क्या आप जानते हैं कि अगर आपका बच्चा छाती में दर्द की शिकायत करता है, तो इसका एक कारण हार्टबर्न भी हो सकता है। कई लोग ऐसा सोचते हैं कि हार्टबर्न की समस्या केवल वयस्कों को होती है, लेकिन ऐसा नहीं है। बच्चों को भी यह परेशानी हो सकती है। हार्टबर्न के कारण ब्रेस्टबोन के पीछे जलन अनुभव होती है। हालांकि, इस समस्या का संबंध हार्ट से नहीं होता। यह रोग पूरी तरह से पेट और अन्नप्रणाली (Esophagus) से संबंधित है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से एक है बच्चों का खराब खानपान। आज हम बच्चों में हार्टबर्न (Heartburn in Children) के बारे में बात करने वाले हैं। आइए जानते हैं बच्चों में हार्टबर्न (Heartburn in Children) के बारे में विस्तार से।
बच्चों में हार्टबर्न क्या है? (Heartburn in Children)
बच्चों की अन्नप्रणाली में कमजोर और रिलेक्सड मसल, स्टमक एसिड के अन्नप्रणाली में लीक होने का कारण बन सकता है। इस रोग को एसिड रिफ्लक्स (Acid reflux) कहा जाता है और यह समस्या बच्चों में हार्टबर्न (Heartburn in Children) के रूप में विकसित हो सकती है। अगर इस एसिड के कारण बच्चे की अन्नप्रणाली को अधिक नुकसान होते हैं, तो उसे गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज (Gastroesophageal reflux disease) कहा जाता है। इस समस्या के कारण बच्चे छाती में जलन का अनुभव करते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि 3 से 9 साल के दो प्रतिशत बच्चों और 10 से 17 साल तक के पांच प्रतिशत बच्चों में यह समस्या देखने को मिलती है। हालांकि, इसके लक्षण बचपन में ही नजर आने शुरू हो जाते हैं। आइए जानते हैं इसके कारणों के बारे में।
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बच्चों में हार्टबर्न के कारण क्या हैं? (Causes of Heartburn in Children)
बच्चों में हार्टबर्न (Heartburn in Children) आमतौर पर गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफ्लक्स डिजीज (Gastroesophageal reflux disease) का लक्षण है। यह वो स्थिति है जिसमें स्टमक एसिड अन्नप्रणाली तक पहुंच जाता है। अगर बात करें अन्नप्रणाली की तो यह वो ट्यूब है जो मुंह को पेट से कनेक्ट करती है। अन्नप्रणाली के बॉटम में एक मसल होती है, जिसे लोअर एसोफिजिअल स्फिंकटर (Lower esophageal sphincter) कहते है। यह मसल एसिड को पेट में रखने का काम करती है। लेकिन, अगर यह मसल बहुत अधिक रिलेक्स हो जाती है, तो एसिड अन्नप्रणाली तक पहुंच जाता है और हार्टबर्न का कारण बन सकता है। बच्चों में हार्टबर्न (Heartburn in Children) के कारण इस प्रकार हैं:
- हियाटल हर्निया (Hiatal hernia)
- मोटापा या ओवरवेट होना (Obesity and Overweight)
- दवाईयां जैसे अस्थमा मेडिसिन्स (Asthma medicines),एंटीहिस्टामिनेस (Antihistamines), पैन रिलीवर (Pain Reliver) आदि
- सेकेंडहैंड स्मोकिंग (Secondhand smoking)
- अन्नप्रणाली या ऊपरी एब्डोमेन की सर्जरी (Esophagus or upper abdomen surgery)
- सीवियर डेवलपमेंटल डिले (Severe developmental delay)
- कुछ खास न्यूरोलॉजिकल कंडिशंस जैसे सेरेब्रल पाल्सी (Cerebral Palsy)
- ख़राब खानपान जैसे अधिक जंकफूड आदि का सेवन (Poor Diet)
यह तो थे इस समस्या के कुछ कारण। अब जानते हैं कि बच्चों में हार्टबर्न (Heartburn in Children) के लक्षण क्या हो सकते हैं?
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बच्चों में हार्टबर्न के लक्षण (Symptoms of Heartburn in Children)
बच्चों में हार्टबर्न (Heartburn in Children) के क्या लक्षण होते हैं, इस बारे में आपको जानकारी होना बेहद जरूरी है। क्योंकि, इसका कोई भी लक्षण नजर आने पर तुरंत मेडिकल हेल्प की आवश्यकता हो सकती है। यही नहीं, डॉक्टर इस बात का निदान में आपकी मदद कर सकते हैं कि आपके बच्चे को हार्टबर्न है या कोई और समस्या। बच्चों में इस समस्या के सामान्य लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
- छाती और गर्दन में जलन जैसी फीलिंग होना (Burning in chest and neck)
- छाती में दर्द (Pain in chest)
- खांसी जो ठीक न हो रही हो (Cough)
- बच्चे का बैचेन होना (Restlessness)
- निगलने में समस्या (Trouble swallowing)
- कम खाना (Eat less)
- गले में खराश (Sore Throat)
- उल्टी आना (Vomiting)
- व्हीजिंग (Wheezing)
- बच्चे का कुछ भी खाने में आनाकानी करना (Refusal to eat anything)
- फीडिंग के बाद या दौरान रोना (Crying after or during feeding)
इस बात को ध्यान में रखें कि इस समस्या में नजर आने वाले लक्षण अन्य हेल्थ कंडिशंस के समान भी हो सकते हैं। इसलिए जरूरी नहीं है कि यह परेशानियां केवल हार्टबर्न में ही हों। अब जानिए, जैसे किया जा सकता है बच्चों में हार्टबर्न (Heartburn in Children) की परेशानी का निदान?
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बच्चों में हार्टबर्न का निदान कैसे किया जा सकता है? (Diagnosis of Heartburn in Children)
छोटे बच्चों में इस समस्या का निदान करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि छोटे बच्चें इन लक्षणों के बारे में बता नहीं पाते हैं। वो छाती की जगह को पेट में दर्द का अनुभव भी कर सकते हैं। अगर आपके बच्चे में इसके लक्षण नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर को बताएं। इसके निदान के लिए डॉक्टर बच्चों में इसके लक्षणों के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही वो आपको कुछ टेस्ट्स कराने के लिए भी कह सकते हैं, जैसे:
- अपर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (Upper GI): इस टेस्ट में बच्चे को एक लिक्विड पीने के लिए दिया जाता है, जिसमें बेरियम होता है। इसके बाद अन्नप्रणाली, पेट और इंटेस्टाइन के हिस्सों का एक्स-रे लिया जाता है।
- एंडोस्कोपी (Endoscopy): इस टेस्ट में बच्चे को सेडेटिव दिया जाता है और एंडोस्कोप को मुंह के माध्यम से अन्नप्रणाली और पेट तक पहुंचाया जाता है। इससे डॉक्टर को इन एरियाज के बारे में पता चलता है और जरूरत पड़ने पर वो यहां के टिश्यू का सैंपल भी ले सकते हैं।
- इसोफेजियल pH प्रोब (Esophageal pH probe): इस टेस्ट में डॉक्टर बच्चे की नाक और अन्नप्रणाली में एक पतली फ्लेक्सिबल ट्यूब इंसर्ट करते हैं। ताकि, अन्नप्रणाली में एसिड लेवल्स को टेस्ट किया जा सके। इसके अलावा डॉक्टर गैस्ट्रिक एम्प्टयिंग स्टडी (Gastric emptying study) की सलाह भी दे सकते हैं। बच्चे की स्थिति और रोग की गंभीरता के अनुसार अन्य टेस्ट्स की सलाह भी दी जा सकती है। निदान के बाद इस समस्या के उपचार के तरीकों को निर्धारित किया जाता है। जानिए बच्चों में हार्टबर्न (Heartburn in Children) का उपचार कैसे किया जा सकता है?
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बच्चों में हार्टबर्न का उपचार (Treatment of Heartburn in Children)
बच्चों में हार्टबर्न (Heartburn in Children) का उपचार उसकी उम्र और हार्टबर्न के कारणों पर निर्भर करता है। हालांकि, समय के साथ यह समस्या खुद ठीक हो जाती है। लेकिन, नवजात शिशुओं में इसका उपचार बेहद मुश्किल हो सकता है। इसके लिए कुछ दवाईयों की सलाह भी दी जा सकती हैं, जो इस प्रकार हैं:
मेडिसिंस (Medicines)
दवाईयों को उस तरह के हार्टबर्न की समस्या के लिए एक प्रभावी ट्रीटमेंट माना जाता है, जो खुद से ठीक नहीं होती है। लेकिन, इन दवाईयों का प्रयोग शुरुआती उपचार के रूप में नहीं करना चाहिए।हार्टबर्न के लिए दी जाने वाली यह दवाईयां इस प्रकार हैं:
- H2 ब्लॉकर्स (H2 blockers) जैसे पेप्सीड (Pepcid), टैगामेट (Tagamet) आदि
- प्रोटोन पंप इनहिबिटर्स (Proton pump inhibitors) जैसे डेक्सिलेंट (Dexilant) नेक्सियम (Nexium) आदि
यह दोनों तरह की दवाईयां पेट के एसिड के बनने की मात्रा को कम करती हैं। ताकि, अन्नप्रणाली में एसिड की मात्रा कम हो सके।
सर्जरी (Surgery)
बहुत ही दुर्लभ मामलों में बच्चों में हार्टबर्न (Heartburn in Children) की समस्या होने पर सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। इसकी जरूरत उन बच्चों को पड़ती है, जिन पर अन्य उपचारों का खास असर नहीं होता। ऐसे बच्चे जिन्हें ब्रीदिंग प्रॉब्लम, निमोनिया या अन्य समस्याएं हों, उन्हें भी सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। इस प्रक्रिया को फंडॉप्लिकेशन (Fundoplication) कहा जाता है। लेकिन, इस सर्जरी के साथ कुछ रिस्क्स भी जुड़े हुए हैं। ऐसे में, इस सर्जरी से पहले डॉक्टर की सलाह जरूरी है। ताकि, वो यह निर्धारित कर पाएं कि यह आपके बच्चे के लिए बेहतरीन उपचार है या नहीं।
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अन्य तरीके (Other Ways)
बच्चों में लगातार हार्टबर्न से राहत पाने के तरीकों में इन्हें भी शामिल किया जा सकता है:
- बच्चे को पूरे दिन में दो-तीन बार अधिक मात्रा में आहार देने की जगह थोड़ी-थोड़ी देर के बाद कम मात्रा में खिलाएं।
- सोने से पहले अपने बच्चे को दो या तीन घंटे में कुछ भी खाने को न दें।
- बच्चे को कैफीन, मसालेदार और तला हुआ आहार देने से बचें।
- अपने बच्चे को नियमित शारीरिक रूप से एक्टिव रहने के लिए प्रेरित करें।
- मेडलाइनप्लस के अनुसार हाय फैट फ़ूड (High Fat Food) का सेवन कम करने से भी इस समस्या से राहत पाई जा सकती है। अगर इनके बाद भी उसमें हार्टबर्न के लक्षण नजर आते हैं तो दवाईयों की जरूरत हो सकती है।
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यह तो थी बच्चों में हार्टबर्न (Heartburn in Children) के बारे में जानकारी। अधिकतर मामलों में अगर नवजात शिशुओं में यह समस्या है, तो वो कुछ महीनों में खुद ही ठीक हो जाती है। लेकिन, अगर बच्चों में हार्टबर्न या गैस्ट्रोइसोफेजीयल रिफ्लक्स डिजीज (Gastroesophageal reflux disease) की
तकलीफ अधिक हो या इससे उनका रोजाना का जीवन प्रभावित हो रहा हो, तो सही उपचार जरूरी है। इसके अलावा माता-पिता और प्रभावित बच्चे दोनों को कई चीजों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे सही आहार का सेवन, शारीरिक रूप से एक्टिव रहना आदि। इस समस्या के बारे में आप अधिक जानकारी चाहते हैं, तो अपने बच्चे के डॉक्टर से अवश्य बात करें।
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