कैंसर एब्नार्मल सेल्स के अनियंत्रित रूप से बढ़ने और बॉडी टिश्यूज के नष्ट होने के कारण होने वाली बीमारी है। ब्लड कैंसर के एक प्रकार को ल्यूकेमिया (Leukemia) कहा जाता है यह शरीर के खून बनाने वाले टिश्यूज का कैंसर है। ल्यूकेमिया भी कई प्रकार का होता है। इसके उपचार के लिए भी विभिन्न तरीके अपनाएं जाते हैं। उन्हीं में से एक है कार-टी सेल थेरिपी (CAR-T Cell Therapy)। आज हम आपको इस कार-टी सेल थेरिपी (CAR-T Cell Therapy) के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिसे कैमेरिक एंटीजन रिसेप्टर टी-सेल थेरिपी (Chimeric Antigen Receptor T-Cell Therapy) भी कहा जाता है। सबसे पहले जान लेते हैं कि ल्यूकेमिया क्या है?
ल्यूकेमिया के बारे में जानें? (Leukemia)
ल्यूकेमिया ब्लड सेल्स का कैंसर है। ब्लड सेल्स की अनेक केटेगरीज हैं, जिनमें रेड ब्लड सेल्स (Red Blood Cells), व्हाइट ब्लड सेल (White Blood Cells) और प्लेटलेट्स (Platelets) आदि शामिल हैं। आमतौर पर ल्यूकेमिया को व्हाइट ब्लड सेल (White Blood Cells) का कैंसर कहा जाता है। व्हाइट ब्लड सेल (White Blood Cells) हमारे इम्यून सिस्टम का वह खास हिस्सा हैं, जो हमारे शरीर को कई हानिकारक तत्वों से बचाता है, लेकिन ल्यूकेमिया में यह ब्लड सेल्स वैसे काम नहीं कर पातीं, जैसे उन्हें करना चाहिए। ल्यूकेमिया के लक्षण इस प्रकार हैं:
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- रात को अत्यधिक पसीना आना (Excessive Sweating)
- थकावट और कमजोरी (Fatigue and Weakness)
- अचानक वजन का कम होना (Unintentional Weight Loss)
- हड्डियों में दर्द और नरमी (Bone Pain and Tenderness)
- लीवर और स्प्लीन की एंलार्जेमेंट (Enlargement of Liver or Spleen)
- स्किन में लाल स्पॉट्स (Red Spots on Skin)
- आसानी से ब्लीडिंग या नील पड़ना (Bleeding and Bruising Easily)
- बुखार या ठंड लगना (Fever or Chills)
- लगातार इंफेक्शन (Frequent Infections)
ल्यूकेमिया के कारण अन्य अंगों में भी लक्षण पैदा हो सकते हैं। जैसे सेंट्रल नर्वस सिस्टम में भी यह कैंसर फैल सकता है। जिसके कारण सिरदर्द, जी मचलना या उलटी आदि समस्याएं हो सकती हैं। ल्यूकेमिया के उपचार के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं उन्हीं जैसे कीमोथेरिपी (Chemotherapy), रेडिएशन थेरिपी (Radiation), टार्गेटेड थेरिपी (Targeted therapy) और इम्यूनोथेरिपी (Immunotherapy)। जानिए,इम्यूनोथेरिपी के बारे में।
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इम्यूनोथेरिपी क्या है?(Immunotherapy)
इम्यूनोथेरिपी को बायोलॉजिकल थेरिपी भी कहा जाता है, जो हमारे इम्यून सिस्टम के कैंसर सेल्स को ढूंढने और उन पर अटैक करने में मदद करती है। यह उपचार का वो तरीका है जिससे शरीर के इम्यून सिस्टम की कैंसर सेल्स को ढूंढने और नष्ट करने की क्षमता बढ़ती है। इम्यून सेल्स और एंटीबॉडीज को लेबोरेटरी में बनाया जा सकता है और उसके बाद कैंसर के रोगी इनका उपयोग कर सकते हैं। ऐसी कई तरह की इम्यूनोथेरिपीज हैं जिन्हें प्रयोग करने के लिए अप्रूव किया गया है। आज हम इम्यूनोथेरेपी के एक प्रकार कार-टी सेल थेरिपी (CAR-T Cell Therapy) के बारे में बात करेंगे। जानिए इसके बारे में:
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कार-टी सेल थेरिपी क्या है? (CAR-T Cell Therapy)
कार-टी सेल थेरिपी (CAR-T Cell Therapy) इम्यूनोथेरिपी का एक प्रकार है, इसमें खास टी सेल्स का प्रयोग किया जाता है। यह टी सेल्स इम्यून सिस्टम का एक भाग हैं, ताकि कैंसर से लड़ा जा सके। इसके लिए रोगी के खून से टी सेल्स का नमूना लिया जाता है और उसके बाद खास स्ट्रक्चर को बनाने के लिए इसे मॉडिफाइड किया जाता है। जिन्हें कैमेरिक एंटीजन रिसेप्टर्स (Chimeric Antigen Receptors) कहा जाता है। जब कार-टी सेल (CAR-T Cell) को रोगी में फिर से इंसर्ट किया जाता है , तो नए रिसेप्टर्स उन्हें रोगी की ट्यूमर कोशिकाओं के एक खास एंटीजन पर अटैक करने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम बनाते हैं।
डॉक्टर इस थेरिपी का प्रयोग तब भी कर सकते हैं, जब कीमोथेरिपी का कोई प्रभाव नहीं होता या रोगी को कैंसर फिर से हो जाए। कैंसर रोगियों के लिए प्रूवन थेराप्यूटिक पोटेंशियल (Proven Therapeutic Potential ) के बावजूद, यह कार-टी सेल थेरिपी (CAR-T Cell Therapy) अभी भारत में उपलब्ध नहीं है। एक मरीज की कार-टी सेल थेरिपी (CAR-T Cell Therapy) की कीमत 3-4 करोड़ रुपय है। इसलिए, भारत में इस थेरिपी से जुड़ी चुनौती न केवल बड़े पैमाने पर टेक्नोलॉजी को विकसित करने में है बल्कि लागत को कम करने में भी है।
फ़ूड और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (Food and Drug Administration) ने अन्य देशों में कार-टी सेल थेरिपी (CAR-T Cell Therapy) को अप्रूव किया गया है। लेकिन, इन दवाओं के सेवन की सलाह हैलो स्वास्थ्य आपको नहीं देता है। इन दवाईयों का सेवन डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए। इन दवाईयों का प्रयोग कुछ खास स्थितियों में ही किया जाता है। पाएं, इनके बारे में विस्तृत जानकारी:
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ब्रीयान्जी (Breyanzi)
ब्रीयान्ज़ी का प्रयोग वयस्कों में बी-सेल लिम्फोमा (B-Cells Lymphoma) के फिर से होने की स्थिति में किया जा सकता है। इसका प्रयोग आमतौर पर तब किया जाता है जब मरीज पर पिछले दो उपचार काम न कर रहे हों। ब्रीयान्ज़ी को मरीज के वाइट ब्लड सेल्स से बनाया जाता है। रोगी के लिंफोमा सेल्स को पहचानने और उन पर हमला करने के लिए कोशिकाओं को जेनेटिकली मोडिफाइड किया जाता है। इसके कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं जैसे थकावट, सांस लेने में समस्या, बुखार , बैचैनी, बोलने में समस्या, गंभीर जी मचलना, उलटी होना, डायरिया , सिरदर्द ,सूजन, तेज हार्टबीट आदि। अगर आपको इस दवाई के बारे में कोई भी जानकारी चाहिए तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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टेकार्टस (Tecartus)
टेकार्टस का जेनेरिक नाम ब्रेक्सुकैबटाजीन ऑटोल्यूसेल (Brexucabtagene Autoleucel) है और यह जेनेटिकली मोडिफाइड टी-सेल इम्यूनोथेरिपी दवाई (Modified T-Cell Immunotherapy Medicine) है। इस दवाई को वयस्कों में मेंटल सेल लिम्फोमा (Mantle Cell Lymphoma) के उपचार के लिए किया जा सकता है। यह दवाई तब भी दी जाती है जब अन्य कोई उपचार काम नहीं कर रहा हो। टेकार्टस को खून से निकाली गई व्हाइट ब्लड सेल्स का उपयोग करके बनाया जाता है, जिन्हें रोगी के शरीर से एक नस के माध्यम से निकाला जाता है। इस दवाई के साइड इफेक्ट को साइटोकाइन रिलीज सिंड्रोम (Cytokine Release Syndrome) कहा जाता है। जिसके कारण बुखार, सांस लेने में समस्या, उल्टी या अन्य लक्षण हो सकते हैं। यह दवाई आपके लिए सुरक्षित है या नहीं इसके बारे में जानने के लिए डॉक्टर की सलाह जरूरी है।
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किमरियाह (Kymriah)
किमरियाह वो इम्यूनोथेरिपी की दवाई है जिसका प्रयोग उन लोगों में किया जा सकता है, जिसकी उम्र 25 साल से कम हो और जो एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (Acute Lymphoblastic Leukemia) से पीड़ित हों। किमरिया का उपयोग लार्ज बी-सेल लिंफोमा (Large B-Cells Lymphoma) वाले कुछ वयस्क रोगियों के इलाज के लिए भी किया जा सकता है। इस दवाई का गंभीर साइड इफेक्ट है साइटोकाइन रिलीज़ सिंड्रोम (Cytokine Release Syndrome) जिसके कारण बुखार, ठंड लगना, सांस लेने में समस्या आदि हो सकती हैं। इस दवाई के प्रयोग से खतरनाक नर्व प्रॉब्लम भी हो सकती हैं। इसलिए डॉक्टर की सलाह के बिना इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
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यसकार्टा (Yescarta)
यसकार्टा वो इम्यूनोथेरिपी मेडिसिन है, जिसका प्रयोग लार्ज बी-सेल लिम्फोमा (B-cell lymphoma) या फॉलिक्युलर लिंफोमा (Follicular Lymphoma) की स्थिति में किया जा सकता है। इसके अलावा अन्य स्थितियों में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है, जब बाकी उपचार काम नहीं करते हैं। इसका जेनेरिक नाम एक्सिकैब्टेगीन सिलोलेसेल (Axicabtagene Ciloleucel) है। इस दवाई को वाइट ब्लड सेल्स (White Blood Cells) से बनाया जाता, है जिसे शरीर की माध्यम से निकाले गए खून से रिमूव किया जाता है। इसके कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं जैसे सांस लेने में समस्या, ठंड लगना, उल्टी आना, बुखार आदि। इसके कुछ गंभीर साइड-इफेक्ट भी हो सकते हैं। ऐसे में अगर आपको कोई भी गंभीर लक्षण जैसे बोलने में समस्या, सीज़र्स आदि महसूस होते हैं तो मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए।
ल्यूकेमिया में प्रयोग होने वाली कार-टी सेल थेरिपी (CAR-T Cell Therapy) की ड्रग्स का प्रयोग अपनी मर्जी से नहीं करना चाहिए। इन्हें लेने से पहले डॉक्टर की सलाह अनिवार्य है, क्योंकि इसके सेवन से कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इस थेरिपी के कुछ साइड इफेक्ट इस प्रकार हैं:
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कार टी सेल थेरिपी के साइड इफेक्ट (CAR T Cell Therapy Side Effects)
कार टी सेल थेरिपी का सबसे मुख्य साइड इफेक्ट है, साइटोकाइन रिलीज सिंड्रोम (Cytokine Release Syndrome)। इस सिंड्रोम के कारण मरीज को कुछ लक्षण महसूस हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
- जी मचलना (Nausea)
- थकावट (Fatigue)
- सिरदर्द (Headache)
- ठंड लगना (Chills)
- बुखार (Fever)
इसके कारण कुछ गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे:
- ब्लड प्रेशर का लो होना (Low Blood Pressure)
- हार्टबीट का तेज होना (Rapid Heartbeat)
- कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest)
- हार्ट फेलियर (Heart failure)
- किडनी फंक्शन में समस्या (Poor Kidney Function)
- मल्टीपल ऑर्गन फेलियर (Multiple Organ Failure)
इन सब के अलावा भी इस सिंड्रोम के कुछ अन्य साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जो जानलेवा हो सकते हैं। नेशनल इंस्टीटूट्स ऑफ हेल्थ (National Institutes of Health) के अनुसार एक्यूट लिम्फोब्लासटिक ल्यूकेमिया (Acute Lymphoblastic Leukemia) बच्चों में होने वाली सबसे सामान्य समस्या है। कार-टी सेल थेरिपी (CAR-T Cell Therapy) के प्रयोग के बाद के तीस दिन मरीज के लिए एक्यूट रिकवरी पीरियड होता है। इस दौरान मरीज को खास ख्याल रखने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा अगर मरीज को बुखार, इन्फेक्शन या अन्य कोई समस्याएं होती हैं तो तुरंत मेडिकल हेल्प लेने की जरूरत पड़ती है।
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यह तो थी कार-टी सेल थेरिपी (CAR-T Cell Therapy) के बारे में जानकारी। अगर आप ल्यूकेमिया से पीड़ित हैं तो किसी भी दवाई या थेरिपी का प्रयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें। क्योंकि डॉक्टर आपकी मेडिकल कंडीशन के आधार पर ही इस थेरिपी या अन्य उपचार की सलाह दे सकते हैं। डॉक्टर की जांच और सलाह के बिना किसी भी दवाई का सेवन करने से बचें।
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