क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (Chronic Obstructive Pulmonary Disease) यानि COPD और लंग कैंसर (COPD and Lung Cancer) दोनों रोगों का प्रभाव हमारे लंग्स पर पड़ता है। जिससे सांस लेने में परेशानी हो सकती है और खांसी या व्हीज़िंग हो सकती है। क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और लंग कैंसर दोनों को आमतौर पर अलग-अलग बीमारियां माना जाता है, जिनके लक्षण एक जैसे होते हैं। जैसा की हम सभी जानते हैं कि लंग कैंसर स्मोकिंग के कारण होने वाली गंभीर समस्या है, लेकिन बहुत कम लोग लंग कैंसर और COPD के बीच के कनेक्शन को समझते हैं।
दरअसल COPD एक गंभीर लंग कंडीशन है और लंग कैंसर को बढ़ाने वाला रिस्क फैक्टर है। असर में चालीस से सत्तर प्रतिशत लोग जो लंग कैंसर से पीड़ित होते हैं उन्हें COPD की समस्या भी होती है। चाहे उन्होंने अपने जीवन में कभी भी धूम्रपान न किया हो। आइए, जानते हैं COPD और लंग कैंसर (COPD and Lung Cancer) के बारे में विस्तार से।
COPD और लंग कैंसर क्या है? (COPD and Lung Cancer)
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (Chronic Obstructive Pulmonary Disease) एक क्रॉनिक इंफ्लेमेटरी लंग डिजीज है। जिसके कारण लंग्स में एयरफ्लो सही से नहीं हो पाता। इसके सामान्य लक्षण हैं सांस लेने में समस्या, खांसी, बलगम बनना और व्हीज़िंग आदि। इसके कई कारण हो सकते हैं जिसमें एयरवेज में बहुत अधिक बलगम बनना और एयरवेज व एयर सैक्स (Air sacs) में इलास्टिसिटी की कमी शामिल है। नेशनल हार्ट, लंग और ब्लड इंस्टिट्यूट ( National Heart, Lung, and Blood Institute) के अनुसार COPD एक ऐसी समस्या है जो कई लोगों को होती है। लेकिन, उन्हें यह पता भी नहीं होता कि वो इससे पीड़ित हैं। यह समस्या मिडिल एज के लोगों या बुजुर्गों में अधिक होती है। जैसे-जैसे यह समस्या बढ़ती है, पीड़ित व्यक्ति रोजाना के काम जैसे कुकिंग आदि को करने में भी असमर्थ रहते हैं।
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लंग कैंसर, स्मॉल सेल या नॉन स्मॉल सेल दोनों टाइप्स का हो सकता है। इसका निदान तब होता है जब यह एडवांस्ड स्टेज तक पहुंच जाता है। यह एक गंभीर तरह का कैंसर है और इसका उपचार इसके प्रकार व स्टेजिस के अनुसार होता है और इनमें सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन आदि शामिल है।
COPD और लंग कैंसर के बीच में लिंक (Link Between COPD and Lung Cancer)
COPD और लंग कैंसर (COPD and Lung Cancer) के बारे में यह कॉमन है कि इन दोनों समस्याओं से पीड़ित लोगों में खांसी, सांस लेने में समस्या जैसी समस्याएं होती है। जो बाद में बढ़ सकती है। हालांकि, लंग कैंसर के कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं जैसे खांसी में खून आना, भूख कम लगना, बाजु और छाती में दर्द, गले या चेहरे में सूजन आदि। शोधकर्ताओं के अनुसार COPD और लंग कैंसर (COPD and Lung Cancer) के बीच में एक स्पष्ट लिंक है, जो लोग COPD से पीड़ित होते हैं उनमें लंग कैंसर के विकसित होने की संभावना अधिक होती है और जिन लोगों को लंग कैंसर होता है उनमें COPD होने के चान्सेस अधिक होते हैं।
हालांकि, शोधकर्ता इन दोनों बीमारियों के बीच के लिंक को अच्छे से नहीं समझ पाएं हैं लेकिन वो ऐसा मानते हैं कि ऐसे कई फैक्टर है जिनके कारण COPD से पीड़ित लोगों में लंग कैंसर का रिस्क बढ़ता है। स्मोकिंग इन दोनों स्थितियों के लिए एक खास रिस्क फैक्टर है। ऐसा माना जाता है कि COPD से पीड़ित अधिकतर लोगों ने अपने जीवन में कभी न कभी धूम्रपान अवश्य किया होता है। यही नहीं, महिलाएं जो स्मोकिंग नहीं करती हैं, उनमें नॉन-स्मोकर पुरुषों की तुलना में COPD के डेवलप होने की संभावना अधिक होती है। शोधकर्ताओं ने इन दोनों के बीच में लिंक को बताने के लिए कई अन्य थ्योरीज का भी सहारा लिया है, जैसे:
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COPD रिलेटेड लंग डैमेज (COPD-related Lung Damage)
COPD की समस्या से लंग्स को अधिक नुकसान पहुंचता है और यह नुकसान समय के साथ बदतर होता जाता है। यह नुकसान असामान्य सेल ग्रोथ की संभावना को बढ़ाकर लंग कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती है। एम्फसीमा (Emphysema) से पीड़ित लोगों में भी लंग कैंसर का खतरा अधिक होता है, फिर चाहे उन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया हो।
जेनेटिक संवेदनशीलता (Genetic Susceptibility)
कुछ लोग आनुवंशिक रूप से सिगरेट के धुएं के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। शोधकर्ताओं ने ऐसे कई जीन्स की पहचान की है, जो धूम्रपान करने वाले लोगों में COPD और लंग कैंसर (COPD and Lung Cancer) के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
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इंफ्लेमेशन (Inflammation)
रिसर्च के अनुसार COPD और लंग कैंसर (COPD and Lung Cancer) दोनों का लंग इंफ्लेमेशन से लिंक है। COPD फेफड़ों को और अधिक उत्तेजित करता है और संभावित रूप से कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। सूजन को ट्रिगर करने वाली रिपेयर प्रोसेस COPD और लंग कैंसर दोनों के जोखिम को और बढ़ा सकती है।
इन स्पष्ट लिंक्स के बावजूद, COPD से पीड़ित कई लोग लंग कैंसर के प्रति अपनी बढ़ती संवेदनशीलता से अनजान होते हैं। COPD से पीड़ित कई लोगों को यह पता नहीं होता कि उनमें कैंसर का जोखिम अधिक है। अधिकतर लोग लंग कैंसर की जांच कराने के बजाय लक्षणों में आए बदलाव के लिए COPD को जिम्मेदार ठहराते हैं। अगर आपमें COPD के लक्षण हैं तो उनमें कोई भी बदलाव होने पर अपने डॉक्टर को बताना और उनसे राय लेना जरूरी है।
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COPD और लंग कैंसर के रिस्क फैक्टर्स कौन से हैं? (Risk Factors of COPD and Lung Cancer)
जैसा की आप जानते ही हैं की COPD और लंग कैंसर (COPD and Lung Cancer) से जुड़ा सबसे मुख्य रिस्क फैक्टर है स्मोकिंग। लोग जो अपने जीवन में बहुत अधिक स्मोकिंग करते हैं, उन्हें यह समस्या होने का जोखिम अधिक होता है। हालांकि, कभी भी स्मोकिंग छोड़ने से इसका जोखिम कम हो जाता है। अगर किसी को पहले ही COPD की समस्या है, तो स्मोकिंग छोड़ कर वो अपने जीवन की गुणवत्ता को सुधार सकते हैं। COPD से पीड़ित लोगों में कुछ अन्य लंग कैंसर के रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं:
- 60 साल से अधिक उम्र (Being over Age of 60 Years)
- तंबाकू का सेवन करने की हिस्ट्री (History of Tobacco Exposure)
- लो बॉडी मास इंडेक्स (Low Body Mass Index)
जिन लोगों में नए या बदतर रेस्पिरेटरी सिम्पटम्स हैं, उन्हें भी इसका खतरा हो सकता है। COPD से पीड़ित लोगों को यह नहीं मानना चाहिए कि खांसी, सांस लेने में कठिनाई, सूजन, असामान्य थूक या इसी तरह के लक्षण केवल COPD का परिणाम हैं। नियमित मेडिकल स्क्रीनिंग से रोगी को लंग कैंसर का शीघ्र निदान करने में मदद मिल सकती है। COPD और लंग कैंसर (COPD and Lung Cancer) दोनों वाले लोगों में उच्च मृत्यु दर का मतलब है कि सीओपीडी से पीड़ित लोगों के लिए अन्य व्यक्ति की तुलना में कैंसर स्क्रीनिंग करना अधिक जरूरी है।
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किन स्थितियों में डॉक्टर की सलाह लें?
अगर आपमें COPD का निदान होता है, तो डॉक्टर को आपमें ऐसे लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए जो लंग कैंसर की तरफ इशारा करते हैं। आपको स्वयं भी इन लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए। हालांकि लंग कैंसर के लक्षण COPD के जैसे नहीं होते है जैसे खांसी, सांस लेने में समस्या आदि। लेकिन, अगर आपको यह लक्षण नजर आते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए, जैसे:
- थकावट (Fatigue)
- भूख कम लगना (Loss of Appetite)
- अचानक वजन का कम होना (Unexplained Weight Loss)
- छाती में दर्द (Chest Pain)
- ब्रोंकाइटिस, निमोनिया या अन्य बार-बार लंग इंफेक्शन (Bronchitis, Pneumonia, or Recurring Lung Infections)
- खांसी में खून (Coughing up Blood)
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जब लंग कैंसर शरीर में फ़ैल जाता है तो यह लक्षण भी नजर आ सकते हैं
- सिरदर्द (Headaches)
- सुन्नता (Numbness)
- पेट में दर्द (Abdominal Pain)
- आंखों और त्वचा का पीला होना (Yellowing of the Eyes and Skin)
- हड्डियों में दर्द (Bone Pain)
क्या करना चाहिए COPD की समस्या को मैनेज? (How To Manage COPD)
अगर आपको COPD की समस्या है तो सबसे पहले डॉक्टर से लंग कैंसर के जोखिम के बारे में बात करें। क्योंकि, इन दोनों बीमारियों के एक जैसे रिस्क फैक्टर होते हैं। COPD के लक्षणों की गंभीरता और फ्रीक्वेंसी को कम करने से आप लंग कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं। जानिए क्या करना चाहिए COPD की स्थिति में :
स्मोकिंग छोड़ दें (Quit Smoking)
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने सालों से स्मोकिंग कर रहे हैं, आप कभी भी इसे छोड़ सकते हैं। एक शोध के मुताबिक पांच साल तक सिगरेट छोड़ने से आप COPD के रिस्क को 39 प्रतिशत कम कर सकते हैं। इसके लिए आप डॉक्टर की मदद ले सकते हैं। यही नहीं, सेकंडहैंड स्मोकिंग से भी बचना चाहिए।
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डॉक्टर के बताए अनुसार COPD का उपचार कराएं (Take COPD Treatments)
COPD उपचार का सही से पालन करने से आप इस समस्या की गंभीरता और फ्रीक्वेंसी को कम कर सकते हैं। इस बात के प्रमाण बढ़ते जा रहे हैं कि हाय डोज इंहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड (High-Dose Inhaled Corticosteroid ) का दैनिक उपयोग COPD से पीड़ित लोगों की लंग कैंसर से रक्षा कर सकता है।
रेडॉन से दूर रहें (Stay away from Radon)
रेडॉन एक दुर्गंध रहित, रंगरहित गैस है, जो तक निकलती है जब मिट्टी में यूरेनियम टूटता है। यह उन लोगों में लंग कैंसर का प्रमुख कारण है, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है। यदि आपको COPD की समस्या है, तो रेडॉन के संपर्क में आने का खतरा बढ़ जाता है। इसके जोखिम को कम करने के लिए एक्सपर्ट्स से सम्पर्क करें और यदि रेडॉन अधिक है तो रेडॉन मिटिगेशन (Radon Mitigation) के बारे में अपने एरिया कांट्रेक्टर से संपर्क करें।
लंग कैंसर के उपचार से पहले जान लें उससे जुड़ी जरूरी बातें, इस क्विज के माध्यम से:
स्क्रीनिंग कराएं (Get Screened)
अगर आपको COPD है और आपकी स्मोकिंग की हिस्ट्री है, तो आपको साल में एक बार लंग कैंसर स्क्रीनिंग अवश्य करानी चाहिए। इस टेस्ट में चेस्ट का लो डोज सिटी स्कैन शामिल होता है। यह टेस्ट उन बुजुर्गों के लिए है जो भारी धूम्रपान करते हैं। यह वयस्कों या उन लोगों जिन्हें लंग कैंसर का अधिक जोखिम नहीं है, उनके लिए कम उपयोगी है।
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COPD और लंग कैंसर (COPD and Lung Cancer) दोनों ही जानलेवा हो सकती हैं। COPD एक गंभीर बीमारी है जो समय के साथ बदतर हो सकती है। हालांकि जल्दी निदान और सही उपचार से COPD से पीड़ित लोग लम्बी और गुणवत्ता भरा जीवन जी सकते है। COPD से पीड़ित व्यक्ति का जीवन लंग कैंसर की वजह से कम हो सकता है और इससे जीवन की गुणवत्ता भी कम हो सकती है। लंग कैंसर भी जानलेवा हो सकता है लेकिन जल्दी निदान से जीवन बच भी बच सकता है और उससे रोगी एक अच्छा जीवन भी जी सकता है। ऐसे में जरूरी है कि इन दोनों समस्याओं से पीड़ित व्यक्ति जल्दी से जल्दी डॉक्टर की सलाह ले और लक्षणों को मॉनिटर करे। COPD के लक्षण लंग कैंसर की तरह लगते हैं जिसके कारण इनका शुरुआत निदान हो पाना मुश्किल हो जाता है।
लंग कैंसर का उपचार शुरुआती स्टेजिस में निदान करना आसान नहीं है। लेकिन शुरुआत में निदान और उपचार से व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है। इन दोनों स्थितियों में उपचार के साथ-साथ लाइफस्टाइल में बदलाव भी जरूरी है। स्वस्थ रहने के लिए सही खाएं, व्यायाम करें, पर्याप्त नींद लें और तनाव से बचें।