डायबिटीज यानी मधुमेह एक सीरियस बीमारी है, जो दिनोंदिन चिंता का विषय बनती जा रही है। आज देश की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा इस समस्या से पीड़ित है। डायबिटीज के कारण कई कॉम्प्लीकेशन्स होने का जोखिम बढ़ जाता है। नजर का कमजोर होना, अधिक प्यास या भूख लगना, सामान्य से ज्यादा मूत्र त्याग, रूखी त्वचा आदि इसके लक्षणों में शामिल हैं। इसके अलावा डायबिटीज फटीग (Diabetes fatigue) भी एक बड़ी समस्या है। डायबिटीज फटीग (Diabetes fatigue) यानी डायबिटीज में होने वाली थकावट। मधुमेह से पीड़ित अधिकतर लोग इस परेशानी का अनुभव करते हैं। आइए जानते हैं इस समस्या के बारे में विस्तार से। इसके साथ ही जानें कि इस समस्या से किस तरह से बचाव संभव है?
डायबिटीज फटीग क्या है? (Diabetes fatigue)
डायबिटीज में फटीग मधुमेह का सामान्य लक्षण है और यह समस्या हाय ब्लड शुगर के कारण हो सकती है। इसके अलावा डायबिटीज में होने वाली कॉम्प्लीकेशन्स और अन्य लक्षण भी इसका कारण हो सकते हैं। अपनी जीवनशैली में बदलाव से डायबिटीज फटीग (Diabetes fatigue) से छुटकारा पाया जा सकता है। फटीग और टायर्डनेस दोनों एक जैसे नहीं होते हैं। जब कोई व्यक्ति टायर्ड होता है, तो वो आमतौर पर रेस्ट करने के बाद बेहतर महसूस करता है। लेकिन, जब किसी व्यक्ति को लगातार फटीग का सामना करना पड़ता है, तो आराम करने के बाद भी उसे सुस्ती और थकावट की छुटकारा नहीं मिलता है। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (American Diabetes Association) के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) से पीड़ित अधिकतर लोग फटीग की शिकायत करते हैं। आइए जानते हैं कि डायबिटीज फटीग (Diabetes fatigue) के क्या कारण हो सकते हैं?
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डायबिटीज फटीग के क्या कारण है? (Causes of Diabetes fatigue)
जैसा पहले ही बताया गया है कि फटीग, डायबिटीज का सामान्य लक्षण है। इसके कई कारण हो सकते हैं। जानिए डायबिटीज फटीग (Diabetes fatigue) के कारणों के बारे में:
ब्लड शुगर लेवल्स में बदलाव (Changes in blood sugar levels)
डायबिटीज के कारण शरीर द्वारा ब्लड शुगर के प्रयोग और रेगुलेट करने का तरीका प्रभावित होता है। जब हम कुछ भी खाते हैं, तो हमारा शरीर उस फ़ूड को सिंपल शुगर या ग्लूकोज में ब्रेक डाउन करता है। लेकिन, डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति का पैंक्रियाज पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता है या शरीर सही से इंसुलिन का प्रयोग नहीं कर पाता है। ब्लड से ग्लूकोज को एब्जॉर्ब करने के लिए कोशिकाओं को इंसुलिन की आवश्यकता होती है। अगर सेल्स पर्याप्त ग्लूकोज नहीं ले पाते हैं, तो यह ब्लड में बिल्ड-अप होता रहता है। सेल्स को ग्लूकोज की जरूरत एनर्जी प्रोवाइड करने के लिए होती है। फटीग और कमजोरी की समस्या तब हो सकती है, जब सेल्स पर्याप्त ग्लूकोज को प्राप्त नहीं कर पाते हैं।
मधुमेह की दवाएं, जैसे इंसुलिन (Insulin) या मेटफोर्मिन (Metformin), इस ग्लूकोज को कोशिकाओं में जाने में मदद करती हैं और इसे रक्त में हानिकारक स्तर के निर्माण से रोकती हैं। डायबिटीज की दवाईयों के साइड इफेक्ट्स में लो ब्लड शुगर (Low blood sugar) भी शामिल है। लो ब्लड शुगर से फटीग हो सकती है खासतौर पर उन लोगों में जिन्हें यह पता भी नहीं होता कि उनका ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) कम हो रहा है। यही नहीं, लो ब्लड शुगर के उपचार के बाद भी व्यक्ति फटीग का अनुभव कर सकता है।
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अन्य डायबिटीज लक्षण (Other diabetes symptoms)
डायबिटीज के अन्य लक्षण भी फटीग का कारण हो सकते हैं, यह लक्षण इस प्रकार हैं:
- लगातार यूरिनेशन (Frequent urination)
- बहुत अधिक प्यास (Excessive thirst)
- खाने के बावजूद अत्यधिक भूख का अनुभव होना (Extreme hunger despite eating)
- अचानक वजन कम होना (Unexplained weight loss)
- विजन का धुंधला होना (Blurred vision)
इन सब लक्षणों के कारण भी रोगी बीमार महसूस कर सकता है और उसे थकावट हो सकती है। इन लगातार और अनकम्फर्टेबल परेशानियों के कारण रोगी पर गंभीर मेंटल और फिजिकल इफेक्ट्स पड़ सकते हैं, जो थकावट का कारण बनते है। डायबिटीज के इन लक्षणों के कारण व्यक्ति का स्लीप पैटर्न (Sleep Pattern) भी प्रभावित हो सकता है। इसके साथ ही डायबिटीज के कारण रोगी के लिंब्स, हाथों और पैरों में समस्या होती है, जिससे डायबिटीज से पीड़ित लोगों को सोने में समस्या होती है और उनकी नींद भी प्रभावित होती है। सही से ना सो पाने के कारण भी डायबिटीज फटीग (Diabetes fatigue) की समस्या हो सकती है।
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डायबिटीज कॉम्प्लीकेशन्स (Diabetes complications)
डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति में होने वाली कॉम्प्लीकेशन्स भी फटीग का कारण बन सकती है। यह कॉम्प्लीकेशन्स आमतौर पर तब डेवलप होती है, जब उनका ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) बहुत अधिक हाय रहता है। डायबिटीज फटीग (Diabetes fatigue) का कारण बनने वाली कॉम्प्लीकेशन्स इस प्रकार हैं:
- किडनी प्रॉब्लम्स जिसमें किडनी फेलियर भी शामिल है (Kidney problems)
- फ्रीक्वेंट इंफेक्शंस (Frequent infections)
- हार्ट डिजीज (Heart disease)
- नर्व डैमेज जिसे डायबिटिक न्यूरोपैथी भी कहा जाता है (Nerve damage)
इसके अलावा, कुछ खास दवाईयां भी डायबिटीज फटीग (Diabetes fatigue) का कारण बन सकती है।
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मेंटल और इमोशनल हेल्थ (Mental and emotional health)
डायबिटीज का प्रभाव व्यक्ति के मेंटल और इमोशनल हेल्थ पर भी पड़ता है। ऐसा माना जाता है कि जिन लोगों को डायबिटीज नहीं है, उनकी तुलना में डायबिटीज से पीड़ित लोगों में डिप्रेशन की संभावना अधिक रहती है। डिप्रेशन और एंग्जायटी दोनों की स्थिति में नींद में समस्या आने के कारण डायबिटीज फटीग (Diabetes fatigue) की समस्या बढ़ सकती है। इसके साथ ही डिप्रेशन का असर भी ब्लड शुगर कंट्रोल पर पड़ता है जिससे फटीग का जोखिम बढ़ जाता है। असल में, डिप्रेशन के कई लक्षण फटीग से सीधे तौर पर संबंधित होते हैं। यह लक्षण इस प्रकार हैं:
- स्लीप पैटर्न में बदलाव (Change in sleep pattern)
- बहुत जल्दी जाग जाना या फिर से नींद न आना (Waking up too early or trouble falling asleep again)
- एनर्जी की कमी (Lack of energy)
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वजन का अधिक होना (Being overweight)
डायबिटीज से पीड़ित अधिकतर लोगों को वजन के अधिक होने और मोटापा जैसी परेशानियां होती है। वजन के अधिक होने की वजह से भी फटीग होना सामान्य है। वजन के बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं जैसे एक्सरसाइज न करना, सही आहार का सेवन न करना, कोई बीमारी या दवाई आदि। यही नहीं वजन अधिक होने से शरीर को मूव करने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा की जरूरत होती है और इसके कारण नींद संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। संक्षेप में कहा जाए तो अधिक वजन भी डायबिटीज फटीग (Diabetes fatigue) का एक कारण हो सकता है। अब जानते हैं कि डायबिटीज फटीग (Diabetes fatigue) को कैसे मैनेज किया जा सकता है?
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डायबिटीज फटीग को कैसे मैनेज करें? (Management of Diabetes fatigue)
डायबिटीज और डायबिटीज फटीग (Diabetes fatigue) दोनों को मैनेज करने के लिए आपको अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने होंगे। यह बदलाव इस प्रकार हैं:
- सही वजन को बनाए रखना और अगर आपका वजन अधिक है तो वजन को कम करना।
- नियमित रूप से व्यायाम करना। ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) को मैनेज करने के लिए व्यायाम बेहद जरूरी है। ऐसे में, दिन में कुछ समय एक्सरसाइज या अन्य शारीरिक गतिविधियों के लिए अवश्य निकालें। इससे न केवल आपको ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar level) को सही रखने बल्कि संपूर्ण रूप से हेल्दी रहने में भी मदद मिलती है।
- सही आहार का सेवन करना। इस दौरान आपको क्या खाना चाहिए और किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए, इसमें डॉक्टर और डायटीशियन आपकी मदद कर सकते हैं।
- गुड स्लीप हाइजीन (Good Sleep hygiene) के पालन के साथ ही सोने का समय एक ही रखें। रोजाना सात से आठ घंटे की नींद जरूरी है।
- तनाव से बचें। इसके लिए सही नींद लें, योग व मैडिटेशन करें और सकारात्मक रहें। अगर तनाव के कारण आपकी दिनचर्या प्रभावित हो रही हो तो डॉक्टर से बात अवश्य करें। आपके मित्र, परिवार के सदस्य या करीबी भी इसमें आपकी मदद कर सकते हैं।
- डायबिटीज फटीग (Diabetes fatigue) को कम करने के लिए आपका डायबिटीज को सही से मैनेज करना बेहद जरूरी है। इसके लिए आप डॉक्टर की सलाह का सही से पालन करें, नियमित रूप से ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) की जाँच करें और सही दवाईयां व इंसुलिन लेना न भूलें।
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यह तो थी डायबिटीज फटीग (Diabetes fatigue) के बारे में जानकारी। डायबिटीज से पीड़ित लोग सामान्य रूप से लगातार थकावट का अनुभव करते हैं। इसका कारण ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) का अधिक या कम होना, मोटापा, कुछ दवाईयां या अन्य मेडिकल कंडीशंस हो सकते हैं। यह डायबिटीज फटीग (Diabetes fatigue) रोगी के सामान्य जीवन को भी प्रभावित कर सकती है। ऐसे में ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को कंट्रोल करके एनर्जी लेवल को सुधारा जा सकता है। ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में करने के लिए हेल्दी जीवनशैली मददगार साबित हो सकती है। अगर इसके बारे में आपके मन में कोई भी सवाल या चिंता है, तो अपने डॉक्टर से बात करना न भूलें।
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