आर्टेरियोस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis) और एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) दोनों को आमतौर एक ही समस्या मान लिया जाता है हालांकि इन दोनों में भी अंतर है। एथेरोस्क्लेरोसिस की समस्या तब होती है जब वो ब्लड वेसल्स सख्त हो जाते हैं, जो हार्ट से शरीर के अंत हिस्सों तक ऑक्सीजन ले जाते हैं। जिसके कारण ऑर्गन और टिश्यूज तक ब्लड फ्लो होना मुश्किल हो जाता है। एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis), आर्टेरियोस्क्लेरोसिस का ही एक खास प्रकार है। एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) आर्टरी वॉल्स के अंदर और बाहर फैट्स, कोलेस्ट्रॉल और अन्य चीजों के बिल्डअप को कहा जाता है। इस बिल्डअप को प्लाक कहा जाता है। इस प्लाक के कारण आर्टरीज तंग हो जाती हैं। अभी हम आपको जानकारी देने वाले हैं आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार (Types of Arteriosclerosis) के बारे में। आइए जानते हैं कि आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार (Types of Arteriosclerosis) कौन-कौन से हैं और किस तरह से प्रभावित करते हैं हमारे हार्ट को।
आर्टेरियोस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis) क्या है?
आर्टेरियोस्क्लेरोसिस आर्टरीज के सख्त और तंग होने की कंडिशन को कहा जाता है। इसके कारण आर्टरीज में ब्लड फ्लो कम या ब्लॉक हो सकता है। यह समस्या कई घातक बीमारियों की वजह बन सकती है जैसे हार्ट अटैक (Heart Attack), स्ट्रोक (Stroke) आदि। हालांकि, इसका उपचार और बचाव संभव है। आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार (Types of Arteriosclerosis) कितनी तरह के होते हैं, इससे पहले इसके लक्षणों के बारे में जान लेते हैं।
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आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के लक्षण (Symptoms of Arteriosclerosis)
हो सकता है कि रोगी को आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के लक्षण तब तक नजर न आएं। जब तक उनकी आर्टरीज पूरी तरह से क्लोज न हो जाए या रोगी को हार्ट अटैक (Heart Attack) या स्ट्रोक (Stroke) जैसी घातक कंडिशंस का सामना न करना पड़े। इसके लक्षण ब्लड वेसल्स के तंग या ब्लॉक होने पर निर्भर करते हैं। यह लक्षण इस प्रकार हैं:
- असामान्य हार्टबीट (Unusual heartbeat)
- शरीर के ऊपरी हिस्से में दर्द और दबाव जिसे एंजाइना कहा जाता है (Pain or pressure in upper body)
- सांस लेने में समस्या (Shortness of breath)
इसके अलावा इस कंडिशन में कुछ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं, जैसे:
- बाजुओं या टांगों में कमजोरी या इनका सुन्न होना (Weakness or numbness in the arms or legs)
- बोलने से समस्या (Problem speaking)
- दूसरे की बातों को समझने में परेशानी होना (Trouble understanding others)
- पैरालिसिस (Paralysis)
- गंभीर सिरदर्द (Severe headache)
ऊपर बताए लक्षणों के अलावा भी रोगी को कुछ अन्य लक्षण नजर आ सकते हैं। लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है। अब जानते हैं आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार (Types of Arteriosclerosis) कौन से हैं?
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आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार (Types of Arteriosclerosis)
आर्टेरियोस्क्लेरोसिस एक गंभीर समस्या है। जिसके कारण रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। ऐसे में तुरंत इसका उपचार जरूरी है। आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के तीन प्रकार हैं एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis), आर्टेरियोलोस्क्लेरोसिस (Arteriolosclerosis) और मोंकबर्ग मीडियल कैल्सिफिक स्क्लेरोसिस (Monckeberg medial calcific sclerosis.)। आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से। शुरुआत करते हैं एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) से।
आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार में एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis)
एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) वो रोग है, जिसमें आर्टरीज में प्लाक जमा हो जाता है। यह प्लाक फैट्स, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम और अन्य चीजों से बनता है, जो खून में पाई जाती हैं। समय के साथ प्लाक सख्त हो जाते हैं, जिसके कारण आर्टरीज तंग हो जाती है। इससे शरीर में ऑक्सीजन रिच खून की सीमित मात्रा शरीर में प्रवाहित हो पाती है। एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) के कारण कई गंभीर समस्याएं होने की संभावना भी रहती है, जैसे:
- कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease)
- कैरोटिड आर्टरी डिजीज (Carotid artery disease)
- पेरीफेरल आर्टेरिअल डिजीज (Peripheral arterial disease.)
इस आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार (Types of Arteriosclerosis) के लक्षण तब तक दिखाई नहीं देते हैं, जब तक आर्टरीज बहुत अधिक तंग या पूरी तरह से बंद न हो जाएं। अधिकतर लोगों को तब तक इस बात का पता भी नहीं होता कि उन्हें यह समस्या है जब तक की उन्हें किसी मेडिकल एमरजेंसी का सामना न करना पड़े। अब जानिए इसके निदान और उपचार के बारे में।
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एथेरोस्क्लेरोसिस का निदान (Diagnosis of Atherosclerosis)
एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) के निदान के लिए डॉक्टर रोगी से सबसे पहले लक्षणों के बारे में जानते हैं। इसके बाद शारीरिक जांच भी की जाती है। इसके निदान के लिए रोगी की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में भी जाना जाएगा। इसके अलावा इमेजिंग और अन्य डायग्नोस्टिक टेस्ट्स (Other Diagnostic Tests) के माध्यम से भी यह पता चल सकता है कि आपको यह समस्या है या नहीं। जैसे सीटी स्कैन (CT Scan),इकोकार्डियोग्राम (echocardiogram), इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram) आदि। रोगी को ब्लड टेस्ट (Blood Test) कराने की सलाह भी दी जा सकती है।
एथेरोस्क्लेरोसिस का उपचार (Treatment of Atherosclerosis)
एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) के उपचार में दवाईयां सर्जरी और जीवनशैली में बदलाव आदि शामिल है। दवाईयां प्लाक को बनने से रोक सकती हैं। इसके साथ ही डॉक्टर आर्टरीज को ओपन करने के लिए एंजियोप्लास्टी (Angioplasty) के लिए कह सकते हैं। कोरोनरी या कैरोटिड आर्टरीज (Coronary or Carotid Arteries) के लिए सर्जरी की सलाह दी जा सकती है। इस समस्या के उपचार के लिए जीवनशैली में बदलाव भी जरूरी है। इनमें हेल्दी डायट (Healthy Diet), नियमित व्यायाम (Regular Exercise), हेल्दी वेट को बनाए रखना (Maintain Healthy Weight), स्ट्रेस को मैनेज करना (Manage Stress) और स्मोकिंग से दूर रहना (Avoid Smoking) आदि शामिल हैं। अब जानते हैं दूसरे आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार (Types of Arteriosclerosis) के बारे में।
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आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार में आर्टेरियोलोस्क्लेरोसिस (Arteriolosclerosis)
आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार (Types of Arteriosclerosis) में दूसरा है आर्टेरियोलोस्क्लेरोसिस (Arteriolosclerosis)। आर्टेरियोलोस्क्लेरोसिस (Arteriolosclerosis) को भी आर्टेरियल्स (arterioles) और स्मॉल आर्टरीज के असामान्य रूप से सख्त होने को कहा जाता है। ध्यान देने वाली एक महत्वपूर्ण बात यह है कि वॉल में आने वाले यह छोटे-छोटे बदलाव अक्सर गंभीर स्थिति का कारण बनते हैं। इस समस्या के रिस्क फैक्टर्स में उम्र का बढ़ना, डायबिटीज, हायपरटेंशन आदि शामिल है। आर्टेरियोलोस्क्लेरोसिस के भी दो प्रकार हैं जिन्हें हायलिन आर्टेरियोलोस्क्लेरोसिस (Hyaline Arteriolosclerosis) और हायपरप्लास्टिक आर्टेरियोलोस्क्लेरोसिस (Hyperplastic arteriolosclerosis) के नाम से जाना जाता है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:
- छाती में दर्द और कसाव (Chest pain and Tightness)
- अंगों का सुन्न और कमजोर हो जाना (Numbness or weakness in limbs)
- बोलने में समस्या (Speech difficulties)
- आंखों की रोशनी में समस्या (Eye Sight Problem)
अगर इस समस्या का समय पर उपचार न कराया जाए, तो इसके कारण स्ट्रोक (Stroke) जैसी समस्या भी हो सकती है। अब जानिए इस आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार (Types of Arteriosclerosis) के निदान और उपचार के बारे में।
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आर्टेरियोलोस्क्लेरोसिस का निदान (Diagnosis of Arteriosclerosis)
आर्टेरियोलोस्क्लेरोसिस के जल्दी निदान से जटिलताओं से बचा जा सकता है। इस स्थिति के निदान के लिए डॉक्टर रोगी की मेडिकल हिस्ट्री (Medical History) के बारे में जानते हैं और शारीरिक जांच करते हैं। इसके साथ ही कुछ टेस्ट्स की सलाह भी दी जा सकती हैं जैसे ब्लड टेस्ट, सीटी स्कैन (CT scan), इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram), अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) स्ट्रेस टेस्टिंग (Stress testing) आदि। इस समस्या के निदान के बाद इसके उपचार के तरीकों को निर्धारित किया जाता है। जानिए किस तरह से होता है इसका उपचार?
आर्टेरियोलोस्क्लेरोसिस का उपचार (Treatment of Arteriosclerosis)
आर्टेरियोलोस्क्लेरोसिस के उपचार में दवाईयां, सर्जरी या जीवनशैली में बदलाव आदि शामिल है। जैसे कोलेस्ट्रॉल से बचने के लिए दवाईयां, एस्पिरिन (Aspirin) ताकि ब्लड क्लॉट्स को बनने से रोका जा सके, बीटा ब्लॉकर्स (Beta Blockers) ताकि ब्लड प्रेशर को लो रखने में मदद मिले। इसके साथ ही कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स (Calcium channel blockers) और डाययुरेटिक्स (Diuretics) का प्रयोग भी किया जा सकता है ताकि ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) को लो रखा जा सके। गंभीर स्थितियों में सर्जरी (Surgery) की सलाह भी दी जा सकती है। इस स्थिति को मैनेज करने के लिए भी डॉक्टर रोगी को हार्ट हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाने के लिए कहते हैं। जिनमें सही आहार का सेवन, नियमित व्यायाम, स्ट्रेस को मैनेज करना, वजन को सही रखना आदि शामिल है।
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मोंकबर्ग मीडियल कैल्सिफिक स्क्लेरोसिस (Monckeberg medial calcific sclerosis)
आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार(Types of Arteriosclerosis) में तीसरा है मोंकबर्ग मीडियल कैल्सिफिक स्क्लेरोसिस जिसे मोंकबर्ग ‘स आर्टरियोस्क्लेरोसिस (Mönckeberg’s Arteriosclerosis) भी कहा जाता है। यह भी एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) या आर्टरीज के सख्त होने के कारण होने वाली समस्या है। इस समस्या के होने पर भी अधिकतर लोगों को कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। लेकिन, जब यह समस्या बहुत अधिक बढ़ जाती है और आर्टरी तंग या ब्लॉक हो जाती है, तो उस समय इसके कारण गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जैसे:
- सांस लेने में समस्या (Breathing problems)
- छाती में कसाव या दर्द (Tightness or pain in the chest)
- बोलने में समस्या (Speech Problem)
- किसी की बात को समझने में परेशानी (Trouble understanding someone)
- पसीना आना (Sweating)
- थकावट (Fatigue)
इसके अलावा भी कुछ अन्य लक्षण दिखाई दे सकते हैं। यह लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरुरी है। अब जानिए इसके निदान और उपचार के बारे में।
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मोंकबर्ग मीडियल कैल्सिफिक स्क्लेरोसिस का निदान (Diagnosis of Monckeberg medial calcific sclerosis)
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन (National Library of Medicine) के अनुसार मोंकबर्ग मीडियल कैल्सिफिक स्क्लेरोसिस का निदान अक्सर अचानक होता है। इस समस्या के निदान के लिए भी रोगी से लक्षणों के बारे पूछा जाता है और उसकी शारीरिक जांच की जाती है। रोगी की मेडिकल हिस्ट्री और फैमिली हिस्ट्री भी जानी जाती है। यही नहीं, रोगी को अन्य टेस्ट्स की सलाह भी दी जाती है जैसे ब्लड टेस्ट्स (Blood Tests), इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram), इकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram), एक्सरसाइज स्ट्रेस टेस्ट (Exercise stress test), डॉप्लर अल्ट्रासाउंड (Doppler ultrasound), कोरोनरी कैल्शियम स्कैन (Coronary calcium scan) आदि। इन टेस्ट्स के परिणाम के अनुसार ही इस समस्या का उपचार किया जाता है।
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मोंकबर्ग मीडियल कैल्सिफिक स्क्लेरोसिस का उपचार (Treatment of Monckeberg medial calcific sclerosis)
मोंकबर्ग मीडियल कैल्सिफिक स्क्लेरोसिस के उपचार के लिए रोगी को कुछ दवाईयां दी जा सकती हैं जैसे स्टैटिन्स (Statins) और अन्य कोलेस्ट्रॉल मेडिकेशन्स या ब्लड थिनर्स (Blood Thinners)। इसके अलावा अगर रोगी को डायबिटीज (Diabetes) और हायपरटेंशन (Hypertension) जैसी समस्याएं हों तो उसके लिए भी मेडिकेशंस जरूरी हैं। दवाईयों के अलावा इस कंडिशन के उपचार के लिए कई बार सर्जरी भी की जा सकती है। अगर रोगी में गंभीर लक्षण या ब्लॉकेज हो तो इन तरीकों का उपयोग किया जा सकता है।
- एंजियोप्लास्टी और स्टंट प्लेसमेंट (Angioplasty and Stent Placement)
- कोरोनरी आर्टरी बाईपास सर्जरी (Coronary Artery Bypass Surgery)
- एंडारटेरेक्टॉमी (Endarterectomy)
- फाइब्रिनोलिटिक थेरेपी (Fibrinolytic Therapy).
यही नहीं, डॉक्टर रोगी को अपनी जीवनशैली में भी बदलाव के लिए कहेंगे ताकि न केवल रोगी इस समस्या को मैनेज करने में मदद मिले बल्कि मरीज जल्दी स्वस्थ भी हो सके।
यह तो थी आर्टेरियोस्क्लेरोसिस (Arteriosclerosis) और आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार (Types of Arteriosclerosis) कौन से हैं, इसके बारे में पूरी जानकारी। हालांकि इन बीमारियों का उपचार संभव है। लेकिन फिर भी रोगी के लिए कई चीजों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। जैसे हार्ट डिजीज (Heart Disease) के रिस्क्स को मैनेज करना, नियमित जांच और दवाईयों को डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेना। लेकिन ,इसके साथ ही अपनी जीवनशैली को सही बनाए रखना भी आवश्यक है। इससे न केवल आपको हार्ट डिजीज (Heart Disease) से छुटकारा मिलेगा, बल्कि पूरी तरह से स्वस्थ रहने में भी मदद मिलेगी। हार्ट संबंधी समस्याएं जानलेवा हो सकती हैं, ऐसे में उनके लक्षणों को पहचानना भी जरूरी है। सही समय पर लक्षणों को पहचान पर आप तुरंत मेडिकल हेल्प पा सकते हैं।
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उम्मीद करते हैं कि आपको आर्टेरियोस्क्लेरोसिस के प्रकार (Types of Arteriosclerosis) के बारे में पूरी जानकरी मिल गई होगी। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज भी पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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