यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) यानी यूटीआई (UTI) , यूरिनरी ट्रैक्ट में होने वाला एक इंफेक्शन है। इस इंफेक्शन से जुड़ी एक जटिलता को यूरोसेप्सिस (Urosepsis) कहा जाता है, जो एक गंभीर और बहुत जल्दी बढ़ने वाली समस्या है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें यह इंफेक्शन यूरिनरी ट्रैक्ट से रक्तप्रवाह में फैल जाता है। इसके बाद यह संक्रमण रक्तप्रवाह के माध्यम से पूरे शरीर में फैल सकता है। चिंता की बात तो यह है कि निदान और उपचार के बाद भी यह इंफेक्शन विकसित हो सकता है। आज हम आपको बताने वाले हैं यूरोसेप्सिस (Urosepsis) के बारे में। जानिए कैसे होता है इसका उपचार और निदान। सबसे पहले जानते हैं इसके लक्षणों के बारे में:
यूरोसेप्सिस के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Urosepsis)
यूरोसेप्सिस के बारे में समझने से पहले, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के बारे में जानना जरूरी है। यह वो इंफेक्शन है, जो यूरिनरी ट्रैक्ट के हिस्से को प्रभावित करता है। इसमें किडनी (Kidney), मूत्रवाहिनी (Ureter), ब्लैडर (Bladder) और मूत्रमार्ग (Urethra) आदि शामिल हैं। इस इंफेक्शन के कारण बेचैनी, दर्द, बुखार या बार-बार मूत्र त्याग की इच्छा होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अधिकतर यह इंफेक्शन ब्लैडर और मूत्रमार्ग में होता है। हालांकि, किडनी इंफेक्शन सामान्य नहीं है लेकिन यह गंभीर हो सकता है। यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) को पहचानना और उसका सही उपचार यूरोसेप्सिस (Urosepsis) से बचने का बेहतरीन उपाय है ।
यूरोसेप्सिस के लक्षणों में रैपिड हार्ट रेट (rapid heart rate), रैपिड ब्रीदिंग(Rapid Breathing) , वीक पल्स (Weak Pulse) , अत्यधिक पसीना आना (Profuse Sweating), चिंता (Anxiety), मानसिक स्थिति में परिवर्तन (Changes in Mental Status), और यूरिन संबंधी समस्याएं (Urinary Problems ) आदि शामिल है। यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) के लक्षण हर प्रभावित व्यक्ति के लिए अलग हो सकते हैं, लेकिन इसके सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
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- पेट, पेल्विक या पीठ में दर्द या ऐंठन (Abdominal/Pelvic/Back pain or Cramping)
- यूरिन का लाल या पिंक रंग का होना (Bloody or Pink-Colored Urine)
- क्लॉउडी यूरिन (Cloudy Urine)
- मूत्र त्याग के समय दर्द या परेशानी होना (Difficult or Painful Urination)
- मूत्र त्याग के समय जलन होना (Burning with Urination)
- बुखार और ठंड लगना (Fever and Chills)
- पेशाब में गन्दी बदबू आना (Foul-Smelling Urine)
- लगातार मूत्र त्याग (Frequent Urination)
- बीमार महसूस करना (General ill Feeling)
- सेक्स के दौरान दर्द होना (Pain During Sexual Intercourse)
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यूरोसेप्सिस (Urosepsis) की समस्या में इसके लक्षणों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण नजर आता है, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। यह लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
- बहुत अधिक बुखार (High Fever)
- लो टेम्प्रेचर (Low Temperature)
- यूरिन प्रोडक्शन में समस्या (Not Producing any Urine)
- अत्यधिक पसीना और असामान्य चिंता (Profuse Sweating and Anxiety)
- दिल की धड़कन का तेज होना (Rapid Heart Beat)
- रेस्पिरेटरी या ब्रीदिंग प्रॉब्लम (Respiratory or Breathing Problems)
- पेट, पेल्विक या पीठ में गंभीर दर्द (Severe Abdominal/Pelvic/Back Pain)
- अधिक उल्टी आना (Vomiting)
- वीक पल्स (Weak Pulse)
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कॉम्प्लिमेंटरी मेडिकल एसोसिएशन (Complementary Medical Association) के अनुसार गंभीर मामलों में यूरोसेप्सिस (Urosepsis) मल्टी-सिस्टम ऑर्गन फेलियर (Multi-system Organ Failure) और सेप्टिक शॉक (Septic shock) का कारण भी बन सकता है। जो बेहद गंभीर स्थितियां है। अगर किसी को गंभीर सेप्सिस की परेशानी होती है, तो उनके शरीर में मूत्र उत्पादन में समस्या होती है, वो सांस लेने में समस्या महसूस कर सकते हैं और उनके हार्ट को भी काम करने में परेशानी होती है। ऐसे में ,यह स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है। चलिए, जानते हैं यूरोसेप्सिस के कारण (Urosepsis Causes) कौन से हैं?
यूरोसेप्सिस के कारणों के बारे में जानें (Causes of Urosepsis)
जब बैक्टीरिया मूत्रमार्ग में प्रवेश करते हैं तो यह यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) की समस्या का एक कारण हो सकता है। मूत्रमार्ग वो ट्यूब है जिससे हो कर यूरिन शरीर से बाहर निकलता है। ये बैक्टीरिया विभिन्न तरीकों से मूत्रमार्ग तक पहुंच सकते हैं, जिसमें सेक्शुअल कॉन्टैक्ट (Sexual Contact), अपर्याप्त व्यक्तिगत स्वच्छता (Inadequate Personal Hygiene) या ब्लैडर से जुड़ी कोई समस्या आदि शामिल हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को यूटीआई (UTI) होने का खतरा अधिक होता है। बैक्टीरिया, मूत्रमार्ग से ब्लैडर में फैल सकते हैं, जहां वे बड़ी संख्या में बढ़ सकते हैं और उनसे संक्रमण हो सकता है।
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यदि यूटीआई (UTI) का उपचार नहीं किया जाता है, तो इससे यूरोसेप्सिस जैसी जटिलता पैदा हो सकती है। कई बार यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) उन बैक्टीरिया से भी होता है जो पहले से ही ब्लैडर में होते हैं और तेजी से बढ़ते हैं। कुछ लोग जिनमें महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं, उन्हें यूरोसेप्सिस होने की संभावना अधिक होती है। इसके साथ ही वो लोग जिन्हें घाव होते हैं या जो कैथेटर व ब्रीदिंग ट्यूब्स का प्रयोग करते हैं। उन्हें भी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary tract infection) और अन्य इंफेक्शन होने की संभावना अधिक होती है। यूरोसेप्सिस से जुड़े अन्य रिस्क फैक्टर इस प्रकार हैं:
- डायबिटीज (Diabetes)
- 65 साल से अधिक उम्र (Being over 65 Years Old)
- ऑटो इम्यून डिसऑर्डर्स जैसे HIV या AIDs (Autoimmune Disorders)
- कुछ दवाइयों, ऑर्गन ट्रांसप्लांट और कीमोथेरेपी के कारण इम्यूनोसप्रेशन (Immunosuppression)
- यूरिनरी कंडीशंस की हिस्ट्री (History of Urinary Conditions)
- कैथेटर का प्रयोग (Catheter Use)
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यूरोसेप्सिस से जुड़ी कॉम्प्लीकेशन्स (Complications of Urosepsis)
यूरोसेप्सिस (Urosepsis) के इलाज के बाद सभी लोगों को कॉम्प्लीकेशन्स नहीं होती, खासकर अगर स्थिति का तुरंत और प्रभावी ढंग से इलाज किया जाता है। लेकिन, इससे जुड़ी कुछ कम्प्लीकेशस इस प्रकार हैं:
- किडनी या प्रोस्टेट के पास पस का जमना (Collections of Pus)
- ऑर्गन फेलियर (Organ Failure)
- किडनी डैमेज (Kidney Damage)
- यूरिनरी ट्रैक्ट में स्कार टिश्यू (Scar Tissue in the Urinary Tract)
- सेप्टिक शॉक (Septic Shock)
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यूरोसेप्सिस (Urosepsis) का जल्दी इलाज कराना और डॉक्टर की सलाह का पालन करना जटिलताओं से बचने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इस तरह से हो सकता है इस समस्या का निदान।
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यूरोसेप्सिस का निदान (Diagnosis of Urosepsis)
यूरोसेप्सिस के निदान (Urosepsis Diagnosis)के लिए सबसे पहले डॉक्टर रोगी से लक्षणों के बारे में जानते हैं। इसके निदान के लिए रोगी का यूरिन सैंपल (Urine Sample) लिया जाता है और उसकी जांच की जाती है। यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary tract infection) का अगर उपचार सही से न कराए जाए तो यह इंफेक्शन फैल सकता है। इसके साथ ही डॉक्टर इसके निदान के लिए ब्लड टेस्ट (Blood Test) के लिए भी कह सकते हैं। इंफेक्शन के सोर्स हो जानने के लिए डॉक्टर चेस्ट एक्स-रे (Chest X-Ray) के लिए भी कह सकते है या ब्लडस्ट्रीम में बैक्टीरिया के निदान के लिए ब्लड कल्चर (Blood Culture) भी कराया जा सकता है। रैशेज या अल्सर के लिए डॉक्टर रोगी की त्वचा को भी जांच सकते हैं।
डॉक्टर रोगी से अन्य इमेजिंग टेस्ट भी करा सकते हैं जैसे पेट और किडनी के लिए कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन (CT Scan), जिससे किडनी की पूरी तस्वीर प्राप्त होती है। यूरिनरी ट्रैक्ट के अल्ट्रासाउंड से भी यूरोसेप्सिस का निदान हो सकता है। यूरोसेप्सिस के उपचार (Urosepsis Treatment) के लिए कई तरीकों को अपनाया जा सकता है। जानते हैं क्या हैं यह तरीके?
यूरोसेप्सिस का उपचार कैसे किया जाता है? (Treatment of Urosepsis)
यूरोसेप्सिस (Urosepsis) का प्रायमरी उपचार है, इंफेक्शन से छुटकारा पाने के लिए एंटीबायोटिक का उपयोग। इस समस्या के उपचार में अन्य चीजें भी सहायक सिद्ध हो सकती हैं जैसे इंट्रावेनस फ्लुइड्स (Intravenous Fluids) और ऑक्सीजन थेरेपी (Oxygen Therapy)। यदि आपका मामला गंभीर है, तो ब्लड प्रेशर को बढ़ाने के लिए दवाओं का उपयोग किया जा सकता है और मैकेनिकल वेंटिलेशन (Mechanical Ventilation) की आवश्यकता भी हो सकती है। यूरोसेप्सिस का सामान्य उपचार इस तरह से संभव है:
- ब्लड ट्रांसफ़्यूजन (Blood Transfusions) : जरूरत पड़ने पर ब्लड ट्रांसफ़्यूजन का प्रयोग किया जा सकता है।
- एब्सेस का ड्रेनेज (Drainage of Abscesses) :अगर फोड़े मौजूद हो, तो एब्सेस का ड्रेनेज इनके उपचार का एक तरीका है।
- इंट्रावेनस फ्लुइड्स (Intravenous Fluids) : ब्लड वॉल्यूम और ब्लड प्रेशर सपोर्ट को बनाए रखने के लिए इंट्रावेनस फ्लुइड्स का प्रयोग किया जाता है।
- लिथोट्रिप्सी (Lithotripsy) : अगर किडनी या ब्लैडर स्टोन हो तो उसे तोड़ने के लिए लिथोट्रिप्सी एक अच्छा उपाय है।
- ऑक्सीजन थेरेपी (Oxygen Therapy) : खून में की मात्रा को सही ऑक्सीजन को बनाए रखने के लिए ऑक्सीजन थेरेपी इस्तेमाल होती है।
- कैथेटर का प्रयोग न करना (Don’t use Catheters): कैथेटर या अन्य तकनीकों का प्रयोग न करना, जिनसे इंफेक्शन हो सकता है।
- टार्गेटेड एंटीबायोटिक थेरेपी (Targeted Antibiotic Therapy) : कुछ खास बैक्टीरिया का उपचार करने के लिए टार्गेटेड एंटीबायोटिक थेरेपी इस्तेमाल की जाती है।
- ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक दवाईयां (Broad-Spectrum Antibiotics Medicines)
- मैकेनिकल वेंटिलेशन (Mechanical Ventilation)
- ब्लड प्रेशर को बढ़ाने के लिए दवाईयां (Medications to Increase Blood Pressure)
- ब्लड शुगर को मॉनिटर और मैंटेन रखना (Monitoring and Maintenance of Blood Sugar)
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यूरोसेप्सिस से कैसे बचें? (Prevention of Urosepsis)
अगर आपको यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) या यूरिनरी ट्रैक्ट से जुड़ी कोई अन्य समस्या है, तो यूरोसेप्सिस (Urosepsis) से बचने के लिए तुरंत मेडिकल उपचार की जरूरत होती है। अगर आपमें यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का निदान हो जाता है। तो डॉक्टर के निर्देशों का अच्छे से पालन करें ताकि आप इस समस्या से बच सकें। यूरोसेप्सिस (Urosepsis)अक्सर यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) का उपचार न होने से होता है। ऐसे में जरूरी है इससे बचना। इसलिए इससे बचने के लिए आप इन तरीकों को अपना सकते हैं:
- टॉयलेट के प्रयोग के बाद अपने गुप्तागों को अच्छे से साफ करें।
- टॉयलेट के बाद या पहले अपने हाथों को अच्छे से धोएं।
- कॉटन अंडरवियर पहनें।
- रोजाना अधिक पानी पीएं।
- सेक्शुअल एक्टिविटी के बाद तुरंत मूत्र त्याग करें।
- मूत्र त्याग के लिए अधिक इंतजार न करें।
- हमेशा अच्छा और संतुलित आहार का सेवन करें।
- डॉक्टर की सलाह के अनुसार व्यायाम करें और तनाव से बचें।
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यूरोसेप्सिस (Urosepsis) यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) की एक गंभीर जटिलता है। ऐसे में आपको इसके लक्षणों के बारे में पूरी तरह से पता होना चाहिए। अगर आपको यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का कोई भी लक्षण नजर आता है तो आप इसके निदान और उपचार के लिए डॉक्टर से मिलें। तुरंत निदान और उपचार से कॉम्प्लीकेशन्स से बचा जा सकता है। इसके उपचार के दौरान डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करना भी जरूरी है। ताकि न केवल आप इस समस्या से छुटकारा पाएं बल्कि भविष्य में भी इससे बच सकें। इसके अलावा, यूरोसेप्सिस (Urosepsis) ही नहीं बल्कि अन्य हेल्थ कंडीशंस से बचने के लिए हमेशा हेल्दी आदतों को अपनाएं। जिनमें पौष्टिक आहार, व्यायाम के साथ ही पर्याप्त नींद लेना और सकारात्मक रहना भी जरूरी है।