अपने शरीर को बीमारियों से बचाने और कई अन्य स्थितियों में हम दवा का इस्तेमाल करते हैं। समस्या चाहे सर्दी-जुकाम हो या कोई गंभीर, हर स्थिति में उपयुक्त मेडिसिन को लेने की सलाह दी जाती है। ताकि न केवल हमारी वो समस्या जल्दी दूर हो, बल्कि हम जल्दी रिकवर भी कर पाएं। आज हम आपको कुछ दवाईयों के बारे में जानकारी देने वाले हैं, जिन्हें ACE इन्हिबिटर्स और ARBs के नाम से जाना जाता है। ACE इन्हिबिटर्स (ACE inhibitors) की फुल फॉर्म है एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम (Angiotensin converting enzyme) इन्हिबिटर्स और ARBs की फुल फॉर्म एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin II Receptor Blocker) है। जानिए, ACE इन्हिबिटर्स और ARBs (ACE inhibitors and ARBs) के बारे में विस्तार से। सबसे पहले जानते हैं ACE इन्हिबिटर्स और ARBs (ACE inhibitors and ARBs) क्या हैं?
ACE इन्हिबिटर्स और ARBs में ACE इन्हिबिटर्स क्या हैं? (ACE inhibitors)
एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम (Angiotensin converting enzyme) इन्हिबिटर्स यानी ACE इन्हिबिटर्स (ACE inhibitors) ब्लड प्रेशर लेवल को लो बनाए रखने में हमारी वेन्स और आर्टरीज की मदद करती हैं। ACE इन्हिबिटर्स (ACE inhibitors) हमारे शरीर को एंजियोटेंसिन II के उत्पादन से रोकती हैं। एंजियोटेंसिन II वो पदार्थ है, जो हमारे ब्लड वेसल्स को तंग यानी नैरो बनाता है। इनके तंग होने से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और हमारे दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। एंजियोटेंसिन II कुछ ऐसे हॉर्मोन्स को भी रिलीज करता है, जो ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) को बढ़ाते हैं। आइए जानते हैं इनके उदाहरणों के बारे में :
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एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स के उदाहरण (ACE inhibitors Examples)
कई तरह के ACE इन्हिबिटर्स (ACE inhibitors) बाजार में उपलब्ध हैं। रोगी के लिए कौन सा ACE इन्हीबिटर बेहतर है, यह उसकी सेहत और अन्य फैक्टर्स पर निर्भर करता है। जैसे जिन लोगों को क्रॉनिक किडनी डिजीज की समस्या है, उन्हें अन्य दवाईयों को लेने की जगह ACE इन्हीबिटर लेने से अधिक फायदा होता है। इस इन्हिबिटर्स के उदाहरण इस प्रकार हैं:
- बेनाजेप्रिल (Benazepril)
- कैप्टोप्रिल (Captopril)
- एनालाप्रिल (Enalapril)
- लिसीनोप्रिल(Lisinopril)
- क्विनाप्रिल (Quinapril).
- रैमीप्रील (Ramipril)
- ट्रैंडोलैप्रिल (Trandolapril)
ACE इन्हिबिटर्स और ARBs (ACE inhibitors and ARBs) को केवल तभी लें, जब डॉक्टर ने उन्हें लेने की सलाह दी हो। क्योंकि, अपनी मर्जी से इन्हें लेना हानिकारक हो सकता है। अब जानते हैं कि ACE इन्हिबिटर्स का प्रयोग किन स्थितियों में किया जाता है?
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ACE इन्हिबिटर्स का प्रयोग कब किया जाता है? (Use of ACE inhibitors)
यह बात तो आप जान ही गए होंगी कि ACE इन्हिबिटर्स (ACE inhibitors) की सलाह हाय ब्लड प्रेशर की स्थिति में दी जाती है। इसके अलावा यह दवाईयां कुछ अन्य कंडिशंस के लक्षणों के उपचार या सुधार के लिए भी दी जा सकती हैं। इन स्थितियों में किया जाता है इन दवाईयों का प्रयोग:
- कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease)
- हार्ट फेलियर (Heart failure)
- डायबिटीज (Diabetes)
- कुछ खास क्रॉनिक किडनी डिजीज (Chronic kidney diseases)
- हार्ट अटैक्स (Heart attacks)
- स्क्लेरोडर्मा (Scleroderma)
- माइग्रेन (Migraine)
डॉक्टर ACE इन्हिबिटर्स (ACE inhibitors) के साथ अन्य दवाईयों की सलाह भी दे सकते हैं जैसे डाययुरेटिक्स (Diuretic ) या कैल्शियम चैनल ब्लॉकर (Calcium channel blocker) आदि। लेकिन इन दवाईयों को एंजियोटेंसिन रिसेप्टर II ब्लॉकर (Angiotensin Receptor II Blocker) या डायरेक्ट रेनिन इन्हीबिटर (Direct Renin Inhibitor) के साथ नहीं लेना चाहिए। यही नहीं, यह दवाईयां बुजुर्गों के मुकाबले युवाओं पर अधिक अच्छी तरह से काम करती हैं। यह तो थी ACE इन्हिबिटर्स के बारे में जानकारी। अब जान लेते हैं एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स के बारे में
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ARBs क्या हैं?
एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin II receptor Blockers) यानी ARBs भी ब्लड प्रेशर लेवल को लो करने के लिए वेन्स और आर्टरीज को रिलैक्स करने में मदद करती है। जिससे हार्ट के लिए ब्लड पंप करना आसान हो जाता है। एंजियोटेंसिन हमारे शरीर में मौजूद एक केमिकल होता है, जो ब्लड वेसल्स को तंग करता है। ब्लड वेसल के तंग होने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है। लेकिन, ARBs एंजियोटेंसिन II के एक्शन को ब्लॉक करता है। जिसके कारण वेन्स और आर्टरीज को डायलेट (Dilate) होने में मदद मिलती है। अब जान लेते हैं इसके उदाहरणों के बारे में ।
एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स के उदाहरण (Angiotensin II receptor blockers)
एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin II receptor blockers) को किस रोगी को देना है और किसे नहीं, यह बात कई चीजों पर निर्भर करती है जैसे रोगी की स्थिति और जिस कंडिशन के उपचार के लिए उनका प्रयोग किया जा रहा है। ARBs के उदाहरण इस प्रकार हैं:
- एजिल्सर्टन (Azilsartan)
- कैंडेसार्टन(Candesartan)
- एप्रोसार्टन (Eprosartan)
- इर्बेसार्टन (Irbesartan)
- लोसार्टन (losartan)
- ओल्मेसार्टन (Olmesartan)
- वैलसार्टन (Valsartan)
हाय ब्लड प्रेशर के अलावा कई अन्य स्थितियों में ARBs का प्रयोग किया जा सकता है। जानिए, इन दवाईयों का प्रयोग किस अन्य कंडिशंस में किया जा सकता?
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एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स यानी ARBs का प्रयोग कब किया जा सकता है? (Angiotensin II receptor blockers)
एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स को तभी लेना चाहिए अगर डॉक्टर ने इसकी सलाह दी हो। हाय ब्लड प्रेशर के उपचार के अलावा निम्नलिखित स्थितियों में इनका प्रयोग किया जा सकता है:
- क्रॉनिक किडनी डिजीज (Chronic kidney diseases)
- हार्ट फेलियर (Heart Failure)
- डायबिटीज में किडनी फेलियर (Kidney failure in Diabetes)
यह तो थी ACE इन्हिबिटर्स और ARBs के प्रयोग के बारे में जानकारी। अब जानिए ACE इन्हिबिटर्स और ARBs (ACE inhibitors and ARBs) के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
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ACE इन्हिबिटर्स और ARBs के साइड इफेक्ट्स (Side effects of ACE inhibitors and ARBs)
ACE इन्हिबिटर्स और ARBs (ACE inhibitors and ARBs) दोनों को हार्ट के लिए लाभदायक माना जाता है क्योंकि इनके इस्तेमाल से ब्लड प्रेशर लेवल सही रहता है। ब्लड प्रेशर के बैलेंस रहने से हार्ट के लिए काम करना आसान हो जाता है। जिससे स्ट्रोक और हार्ट अटैक जैसी समस्याओं से बचने में भी आसानी होती है। जानिए, ACE इन्हिबिटर्स और ARBs (ACE inhibitors and ARBs) के साइड इफेक्ट्स के बारे में।
ACE इन्हिबिटर्स के साइड इफेक्ट्स (ACE Inhibitors Side effects)
ACE इन्हिबिटर्स (ACE inhibitors) को बेहद प्रभावी दवाईयां मान जाता है। लेकिन, इनके भी कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। कुछ रोगियों को इन्हें न लेने की सलाह भी दी जाती है। जैसे गर्भवती महिलाओं को क्योंकि इसे लेने से बर्थ डिफेक्ट्स की संभावना बढ़ा जाती है। बाइलेटरल रीनल आर्टरी स्टेनोसिस (Bilateral renal artery stenosis) से प्रभावित लोगों द्वारा यह दवाई लेने से उनका किडनी फंक्शन बदतर हो सकता है। इस दवाई के सामान्य साइड इफेक्ट्स इस प्रकार हैं:
- खांसी (Cough)
- एलिवेटेड ब्लड पोटैशियम लेवल (Elevated blood potassium levels)
- लो ब्लड प्रेशर (Low blood pressure)
- चक्कर आना (Dizziness)
- सिरदर्द (Headache)
- कमजोरी (Weakness)
- असामान्य टेस्ट (Abnormal taste)
- रैशेज (Rashes)
- छाती में दर्द (Chest pain)
- यूरिक एसिड लेवल में बढ़ोतरी (Increased uric acid levels)
इस दवाई को लेने का एक साइड इफेक्ट खांसी है। इस खांसी को कम होने से एक महीने तक का समय लग सकता है। यदि आपको किसी एक ACE इन्हीबिटर के कारण खांसी होती है, तो किसी अन्य ACE इन्हीबिटर को लेने के बाद भी खांसी की संभावना बढ़ जाती है। ACE इन्हीबिटर को लेने के बाद कुछ लोगों को दुर्लभ लेकिन गंभीर साइड इफेक्ट्स भी महसूस हो सकते हैं। यह साइड इफेक्ट्स इस प्रकार हैं:
- किडनी फेलियर (Kidney failure)
- एलर्जिक रिएक्शंस (Allergic reactions)
- अग्न्याशयशोथ (Pancreatitis)
- लिवर डिसफंक्शन (Liver dysfunction)
- व्हाइट ब्लड सेल्स में कमी आना (Decrease in white blood cells)
- टिश्यूज की सूजन (Swelling of tissues)
अब जानिए ARBs के साइड इफेक्ट्स क्या हो सकते हैं?
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ARBs के साइड इफेक्ट्स (ARBs Side effects)
ARBs को भी हाय ब्लड प्रेशर और अन्य कंडिशंस में प्रयोग के लिए बिलकुल सही माना जाता है। लेकिन, इसके भी कुछ साइड इफेक्ट्स हैं। इन दवाईयों के सबसे सामान्य साइड इफेक्ट्स इस प्रकार हैं:
- खांसी (Cough)
- खून में पोटैशियम लेवल का बढ़ना (Elevated potassium levels in blood)
- लो ब्लड प्रेशर (Low blood pressure)
- चक्कर आना (Dizziness)
- सिदर्द (Headache)
- डायरिया (Diarrhea)
- असामान्य टेस्ट सेंसेशन (Abnormal taste sensation)
- रैशेज (Rashes)
- ऑर्थोस्टेटिक हायपोटेंशन (Orthostatic hypotension)
- थकावट (Fatigue)
- अपच (Indigestion)
- अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Upper respiratory tract infection)
अगर ACE इन्हिबिटर्स और ARBs की तुलना की जाए, तो ACE इन्हिबिटर्स की तुलना में ARBs की लेने के बाद खांसी आना कम सामान्य है। ARBs लेने के बाद रोगी कुछ गंभीर साइड इफेक्ट्स का अनुभव भी कर सकता है। हालांकि, यह साइड इफेक्ट्स दुर्लभ हैं लेकिन यह भी गंभीर हो सकते हैं। यह साइड इफेक्ट्स इस प्रकार हैं:
- किडनी फेलियर (Kidney failure)
- लिवर फेलियर (Liver failure)
- गंभीर एलर्जिक रिएक्शंस (Serious allergic reactions)
- व्हाइट ब्लड सेल्स में कमी आना (Decrease in white blood cells)
- ब्लड प्लेटलेट में कमी (Decrease in blood platelets)
- टिश्यूज में सूजन आना (Swelling of tissues)
यह तो थे ACE इन्हिबिटर्स और ARBs के साइड इफेक्ट्स। अब जानते हैं कि ACE इन्हिबिटर्स और ARBs (ACE inhibitors and ARBs) के साथ कौन से ड्रग्स इंटरैक्ट कर सकते हैं?
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ACE इन्हिबिटर्स और ARBs को किन ड्रग्स के साथ नहीं लेना चाहिए?
ACE इन्हिबिटर्स और ARBs (ACE inhibitors and ARBs) को अन्य कई दवाईयों के साथ लिया जा सकता है। लेकिन, आप किस ड्रग के साथ इन्हें ले सकते हैं, इसके बारे में अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। कई ड्रग्स के साथ इन्हें लेने से कुछ हेल्थ प्रॉब्लम्स भी हो सकती हैं। आइए, जानते हैं कि ACE इन्हिबिटर्स और ARBs (ACE inhibitors and ARBs) को किन -किन दवाईयों के साथ नहीं लेना चाहिए। शुरुआत करते हैं ACE इन्हिबिटर्स (ACE inhibitors) से :
ACE इन्हिबिटर्स को किन-किन ड्रग्स के साथ नहीं लेना चाहिए?
ACE इन्हिबिटर्स (ACE inhibitors) को लेने से ब्लड में पोटैशियम का लेवल बढ़ सकता है। ऐसे में पोटैशियम सप्लीमेंट्स या ऐसी कोई भी दवा लेने की सलाह नहीं दी जाती है, जिन्हें लेने से शरीर में पोटैशियम का लेवल बढ़े। इसके अलावा इन दवाईयों के साथ भी इन्हें लेने से बचना चाहिए:
- ऐसा माना जाता है कि एस्पिरिन और अन्य नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (Nonsteroidal anti-inflammatory drugs) जैसे आइबूप्रोफेन (Ibuprofen), इंडोमिथैसिन ( Indomethacin), नेप्रोक्सेन (Naproxen) को लेने से ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो सकता है। जिससे ACE इन्हिबिटर्स का प्रभाव भी कम हो सकता है।
- जो लोग वॉटर पिल्स यानी डाययुरेटिक्स ले रहे हैं, वो भी ACE इन्हिबिटर्स (ACE inhibitors) को लेने के बाद ब्लड प्रेशर में ज्यादा कमी महसूस कर सकते हैं।
- ACE इन्हिबिटर्स (ACE inhibitors) को ARBs के साथ नहीं लिया जाता है। क्योंकि, इस कॉम्बिनेशन को लेने से हायपोटेंशन (Hypotension), हायपरकलीमिया (Hyperkalemia) और रीनल इम्पेयरमेंट (Renal Impairment) का खतरा बढ़ जाता है।
- ACE इन्हिबिटर्स को एलिस्कायरिन (Aliskiren) के साथ लेने के लिए भी मना किया जाता है। जो ड्रग्स की उस क्लास से संबंध रखती है, जिसका प्रयोग हाय ब्लड प्रेशर के उपचार के लिए किया जाता है। क्योंकि इन दवाईयों के कॉम्बिनेशन से किडनी फेलियर, अत्यधिक लो ब्लड प्रेशर आदि का जोखिम बढ़ सकता है।
इनके अलावा भी कई अन्य दवाईयां हो सकती हैं। जिनके साथ ACE इन्हिबिटर्स (ACE inhibitors) को लेना हानिकारक हो सकता है। अब जानते हैं ARBs अन्य दवाईयों के साथ इंटरैक्ट कर सकती हैं या नहीं?
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ARBs को किन ड्रग्स के साथ नहीं लेना चाहिए?
ARBs भी खून में ब्लड लेवल को बढ़ा सकती हैं। इसलिए इन्हें पोटैशियम सप्लिमेंट्स या अन्य ड्रग्स के साथ इन्हें लेना जो पोटैशियम लेवल को बढ़ा दें, बेहद हानिकारक हो सकता है। इसके अलावा इन दवाईयों के साथ भी इन्हें लेने से बचना चाहिए:
- ARBs लिथियम (Lithium) की ब्लड कंसंट्रेशन को बढ़ा सकती है और इसके कारण लिथियम के साइड इफेक्ट्स बढ़ सकते हैं।
- ARBs और ACE इन्हिबिटर्स को एक साथ लेने की सलाह नहीं दी जाती है। क्योंकि, इससे कई समस्याएं हो सकती हैं।
- ARBs को एलिस्कायरिन (Aliskiren) के साथ कम्बाइन करके नहीं लिया जा सकता है क्योंकि इससे किडनी फेलियर, बहुत अधिक लो ब्लड प्रेशर आदि समस्याएं हो सकती हैं।
किन लोगों को ACE इन्हिबिटर्स और ARBs को नहीं लेना चाहिए?
कुछ लोगों और परिस्थितयों में ACE इन्हिबिटर्स और ARBs (ACE inhibitors and ARBs) को लेने की सलाह नहीं दी जाती है। जानिए इसके बारे में :
- अगर आप गर्भवती हैं तो ACE इन्हिबिटर्स और ARBs (ACE inhibitors and ARBs) को न लें। इसके कारण भ्रूण को नुकसान हो सकता है। प्रेग्नेंसी खासतौर पर दूसरी और तीसरी तिमाही में इन दवाईयों को लेने से बचें।
- अगर आप ब्रेस्ट फीडिंग करवा रही हैं, तो भी इन दवाईयों को लेने से बचना चाहिए। क्योंकि, यह दवाईयां ब्रेस्टमिल्क के माध्यम से शिशु तक पहुंच सकती हैं, जिससे शिशु की सेहत को नुकसान हो सकता है।
- जिन लोगों को ACE इन्हिबिटर्स और ARBs (ACE inhibitors and ARBs) से एलर्जी हैं, वो भी इन्हें लेने से बचें। इन्हें लेने से पहले अपने डॉक्टर को अपनी मेडिकल कंडिशन और जो भी दवाईयां आप ले रहे हैं, उनके बारे में बताना बेहद जरूरी है।
- बच्चे को भी इन दवाईयों को देने से पहले डॉक्टर की सलाह अनिवार्य है। इन दवाईयों का सेवन कैसे करना है और इनकी कितनी डोज आपको लेनी चाहिए। इसके बारे में अपने डॉक्टर से अवश्य जान लें।
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यह तो थी ACE इन्हिबिटर्स और ARBs (ACE inhibitors and ARBs) के बारे में जानकारी। इन दवाईयों का प्रयोग हाय ब्लड प्रेशर और कंजेस्टिव हार्ट फेलियर के उपचार में किया जा सकता है। इसके साथ ही डायबिटीज और हाय ब्लड प्रेशर के रोगियों को किडनी फेलियर से बचाने के लिए भी इनके इस्तेमाल की सलाह दी जा सकती है। ताकि स्ट्रोक का जोखिम कम हो सकें। ध्यान रखें, दवाईयां आपके उपचार का केवल एक हिस्सा हैं। ऐसे में हेल्दी हैबिट्स को अपनाने, नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह का पालन करने से आपको संपूर्ण रूप से हेल्दी रहने में मदद मिलेगी। हेल्दी हैबिट्स में सही आहार का सेवन, तनाव से बचाव, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद लेना आदि शामिल है। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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