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पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस : पल्मोनरी वॉल्व के सही से काम न करने के कारण हो सकती है यह समस्या!

और द्वारा फैक्ट चेक्ड Nikhil deore


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/02/2022

    पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस : पल्मोनरी वॉल्व के सही से काम न करने के कारण हो सकती है यह समस्या!

    पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary Valve Stenosis) एक हार्ट वॉल्व डिसऑर्डर है, जिसमें पल्मोनरी वॉल्व शामिल हो। यह वॉल्व राइट वेंट्रिकल और पल्मोनरी आर्टरी को विभाजित करते हैं। पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस की बीमारी तब होती है,  जब यहवॉल्व पर्याप्त रूप से चौड़ा नहीं होता है। इसके कारण लंग तक कम ब्लड फ्लो होता है। संक्षिप्त में कहा जाए तो पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary Valve Stenosis) की समस्या तब होती है जब पल्मोनरी वॉल्व सही से ओपन नहीं होते हैं या पर्याप्त वाइड नहीं होते हैं। यह बहुत ही रेयर डिसऑर्डर है, जो आमतौर पर जन्म के समय शिशुओं में मौजूद हो सकता है।

    इस स्थिति में हमेशा मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है। लेकिन, कुछ लोगों को इसके उपचार के लिए दवाइयों और सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है। यह तो थी इस डिसऑर्डर के बारे में जानकारी। अब जानिए पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary Valve Stenosis) के लक्षणों के बारे में ।

    पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस के लक्षण (Symptoms of Pulmonary Valve Stenosis)

    पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary Valve Stenosis) के ज्यादातर मामलों में कोई भी लक्षण नजर नहीं आते हैं। यह समस्या अधिकतर नवजात शिशुओं में नजर आती है। पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary Valve Stenosis) के लक्षण भी अलग लोगों के लिए अलग हो सकते हैं। आमतौर में यह लक्षण इस बीमारी के रोगियों को देखने को मिलते हैं:

    • हार्ट मर्मर (Heart Murmur) — यह एक असामान्य आवाज है, जिसे स्टेथोस्कोप से सुना जा सकता है ।
    • थकावट (Fatigue)
    • सांस लेने में समस्या (Shortness of Breath)
    • छाती में दर्द (Chest pain)
    • बेहोशी  (Fainting)

    लेकिन, कुछ स्थितियों में तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। यह स्थितियां इस प्रकार हैं:

    • सांस लेने में समस्या (Shortness of breath)
    • छाती में दर्द (Chest pain)
    • बेहोशी (Fainting)

    अगर आपको पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस और अन्य हार्ट प्रॉब्लम हैं। तो उपचार से इसके रिस्क और जटिलताओं को कम किया जा सकता है। जानिए इससे जुड़े कारणों के बारे में।

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    पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस के कारण क्या हैं? (Causes of Pulmonary Valve Stenosis)

    पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary Valve Stenosis) के सही कारणों के बारे में डॉक्टरों को भी जानकारी नहीं है। गर्भावस्था के दौरान भ्रूण में पल्मोनरी वॉल्व ठीक से विकसित नहीं हो पाते हैं। इस रोग के कारण जेनेटिक कम्पोनेंट को भी माना जाता है। यही नहीं, यह समस्या अन्य जन्मजात हृदय दोषों के साथ भी हो सकती है। यदि आपमें पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary Valve Stenosis) का निदान होता है, तो डॉक्टर आपको कुछ अन्य टेस्ट्स कराने की सलाह दे सकते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपका हार्ट हेल्दी है या नहीं। वयस्कों में यह बीमारी किसी अन्य हेल्थ कंडीशन की जटिलता के रूप में भी विकसित हो सकती है, जो हार्ट को प्रभावित करती हैं। इन हेल्थ कंडीशंस में डायजेस्टिव सिस्टम में कार्सिनोइड ट्यूमर (Carcinoid Tumors) आदि शामिल हैं। इसके रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हो सकते हैं:

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    पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस के रिस्क फैक्टर (Risk Factors of Pulmonary Valve Stenosis)

    पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary Valve Stenosis) आमतौर पर जन्म से पहले विकसित होने वाली समस्या है। इसके रिस्क-फैक्टर्स के बारे में भी अधिक जानकारी नहीं है। लेकिन, कुछ कंडीशंस और प्रक्रियाएं बाद में पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस के विकास के जोखिम को बढ़ा सकती हैं, जो इस प्रकार हैं:

    • कार्सिनॉइड सिंड्रोम Carcinoid syndrome)
    • रयूमेटिक फीवर (Rheumatic fever)
    • नूनन सिंड्रोम (Noonan Syndrome)
    • पल्मोनरी वॉल्व रिप्लेसमेंट Pulmonary valve replacement

    पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary Valve Stenosis) के अधिकतर मामले माइल्ड होते हैं। लेकिन, इसके कुछ मामले गंभीर हो सकते हैं। जानिए, इस समस्या की जटिलताओं के बारे में?

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    पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस की जटिलताएं (Complications of Pulmonary Valve Stenosis)

    पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary Valve Stenosis) एक लाइफलॉन्ग स्थिति है, जिसमे आपको पूरी उम्र डॉक्टर की सलाह और मॉनिटरिंग की जरूरत होगी। ऐसे में इस समस्या से जुड़ी जटिलताओं के बारे में भी आपको पता होना चाहिए, जो इस प्रकार हैं:

    • इंफेक्शन (Infection) : पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस(Pulmonary Valve Stenosis) जैसी हार्ट वॉल्व प्रॉब्लम्स वाले लोगों के हार्ट की इनर लायनिंग में बैक्टीरियल इंफेक्शंस के विकसित होने की संभावना उन लोगों की तुलना में अधिक होती है, जिन्हें हार्ट वॉल्व से जुड़ी कोई समस्या नहीं होती है।
    • हार्ट-पंपिंग प्रॉब्लम्स (Heart-Pumping Problems) : गंभीर पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary Valve Stenosis) की स्थिति में हार्ट के राइट वेंट्रिकल को पल्मोनरी आर्टरी में खून पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। बढ़े हुए दबाव के अगेंस्ट दाएं वेंट्रिकल को पंप करने से वेंट्रिकल की मांसपेशियों की दीवार मोटी हो जाती है। अंत में, हार्ट हार्ड हो जाता है और कमजोर हो सकता है।
    • हार्ट फेलियर (Heart Failure): अगर राइट वेंट्रिकल सही से पंप करने में असमर्थ है, तो हार्ट फेलियर की समस्या हो सकती है। इससे पैरों व पेट में सूजन आ जाती है और थकान व सांस लेने में तकलीफ हो सकती है।
    • इर्रेगुलर हार्टबीट या हार्ट एरिथमिया (Heart Arrhythmias) :पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary Valve Stenosis) से पीड़ित लोगों में असामान्य हार्टबीट होने की संभावना अधिक होती है।

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    अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन ( American Heart Association) के अनुसार गर्भावस्था में अगर शिशु को पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस की माइल्ड और मॉडरेट समस्या हैं, तो गर्भवती महिला को खास ध्यान रखना पड़ता है। लेकिन, अगर यह समस्या गंभीर है तो गर्भवस्था में कुछ जोखिम हो सकते हैं। इस स्थिति में प्रेगनेंसी और डिलीवरी के दौरान आपको कार्डियोलॉजिस्ट की देखरेख की भी जरूरत होगी। अब जानते हैं कि पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary Valve Stenosis) के निदान किस तरह से किया जा सकता है?

    पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस का निदान (Diagnosis of Pulmonary Valve Stenosis)

    पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस का निदान अक्सर बचपन में हो जाता है। लेकिन अनेक मामलों में सालों तक इस समस्या का निदान नहीं हो पाता है। कई बार इसका निदान तब होता है, जब रूटीन चेकअप या पल्मोनरी स्टेनोसिस का संदेह होने पर डॉक्टर को आपके हार्ट से मर्मर की आवाज सुनाई देती है। इस समस्या के निदान के लिए डॉक्टर आपको इन टेस्ट्स को कराने की सलाह दे सकते हैं:

    इकोकार्डियोग्राम  (Echocardiogram)

    इकोकार्डियोग्राम में साउंड वेव्स का प्रयोग किया जाता है। जिससे मूविंग इमेज बनती है, जिसे वीडियो स्क्रीन पर देखा जा सकता है। यह टेस्ट पल्मोनरी वॉल्व का स्ट्रक्चर, स्टेनोसिस की लोकेशन और राइट वेंट्रिकल के साइज व फंक्शन को चेक करने के लिए लाभदायक माना जाता है।

    इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)

    इस टेस्ट में रोगी की छाती,कलाई और टखने में वायर्स के साथ पैचेज लगाए जाते हैं। इलेक्ट्रोड हार्ट की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को मापती हैं। यह टेस्ट यह जानने में भी मदद करता है कि आपके राइट वेंट्रिकल की मस्कुलर वॉल थिक है या नहीं। पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस के निदान के लिए मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic resonance imaging) या सीटी स्कैन (CT Scan) को भी किया जा सकता है

    कार्डियक कैथेटराइजेशन (Cardiac catheterization)

    इस प्रोसीजर के दौरान डॉक्टर एक छोटी, लचीली और खाली ट्यूब को रोगी के गले, बाजू या ग्रोइन में डाल देते हैं जिसे कैथर (Cather) कहते हैं। यह ट्यूब हार्ट तक पहुंचती है। एक बार जब इसे प्लेस कर दिया जाता है, तो कई टेस्ट किए जा सकते हैं। डॉक्टर इस टेस्ट का प्रयोग हार्ट चैम्बर्स (Heart Chambers) और ब्लड वेसल्स में ब्लड प्रेशर को मापने के लिए भी कर सकते हैं। निदान के बाद जानिए कैसे संभव है इस रोग का उपचार?

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    पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस का उपचार कैसे किया जाता है? (Treatment Pulmonary Valve Stenosis)

    डॉक्टर इन टेस्ट्स का प्रयोग पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary Valve Stenosis) के लिए सबसे बेहतरीन उपचार के बारे में जानने के लिए करते हैं। अगर रोगी को यह समस्या माइल्ड है और उसमे इस रोग के कोई लक्षण नहीं हैं। तो उपचार की जरूरत नहीं होती है। लेकिन अगर रोगी चेस्ट पेन, सांस लेने में परेशानी और बेहोशी आदि को महसूस कर रहा है तो इन लक्षणों से पता चलता है कि रोगी की स्थिति एडवांस्ड है। माइल्ड स्टेनोसिस का समय के साथ सुधार हो सकता है। लेकिन, कुछ लोग इन्हीं लक्षणों को बाद में भी महसूस कर सकते हैं। यही नहीं, कुछ लोग इससे भी बदतर लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं, जिनमें उपचार की जरूरी होती है। पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस के उपचार इस तरह से संभव हैं:

    दवाइयां (Medications)

    डॉक्टर रोगी को कुछ दवाइयों को लेने की सलाह दे सकते हैं, जिससे हार्ट के चैम्बर में ब्लड फ्लो में आसानी हो। इन दवाइयों के उदाहरण इस प्रकार हैं:

    • प्रोस्टाग्लैंडिंस (Prostaglandins) ताकि ब्लड फ्लो को सुधारा जा सके।
    • ब्लड थिनर (Blood Thinners)  ताकि क्लॉटिंग कम हो सके ।
    • वॉटर पिल्स (Water Pills) ताकि ब्लड स्ट्रीम में एक्सेस फ्लूइड को कम किया जा सके।
    • असामान्य हार्ट रिदम से बचने के लिए अन्य दवाइयां भी दी जा सकती है। इसके साथ ही कुछ सर्जिकल प्रोसीजर भी अपनाए जा सकते हैं।

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    सर्जरी (Surgery)

    दवाइयों के साथ ही डॉक्टर रोगी की कंडीशन के अनुसार सर्जरी की सलाह भी दे सकते हैं। यह सर्जरीज इस प्रकार हो सकती हैं:

    • एक सर्जिकल प्रोसीजर जिसे वॉल्वुलोप्लास्टी (Valvuloplasty) कहा जाता है, का प्रयोग इस स्थिति के उपचार में किया जा सकता है। इस प्रोसीजर से ब्लड फ्लो को सुधारने के लिए पल्मोनरी वॉल्व की वाल्स को स्ट्रेच किया जा सकता है।
    • पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary Valve Stenosis) के ट्रीटमेंट ऑप्शन में कैथेटर को भी शामिल किया जा सकता है, जिसके एंड में एक गुब्बारा होता है जो फूल सकता है और हार्ट वॉल्स को फैला सकता है।
    • गंभीर मामलों में पल्मोनरी वॉल्व को रिप्लेस करने के लिए सर्जरी भी की जा सकती है। इससे वॉल्व को मैकेनिकल या बायोलॉजिकल वॉल्व से रिप्लेस किया जा सकता है। दवा और सर्जरी के साथ ही रोगी का हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना भी बेहद जरूरी है। जानिए इसके बारे में।

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    जीवनशैली में परिवर्तन (Lifestyle Change)

    पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary Valve Stenosis) की समस्या से बचने और इसे मैनेज करने के लिए आपको अपने जीवन में कुछ हेल्दी परिवर्तन करने चाहिए। ताकि, इस स्थिति से जुड़ी जटिलताएं विकसित न हो सके। इसके लिए डॉक्टर आपको नियमित रूप से चेकअप की सलाह भी दे सकते हैं। हार्ट हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाने से हार्ट डिजीज जैसे हार्ट अटैक (Heart Attack) के खतरे को कम किया जा सकता है। लाइफस्टाइल में बदलाव में यह सब शामिल है:

    • धूम्रपान से बचना
    • हार्ट हेल्दी डायट का सेवन करना जैसे फल और सब्जियां, साबुत अनाज, लो फैट डेयरी उत्पाद
    • हेल्दी वेट को मेंटेन करना
    • डॉक्टर की सलाह के अनुसार नियमित व्यायाम करना
    • तनाव से बचना

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    यह तो थी पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस (Pulmonary Valve Stenosis) के बारे में पूरी जानकारी। हार्ट हेल्दी लाइफस्टाइल को मेंटेन रखना पल्मोनरी वॉल्व स्टेनोसिस की स्थिति में बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकता है। इसके साथ ही आपको नियमित रूप से डॉक्टर और कार्डियोलॉजिस्ट से अपनी जांच करानी चाहिए। ताकि वो आपकी स्थिति के बारे में जान पाएं और आप भविष्य में किसी भी गंभीर स्थिति से बच सकें। अगर आपको इस समस्या का  कोई भी गंभीर लक्षण नजर आता है, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लेना जरूरी है।

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    Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/02/2022

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