लिम्फोमा, लिम्फेटिक सिस्टम (Lymphatic System) का एक कैंसर है। लिम्फेटिक सिस्टम हमारे शरीर के जर्म-फाइटिंग नेटवर्क का हिस्सा है। लिम्फेटिक सिस्टम में लिम्फ नोड्स (Lymph Nodes), स्प्लीन (Spleen), थाइमस ग्लैंड (Thymus Gland) और बोन मेरो (Bone Marrow) आदि शामिल हैं । लिम्फोमा, इन भागों के साथ साथ शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। इस कैंसर के कई प्रकार हैं। लेकिन इसके मुख्य प्रकार हैं हॉजकिन्स लिम्फोमा (Hodgkin Lymphoma) और नॉन हॉजकिन्स लिम्फोमा (Non-Hodgkin’s Lymphoma)। लिम्फोमा का उपचार इसके प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। यही नहीं, लिम्फोमा की कई स्टेजेस भी हैं। स्टेजिंग से यह पता लगता है कि क्या कैंसर फैल गया है, और यदि हां, तो यह शरीर के किन हिस्सों में फैला है? आइए जानते हैं लिम्फोमा की स्टेजेस (Stages of Lymphoma) के बारे में विस्तार से। सबसे पहले पाते हैं लिम्फोमा के बारे में थोड़ी जानकारी।
लिम्फोमा के कारण क्या हैं? (Cause of Lymphoma)
लिम्फोमा की स्टेजेस (Stages of Lymphoma) से पहले इसके कारणों के बारे में जान लेते हैं। डॉक्टर लिम्फोमा के कारणों को लेकर स्पष्ट नहीं हैं। लेकिन यह तब शुरू होता है जब रोग से लड़ने वाले वाइट ब्लड सेल्स (White blood Cells) जिन्हें लिम्फोसाइट (Lymphocyte) कहा जाता है, एक जेनेटिक म्युटेशन (Genetic Mutation) विकसित करती है। म्युटेशन सेल्स को तेजी से बढ़ने के लिए कहती है, जिससे यह सेल्स अनियंत्रित हो जाते हैं। इसकी वजह से सामान्य सेल्स नष्ट हो जाते है और यह कई बीमारियों का कारण बनती है। लिम्फोमा से जुड़े रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं :
और पढ़ें : Lymphoma: लिम्फोमा क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
- उम्र (Age)
- लिंग (Sex)
- कमजोर इम्यून सिस्टम (Weak Immune System)
- कोई खास इंफेक्शन (Any Infection)
लिम्फोमा की स्टेजेस कौन सी हैं ? (Stages of Lymphoma)
अमेरिकन कैंसर सोसाइटी (American Cancer Society) के अनुसार अगर किसी व्यक्ति में लिम्फोमा का निदान होता है। तो डॉक्टर यह जानने की कोशिश करेंगे कि यह कितना फैला है और किस अंग तक फैला है। इस प्रक्रिया को स्टेजिंग कहा जाता है। कैंसर की स्टेज यह बताती है कि आपके शरीर में कितना कैंसर है। इससे यह भी पता चलता है कि कैंसर कितना गंभीर है और इसका उपचार किस तरह से किया जा सकता है। लिम्फोमा की स्टेजेस (Stages of Lymphoma) से पहले जानिए स्टेजिंग क्या है?
स्टेजिंग क्या हैं? (What is Staging)
स्टेजिंग वो प्रक्रिया है जिससे पता चल सकता है कि शरीर का कौन सा हिस्सा लिम्फोमा से प्रभावित है। रोगी में लिम्फोमा की स्टेजेस (Stages of Lymphoma) का निदान करने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट और स्कैन करने के लिए कह सकते हैं। लिम्फोमा की स्टेजिंग का पता होना जरूरी है, क्योंकि इससे डॉक्टर को सही उपचार के बारे में निर्णय लेने में मदद मिलती है। हॉजकिन्स लिम्फोमा (Hodgkin Lymphoma) और नॉन हॉजकिन्स लिम्फोमा (Non-Hodgkin’s Lymphoma) के लिए एक ही तरह के स्टेजिंग सिस्टम का प्रयोग किया जाता है। लेकिन, इसमें कुछ अपवाद भी हैं जैसे :
- बच्चों में नॉन हॉजकिन्स लिम्फोमा (Non-Hodgkin’s lymphoma) की स्टेजिंग वयस्कों की तुलना में अलग होती है।
- क्रॉनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया (Chronic Lymphocytic Leukemia) की स्टेजिंग को नॉन हॉजकिन्स लिम्फोमा (Non-Hodgkin’s lymphoma) की फॉर्म माना जाता है। जिसमें विभिन्न सिस्टम का प्रयोग किया जाता है। स्मॉल लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया (Small Lymphocytic Leukemia) जो क्रॉनिक लिम्फोसाईटिक ल्यूकेमिया (Chronic lymphocytic Leukemia) का एक प्रकार है। वो लिम्फ नोड्स को प्रभावित करता है। यह दूसरे नॉन हॉजकिन्स लिम्फोमा (Non-Hodgkin’s lymphoma) की तरह ही बढ़ता है।
- क्यूटेनियस लिम्फोमा (Cutaneous Lymphoma) अन्य लिम्फोमा से अलग होता है और इसकी स्टेजेस भी अलग होती है। स्किन लिम्फोमा की स्टेजेस (Stages of Lymphoma) इस बात पर निर्भर करती हैं कि यह बी-सेल स्किन लिम्फोमा है ( B-cell skin lymphomas ) या टी-सेल स्किन लिम्फोमा (T-cell skin lymphomas)।
- वाल्डेनस्ट्रॉम’स मैक्रोग्लोबुलिनमिया (Waldenström’s Macroglobulinaemia) एक दुर्लभ लिम्फोमा है। जो अक्सर लिम्फ नॉड्स को प्रभावित नहीं करता है। इसका कोई स्टैंडर्ड स्टेजिंग सिस्टम (Standard Staging System) नहीं है। जानिए वयस्कों में लिम्फोमा की स्टेजिंग के बारे में:
और पढ़ें : बढ़ती उम्र के साथ पु्रुषाें में बढ़ सकता है प्रोस्टेट कैंसर या बीपीएच का खतरा
वयस्कों में लिम्फोमा की स्टेजिंग (Staging of Lymphoma in Adults)
हॉजकिन लिम्फोमा (Hodgkin Lymphoma) और नॉन-हॉजकिन’स लिम्फोमा (Non-Hodgkin’s Lymphoma) दोनों के लिए वयस्कों में स्टेजिंग एक जैसी होती है। लिम्फोमा के चार मुख्य स्टेज होते हैं, जिन्हें एक से चार तक नंबर या कभी-कभी I से IV रोमन अंकों में लिखा जाता है। यह स्टेजेस इस प्रकार हैं:
स्टेज 1: शरीर में कहीं भी केवल एक लिम्फ नॉड प्रभावित हुई है:
स्टेज 1 का अर्थ है कि लिम्फोमा में केवल एक ही लिम्फ नोड्स का समूह है। यह शरीर में कहीं भी हो सकती है।
स्टेज 1E : स्टेज 1E लिम्फोमा का अर्थ है कि लिम्फोमा, लिम्फेटिक सिस्टम (Lymphatic System) शरीर के सिंगल ऑर्गन में शुरू हुआ है और उसी ऑर्गन में है। इसे एक्ट्रानोडल लिम्फोमा (Extranodal Lymphoma) कहा जाता है।
स्टेज 2: दो या अधिक लिम्फ नॉड्स के ग्रुप प्रभावित हुए हैं और सभी डायाफ्राम के एक ही तरफ हैं:
स्टेज 2 का अर्थ है कि लिम्फोमा लिम्फ नोड्स के दो या दो से अधिक ग्रुप्स में हैं। यह शरीर में कहीं भी हो सकते हैं। लेकिन, स्टेज 2 लिम्फोमा के साथ निदान के लिए इनका डायाफ्राम के एक ही तरफ होना जरूरी है।
स्टेज 2E : इस एक्स्ट्रानोडल लिम्फोमा का अर्थ है कि लिम्फोमा एक बॉडी ऑर्गन में शुरू हुआ है और लिम्फ नोड्स के एक या अधिक ग्रुप्स में मौजूद है। इनका भी डायाफ्राम के एक ही तरफ होना जरूरी है।
स्टेज 3: लिम्फ नोड्स डायाफ्राम के दोनों साइड्स को प्रभावित करते हैं:
स्टेज 3 का अर्थ है कि इसमें ऐसे लिम्फ नोड्स मौजूद हैं, जिनमें डायाफ्राम के दोनों तरफ लिम्फोमा है।
स्टेज 4: लिम्फेटिक सिस्टम के बाहरी ऑर्गन या बोन मैरो में लिम्फोमा है:
स्टेज 4 लिम्फोमा की सबसे एडवांस स्टेज है, जिसमें लिम्फोमा लिम्फ नोड्स में शुरू होता है और लिम्फेटिक सिस्टम के बाहर कम से कम एक बॉडी ऑर्गन में फैल जाता है। जैसे लंग्स, लिवर, बोन मैरो या सॉलिड बोन्स आदि। स्प्लीन (Spleen) और थाइमस (Thymus) लिम्फेटिक सिस्टम के हिस्से हैं, इसलिए इन अंगों में लिम्फोमा को केवल स्टेज 4 में काउंट नहीं किया जा सकता।
और पढ़ें : कैंसर को दावत दे सकता है ऐसोफैजाइटिस!
स्टेज के बाद लेटर्स या नंबर्स का क्या अर्थ होता है?
यह तो थी लिम्फोमा की स्टेजेस (Stages of Lymphoma)। लेकिन, इसका पता होना भी जरूरी है कि इन स्टेजेस में प्रयोग किए गए नंबर्स के साथ लेटर्स का क्या अर्थ है? जानिए इसके बारे में
इन स्टेजेस के बाद कुछ लेटर्स जैसे A , B , C का प्रयोग किया जाता है , जिसमें A का अर्थ है कि रोगी को इनमें से कोई लक्षण नहीं है:
- अनजाने में वजन कम होना (Unintentional Weight Loss)
- रात को पसीना आना (Night Sweats)
- बुखार (Fever)
B का अर्थ है कि रोगी में ऊपर बताए लक्षणों में से एक या उससे अधिक लक्षण हैं। इन्हें कई बार B सिम्पटम्स भी कहा जाता है। जैसे अगर लिम्फोमा की स्टेज 2 A है, तो इसका अर्थ है कि प्रभावित व्यक्ति को लिम्फोमा डायाफ्राम के एक ही तरफ, दो या अधिक लिम्फ नोड्स के ग्रुप्स में हैं और कोई भी B सिम्प्टम नहीं है। लेकिन, अगर रोगी में कोई भी एक B सिम्प्टम है तो उसे स्टेज 2 B लिम्फोमा है।
और पढ़ें : इचिंग यानी खुजली को न करें नजरअंदाज, क्योंकि यह हो सकती हैं कैंसर की निशानी!
एक्स्ट्रानोडल लिम्फोमा (Extranodal Lymphoma)
डॉक्टर कई बार स्टेजेस के लिए लेटर E का प्रयोग करते हैं। जो एक्स्ट्रानोडल के लिए प्रयोग किया जाता है। इसका अर्थ है कि लिम्फोमा शरीर के उस अंग से शुरू होता है, जो लिम्फेटिक सिस्टम (Lymphatic System) का हिस्सा नहीं है। जैसे डायजेस्टिव सिस्टम (Digestive System ) या सेलीवेरी ग्लैंड्स (Salivary Glands) में। इसमें वो लिम्फोमा शामिल नहीं है, जो लिम्फ नोड में शुरू हुआ है और शरीर के अंग में फैल गया है।
स्प्लीन और थाइमस में लिम्फोमा (Lymphoma in the Spleen and Thymus)
स्प्लीन और थाइमस वो बॉडी ऑर्गन्स हैं जो लिम्फेटिक सिस्टम (Lymphatic System) का हिस्सा है। इन अंगों में मौजूद लिम्फोमा को एक्सट्रानोडल नहीं माना जाता है। यदि आपकी स्प्लीन में लिम्फोमा है, तो आपका डॉक्टर आपके स्टेज के बाद ‘S’ लिख सकते हैं।
बल्की डिजीज (Bulky Disease)
लिम्फोमा की स्टेजेस (Stages of Lymphoma) में किसी नंबर के बाद X लेटर को भी लिखा जा सकता है। इसका अर्थ है कि आपके एक या अधिक प्रभावित लिम्फ नोड्स बड़े और बल्की हैं।
कभी-कभी, आप अपने स्टेज के आगे ब्रैकेट या छोटे फॉन्ट में एक नंबर भी देख सकते हैं। उदाहरण के लिए स्टेज 2(2) या 22। यह दूसरी संख्या आपको बताती है कि लिम्फ नोड्स के कितने समूहों में लिम्फोमा है। यह तो थी वयस्कों में लिम्फोमा की स्टेजेस (Stages of Lymphoma), अब बात करते हैं बच्चों में लिम्फोमा की स्टेजेस के बारे में
और पढ़ें : महिलाओं में होने वाला प्रोस्टेट कैंसर,न करें अनदेखा इन लक्षणों को
बच्चों में लिम्फोमा की स्टेजिंग (Staging of Lymphoma in Children)
बच्चों और किशोरों में लिम्फोमा वयस्कों की तुलना में अलग होता है। हालांकि, बच्चों में हॉजकिन्स लिम्फोमा की स्टेजेस (Stages of Lymphoma) वयस्कों की तरह ही होती है। लेकिन, नॉन हॉजकिन्स लिम्फोमा की स्टेजेस अलग होती हैं। बच्चों और किशोरों में नॉन हॉजकिन्स लिम्फोमा की चार मुख्य स्टेजेस होती हैं। यह नंबर एक से चार तक होती है और कई बार इन्हें I to IV रोमन नम्बरों में लिखा जाता है। कई बार नंबर्स के बाद लेटर्स का भी प्रयोग किया जाता है।
स्टेज 1 में (In Stage 1):
- लिम्फोमा लिम्फ नोड्स के एक ही ग्रुप में होता है जिसमें छाती या पेट शामिल नहीं होते।
- लिम्फोमा लिम्फेटिक सिस्टम (Lymphatic System) के बाद एक बॉडी ऑर्गन में होता है। जिसमें चेस्ट और पेट शामिल नहीं होते।
- लिम्फोमा एक हड्डी या स्प्लीन में होता है।
Quiz : कैंसर के बारे में कितना जानते हैं आप? क्विज से जानें
स्टेज 2 में (In Stage 2):
- स्टेज 2 में लिम्फोमा दो या अधिक लिम्फ नोड्स डायाफ्राम के एक ही तरह में होते हैं।
- लिम्फोमा एक्स्ट्रानोडल बॉडी ऑर्गन में या लिम्फ नोड्स के पास के ग्रुप में होते हैं ।
- लिम्फोमा गट में होते हैं।
स्टेज 3 में (In Stage 3):
- स्टेज 3 में लिम्फोमा दो या दो से अधिक एक्स्ट्रानोडल बॉडी ऑर्गन में होता है।
- लिम्फोमा डायाफ्राम के ऊपर या नीचे लिम्फ नोड्स में होता है।
- लिम्फोमा छाती में होता है।
- लिम्फोमा गट में होता है, जब तक यह लोकलाइज्ड होता है और सर्जरी से रिमूव कर दिया जाता है।
- लिम्फोमा स्पाइनल कॉर्ड के आसपास होता है।
और पढ़ें : लंग कैंसर में निमोनिया बन सकता है जान के लिए जोखिम, कैसे? जानिए!
स्टेज 4
- इस लिम्फोमा की स्टेज में लिम्फोमा सेंट्रल नर्वस सिस्टम (Central Nervous System ) या बोन मैरो (Bone Marrow) में होता है।
लिम्फोमा की स्टेजेस (Stages of Lymphoma) के बाद के शब्दों या लेटर्स का अर्थ:
लिम्फोमा की स्टेजेस (Stages of Lymphoma) के बाद कुछ लेटर भी लिखे हो सकते हैं, उनके भी कुछ अर्थ होते हैं, जैसे:
- ‘CNS’ से पता चलता है कि लिम्फोमा में सेंट्रल नर्वस सिस्टम (Central Nervous System) शामिल है।
- ‘BM’ से पता चलता है कि लिम्फोमा में बोन मैरो (Bone Marrow) शामिल है।
- ‘B’ से पता चलता है कि लिम्फोमा हड्डियों (Bones) को प्रभावित करता है
- ‘EN’ से पता चलता है कि लिम्फोमा लिम्फेटिक सिस्टम (Lymphatic System) के बाहर शुरू हुआ है
- ‘N’ से पता चलता है कि लिम्फोमा लिम्फ नोड्स (Lymph Nodes) को प्रभावित करता है।
- ‘S’ से पता चलता है कि लिम्फोमा त्वचा को प्रभावित करता है।
लिम्फोमा की अर्ली स्टेज और एडवांस्ड स्टेज (Early Stage and Advanced Stage)
आपने डॉक्टर को कैंसर या लिम्फोमा की ‘अर्ली’ स्टेज या ‘एडवांस्ड’ स्टेज के बारे बात करते हुए सुना होगा। इन्हें इस तरह से एक्सप्लेन किया जा सकता है:
अर्ली स्टेज का अर्थ है कि रोगी अभी स्टेज 1 या 2 लिम्फोमा पर है। एडवांस का अर्थ है कि रोगी स्टेज 3 या 4 पर हैं। लिम्फेटिक सिस्टम (Lymphatic System) पूरे शरीर में होता है, इसलिए जब इसका निदान किया जाता है, तो लिम्फोमा की एडवांस्ड स्टेज होना आम बात है। लेकिन कई अन्य कैंसर के विपरीत, एडवांस्ड स्टेज लिम्फोमा का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है। लिम्फोमा के सही प्रकार के आधार पर न केवल इसका उपचार संभव है बल्कि लंबे समय तक इसे मैनेज भी किया जा सकता है। यह तो थी लिम्फोमा की स्टेजेस (Stages of Lymphoma) के बारे में जानकारी। अब जानिए इसके उपचार के बारे में
और पढ़ें : ओवेरियन कैंसर के लिए BRCA टेस्टिंग कैसे होती है, जानिए इस आर्टिकल के ज़रिए!
लिम्फोमा का उपचार कैसे संभव है? (Treatment of Lymphoma)
लिम्फोमा का उपचार इसके प्रकार और स्टेज पर निर्भर करता है। इसका मुख्य उपचार इन तरीकों से संभव है:
- कीमोथेरेपी (Chemotherapy)
- रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy)
- इम्यूनोथेरेपी ( Immunotherapy)
- टार्गेटेड थेरेपी (Targeted therapy)
अगर यह उपचार काम नहीं करते हैं, तो स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Stem Cell Transplant) भी किया जा सकता है। सबसे पहले मरीज को कीमोथेरेपी की डोज दी जाती है, जिससे कैंसर सेल्स नष्ट हो जाते हैं। लेकिन, कई बार इनके कारण बोन मैरो में मौजूद स्टेम सेल्स भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए नष्ट हुए स्टेम सेल के लिए स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Stem Cell Transplant) का प्रयोग किया जाता है।
और पढ़ें : कैंसर पेशेंट के लिए कोविड वैक्सीन का सही समय क्या है: जानें एक्सपर्ट की राय
आप लिम्फोमा की स्टेजेस (Stages of Lymphoma) के बारे में तो जान ही गए होंगे। लिम्फोमा ट्रीटमेंट के कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। ऐसे में लक्षणों से राहत पाने के लिए अपने डॉक्टर से बात करें। इसके साथ ही अपने डॉक्टर से डायट और व्यायाम के बारे में भी पूछें। जिससे उपचार के दौरान आपको अच्छा महसूस हो। अगर आपको नहीं पता है कि आपको इस दौरान क्या खाना है, तो आप डायटिशन की मदद भी ले सकते हैं। दर्द से छुटकारा पाने के लिए आप अन्य थेरेपी जैसे रिलैक्सेशन (Relaxation), बायोफीडबैक (Biofeedback) आदि का प्रयोग भी किया जा सकता है। लिम्फोमा का इलाज संभव है। यही नहीं, जल्दी निदान और उपचार के बाद रोगी सामान्य जीवन जी सकता है।
[embed-health-tool-bmi]