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हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन: बैक्टीरिया बन सकते हैं इस संक्रमण की वजह

हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन: बैक्टीरिया बन सकते हैं इस संक्रमण की वजह

क्या आप जानते हैं कि बैक्टीरिया न केवल हमारे आसपास होते हैं, बल्कि हमारे शरीर के कई हिस्सों में भी यह रहते हैं। यही नहीं, अगर किसी को कोई हार्ट प्रॉब्लम है, तो हमारे ब्लडस्ट्रीम में रहने वाले बैक्टीरिया डैमेज्ड टिश्यू के साथ अटैच हो जाते हैं और इंफेक्शन का कारण बनते हैं। आज हम बात करने वाले हैं हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन (Heart Infection and Mitral valve infection) के बारे में। माइट्रल वॉल्व वो वॉल्व है, जो हार्ट के लेफ्ट साइड के दो चैम्बर्स को विभाजित करता है। हार्ट और हार्ट वॉल्व के इंफेक्शन को एंडोकार्डाइटिस कहा जाता है। अगर इस इंफेक्शन का सही समय पर उपचार नहीं किया जाता है, तो यह एक परमानेंट डैमेज का कारण बन सकता है और जानलेवा भी हो सकता है। जानिए, हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन (Heart Infection and Mitral valve infection) के बारे में विस्तार से।

हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन (Heart Infection and mitral valve infection) क्या है? 

नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) के अनुसार हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन (Heart Infection and Mitral valve infection) यानी एंडोकार्डाइटिस के बारे में सबसे पहले विलियम ओस्लेर (William Osler) ने 1885 में बताया था। यह एक इंफ्लेमेटरी प्रोसेस है, जो एंडोकार्डियम (Endocardium) को प्रभावित करती है। इसका इंफेक्टिव या नॉन-इंफेक्टिव कोई भी ओरिजिन हो सकता है। एंडोकार्डाइटिस एक दुर्लभ स्थिति है जिसमे हार्ट लायनिंग, हार्ट मसल्स और हार्ट वाल्व्स में सूजन हो सकती है। इसे इंफेक्टिव एंडोकार्डाइटिस (Infective endocarditis) , बैक्टीरियल एंडोकार्डाइटिस (Bacterial endocarditis), फंगल एंडोकार्डाइटिस (Fungal endocarditis) या इंफेक्शियस एंडोकार्डाइटिस (Infectious endocarditis) भी कहा जाता है।

यह इंफेक्शन अधिकतर स्ट्रेप्टोकोकस (Streptococcal) या स्टैफिलोकोकस बैक्टीरिया (Staphylococcal bacteria) के कारण होता है। दुर्लभ स्थितियों में यह कवक या अन्य इंफेक्शियस मायक्रो- ऑर्गैनिस्म (Infectious Microorganism) के कारण भी हो सकता है। हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन (Heart Infection and Mitral valve infection) के लक्षणों के बारे में जानें।

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हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Heart Infection and Mitral valve infection)

हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन (Heart Infection and Mitral valve infection) के लक्षण हर व्यक्ति के लिए अलग हो सकते हैं और यह समय के साथ बदल भी सकते हैं। सब एक्यूट एंडोकार्डाइटिस (Subacute endocarditis) यानी इंफेक्शन की स्थिति में इन लक्षणों को नजर आने में कई हफ्ते लग सकते हैं या कई बार कई महीने भी लग सकते हैं। दुर्लभ मामलों में इंफेक्शन बहुत जल्दी विकसित होता है और लक्षण अचानक प्रकट होते हैं। इस स्थिति को एक्यूट एंडोकार्डाइटिस या इंफेक्शन कहा जाता है। हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन (Heart Infection and Mitral valve infection) का निदान मुश्किल हो सकता है। इसके लक्षण इसकी गंभीरता, जिस बैक्टीरिया या कवक के कारण यह इंफेक्शन हुआ है उसके प्रकार पर भी निर्भर कर सकते हैं। इसके सामान्य लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

  • बुखार (Fever) आना
  • नई या अलग तरह के हार्ट मर्मर (New or different heart Murmur) की समस्या 
  • मसल्स में दर्द (Muscle pain) होना 
  • उंगली या अंगूठे के नाख़ून के नीचे खून आना (Bleeding)
  • आंखों या स्किन में ब्लड वेसल्स का टूटना (Broken blood vessels in the eyes or skin)
  • छाती में दर्द (Chest pain) होना 
  • खांसी (Coughing) आना
  • सिरदर्द (Headache) होना 
  • सांस फूलने (Shortness of Breath) की समस्या 
  • अधिक पसीना (Sweating) आना 
  • अंगों या पेट में  सूजन (Swelling)
  • मूत्र में खून (Blood in Urine) आना
  • कमजोरी और थकावट (Weakness and fatigue) महसूस होना
  • अचानक वजन कम (Unexpected weight loss) होना
  • उंगलियों, अंगूठे या दोनों में दर्दभरे, लाल या पर्पल गांठ (Lumps) होना 

इसके साथ ही नाखूनों के नीचे टूटे ब्लड वेसल्स, आंखों के सफेद हिस्से, छाती पर, गालों के अंदर छोटे छोटे धब्बे होना भी हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन (Heart Infection and Mitral valve infection) के लक्षण हो सकते हैं। अब पाइए जानकारी इसके कारणों और रिस्क-फैक्टर्स के बारे में।

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हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन के कारण (Causes of Heart Infection and Mitral valve infection)

हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन (Heart Infection and Mitral valve infection) की समस्या अधिकतर तब होती है। जब बैक्टीरिया हमारे ब्लड स्ट्रीम में एंटर कर जाते हैं। यह हार्ट तक पहुंचते हैं और एब्नॉर्मल हार्ट वॉल्व्स या डैमेज्ड हार्ट टिश्यूज के साथ अटैच हो जाते हैं। कवक और अन्य जर्म्स भी इसका कारण बन सकते हैं। आमतौर पर हमारा इम्यून सिस्टम इन हानिकारक बैक्टीरिया जो हमारे ब्लडस्ट्रीम में एंटर करते हैं उन्हें नष्ट कर देता है। लेकिन जो बैक्टीरिया हमारे मुंह, गले और शरीर के अन्य हिस्सों जैसे स्किन या गट में रहते हैं, कभी-कभी किन्हीं परिस्थितियों में एंडोकार्डाइटिस का कारण बन सकते हैं। एंडोकार्डाइटिस का कारण बनने वाले बैक्टीरिया, कवक और अन्य जर्म्स ब्लडस्ट्रीम में इस तरह से एंटर कर सकते हैं:

  • सही से डेंटल केयर न होना (Improper dental care)
  •  कैथेटर्स (Catheters)
  • गैरकानूनी IV ड्रग का प्रयोग (Illegal IV drug use)
  • अन्य सर्जिकल प्रोसीजर (Other surgical procedures)

इनके अलावा भी अन्य कुछ कारण हो सकते हैं जिनसे बैक्टीरिया या अन्य जर्म्स हमारे ब्लडस्ट्रीम तक जा सकते हैं। अब जानिए क्या हैं इसके रिस्क फैक्टर्स?

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रिस्क फैक्टर्स (Risk Factors)

आपको यह इंफेक्शन के विकसित होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है, अगर आपका हार्ट वॉल्व डैमेज्ड, ख़राब हो या उसमे अन्य कोई समस्या हो। हालांकि, हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन (Heart Infection and Mitral valve infection) उन लोगों को भी हो सकता है जो स्वस्थ हों। इससे जुड़े रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं:

  • अधिक उम्र (Older age)
  • आर्टिफिशियल हार्ट वॉल्व्स (Artificial heart valves)
  • जन्मजात हृदय दोष (Congenital heart defects )
  • इम्प्लांटेड हार्ट डिवाइस (Implanted heart device)
  • पुअर डेंटल हेल्थ (Poor dental health)
  • डैमेज्ड हार्ट वॉल्व्स (Damaged heart valves)
  • लॉन्ग टर्म  कैथेटर्स का प्रयोग (Long-term catheter use)

अब जानिए किस तरह से संभव है इस समस्या का निदान और किस तरह से किया जाता है इसका उपचार?

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हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन का निदान (Diagnosis of Heart Infection and Mitral valve infection)

हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन (Heart Infection and Mitral valve infection) के निदान के लिए डॉक्टर रोगी से सबसे पहले इसके लक्षणों के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही रोगी की मेडिकल हिस्ट्री और फैमिली हिस्ट्री के बारे में भी जाना जाएगा। इसका निदान आमतौर पर कई अन्य फैक्टर्स पर निर्भर करता है। इसके साथ ही कुछ अन्य टेस्ट्स की सलाह भी दी जा सकती है, जैसे:

ब्लड कल्चर टेस्ट (Blood culture test)

ब्लड कल्चर टेस्ट को ब्लडस्ट्रीम में जर्म्स को पहचानने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट से डॉक्टर को इस बात को निर्धारित करने में मदद मिलती है कि रोगी के उपचार के लिए कौन सी एंटीबायोटिक या एंटीबायोटिक का कॉम्बिनेशन सही रहेगा।

कंप्लीट ब्लड काउंट (Complete blood count)

अगर रोगी के शरीर खून में अधिक व्हाइट ब्लड सेल्स हैं तो इस टेस्ट से उसके बारे में पता चलता है। अधिक व्हाइट ब्लड सेल्स भी इंफेक्शन का लक्षण हो सकते हैं। यह टेस्ट हेल्दी रेड ब्लड सेल्स के लो लेवल के निदान में भी मदद कर सकता है।

इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)

इकोकार्डियोग्राम में साउंड वेव्स का प्रयोग किया जाता है। ताकि, हार्ट की तब इमेज बनाई जा सके जब यह धड़कता हो। इस टेस्ट से पता चलता है कि हार्ट चैम्बर्स और वॉल्व्स किस तरह से हार्ट से ब्लड को पंप करते हैं।

हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन (Heart Infection and Mitral valve infection)

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इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)

इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट का प्रयोग हार्टबीट्स की टाइमिंग और अवधि को मापने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग खासतौर पर हार्ट इंफेक्शन या माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन के निदान के लिए नहीं किया जाता है। लेकिन इस टेस्ट से डॉक्टर इस बात के बारे में जान सकते हैं कि कहीं हार्ट की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को कुछ प्रभावित तो नहीं कर रहा है? इस टेस्ट के दौरान वो सेंसर जो दिल की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को डिटेक्ट करते हैं उन्हें रोगी की छाती, बाजू और टांगों के साथ अटैच किया जाता है।

चेस्ट एक्स-रे (Chest X-ray)

चेस्ट एक्स-रे से रोगी के दिल और लंग्स की स्थिति का पता चल सकता है। इस टेस्ट से यह भी पता चलता है कहीं यह इंफेक्शन हार्ट में सूजन का कारण तो नहीं बन गया है। इसके साथ ही यह भी जाना जा सकता है कि कहीं यह इंफेक्शन लंग्स तक तो नहीं फैल गया है।

कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (Computerized tomography ) स्कैन या मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic resonance imaging )

अगर डॉक्टर को लगता है कि यह इंफेक्शन रोगी की छाती, दिमाग या शरीर के अन्य भागों तक फैल गया है। तो रोगी को दिमाग, छाती और शरीर के अन्य भागों की कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन या मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग कराने की जरूरत हो सकती है। इन टेस्ट्स के अलावा भी डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट्स की सलाह दे सकते हैं। इन टेस्ट्स के परिणामों के अनुसार ही रोगी का उपचार निर्धारित होता है। जानिए किस तरह से किया जा सकता है इस रोग का उपचार?

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हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन का उपचार (Treatment of Heart Infection and Mitral valve infection)

इस समस्या से पीड़ित अधिकतर लोगों का उपचार एंटीबायोटिक्स की मदद से संभव है। कई बार डॉक्टर को हार्ट वॉल्व को फिक्स या रिप्लेक्स करने की भी जरूरत पड़ सकती है। जानिए हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन (Heart Infection and Mitral valve infection) के उपचार के बारे में।

दवाईयां (Medications)

इस समस्या में रोगी को जो दवाईयां दी जाती है वो इस बात पर निर्भर करती हैं कि इस इंफेक्शन का कारण क्या है? बैक्टीरिया के कारण होने वाले इंफेक्शन का उपचार IV एंटीबायोटिक्स (IV antibiotics ) की हाय डोज के साथ किया जा सकता है। ओरल एंटीबायोटिक्स की स्थिति में इन्हें रोगी को कई हफ़्तों तक लेना पड़ सकता है। जब तक कि यह इंफेक्शन पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता। अगर यह रोग फंगस की वजह से है तो डॉक्टर एंटीफंगल मेडिकेशंस दे सकते हैं।

सर्जरी (Surgery)

बार-बार हो रहे हार्ट इंफेक्शन या माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन से छुटकारा पाने के लिए हार्ट वॉल्व सर्जरी की सलाह दी जाती है। डैमेज्ड वॉल्व को रिप्लेस करने के लिए भी सर्जरी जरूरी है। फंगल इंफेक्शन के कारण होने वाली इस समस्या की स्थिति में भी सर्जरी की जा सकती है। रोगी की स्थिति के अनुसार डॉक्टर डैमेज्ड वॉल्व को रिपेयर या रिप्लेस कर सकते हैं।

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हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन से बचाव (Prevention of Heart Infection and Mitral valve infection)

हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन (Heart Infection and Mitral valve infection) से बचाव के लिए आपको केवल कुछ आसान से तरीकों का पालन करना है और कुछ चीजों का ध्यान रखना है। जानिए इन तरीकों के बारे में

  • लक्षणों को पहचानें (Recognize the symptoms): अगर आपको इस इंफेक्शन से संबंधित कोई भी लक्षण नजर आता है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। खासतौर पर अगर आपका बुखार ठीक न हो रहा हो, बिना मतलब के थकावट, स्किन इंफेक्शन आदि।
  • अपने दांतों को मसूड़ों का ध्यान रखें (Take care of your teeth and gums): दांतों की देखभाल करना आपके संपूर्ण हेल्थ को बनाए रखने के लिए जरूरी है। इसलिए रोजाना अपने दांतों और मसूड़ों को ब्रश और फ्लॉस करें। नियमित डेंटल चेकअप भी जरूरी है।
  • गैरकानूनी IV ड्रग्स का प्रयोग न करें (Don’t use illegal IV drugs): गैरकानूनी IV ड्रग्स के प्रयोग में अक्सर गन्दी नीडल्स का प्रयोग होता है और इन नीडल्स के माध्यम से बैक्टीरिया आपकी ब्लड स्ट्रीम तक पहुंच सकते हैं। जिससे हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन (Heart Infection and Mitral valve infection) का जोखिम बढ़ सकता है।

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यह तो थी हार्ट इंफेक्शन और माइट्रल वॉल्व इंफेक्शन (Heart Infection and Mitral valve infection) के बारे में पूरी जानकारी। अगर आपको हार्ट संबंधी कोई समस्या है या आपको यह इंफेक्शन होने की संभावना है तो किसी भी मेडिकल या डेंटल प्रोसीजर से पहले अपने डॉक्टर को इस बारे में अवश्य बताएं। इससे वो आपको एंटीबायोटिक लेने की सलाह दे सकते हैं ताकि आप इंफेक्शन से सुरक्षित रहें। इसके साथ ही इस इंफेक्शन के लक्षणों को समय रहते पहचानना बहुत जरूरी है। हार्ट डिजीज से बचने के लिए हेल्दी हैबिट्स को अपनाना और नियमित जांच भी आवश्यक है।

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डिस्क्लेमर

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.Accessed on 8/3/21

Current Version

22/12/2021

Nikhil deore द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

Updated by: Nikhil deore


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 22/12/2021

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