गर्भावस्था में गर्भवती महिला के पौष्टिक आहार का विशेष ध्यान रखा जाता है। गर्भवती आहार न सिर्फ मां की सेहत बल्कि गर्भ में भी पल रहे बच्चे के लिए भी स्वस्थ सेहत की निशानी है। स्वस्थ सेहत के लिए वैसे तो गर्भवती महिला का कई तरह से ख्याल रखा जाता है जिनमे गर्भवती आहार सबसे पहले नंबर पर है। प्रेगनेंसी डायट चार्ट में पोषक खाद्य पदार्थों को शामिल करने के साथ ही साबूदाना के इस्तेमाल की भी सलाह दी जाती है। “हैलो स्वास्थ्य’ के इस आर्टिकल में जानते हैं प्रेगनेंसी आहार के बारे में-
प्रेग्नेंसी में साबूदाना खाना
साबूदाना – साबूदाने में कार्बोहाइड्रेट और स्टार्च सही अनुपात में होता है जो शरीर के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं साबूदाने की खासियत भी है की, यह आसानी से पच (डाइजेस्ट) जाता है। इसमें मौजूद कैलोरीज, प्रोटीन, कार्ब्स, फाइबर और जिंक गर्भवती महिला को पूर्ण पोषक तत्व देते है। ज्यादातर महिला फैट फ्री फूड प्रोडक्ट (fat free food product) का उपयोग करती हैं ऐसे में, गर्भावस्था के दौरान साबूदाने का सेवन जरूर करना चाहिए क्यूंकि इसमें फैट की मात्रा 1 ग्राम से भी कम होता है।
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साबूदाना के फायदे:
गर्भवती आहार में साबूदाना शामिल करने से कई लाभ मिलते हैं जैसे-
- कार्बोहाइड्रेट शरीर में ऊर्जा का मुख्य श्रोत है, इसलिए प्रेग्नेंसी आहार में साबूदाने के सही मात्रा में सेवन करने से गर्भवती महिला को कमजोरी नहीं होगी। साबूदाने से बने खाद्य पदार्थों के साथ सुबह की शुरुआत गर्भवती महिला को पूरा दिन ऊर्जा प्रदान करता है।
- साबूदाना पाचन तंत्र पर अच्छा प्रभाव डालता है, और आपके पाचन में सुधार करने में मदद करता है और कब्ज की समस्या से बचाता है। ज्यादातर महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कब्ज की शिकायत होती है। इसलिए प्रेग्नेंसी आहार में साबूदाना खाना हेल्दी होता है।
- सही मात्रा में किया गया साबूदाना शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के साथ ही थकान भी दूर करता है।
- साबूदाने में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट होते है जो हार्ट को स्वस्थ रखने में मदद करते है, ऐसे में गर्भवती महिला के साथ-साथ गर्भ में पल रहे भ्रूण के हृदय के लिए लाभकारी होता है।
- इसमें मौजूद पोषक तत्व ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करने में सहायक होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान अगर ब्लड प्रेशर की समस्या आ रही है तो साबूदाने के सेवन से फायदा मिलता है।
- कुछ गर्भवती महिलाओं का वजन कम होता है इसलिए 9 महीने में सही मात्रा में साबूदाना खाने से वजन बढ़ाया जा सकता है।
- साबूदाने में मौजूद कैल्शियम, आयरन और विटामिन-के गर्भवती महिला को स्वस्थ रखने के साथ-साथ हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसके सेवन से गर्भ में पल रहे बच्चे की भी हड्डियां स्ट्रांग हो सकती है।
- ऐसा नहीं है कि साबूदाने को सिर्फ 9 महीने तक ही पौष्टिक आहार के तौर पर खाना चाहिए बल्कि, बच्चे के जन्म के बाद भी साबूदाने का सेवन स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। साबूदाने में मौजूद पौष्टिक तत्व स्तनपान कर रहे बच्चे को भी हेल्थी रखने में मददगार साबित होंगे।
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गर्भवती आहार में शामिल किए जाने वाले अन्य खाद्य पदार्थ
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की आवश्यकता काफी बढ़ जाती है। इसके लिए महिला को अपने डायट चार्ट में नीचे बताए गए खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए। जैसे-
अंडे
अंडा प्रोटीन, विटामिन और मिनरल्स का एक अच्छा सोर्स माना जाता है। गर्भावस्था आहार में इसे शामिल करना शिशु के विकास के लिए अच्छा माना जाता हैं। अंडे को ऑमलेट, हाफ फ्राई या बॉयल्ड एग (boiled egg) के रूप में डायट चार्ट शामिल में कर सकती हैं। लेकिन, ध्यान दें अंडे कच्चे या अधपके न रहें।
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साबुत अनाज
साबुत अनाज फाइबर से भरपूर होते हैं और इसलिए इनसे पेट भर जाता है। इनका इस्तेमाल गर्भावस्था के दौरान महत्वपूर्ण है। प्रेग्नेंट महिलाओं को ऐसे अनाजों का चुनाव करना चाहिए जिनमें फाइबर और फॉलिक एसिड की मात्रा ज्यादा होती है।
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केला
गर्भवती आहार में केले को जरूर शामिल करें। यह फॉलिक एसिड, पोटेशियम, विटामिन बी 6 और कैल्शियम का एक अच्छा स्रोत है। गर्भावस्था के दौरान विटामिन बी की कमी को पूरा करने के लिए यह फल अच्छा माना जाता है।
ब्रोकोली
ब्रोकोली विटामिन ए, सी, के फॉलेट, पोटेशियम और आयरन से भरपूर होती है। ब्रोकोली में एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं और इम्युनिटी को मजबूत करने में भी मददगार होती है। जो गर्भवती महिलाएं अक्सर ब्रोकोली का सेवन करती हैं, उनके बच्चों का जन्म के समय वजन कम होने की संभावना कम होती है।
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वसा-रहित दूध
गर्भ में पल रहे शिशु की वृद्धि और विकास के लिए कैल्शियम आवश्यक होता है। वसा-रहित दूध गर्भवती महिला को सभी आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराता है और फैट फ्री दूध अनावश्यक वजन बढ़ने से भी रोकता है ।
बीन्स
बीन्स, प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होते हैं, उनमें मौजूद उच्च मात्रा में पोटेशियम और मैग्नीशियम गर्भवती महिलाओं के लिए भी उपयोगी होता है। प्रेग्नेंट महिलाओं को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उनमें से एक हैं कब्ज। बीन्स की सहायता से कब्ज की समस्या को खत्म किया जा सकता है।
गर्भवती आहार के बारे में डॉक्टर से सलाह लें, अगर:
- आप पूरे वेजीटेरियन (शाकाहारी) हैं,
- महिला को गर्भावधि मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) है,
- यदि एनीमिया है,
- आपको थायरॉइड से जुड़ी समस्याएं हैं,
- महिला को उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) है,
- आपने पहले कम वजन वाले शिशु को जन्म दिया है।
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नोट- विटामिन और मिनरल्स की बहुत अधिक मात्रा लेना शिशु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। ऊपर बताई गई इन स्थितियों में गर्भवती महिला आहार में अतिरिक्त विटामिन और मिनरल की जरूरत हो सकती है। इसके लिए स्पेशल प्रेगनेंसी डाइट चार्ट की जरूरत पड़ सकती है। इस बारे में डॉक्टर या डायटीशियन से सलाह लें।
प्रेगनेंसी में अतिरिक्त पोषक तत्वों की आवश्यकता गर्भवती महिला के शरीर और गर्भ में पल रहे शिशु को आवश्यक पोषण प्रदान करने के लिए होती है। इन पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए गर्भवती आहार में पोषक तत्वों से भरपूर फल और सब्जियों को शामिल किया जाना चाहिए। गर्भवती महिला अपनी उम्र और वजन के अनुसार और विशेषज्ञों द्वारा दी गई राय के अनुसार रोजाना सही मात्रा में ऊपर बताए गए फूड्स को गर्भवती आहार में शामिल करना चाहिए। इससे गर्भवती आहार के फायदे शिशु और मां दोनों को ही मिलते हैं।
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