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वजन कम करने के लिए जानी जाती है एटकिंस डायट, जानें फॉलो करने का तरीका

वजन कम करने के लिए जानी जाती है एटकिंस डायट, जानें फॉलो करने का तरीका

शरीर तभी स्वस्थ रहता है और उसकी कार्यक्षमता तभी पूर्ण रहती है, जब वह फिट (Fit Body) होता है। फिट होने का मतलब क्या है? यह वर्तमान में किसी को बताने की जरूरत नहीं है। शरीर पर अत्यधिक फैट होना फिट रहने से दूर कर सकता है और इसके साथ-साथ आपको मोटापे का शिकार भी बना सकता है। वैसे डायट पर ध्यान दिया जाए तो इस परेशानी को दूर किया जा सकता है। इसलिए एटकिंस डायट (Atkins Diet) से जुड़ी जानकारी हम आपके साथ शेयर करने जा रहें हैं। क्योंकि मोटापा (Obesity) अकेले नहीं आता है, बल्कि अपने साथ थायरॉइड (Thyroid), मधुमेह (Diabetes), स्ट्रेस (Stress), दिल संबंधित बीमारियां, स्ट्रोक (Stroke) आदि शारीरिक और मानसिक समस्याएं लेकर आता है। मोटापे या अतिरिक्त शारीरिक फैट को दूर करने और फिर से स्वस्थ व फिट शरीर प्राप्त करने के लिए आज के समय में हमारे पास कई विकल्प मौजूद हैं। उसी में से एक विकल्प है एटकिंस डायट (Atkins Diet)। क्या आपने इस डायट के बारे में पहले कभी सुना है? क्या आपको पता है कि इस डायट के अंदर आपको किन खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए या फिर किन खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए। अगर नहीं, तो हम आपको इस आर्टिकल में इससे जुड़ी पूरी जानकारी देंगे।

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एटकिंस डायट (Atkins Diet) क्या है?

एटकिंस डायट (Atkins Diet)

एटकिंस डायट की मदद से कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) की मात्रा को सीमित करके और इंसुलिन लेवल को कंट्रोल करके अतिरिक्त वजन को कम किया जाता है। इस डायट को अपनाने के दौरान आप जितनी चाहे उतनी मात्रा में फैट और प्रोटीन (Protein) का सेवन कर सकते हैं। इस डायट का निर्माण 1970 के दशक में अमेरिकी कार्डियोलोजिस्ट डॉ. रोबर्ट एटकिंस ने किया था और इसी विषय के ऊपर उन्होंने एक किताब भी लिखी थी। समय के साथ इस डायट में थोड़ा-सा बदलाव भी आया है कि, लोगों को इसमें हाई फाइबर (Fiber) युक्त सब्जियों का सेवन ज्यादा करना चाहिए और पहले से ज्यादा एक्सरसाइज भी करनी चाहिए। एटकिंस डायट के चार मुख्य नियम हैं, जैसे- वजन कम करना, वेट लॉस को मेंटेन करना, अच्छी सेहत प्राप्त करना और बीमारियों से बचाव। डॉ. एटकिंस के अनुसार, वजन बढ़ने का मुख्य कारण रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट्स खासतौर से शुगर, हाई फ्रूक्टोज कोर्न सिरप और आटे का सेवन करना है।

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एटकिंस डायट (Atkins Diet) कैसे काम करती है?

एटकिंस डायट अपनाने के बाद आपका मेटाबॉलिज्म ऊर्जा के लिए ग्लूकोज या शुगर को बर्न करने की जगह बॉडी फैट को बर्न करता है। इस प्रक्रिया को कीटोसिस (Ketosis) भी कहा जाता है। जब शरीर में ग्लूकोज का स्तर कम हो जाता है, तो इंसुलिन का स्तर भी खुद कम हो जाता है। इस वजह से शरीर का अतिरिक्त फैट घटने लगता है।

एटकिंस डायट के फेज (Phase of Atkins Diet)

एटकिंस डायट के अंदर चार फेज यानी चरण हैं। वजन घटाने के लक्ष्य के मुताबिक आप शुरुआती तीन फेज में से किसी भी चरण से शुरुआत कर सकते हैं।

एटकिंस डायट का फेज 1 (इंडक्शन)

इस फेज में आपको अपने आहार से लगभग पूरी तरह कार्बोहाइड्रेट्स को हटाना होता है और दिन भर में सिर्फ 20 ग्राम कार्ब्स और वो भी सिर्फ सब्जियों से प्राप्त किया जा सकता है। कई न्यूट्रिशन गाइडलाइन के द्वारा प्रस्तावित किए गए प्रतिदिन की जरूरी कैलोरी के 45 से 65 प्रतिशत को कार्बोहाइड्रेट से प्राप्त करने की जगह आपको सिर्फ 10 प्रतिशत कैलोरी कार्ब्स से प्राप्त करनी होती है। इसमें ब्रोकली, सेलेरी, खीरा, हरी फलियां, मिर्च आदि आपको दिनभर की जरूरी कार्ब्स प्रदान करेंगी। आपको इस फेज के दौरान हर आहार में चीज, फिश, शैलफिश, मीट, अंडे जैसे प्रोटीन को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा, आपको तेल और फैट से दूर रहने की जरूरत नहीं है, लेकिन आप अधिकतर फल, शुगर युक्त आहार, ब्रेड, पास्ता, अनाज, शराब आदि का सेवन नहीं कर सकते हैं। आपको इस चरण में कम से कम दो हफ्तों तक या फिर अपने वजन कम करने के लक्ष्य के मुताबिक रहना पड़ेगा।

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फेज 2 (बैलेंसिंग)

एटकिंस डायट के इस फेज में आपको फाउंडेशन वेजिटेबल के तौर पर कम से कम 12 से 15 ग्राम कार्ब का सेवन करना चाहिए। आपको अतिरिक्त शुगर वाले फूड्स के सेवन से भी बचना चाहिए। जब धीरे-धीरे आपका वजन कम होने लगे तो आप कुछ पोषण युक्त कार्ब्स जैसे बेरीज, नट्स और सीड्स का सेवन कर सकते हैं। आप इस फेज में तब तक रहें, जब तक कि आप अपने लक्षित वजन से 4.5 किलोग्राम दूर नहीं रह जाते।

फेज 3 (प्री-मेंटेनेंस)

इस फेज में आप धीरे-धीरे खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ा सकते हैं, जैसे- फल, स्टार्ची वेजिटेबल और साबुत अनाज। आप हर हफ्ते 10 ग्राम कार्ब्स अपनी डायट में शामिल कर सकते हैं, लेकिन अगर आपका वजन कम होना बंद हो गया है तो आपको फिर से इस मात्रा को बंद करना होगा। आप इस फेज में अपने लक्षित वजन तक पहुंचने तक रहें।

एटकिंस डायट का फेज 4 (लाइफटाइम मेंटेनेंस)

आप जब अपना लक्षित वजन हासिल कर लेते हैं, तो इस फेज में आते हैं। इस फेज में आपको इसी तरह हमेशा के लिए आहार लेना चाहिए।

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एटकिंस डायट (Atkins Diet) में क्या-क्या खा सकते हैं?

फेज के मुताबिक आप इन चीजों का सेवन कर सकते हैं। जैसे-

  • फाइबर और पोषण युक्त सब्जियां, जैसे- ब्रोकली, ग्रीन सलाद
  • लो शुगर और हाई फाइबर युक्त फल जैसे- सेब, बेरीज और सिट्रस
  • फली और साबुत अनाज जैसे कॉम्प्लैक्स कार्ब्स
  • नट्स, एवाकाडो, ओलिव ऑइल और सीड्स जैसे प्लांट फैट
  • पानी, कॉफी या ग्रीन टी जैसे पेय पदार्थ

एटकिंस डायट (Atkins Diet) फॉलो करने के दौरान इन ऊपर बताये खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

क्या-क्या नहीं खा सकते हैं?

  • कॉर्न और आलू जैसी स्टार्ची वेजीटेबल।
  • पाइनएप्पल, मैंगो, पपीता और बनाना जैसे हाई शुगर वाले फल।
  • कुकीज, कैंडी, केक और सॉफ्ट ड्रिंक्स जैसे मीठे आहार या ड्रिंक।
  • रिफाइंड या सिंपल कार्ब्स जैसे व्हाइट ब्रेड, पास्ता और प्रोसेस्ड ग्रेन वाले फूड्स।
  • इंडक्शन फेज के दौरान गाजर, सेब और फलियों का सेवन सही नहीं होता। हालांकि, आप बाद में उन्हें आहार में शामिल कर सकते हैं।

एटकिंस डायट (Atkins Diet) फॉलो करने के दौरान इन ऊपर बताये खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।

नोट: अगर आप एटकिंस डायट फॉलो करने पर विचार कर रहें हैं, तो एक बार डॉक्टर से भी कंसल्ट जरूर करें। आपके हेल्थ एक्सपर्ट आपको किन खाद्य पदार्थों का सेवन कम करना चाहिए और किन खाद्य पदार्थों का सेवन ज्यादा करना चाहिए यह भी आपको सलाह दे सकते हैं।

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एटकिंस डायट (Atkins Diet) को अपनाने से होने वाले संभावित खतरे

2006 में आई एक पुरानी स्टडी के मुताबिक, एटकिंस डायट को अपनाने वाले लोगों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ा था। जैसे-

  1. सिरदर्द (Headache)
  2. चक्कर आना
  3. जी मिचलाना
  4. थकान
  5. कमजोरी
  6. कब्ज
  7. बदबूदार सांस (Bad breath)

इस स्टडी में यह भी बताया गया था कि, एटकिंस डायट जैसी लो कार्ब डायट हर किसी व्यक्ति के लिए सुरक्षित नहीं होती है। खासकर, किडनी के रोगों से ग्रसित व्यक्तियों के लिए, क्योंकि यह गुर्दे की पथरी (Kidney stone) की आशंका बना सकती है।

जरूरी नहीं कि आपको या सभी को इन साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़े। इसके अलावा, आपको दूसरे अन्य दुष्प्रभावों का भी सामना करना पड़ सकता है। इसलिए किसी भी डायट को अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें और डायट के फायदों और नुकसानों के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त कर लें।

हेल्दी फूड हैबिटिस बनाने के लिए और कब और क्या खाना जरूरी है? जानने के लिए नीचे दिए इस वीडियो को क्लिक करें और एक्सपर्ट से जानिए कई महत्वपूर्ण बातें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Healthy Eating/https://www.helpguide.org/articles/healthy-eating/healthy-eating.htm/Accessed on 22/04/2021

Weight loss/https://www.mayoclinic.org/healthy-lifestyle/weight-loss/in-depth/atkins-diet/art-20048485/Accessed on 22/04/2021

What Is the Atkins Diet, and Is It Healthy?/https://health.clevelandclinic.org/what-is-the-atkins-diet-and-is-it-healthy/Accessed on 22/04/2021

Atkins Diet: What’s behind the claims? – https://www.mayoclinic.org/healthy-lifestyle/weight-loss/in-depth/atkins-diet/art-20048485 – Accessed on 16/3/2020

Atkins and other low-carbohydrate diets: hoax or an effective tool for weight loss? – https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/15351198 – Accessed on 16/3/2020

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Low Carbohydrate Diet Versus Low Fat Diet in Reversing the Metabolic Syndrome Using NCEP ATP III Criteria/https://clinicaltrials.gov/ct2/show/NCT04681924/Accessed in 30/12/2021

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Current Version

30/12/2021

Surender aggarwal द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nidhi Sinha


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

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Surender aggarwal द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/12/2021

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