डायबिटीज एक मेटाबोलिक डिसऑर्डर है, जिसमें रोगी के शरीर में ब्लड ग्लूकोज लेवल बहुत अधिक हो जाता है। जब हमारा शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता या इसका सही इस्तेमाल नहीं कर पाता है, तो इस रोग को डायबिटीज या मधुमेह के नाम से जाना जाता है। इसका कोई इलाज नहीं है और यह एक लाइफ-लॉन्ग डिजीज है। लेकिन, इसके लक्षणों को मैनेज किया जा सकता है। इन लक्षणों को मैनेज करने के लिए खानपान का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इस दौरान कुछ चीजों का सेवन करना फायदेमंद माना गया है। ऐसी ही एक चीज को डिल कहा जाता है। यह एक उपयोगी हर्ब है। आइए जानें डायबिटीज में डिल के पत्ते (Dill leaves benefits for diabetes) किस तरह से लाभदायक हैं। लेकिन, डायबिटीज में डिल के पत्ते (Dill leaves benefits for diabetes) के इस्तेमाल से पहले डिल किन्हें कहा जाता है, यह जान लेते हैं?
क्या हैं डिल? (Dill)
डिल को एनेथम ग्रेवोलेंस (Anethum graveolens) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक हर्ब है, जिसका यूरोप और एशियाई में अधिक इस्तेमाल किया जाता है। इसे डिल वीड के नाम से भी जाना जाता है। इसके पत्तों का स्वीट और ग्रासी फ्लेवर होता है। डिल सीड्स (Dill seeds) बहुत अधिक खुशबूदार होते हैं और इसका फ्लेवर खट्टा होता है। इस हर्ब या स्पाइस का इस्तेमाल कई डिशेस के फ्लेवर को बढ़ाने के लिए किया जाता है। डायबिटीज में डिल के पत्ते (Dill leaves benefits for diabetes) फायदेमंद माने जाते हैं।
अगर बात की जाए इसमें मौजूद न्यूट्रिएंट्स की, तो इसमें भरपूर मात्रा में न्यूट्रिएंट्स होते हैं, जिसके कारण इसे कई बीमारियों में लाभदायक माना गया है जैसे डायजेस्टिव इशू (Digestive issue), नवजात शिशु में कोलिक (Infant colic) और बैड ब्रीद (Bad breath) आदि। यही नहीं, इसका इस्तेमाल लिवर व गॉलब्लेडर इशूज (Liver or gallbladder issues) के साथ ही किडनी डिजीज (Kidney disease) और यूरिनरी ट्रैक्ट डिसऑर्डर्स (Urinary tract disorders) आदि में भी किया जा सकता है। इस हर्ब के फायदे यहीं खत्म नहीं होते हैं। इसका प्रयोग और भी कई अन्य रोगों से राहत पाने के लिए किया जा सकता है।
डिल आयल को कॉस्मेटिक, सोप और परफ्यूम आदि में फ्रेग्रेन्स के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। अब डायबिटीज में डिल के पत्ते (Dill leaves benefits for diabetes) के इस्तेमाल से पहले इसकी न्यूट्रिशनल वैल्यू के बारे में जान लेते हैं।
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डिल की न्यूट्रिशनल वैल्यू (Nutritional value of Dill)
ऐसा माना जाता है फ्रेश डिल यानि एनेथम ग्रेवोलेंस (Anethum graveolens) में बहुत अधिक न्यूट्रिशंस होते हैं, जैसे विटामिन ए (A), डी (D), राइबोफ्लेविन (Riboflavin), मैंगनीज (Manganese), फोलेट (Folate), आयरन (Iron), कॉपर (Copper), पोटैशियम (Potassium), जिंक (Zinc) और डायट्री फाइबर (Dietary fiber) आदि। यही कारण है कि इसे हमारी कई हेल्थ कंडीशंस में लाभदायक माना गया है। यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (U.S. Department of Agriculture) के अनुसार 100-ग्राम फ्रेश डिल में लगभग 43 कैलोरीज होती हैं।
इसके साथ ही इसमें 3.5 ग्राम्स प्रोटीन्स (Protein) और केवल एक ग्राम फैट (Fat) होते हैं। इसके साथ ही दो तिहाई डिल के कप में सात ग्राम कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates) और दो ग्राम फाइबर (Fiber) होता है। इसके साथ ही इनमें अन्य न्यूट्रिएंट्स भी होते हैं। अब जानते हैं डायबिटीज में डिल के पत्ते (Dill leaves benefits for diabetes) के फायदे के बारे में।
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डायबिटीज में डिल के पत्ते का इस्तेमाल (Dill leaves benefits for diabetes)
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि डायबिटीज में ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) और इंसुलिन प्रोडक्शन (Insulin production) को मैनेज करने के लिए खानपान का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इसलिए डायबिटीज के रोगियों के लिए राइट फूड को खाने की सलाह दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह हर्ब डायबिटीज के उपचार में मददगार है। डिल को हमारे देश में डिल लीव्स (Dill leaves) और सुवा भाजी (Suva bhaji) या शेपू (Shepu) आदि के नाम से भी जाना जाता है। यह हर्ब चमत्कार की तरह काम करती है।
ऐसा भी माना जाता है कि डिल में सत्तर तरह के केमिकल होते हैं, जो डायबिटीज के लक्षणों को मैनेज करने में लाभदायक होते है।स्टडीज से यह बात साबित हो चुकी है कि डिल के पत्तों के एक्सट्रेक्ट में मौजूद खास थेराप्यूटिक प्रॉपर्टीज (Therapeutic properties) स्टेरॉयड के इस्तेमाल के कारण इंड्यूज टाइप-2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) के उपचार में मदद करते हैं। इस कंडिशन को सामान्यतया कॉर्टिकोस्टेरॉइड- इंड्यूज टाइप-2 डायबिटीज (Corticosteroid-induce type 2 diabetes) के नाम से जाना जाता है। जब ग्लूकोकार्टिकोइड थेरेपी (Glucocorticoid therapy ) का उपयोग अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के इलाज और शरीर में हानिकारक सूजन को कम करने के लिए किया जाता है, तो इसके लंबे समय तक उपयोग से हायपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia) हो सकता है।
हायपरग्लेसेमिया (Hyperglycemia) यानी वो स्थिति जब रोगी की ब्लडस्ट्रीम में ग्लूकोज की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है और यह टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) का कारण बनती है। ऐसे में माना जाता है कि डायबिटीज में डिल के पत्ते (Dill leaves benefits for diabetes) के एक्सट्रेक्सट का इस्तेमाल करने से इंसुलिन लेवल में फ्लक्चुएशन (Insulin level fluctuation) और ब्लड शुगर लो को कंट्रोल किया जा सकता है।
डायबिटीज में डिल के पत्ते : यूजेनॉल और ब्लड शुगर लेवल
डिल लीव्स में मौजूद बायोएक्टिव इंग्रेडिएंट यूजेनॉल (Eugenol) में एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं, जो शरीर के भीतर ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डिल के फ्रेश पत्तों का इस्तेमाल करने से β-पैंक्रिएटिक सेल्स (β-pancreatic cells) से इंसुलिन का उत्पादन एक्टिव हो जाता है। यह स्टार्च के ग्लूकोज में ब्रेकडाउन को कम करने में भी व्यापक रूप से मदद करता है, जो बदले में अचानक शुगर स्पाइक्स (Sugar spikes) को रोकता है और एक बैलेंस्ड डायबिटीज रीडिंग (Balanced diabetes reading) प्रोवाइड करता है। यह तो थी डायबिटीज में डिल के पत्ते (Dill leaves benefits for diabetes) के इस्तेमाल के बारे में इंफॉर्मेशन। इसके साथ ही इन लीव्स का एक्सट्रेक्ट थायरॉइड फंक्शन (Thyroid function) को कंट्रोल करने और इम्यूनिटी को सुधारने में भी मददगार है। अब जानिए डिल के पत्तों का सेवन आप कैसे कर सकते हैं?
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डायबिटीज में डिल के पत्ते का इस्तेमाल कैसे करें?
डिल के पत्तों का ऐसे ही सीधे तौर पर सेवन करना बहुत ही मुश्किल है। क्योंकि, इसका स्वाद हर किसी को पसंद नहीं आता है। ऐसे में आप कई तरीकों से इसका सेवन कर सकते हैं, जैसे:
- भारत में इन पत्तों को कंज्यूम करने का सबसे सामान्य तरीका है सब्जी में प्याज, अदरक, लहसुन, हरी मिर्च आदि के साथ ड़ाल कर इसका इस्तेमाल करना।
- वेजिटेबल जूस में डिल लीव्स (Dill leaves) को ड़ाल कर भी आप इसके फायदों को पा सकते हैं। इसके लिए आप अन्य हरी सब्जियों के साथ डिल लीव्स को ड़ाल कर जूस बनाएं और उसमें नींबू और काला नमक मिला लें।
- डायबिटीज में डिल के पत्ते (Dill leaves benefits for diabetes) का सेवन आप परांठा आदि में ड़ाल कर भी कर सकते हैं। सूप, सलाद, अचार, करी आदि में भी फ्लेवर के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
- डिल के पत्ते के साथ ही इसके सीड्स भी उसी तरह से लाभदायक होते हैं। इन सीड्स का पाउडर बना पर आप सब्जी या दाल में इन्हें ड़ाल कर इस्तेमाल करें। यह तो थी डायबिटीज में डिल के पत्ते (Dill leaves benefits for diabetes) के सेवन के बारे में जानकारी। अब जानिए उन अन्य मेडिकल कंडीशंस के बारे में, जिसमें यह हर्ब महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
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डिल के अन्य मेडिकल लाभ (Medical benefits of Dill)
जैसा की पहले ही बताया गया है कि एनेथम ग्रेवोलेंस (Anethum graveolens) या डिल के पत्ते कई हेल्थ कंडिशंस में फायदेमंद होती हैं। इसके औषधीय गुणों के कारण कई रोगों में इसका इस्तेमाल फायदेमंद माना गया है। यह कुछ मेडिकल कंडिशंस इस प्रकार हैं:
- हाय कोलेस्ट्रॉल (High cholesterol)
- भूख में कमी (Loss of appetite)
- इंफेक्शंस (Infections)
- डायजेस्टिव ट्रैक्ट प्रॉब्लम्स (Digestive tract problems)
- यूरिनरी ट्रैक्ट प्रॉबलम्स (Urinary tract problems)
- स्पाज्म (Spasms)
- इंटेस्टाइनल गैस (Intestinal gas)
- स्लीप डिसऑर्डर्स (Sleep disorders)
- बुखार (Fever)
- सर्दी-जुकाम (Colds)
- खांसी (Cough)
- ब्रोंकाइटिस (Bronchitis)
- लिवर प्रॉब्लम्स (Liver problems)
- गॉलब्लेडर प्रॉब्लम्स (Gallbladder problems)
- मुंह और गर्दन में दर्द (Sore mouth and throat)
कुछ अन्य स्थितियों में भी इस हर्ब का इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, डिल के प्रभाव के बारे में अभी अधिक एविडेंस की जरूरत है। अगर आपके मन में इसके बारे में कोई भी सवाल है, तो अपने डॉक्टर से जरूर बात करें। डायबिटीज में डिल के पत्ते (Dill leaves benefits for diabetes) लाभदायक हैं और इसमें कोई संदेह नहीं हैं। लेकिन, किसी भी चीज का अधिक सेवन (चाहे वो हर्ब ही क्यों न हो) हानिकारक हो सकता है। इसलिए डॉक्टर की सलाह के बिना इन्हें लेने से बचें। इसके साथ ही, किसी भी चीज को कितनी मात्रा में लेना चाहिए, यह जानकारी होना भी आवश्यक है। क्योंकि इसके कई साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। अब जानिए डिल के साइड-इफेक्ट्स के बारे में।
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डिल के साइड-इफेक्ट्स क्या हैं? (Side-effects of Dill)
शोधकर्ताओं के अनुसार, डायबिटीज में डिल के पत्ते (Dill leaves benefits for diabetes) का सेवन करना आमतौर पर सुरक्षित होता है। यही नहीं, इसे सभी स्थितियों में आमतौर पर सुरक्षित ही पाया गया है। किंतु, कुछ दुर्लभ परिस्थितियों में इसके कारण कई लोग कुछ समस्याओं का अनुभव भी कर सकते हैं जैसे एलर्जिक रिएक्शन (Allergic reactions), उल्टी आना (Vomiting), डायरिया (Diarrhea), ओरल प्रुरिटस (Oral pruritus), अर्टिकेरिया टंग (Urticaria tongue) और गले में सूजन (Throat swelling) आदि। ऐसा भी माना जाता है कि जिन लोगों को गाजरों से एलर्जी होती है, वो डिल के सेवन के बाद भी एलर्जिक रिएक्शन का अनुभव कर सकते हैं।
कुछ खास सिचुएशंस भी हैं, जिसमें डिल यानि एनेथम ग्रेवोलेंस (Anethum graveolens) के इस्तेमाल को लेकर केयरफुल रहना चाहिए। जैसे प्रेग्नेंसी (Pregnancy)और ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) में भी इसके प्रयोग की सलाह नहीं दी जाती है। जो लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं और लिथियम (Lithium) का इस्तेमाल कर रहे हैं और जिनकी सर्जरी होने वाली है उन्हें भी सर्जरी से दो हफ्तों पहले तक इसका सेवन करने से मना किया जाता है। यही नहीं अगर आपको कोई खास मेडिकल प्रॉब्लम (Medical problems) है या आप किसी खास दवा का सेवन कर रहे हैं, तो भी बिना डॉक्टर की सलाह के इस हर्ब को न लें। स्किन पर इस हर्ब का इस्तेमाल करने से कई लोग स्किन इरिटेशन (Skin irritation) का भी अनुभव कर सकते हैं। उन्हें स्किन में एलर्जी के लक्षण नजर आ सकते हैं जैसे लालिमा, खुजली, सूजन आदि।
उम्मीद है कि डायबिटीज में डिल के पत्ते (Dill leaves benefits for diabetes) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस हर्ब का डायबिटीज में इस्तेमाल करना लाभदायक माना गया है। इसके साथ ही कई बीमारियों में इसका प्रयोग किया जा सकता है। डिल के पत्तों या इसके एक्सट्रेक्ट के न्यूट्रिशनल लाभों के कारण में इसे कई कंडिशंस में प्रयोग किया जाता है। लेकिन, इसे कैसे और कितनी मात्रा में लेना है, इसके बारे में जानकारी अवश्य ले लें। इसके सेवन से पहले इसके बारे में पूरी जानकारी लेना भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसे लेने के बाद अगर आपको कोई भी समस्या या साइड-इफेक्ट होता है, तो तुरंत मेडिकल हेल्प (Medical help) लें।
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