रिफ्लेक्सोलॉजी को हिंदी में हाथों और पैरों की मसाज कहा जाता है। रिफ्लेक्सोलॉजी (Reflexology) को अगर रिलैक्स थेरिपी (Reflex therapy) कहा जाए तो गलत नहीं होगा। क्योंकि रिफ्लेक्सोलॉजी में हाथों और पैरों के ऐसे हिस्से पर मसाज की जाती है, जहां पर दबाव बनाने से हमें रिलैक्स महसूस होता है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि रिफ्लेक्सोलॉजी क्या है, ये काम कैसे करती है और इसे आप कैसे कर सकते हैं?
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रिफ्लेक्सोलॉजी (Reflexology) क्या है?
रिफ्लेक्सोलॉजी एक प्रकार की मसाज होती है, जिसमें हाथों, पैरों और कानों के पास प्रेशर देकर किया जाता है। रिफ्लेक्सोलॉजी एक ऐसी थ्योरी पर काम करती है जो शरीर के अंगों और तंत्रों से जुड़ी होती है। जो लोग इस टेक्नीक का प्रयोग करते हैं, उन्हें रिफ्लेक्सोलॉजिस्ट कहते हैं। शरीर के कुछ अंगों पर दबाव देने से शरीर को कई तरह के फायदे होते हैं।
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रिफ्लेक्सोलॉजी के फायदे क्या हैं? (Benefits of Reflexology)
रिफ्लेक्सोलॉजी यानी कि हाथों और पैरों की मसाज (Leg massage) के फायदे निम्न हैं :
पैरों की मसाज में रिफ्लेक्सोलॉजी (Reflexology) काम कैसे करती है?
रिफ्लेक्सोलॉजी को लेकर कई तरह के थ्योरीज काम करती हैं :
रिफ्लेक्सोलॉजी एक पारंपरिक चायनीज थेरिपी है
चीन में रिफ्लेक्सोलॉजी (Reflexology) के लिए जो थ्योरी प्रसिद्ध है, उसमें ये बात मानी जाती है कि इंसान के शरीर की ऊर्जा को स्ट्रेस (Stress) ब्लॉक कर देता है। इस शारीरिक ऊर्जा को चाइनीज में ‘qi’ यानी कि ‘ची’ कहते हैं। जब तनाव या चिंता शारीरिक ऊर्जा को बाधित करता है तो हमारा शरीर बीमार होता जाता है। रिफ्लेक्सोलॉजी इसी शारीरिक ऊर्जा को सुचारु रूप से प्रवाहित करने में मदद करता है। जिससे हमारे शरीर से बीमारियां दूर रहती हैं। इस चायनीज थेरिपी में शरीर के विभिन्न अंगों पर प्रेशर देकर स्ट्रेस को दूर किया जाता है। ची थ्योरी में इस बात पर विश्वास किया जाता है कि जब शरीर या पैरों की मसाज की जाती है तो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति का शरीर टच होता है, जिससे एक व्यक्ति की शारीरिक ऊर्जा दूसरे व्यक्ति में ट्रांसफर होती है।
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अन्य थ्योरीज
1890 के दशक में एक ब्रिटिश वैज्ञानिक ने पाया कि हमारी नर्व्स हमारी त्वचा और आंतरिक अंगों से जुड़ी होती हैं। सिर्फ छूने भर से ही हमारे शरीर का नर्वस सिस्टम बाहरी फैक्टर्स के प्रति रिएक्ट करना शुरू कर देता है। एक रिफ्लेक्सोलॉजिस्ट जब हमारे शरीर के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को छूता है तो नर्वस सिस्टम हमारे शरीर को शांत करता है।
इसके अलावा दूसरी थ्योरी में ये बात बताई गई है कि ब्रेन से ही हमें शरीर में दर्द का पता चलता है। वहीं, ब्रेन ही मानसिक दर्द यानी कि स्ट्रेस और तनाव का कारण भी होता है। इसलिए मसाज हमारे ब्रेन को शांत करती है और तनाव से राहत दिलाती है।
एक जोन थ्योरी है, जिसमें यह कहा गया है कि हमारे शरीर में 10 वर्टिकल जोन होते हैं। हर जोन से हाथों और पैरों की उंगलियों का संबंध होता है। अगर हम हर जोन पर प्रेशर देते हैं तो इससे हमारे शरीर के सभी अंग रिलैक्स होंगे।
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रिफ्लेक्सोलॉजी (Reflexology) का सेशन कितनी देर का होता है?
रिफ्लेक्सोलॉजी का 30 से 60 मिनट तक का सेशन होता है, लेकिन ये मसाज कराने वाले व्यक्ति के स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है कि उसे कितने देर की मसाज की जरूरत है। जब आप रिफ्लेक्सोलॉजिस्ट के पास जाते हैं तो वह पहले आपको आराम से जूते उतार के मसाज टेबल या चेयर पर बैठने के लिए कहते हैं। इसके बाद आपके पैरों को साफ करते हैं फिर आपके पैरों के मुलायम और तनावपूर्ण स्थान को देखते हैं। इसके बाद पहले सिर्फ हाथों से पैरों को सहलाते हैं और हल्का-हल्का दबाते हैं। जिसके बाद कुछ टेक्नीक्स का इस्तेमाल कर के तेल या लोशन की मदद से मसाज किया जाता है। मसाज करने के लिए बॉल, ब्रश और लकड़ी की दानेदार रॉड (dowels) का इस्तेमाल किया जाता है।
रिफ्लेक्सोलॉजी (Reflexology) किन्हें नहीं कराना चाहिए?
सामान्यतः रिफ्लेक्सोलॉजी पूरी तरह से सुरक्षित है, लेकिन ये कुछ लोगों के लिए नहीं होती है। अगर आपको निम्न में से कोई भी समस्या है तो आप अपने रिफ्लेक्सोलॉजिस्ट से एक बार जरूर बात कर लें :
- पैरों की नसों में खून जम गया हो
- पैरों में ब्लड फ्लो को लेकर कोई भी प्रॉब्लम हो
- गाउट
- पैरों में छाले हो
- पैरों में फंगल इंफेक्शन (Fungal infection) हो, जैसे- एथलिट्स फूट
- पैरों में चोट लगी हो
- थायरॉइड (Thyroid) की समस्या हो
- एपिलेप्सी (Epilepsy)
- लो ब्लड प्लेटलेट्स या ब्लड से जुड़ी कोई भी समस्या हो, जिसमें आपके त्वचा में जल्दी से खून के निशान या खून बहने लगे।
अगर कोई गर्भवती महिला है तो उसे एक बार रिफ्लेक्सोलॉजिस्ट से मिलना चाहिए। मसाज के दौरान कई बार ऐसा होता है कि पैरों में ऐसी जगहों पर प्रेशर दे दिया जाता है जिससे गर्भवती को परेशानी का सामना करना पड़ सकता। अगर आप मसाज को लेबर पेन को कम करने के लिए कराना चाहती हैं तो सिर्फ डॉक्टर के परामर्श पर ही करें। क्योंकि इससे कभी-कभी प्रीमेच्योर बर्थ होने का खतरा बढ़ जाता है। बच्चा नौ महीने से पहले ही जन्म ले सकता है।
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पैरों की मसाज (Leg massage) करने के तरीके क्या हैं?
रिलैक्सेशन एक्सरसाइज
- पूरे पैरों की मालिश करें, पहले पैर के अंगूठे के पास से शुरुआत करें फिर धीरे-धीरे नीचे एड़ी की तरफ आएं। ऐसा लगभग 30 सेकेंड तक करें।
- इसके बाद हाथ आप अपनी हथेली को पूरा खोल लें। इसके बाद हथेली से पैर के तलवे के बीचों-बीच हथेली से दबाव बनाएं।
- इसके बाद धीरे-धीरे हथेली को पैर के तलवे पर घूमाते रहें। एक तरह से ये रिलैक्सेशन एक्सरसाइज (Relaxation exercise) की तरह काम करता है। ऐसा दोनों पैरों में लगभग 10 मिनटों तक करें।
थंब वॉकिंग
- थंब वॉकिंग (Thumb walking) में पहले अपने हाथों के अंगूठे को पैरों के एड़ी की तरफ ले जाएं। इसके बाद अंगूठे से एड़ी पर प्रेशर बनाते रहें।
- इस तरह से पैरों के किनारों पर अंगूठे से दबाव बनाते हुए पैर के अंगूठे तक आएं।
- इस प्रक्रिया को पैरों के चारों तरफ करें। जिससे पैरों में होने वाले दर्द के साथ ही आपको रिलैक्स महसूस होगा।
रोटेट थंब
- रोटेट थंब अंगूठे को मूव करके किया जाता है। इससे पैरों की हड्डियां (Bone) और जोड़ों मे खिंचाव होता है। जिससे पैरों के दर्द (Leg pain) से राहत मिलती है। सबसे पहले पैर को दोनों हाथों में पकड़ें, फिर दोनों हाथों के अंगूठे को पैर के तलवे के बीच में रखें।
- इसके बाद हाथ के अंगूठों के तलवों के बीचो-बीच अंगूठे को घूमाते रहें। ऐसा गोलाकार में करें।
- इस प्रक्रिया को लगभग 10 मिनट तक प्रत्येक पैर में एड़ी से लेकर पैरों की उंगलियों तक करें।
पैरों के अंगूठे के स्टीम्यूलेट मेरिडियन प्वॉइंट्स
- हमारे पैर की बीच वाली उंगली को छोड़कर सभी उंगलियों में कई मेरिडियन प्वॉइंट्स होते हैं। जो पेट, लिवर (Liver), ब्लैडर (Bldder) आदि से जुड़े रहते हैं। इन पर प्रेशर बनाने से शरीर के इन अंगों में समस्या से राहत मिल सकती हैं।
- इस विधि से पैरों की मसाज करने के लिए पैरों की उंगलियों के नाखूनों के ठीक नीचे की त्वचा पर हाथों की उंगलियों से दबाव देना पड़ता है।
- इसके साथ ही आप अपने हाथ की उंगली को एक ही जगह पर रख कर क्लॉक वाइज और एंटी क्लॉक वाइज घुमाएं। ऐसा बारी-बारी से सभी उंगलियों में करें।
थंब वॉक ऑन चेस्ट एरिया
अगर हम अपने पैरों को शरीर की तरह हिस्से में बांटें तो पैरों की उंगलियां हमारे सिर के लिए हो गई। इसक बाद उंगलियों के ठीक नीचे का हिस्सा चेस्ट या सीने का भाग हो गया। पैर के ठीक बीच का हिस्सा कमर का हिस्सा हो गया और एड़ी का हिस्सा कमर के नीचे का हिस्सा यानी कि पेल्विक क्षेत्र है। इस आधार पर पैरौं की मसाज करते समय हाथों के अंगूठे से आप पैर के चेस्ट वाले हिस्से पर प्रेशर दे कर दबाएं।
फिस्ट प्रेशर
- इस तरह के पैरों की मसाज में सबसे पहले पैर को एक हाथ से पकड़ें।
- दूसरे हाथ की मुट्ठी बनाएं, फिर पैर के तलवे पर रखें और पैर के विरुद्ध प्रेशर देना शुरू करें।
- इस मुट्ठी से प्रेशर को पूरे पैर पर धीरे-धीरे दें।
- इस प्रक्रिया को लगभग 10 मिनट तक करते रहें। इसके अलावा आप चाहें तो हार्ड बॉल की मदद से भी कर सकते हैं।
रिफ्लेक्सोलॉजी (Reflexology) के बाद क्या होता है?
जैसा कि पहले ही बताया गया है कि रिफ्लेक्सोलॉजी को अगर रिलैक्सोलॉजी कहा जाए तो गलत नहीं होगा। इसमें पैरों और हाथ की मसाज के बाद हमें बहुत रिलैक्स फील होता है और हमारा मन शांत हो जाता है। इसके अलावा मसाज के दौरान कुछ लोगों को नींद भी आती है।
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