शरीर के हर अन्य अंगों की तरह हमारा दिल भी बेहद महत्वपूर्ण है। यह वो मस्कुलर ऑर्गन है जो पूरे शरीर में खून को पंप करता है। हमारे हार्ट के चार वॉल्व होते हैं, जो खून को सही दिशा में फ्लो करने में मदद करते हैं। यह चार वॉल्व हैं माइट्रल वॉल्व (Mitral Valve), ट्रायकसपिड वॉल्व (Tricuspid Valve), पल्मोनरी वॉल्व (Pulmonary Valve) और एयोर्टिक वॉल्व (Aortic Valve)। हर वॉल्व में फ्लैप्स होते हैं, जो हर हार्टबीट के दौरान खुलते और बंद होते हैं। आज हम ट्रायकसपिड वॉल्व के इंफेक्शन के बारे में बात करने वाले हैं, जिसे ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Tricuspid Valve Endocarditis) कहा जाता है। जानिए इसके बारे में विस्तार से।
ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस क्या है? (Tricuspid Valve Endocarditis)
ट्रायकसपिड वॉल्व दाहिने एट्रियम (Right Atrium) और दाहिने वेंट्रिकल (Right Ventricle के बीच में स्थिति होता है। इसका काम होता है इस बात को सुनिश्चित करना कि ब्लड दाहिने एट्रियम से वेंट्रिकल्स के आगे की तरफ प्रवाहित हो रहा है या नहीं? यह रोग आमतौर पर उन लोगों को होने की संभावना अधिक होती है जो इंट्रावेनस ड्रग एब्यूजर्स (Intravenous Drug Abusers) यानी जिन लोगों को नशा करने की आदत होती है और जो नसों के माध्यम से (इंजेक्शन) नशे को शरीर के अंदर ले जाते हैं। पल्मोनरी वॉल्व एंडोकार्डाइटिस, लेफ्ट साइडेड एंडोकार्डाइटिस (Left-Sided Endocarditis) के मुकाबले दुर्लभ है और इसका निदान संभव है। इस इंफेक्शन का कारण कई बैक्टीरिया, कवक या अन्य जर्म्स हो सकते हैं। अगर इसका सही समय पर उपचार न किया जाये तो इससे ट्रायकसपिड वॉल्व डैमेज हो सकता है।आइए जानते हैं इस समस्या के लक्षणों बारे में
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ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस के लक्षण क्या हैं (Symptoms of Tricuspid Valve Endocarditis)
ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Tricuspid Valve Endocarditis) की समस्या एकदम से भी हो सकती है या धीरे-धीरे भी इसके लक्षण सामने आ सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि इस समस्या का कारण कौन से बैक्टीरिया, कवक या अन्य जर्म्स हैं। इसके लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
- बुखार (Fever)
- ठंड लगना (Chills)
- एनोरेक्सिया (Anorexia)
- वजन कम होना (Weight loss)
- थकावट (Fatigue)
- बैचनी (Malaise)
- जोड़ों में दर्द (Joint Pain)
- डिस्पनिया (Dyspnea)
- खांसी (Cough)
- प्लीयूरीटीक पेन (Pleuritic Pain)
- पेट में दर्द (Abdominal Pain)
यह तो थे ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस के कुछ लक्षण। यह लक्षण हर व्यक्ति के अनुसार भी अलग हो सकते हैं। अब जान लेते हैं, इस इंफेक्शन के जोखिमों के बारे में।
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ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस के रिस्क फैक्टर्स क्या हैं? (Risk Factors Tricuspid Valve Endocarditis)
ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Tricuspid Valve Endocarditis) यानी दिल की इस समस्या का कारण कई बैक्टीरिया, कवक या जर्म्स हो सकते हैं। लेकिन इससे जुड़े रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं:
- इंट्रावेनस ड्रग्स का प्रयोग (Use of Intravenous Drug)
- कार्डियक इम्प्लांटेबल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस इंफेक्शन (Cardiac Implantable Electronic Device Infection)
- पॉजिटिव ब्लड कल्चर्स (Positive Blood Cultures) की मौजूदगी में वाल्वुलर वेजिटेशन (Valvular Vegetation) और ट्रायकसपिड रिगर्जिटेशन (Tricuspid Regurgitation)
- इंडवलिंग कैथेटर (Indwelling Catheter) का प्रयोग
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डॉक्टर की सलाह कब लें?
अगर आपको ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Tricuspid Valve Endocarditis) का कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए खासतौर पर अगर आप में इस समस्या से संबंधित रिस्क फैक्टर्स हैं। लेकिन कुछ गंभीर स्थितियों में तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी जरूरी है, जैसे:
- बहुत अधिक ठंड लगना (Chills)
- अधिक बुखार (Fever)
- सिरदर्द (Headaches)
- जोड़ों में दर्द (Joint Pain)
- सांस लेने में समस्या (Shortness of Breath)
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information)के अनुसार ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Tricuspid Valve Endocarditis) कुछ खास जटिलताओं का कारण भी बन सकती है। जैसे पेरिएनुलर एब्सेस (Periannular Abscesses) सेप्टिक पल्मोनरी एम्बोलाय (Septic Pulmonary Emboli), स्प्लेनिक एब्सेस (Splenic Abscess)और हार्ट फेलियर (Heart Failure)आदि। यही नहीं यह रोग महिलाओं की तुलना में पुरुषों को होने की संभावना अधिक होती है। जानिए कैसे हो सकता है इस इंफेक्शन का निदान?
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ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस का निदान (Prevention of Tricuspid Valve Endocarditis)
ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Tricuspid Valve Endocarditis) के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपसे लक्षणों के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही मेडिकल हिस्ट्री भी पूछी जा सकती है। इस रोग के लक्षण अन्य समस्याओं के समान भी हो सकते हैं। इसलिए डॉक्टर रोगी को कई अन्य टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं, यह टेस्ट्स इस प्रकार हैं:
ब्लड कल्चर टेस्ट (Blood Culture Test)
इस टेस्ट का प्रयोग ब्लडस्ट्रीम में जर्म्स को पहचानने के लिए किया जाता है। ब्लड कल्चर टेस्ट रिजल्ट्स डॉक्टर को सही एंटीबायोटिक्स या इनके मेल को चुनने में भी मदद कर सकते हैं।
कम्पलीट ब्लड काउंट (Complete Blood Count)
इस ब्लड टेस्ट से डॉक्टर को यह पता चल सकता है कि क्या रोगी में बहुत से व्हाइट ब्लड सेल्स हैं? जो इंफेक्शन का संकेत हो सकते हैं। कम्पलीट ब्लड काउंट सेहेल्दी रेड ब्लड सेल्स के लो लेवल का निदान होने में भी मदद मिलती है।
एकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)
एकोकार्डियोग्राम में साउंड वेव्स का प्रयोग किया जाता है, ताकि जब दिल धड़के तो इसकी इमेज बने। इस टेस्ट से पता चलता है कि हमारे हार्ट के चैम्बर्स और वॉल्व किस तरह से ब्लड पंप कर रहे हैं। समस्या के निदान के लिए डॉक्टर कई तरह के एकोकार्डियोग्राम का प्रयोग कर सकते हैं।
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इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम का प्रयोग हार्टबीट्स की टाइमिंग और अवधि को मापने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग विशेष रूप से एंडोकार्डिटिस का निदान करने के लिए नहीं किया जाता है, लेकिन इससे डॉक्टर यह जान सकते हैं कि क्या कुछ चीज रोगी के दिल की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को प्रभावित कर रहा है या नहीं?
चेस्ट एक्स-रे (Chest X-Ray)
चेस्ट एक्स-रे की मदद से डॉक्टर रोगी के दिल और फेफड़ों की स्थिति को देख सकते हैं। यह टेस्ट यह निर्धारित करने में मदद कर सकता है कि क्या एंडोकार्टिटिस के कारण दिल में सूजन हुई है या कोई संक्रमण आपके फेफड़ों में तो नहीं फैल गया है।
कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी स्कैन (Computerized Tomography ) या मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging)
डॉक्टर इन स्कैनिंग टेस्ट्स की सलाह दे सकते हैं, ताकि वो प्रभावित स्थान और शरीर के अन्य भागों में फैले इंफेक्शन के बारे में जान पाएं।
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ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस का उपचार कैसे संभव है? (Treatment of Tricuspid Valve Endocarditis)
ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Tricuspid Valve Endocarditis) का उपचार एंटीबायोटिक्स से किया जा सकता है। लेकिन, कई बार हार्ट वॉल्व को अधिक नुकसान होने की स्थिति में सर्जरी की मदद भी ली जा सकती है। उपचार के यह तरीके इस प्रकार हैं:
दवाइयां (Medications)
ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Tricuspid Valve Endocarditis) में दी जाने वाली दवाइयां समस्या के कारण पर निर्भर करती हैं। बैक्टीरिया के कारण होने वाली इस समस्या का उपचार IV एंटीबायोटिक्स ( IV antibiotics) की हाय डोज के साथ किया जाता है। इन एंटीबायोटिक्स को रोगी को कई हफ़्तों तक लेने की सलाह दी जाती है, जब तक इंफेक्शन ठीक न हो जाए। अगर इसका कारण कवक है, तो डॉक्टर एंटीफंगल दवाइयां भी दे सकते हैं। कई लोगों को पूरी उम्र यह एंटीफंगल दवाइयां लेनी पड़ती है, ताकि फिर से यह इंफेक्शन न हो।
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सर्जरी (Surgery)
अगर हार्ट वॉल्व को अधिक नुकसान हुआ हो, तो डॉक्टर इस इंफेक्शन के इलाज या डैमेज्ड वॉल्व को रिप्लेस करने के लिए हार्ट वॉल्व सर्जरी भी कर सकते हैं। कई बार फंगल इंफेक्शन के कारण हुए ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Tricuspid Valve Endocarditis) की स्थिति में भी सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। रोगी की स्थिति के अनुसार ही ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Tricuspid Valve Endocarditis) का उपचार किया जाता है। जानिए इस समस्या से कैसे बचा जा सकता है?
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ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस से बचाव Prevention
ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Tricuspid Valve Endocarditis) से बचाव संभव नहीं है। लेकिन कुछ सावधानियों को अपना कर आप इसके जोखिम से बच सकते हैं। यह तरीके इस प्रकार हैं:
- इस संक्रमण के लक्षणों के बारे में जानें। अगर आपको इसका कोई भी लक्षण नजर आता है, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह ले खासतौर पर बुखार। अगर आपका बुखार ठीक न हो रहा हो, थकावट हो, किसी तरह का स्किन इंफेक्शन या कोई ओपन कट या घाव हो, जो सही से ठीक न हो रहा हो तो डॉक्टर की सलाह लें।
- अपने दांतों और मसूड़ों का खास ध्यान रखें। नियमित रूप से डेंटल चेकअप जरूरी है।
- किसी भी तरह की इलीगल ड्रग का सेवन न करें, खासतौर पर इंट्रावेनस ड्रग्स का। क्योंकि, गन्दी नीडल्स से बैक्टीरिया हमारे ब्लडस्ट्रीम में जाते हैं, जिससे ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Tricuspid Valve Endocarditis) और अन्य परेशानियों का जोखिम बढ़ सकता है।
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यह तो थी ट्रायकसपिड वॉल्व एंडोकार्डाइटिस (Tricuspid Valve Endocarditis) के बारे में पूरी जानकारी। यह बीमारी या दिल से जुड़ी अन्य समस्याएं जानलेवा हो सकती हैं और कई गंभीर हेल्थ कंडीशंस को बढ़ा सकती हैं। ऐसी स्थिति में अगर आपको दिल की समस्याओं के होने का जोखिम अधिक है तो अपने मेडिकल हेल्प लें और नियमित उपचार कराएं। इस रोग के लक्षणों को भी पहचानें। इसके साथ ही अपनी जीवनशैली को सुधारें। इसके लिए अपने खानपान का ध्यान रखें, व्यायाम करें, तनाव से बचें और पर्याप्त नींद लें। इससे न केवल रोगी की जीवन की गुणवत्ता बढ़ेगी बल्कि पूरी जल्दी रिकवर होने में भी मदद मिलेगी।
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