उसकी भी जानकारी अपने PCP को दें।
- किसी भी नकारात्मक शारीरिक लक्षण या दर्द की लिस्ट बनाकर अपने साथ ले जाएं।
- हाल ही के दिनों में अगर कोई शारीरिक जांच हुई है, तो उसके रिपोर्ट्स जरूर लेकर जाएं।
- मेडिकल या सर्जिकल कोई ऐसी हिस्ट्री रह चुकी है, तो वह भी बताएं।
- जिन डॉक्टरों के संपर्क में रहते हैं, उनकी जानकारी दें।
इन सबके साथ आपको आरामदायक कपड़े पहनना चाहिए और किसी भी अतिरिक्त गहने, मेकअप या अन्य चीजों का इस्तेमाल इस दौरान नहीं करना चाहिए जो आपके प्राइमरी केयर प्रोवाइडर को शरीर की पूरी तरह से जांच करने से रोके।
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फुल बॉडी चेकअप के दौरान कौन-कौन से चेकअप किए जाते हैं?
फुल बॉडी चेकअप के दौरान निम्नलिखित शारीरिक जांच की जाती हैं।
1. ब्लड टेस्ट
ब्लड टेस्ट सबसे महत्वपूर्ण टेस्ट माने जाते हैं और बीमार पड़ने पर भी डॉक्टर सबसे पहले ब्लड टेस्ट ही करवाने की सलाह देते हैं। ब्लड टेस्ट की मदद से हीमोग्लोबिन, प्लेटलेट्स, ब्लड शुगर लेवल, कोलेस्ट्रॉल लेवल की जानकारी मिल जाती है।
2. हार्ट डिजीज
बदलती लाइफ स्टाइल की वजह से वजन बढ़ना और एक हार्ट डिजीज आम परेशानी बनती जा रही है। हालांकि, बढ़ते वजन को आम परेशानी मानकर इग्नोर नहीं किया जा सकता क्योंकि बढ़ते वजन की वजह से हाई ब्लड प्रेशर, नींद नहीं आना, टेंशन, कोलेस्ट्रॉल बढ़ने जैसी अन्य बीमारियां दस्कत दे सकती हैं। इसलिए फुल बॉडी चेकअप करवाने से इन सभी बीमारियों की जानकारी मिल जाती है।
3. कैंसर टेस्ट
फुल बॉडी चेकअप के दौरान महिलाओं के ब्रेस्ट और ओवरी की जांच की जाती है। इससे ब्रेस्ट कैंसर या ओवरी कैंसर की जानकारी मिल जाती है। वहीं पुरुषों के प्रोस्टेस्ट की जांच होती है, जिससे प्रोस्टेट कैंसर की जानकारी या लक्षण को समझा जा सकता है। कैंसर की जानकारी अगर फस्ट स्टेज में मिल जाए तो इस बीमारी से लड़ना आसान होता है।
4. लिवर फंक्शन टेस्ट
पूरे शरीर के जांच के दौरान लिवर फंक्शन टेस्ट भी किया जाता है। इससे शरीर में प्रोटीन, जॉन्डिस, ग्लोबुलिन और एल्बुमिन की जानकारी मिल जाती है।
5. किडनी फंक्शन टेस्ट
किडनी फंक्शन टेस्ट यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि किडनी अपने सभी काम ठीक ढंग से कर रही है या नहीं। किडनी फंक्शन टेस्ट की मदद से ब्लड यूरिया, क्रिएटिनिन, यूरिक एसिड व अन्य खनिजों के स्तर का पता लगाया जा सकता है। इसमें निम्न टेस्ट किए जाते हैं।
- ब्लड में क्रिएटिनिन का स्तर
- ग्लोमेरुल फिल्ट्रेशन रेट
- ब्लड यूरिया नाइट्रोजन
6. लिपिड प्रोफाइल
लिपिड वसायुक्त पदार्थ होता है जो कोलेस्ट्रॉल के रूप में मौजूद होता है। रक्त में अगर इसकी मात्रा सामान्य से अधिक बढ़ जाए तो यह धमनियों के ब्लॉकेज का कारण बन सकता है। लिपिड प्रोफाइल टेस्ट के तहत पांच तरह के टेस्ट किए जाते हैं। जिसमें टोटल कोलेस्ट्रॉल, हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन, लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन, वेरी लो डेसिंटी लिपोप्रोटीन और ट्राइग्लिसराइड की चांज होती है। सभी टेस्ट एक ही ब्लड सैंपल से हो जाते हैं।
7. ब्लड शुगर टेस्ट
ब्लड शुगर या ग्लूकोज टेस्ट में खून में शुगर (ग्लूकोज) की मात्रा को मापा जाता है। ग्लूकोज एक प्रकार का शुगर होता है जो ब्लड में मौजूद रहता है।
8. कान की जांच
बॉडी चेकअप के दौरान कान की भी जांच की जाती है। इससे व्यक्ति के सुनने की क्षमता की जानकारी मिलती है।
9. यूरिन टेस्ट
पूरे शरीर के जांच के दौरान यूरिन टेस्ट किया जाता है। इससे शरीर में ग्लूकोज और प्रोटीन लेवल की जानकारी मिलती है।
10. आंखों की जांच
आई चेकअप से मायोपिया, दूर दृष्टि दोष, निकट दृष्टि दोष, कलर ब्लाइंडनेस, मोतियाबिंद जैसी अन्य बीमारियों की जानकारी मिल जाती है।
11. एक्स-रे
फुल बॉडी चेकअप में होने वाली शारीरिक जांच में एक्स-रे भी शामिल है। एक्स-रे की मदद से फेफड़े की बीमारी और सांस से जुड़ी बीमारियों की जानकारी मिल जाती है। ऐसे लोग जो स्मोकिंग करते हों उनका एक्स-रे अवश्य किया जाता है। क्योंकि सिर्फ स्मोकिंग की वजह से ही कई बीमारियों जैसे दिल की बीमारी, कैंसर या डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो हर साल में एक बार फुल बॉडी चेकअप करवाना चाहिए। कई बार हम सभी अपने आपको फिट मानते हैं लेकिन, बावजूद इसके किसी न किसी बीमारी का अनजाने में हम शिकार हो ही जाते हैं। इसलिए ऐसी पेशानियों से बचने के लिए फुल बॉडी चेकअप करवाते रहें। इससे शरीर को कोई हानि नहीं पहुंचती है।
रिपोर्ट्स आने के बाद डॉक्टर द्वारा बताई गईं सलाह का पालन करना चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि अगर कोई रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो इससे परेशान न हों। बीमारी के बारे में अपने स्वास्थ्य विशेषज्ञों से समझें और उनसे सलाह लें कि जो रिपोर्ट पॉजिटिव आई हैं उनके पीछे कारण क्या हैं। ऐसे में हमें क्या-क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए अच्छी तरह समझ लेना चाहिए। खुद से अपना इलाज न शुरू कर दें।
अगर आप फुल बॉडी चेकअप से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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