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बेबी पूप कलर बताता है शिशु के स्वास्थ्य के बारे में बहुत कुछ

बेबी पूप कलर बताता है शिशु के स्वास्थ्य के बारे में बहुत कुछ

जन्म के बाद से ही बच्चा स्तनपान के साथ पॉटी भी करने लगता है। क्या आपको पता है कि शिशुओं की पॉटी का रंग उनके स्वास्थ्य के बारे में बताता है? बेबी पूप कलर (Baby poop color) यानी कि शिशुओं की पॉटी का रंग उसके स्वास्थ्य की पहचान करने के सबसे अच्छे तरीकों में से एक माना जाता है। बाल रोग विशेषज्ञों का मानना है कि माता-पिता पहले वर्ष के दौरान बच्चे की पूप के अलग-अलग रंग देख सकते हैं। बेबी पूप के रंग में बदलाव का एक कारण उनका खान-पान बदलना भी है। बच्चे की पॉटी के बारे में जानने के लिए आप विजुअल गाइड टूल का उपयोग कर सकते हैं, जो ऑनलाइन उपलब्ध है। इस आर्टिकल में हम आपको कुछ बेबी पूप कलर के बारे में बताएंगे, जिन्हें पहचान कर आप इसके पीछे के कारण को समझ सकते हैं। आइए जानते हैं कि शिशुओं की पॉटी का रंग बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में क्या बताता है?

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बच्चा दिन में कितनी बार पॉटी करता है?

डिलिवरी के बाद से बच्चे के पॉटी करने का समय यानी कि वह दिन में कितनी बार पॉटी करता है, ये उसके उम्र के हिसाब से अलग-अलग हो जाता है। बच्चा जब मां के दूध पर रहता है और जब ठोस खाद्य पदार्थ पर रहता है तो उसके पॉटी करने की फ्रिक्वेंसी अलग-अलग होती है। आइए जानते हैं कि बच्चा दिन में कितनी बार पॉटी करता है:

यहां पर आपको बता दें कि जब तक बच्चा मां के दूध पर रहता है, तब तक उसके पॉटी करने की फ्रिक्वेंसी अधिक बार रहती है। वहीं, जब बच्चा ठोस खाद्य पदार्थ पर आ जाता है तो उसके पॉटी करने की फ्रिक्वेंसी कम बार ही रहती है। आइए अब जानते हैं कि शिशुओं की पॉटी का रंग से उसके स्वास्थ्य के बारे क्या बताता है?

शिशुओं की पॉटी का रंग क्या कहता है?

शिशुओं की पॉटी का रंग देख कर कई बार पेरेंट्स नजरअंदाज करते हैं, लेकिन ऐसा करना गलत है। बच्चा बोल तो सकता नहीं है, ऐसे में बच्चे के शरीर को देख कर पेरेंट्स को खुद ही समझना होगा कि बच्चे की हरकतें क्या कहती हैं, तो आप उसके स्वास्थ्य के बारे में समझ सकते हैं। शिशुओं की पॉटी का रंग निम्न प्रकार होता है :

  • बच्चे की पॉटी का रंग ग्रे होना
  • बच्चे की पॉटी का रंग काला होना
  • बच्चे की पॉटी का रंग हरा होना
  • बच्चे की पॉटी का रंग गहरा हरा होना
  • बच्चे की पॉटी का रंग लाल होना
  • बच्चे की पॉटी का रंग नारंगी होना
  • बच्चे की पॉटी का रंग पीला होना
  • बच्चे की पॉटी का रंग सफेद होना

चलिए अब जानते हैं शिशुओं की पॉटी का रंग विस्तार से –

बेबी पूप कलर (Baby poop color) अगर ग्रे हो तो

शिशुओं की पॉटी का रंग ग्रे होना यह बताता है कि आपका बच्चा अच्छे से भोजन नहीं पचा रहा है। जबकि कभी-कभी ऐसा खान-पान में बदलाव या खाने के रंग से भी हो सकता है। डेयरी उत्पादों की अधिक खपत के कारण भी ग्रे पूप हो सकती है। कुछ मामलों में देखा गया है कि बच्चों में लिवर का रोग, पैंक्रियाज, गाल ब्लैडर संबंधी समस्या होती है। यह बीमारी 10,000 में से एक बच्चे को होती है। इसमें पित्ताशय की थैली ठीक से काम नहीं करती है, जिसके कारण बच्चे के पॉटी का कलर ग्रे हो जाता है। अगर आपका बच्चा ग्रे कलर की पॉटी कर रहा है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।

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शिशुओं की पॉटी का रंग काला क्यों होता है?

अक्सर देखा गया है कि नवजात शिशु का पहली पूप टार की तरह काले रंग की होती है। इसे मेकोनियम (Meconium) कहा जाता है, जिसमें एमनियोटिक तरल पदार्थ, बलगम आदि होते हैं। बाल रोग विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों को काला मल कुछ दिनों से अधिक नहीं होना चाहिए। हालांकि, मां के द्वारा आयरन युक्त खाद्य पदार्थ खाने की वजह से भी बच्चे काली पाॅटी कर सकते हैं। ऐसा मां के द्वारा मल्टीविटामिन, आयरन सप्लिमेंट्स या आयरन युक्त चीजों के सेवन से हो सकता है। जब आपके बच्चे की पाॅटी छोटे कंकड़ की तरह कठोर होती है और रंग में काली होती है तो ये कब्ज का संकेत हो सकता है। अगर नवजात शिशु को जन्म के बाद से चार दिन से ज्यादा समय तक काली पॉटी हो रही है तो डॉक्टर से संपर्क करें।

शिशुओं की पॉटी का रंग हरा क्यों होता है?

अक्सर बच्चे में हरे रंग की पॉटी होती देखी गई है। जिसे लेकर अक्सर पेरेंट्स ऑनलाइन सवाल पूछते हैं कि ‘Bachche ko Hare rang ki potty hona kya sahi hai?’ तो इसका जवाब ये है कि बच्चे के पॉटी का रंग हरा होना सामान्य बात है। लेकिन जब बच्चे को कई दिनों तक हरी पॉटी हो तो ये शिशु के शरीर में पानी की कमी होने का संकेत होता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि नवजात शिशु छह माह तक सिर्फ मां का दूध पीता है, शिशु को अलग से पानी देना मना होता है। इस स्थिति में आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। वहीं, दूसरी तरफ अगर बच्चा फॉर्मूला मिल्क पीता है तो उसे हरे रंग की पॉटी होने की आशंका हो सकती है। 

बेबी पूप कलर (Baby poop color) गहरा हरा हो तो

बच्चों का मल गहरा हरा रंग का तब दिखाई देता है, जब शिशु ठोस खाद्य पदार्थ खाने लगता है। बच्चा जब मटर, पालक या गोभी खाता है, तो उसकी पॉटी का रंग गहरा हरा हो सकता है। कई बार आयरन युक्त चीजें खाने पर भी शिशुओं की पॉटी का रंग गहरा हरा हो जाता है। पॉटी का रंग गहरा हरा होने से बच्चों में के पेट में बैक्टीरिया और दस्त होने का संकेत हो सकता है। कुछ मामलों में मां के दूध में असंतुलन से भी गहरे हरे रंग की पॉटी हो सकती है।

बेबी पूप कलर (Baby poop color) लाल हो तो

बेबी पूप कलर (Baby poop color) लाल तब होता है जब बच्चे लाल रंग के खाद्य पदार्थों का सेवन करने लगते हैं। जिसमें चुकंदर आदि शामिल हैं, लेकिन ऐसा हमेशा हो, ये जरूरी नहीं है। बेबी पूप कलर का लाल होना बिल्कुल भी सामान्य बात नहीं है। लाल रंग का मल होने का मतलब मल में खून आना भी हो सकता है। बेबी पूप में ब्लड आना आंतों में इंफेक्शन का संकेत हो सकता है। 

आपके बच्चे के मल में ब्लड आना, दूध से एलर्जी के कारण भी हो सकता है। कुछ बच्चों को एनस के चारों ओर त्वचा संक्रमण होता है जिसे पेरिनियल स्ट्रेप डर्मेटाइटिस कहा जाता है। यह खूनी मल निकलने का कारण बनता है। इस स्थिति में आपको तुरंत अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए, ताकि बच्चे की समय रहते जांच हो सके और इलाज हो सके। 

बेबी पूप कलर (Baby poop color) का नारंगी (Orange color) होना

जब बच्चे नारंगी या लाल रंग के खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो नारंगी मल त्याग करते हैं। हालांकि, यह तब भी हो सकता है जब बच्चे मां के दूध के अलावा गाय का दूध या फॉर्मूला मिल्क भी पीते हैं। नारंगी रंग की पॉटी कुछ दिनों के लिए होना सामान्य बात है, लेकिन अगर यह कई दिनों तक होता है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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शिशुओं की पॉटी का रंग पीला होना

बेबी पूप कलर (Baby poop color) का पीला या चमकीला पीला होना एक सामान्य बात है, जो ज्यादातर बच्चों के पूप का कलर होता है। बच्चे की पॉटी का रंग पीले होने का मतलब होता है कि बच्चा हेल्दी है और उसे दस्त की समस्या नहीं है। बच्चे के पीले रंग का पूप आमतौर पर सामान्य उत्सर्जन की तरह बदबूदार होता है। स्तनपान करने वाले शिशुओं की पॉटी का कलर बहुत सामान्य है।

बेबी पूप कलर (Baby poop color) सफेद हो तो

जब बच्चे का लिवर पर्याप्त पित्त का उत्पादन नहीं कर पाता है तो उसकी पॉटी का रंग सफेद हो जाता है। पित्त  पाचन में मदद करता है। इससे शिशुओं में कब्ज की समस्या हो सकती है, जो आगे चलकर गंभीर बीमारी बन सकती है। अपने बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लें क्योंकि सफेद रंग का मल पित्त की बीमारी का एक संकेत हो सकता है। यह स्थिति शिशुओं में शायद ही कभी देखी जाती है। ज्यादातर बच्चे हल्के पीले, मस्टर्ड कलर या हल्के भूरे रंग के मल का त्याग करते हैं।

बेबी पूप कलर (Baby poop color) से जुड़ी अन्य बातें

शिशुओं के पॉटी का रंग बदलने के लिए पर्यावरण, भोजन का सेवन, उम्र आदि जिम्मेदार हो सकता है। बच्चे के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव होने पर भी उसके पॉटी का रंग बदल सकता है। इसलिए, मल के रंग की पहचान ​बच्चे ​के स्वास्थ्य पर नजर रखने का सबसे अच्छा और आसान तरीका है। हालांकि, इस विषय में सटीक जानकारी के लिए आपको डॉक्टर की राय भी लेनी चाहिए, ताकि समय रहते बच्चे की समस्या का पता लगा कर उसका इलाज कुया जा सके। 

बच्चे के पॉटी की बनावट कैसी होती है? 

जैसा कि पहले ही बता दिया गया है कि बच्चे और मां के खानपान से बेबी पूप कलर (Baby poop color) और बनावट पर असर पड़ता है, लेकिन बच्चा जब स्तनपान करता है, तब बेबी पूप कलर अलग होता है और जब ठोस पदार्थ का सेवन करता है,तो शिशुओं की पॉटी का रंग अलग होता है। आइए जानते हैं कि ब्रेस्ट मिल्क, फॉर्मूला मिल्क और ठोस खाद्य पदार्थों का क्या असर होता है?

नवजात शिशु के पॉटी की बनावट

नवजात शिशु की पॉटी गाढ़ी, टार जैसी होती है। ऐसा होना सामान्य है, बेबी पूप कलर का काला टार जैसा होना और उसकी बनावट दो-तीन दिनों में ठीक हो जाती है। अगर इससे ज्यादा वक्त तक बच्चे के पॉटी की बनावट ऐसी हो तो आपको डॉक्टर से बात करनी चाहिए, क्योंकि बच्चे का मल लगभग तीन दिनों के बाद ही पीले रंग में बदल जाता है। इसके अलावा बच्चे के पॉटी का रंग नहीं बदलने के पीछे एक कारण यह भी हो सकता है कि उसे सही मात्रा में दूध नहीं मिल रहा है। बच्चे को पर्याप्त मात्रा में दूध ना मिलने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे- मां को ज्यादा दूध ना होना या बच्चा सही से मां के स्तनों को लैच नहीं कर पा रहा है। इस स्थिति में आपको डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।

स्तनपान करने वाले शिशु के पॉटी की बनावट

सिर्फ स्तनपान करने वाले शिशु के पॉटी की बनावट पतली या बीज जैसी होती है। ऐसा होना सामान्य बात हैं, इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि बच्चे को डायरिया है।

फॉर्मूला मिल्क का सेवन करने वाले शिशु के पॉटी की बनावट

अगर आप अभी अपने बच्चे को फॉर्मूला दूध दे रही हैं। ऐसे में आपके बच्चे का पूप कलर स्तनपान के दौरान के बेबी पूप कलर से अलग ही दिखता है। आपके बेबी के पूप की बनावट में बदलाव दिखेगा अब उसका मल थोड़ा पेस्ट की कंसिटेंसी का हो चुका होगा। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि बच्चे मां के दूध की तरह फॉर्मूला मिल्क को पूरी तरह पचा नहीं पाते हैं। फॉर्मूला मिल्क का सेवन करने वाले शिशुओं के पॉटी का रंग हल्के पीला या पीला-भूरा रंग का हो सकता है।

सॉलिड फूड का सेवन करने वाले शिशु के पॉटी की बनावट

बच्चों को जब सॉलिड फूड पर शिफ्ट किया जाता है, तो इस समय बेबी पूप कलर पर काफी प्रभाव पड़ता है। बच्चा जिस तरह के भोजन का सेवन करता है उसका पूप भी उसी तरह का हो जाता है। ऐसे में अगर आप उसे जिस रंग का खाना ज्यादा खिलाएंगी बेबी पूप कलर में वहीं रंग ज्यादा देखने को मिलेगा। साथ ही आपको देखने को मिलेगा कि फाइबर वाले फूड आइटम जैसे कि राजमा और मटर आदि बेबी पूप में पूरे ही देखने को मिलते हैं। क्योंकि बच्चे इन्हें पचा नहीं पाते हैं।

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बच्चे के पॉटी की बनावट कब किसी समस्या का संकेत देती है?

बेबी पूप कलर के साथ उसके पॉटी की बनावट भी कई स्वास्थ्य समस्याओं की तरफ संकेत करता है। आइए जानते हैं कि किन स्वास्थ्य समस्याओं में बच्चे की पॉटी की बनावट कैसी होती है?

कब्ज

बड़ों की तरह बच्चों को भी कब्ज की समस्या होती है। कई बार पेरेंट्स परेशान हो जाते हैं, तो परेशान ना हो, बल्कि जानें कि बच्चे को पॉटी ना हो तो क्या करें? जब बच्चे को पॉटी होने में परेशानी होती है तो ये कब्ज का संकेत होता है। वहीं, छोटे कंकड़ों की तरह अगर गाढ़े भूरे रंग की पॉटी बच्चे को हो रही है, तो इसका मतलब है कि उसे कब्ज है। हालांकि, घबराने वाली कोई बात नहीं है, बच्चे में कब्ज का इलाज आप दवा से कर सकते हैं। 

डायरिया

बच्चों को दब डायरिया होता है तो उसे पानी जैसी पतली पॉटी होती है। डायरिया होने पर बच्चे को सामान्य से ज्यादा बार पॉटी होती है। वहीं, नवजात शिशु में डायरिया का पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि उसे सामान्यतः पतली पॉटी ही होती है। अगर आपको समझ में ना आए को डॉक्टर से संपर्क करें, जिससे बच्चे को अगर डायरिया है तो इसका इलाज हो सके।

झाग वाली पॉटी

जब बच्चे को झाग जैसी पॉटी होती है तो इसका मतलब होता है कि बच्चे के दांत आ रहे हैं। जब बच्चे के दांत आते हैं तो वह अपनी लार को निगलता है, जिससे उसे झाग वाली पॉटी हो सकती है। इसके अलावा ऐसा तब भी होता है, जब बच्चा दूध की ज्यादा मात्रा का सेवन कर लेता है। इन दोनोंं में से अगर कुछ भी नहीं हुआ है और बच्चा झाग वाली पॉटी कर रहा है, तो ये पेट के संक्रमण का लक्षण हो सकता है। इस स्थिति में आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

पॉटी में खून आना

अगर बच्चे के पॉटी में खून आ रहा है तो ये भी पेट के इंफेक्शन का संकेत हो सकता है। इस स्थिति में आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

पॉटी में खाने के टुकड़े होना

जब बच्चा सॉलिड फूड का सेवन करना शुरू कर देता है, तो वह शुरू में खाने को अच्छे से चबा नहीं पाता है। जिससे खाने के कुछ टुकड़े साबुत अंदर चले जाते हैं और बच्चा उसे पचा नहीं पाता है, जिससे वह उसकी पॉटी के साथ बाहर निकल आते हैं। ये एक सामान्य बात हैं, इसमें परेशान होने की जरूरत नहीं है। 

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इस तरह से आपने जाना कि बेबी पूप कलर कितने प्रकार के होते हैं और वह बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में संकेत भी देता है। बच्चे के पॉटी के रंग से लेकर उसके पॉटी की बनावट तक सभी उसके स्वास्थ्य के बारे में बहुत कुछ कहते हैं, जिसे पेरेंट्स को समझने की जरूरत होती है। हमेशा याद रखें कि बच्चे के मल का रंग भी सामान्य वयस्कों जैसा समय के साथ होता जाता है। वो एक अलग बात है कि कभी कबार एक दो दिन के लिए बेबी पूप कलर (Baby poop color) अलग सा लगता है, लेकिन अगर ऐसा दो या तीन दिन से ज्यादा समय के लिए होता है तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। उम्मीद करते हैं कि ये आर्टिकल आपके लिए मददगार साबित हुआ होगा। कृपया हमें कमेंट कर के अपनी राय बताएं। इस विषय में अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं। 

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

20/05/2021

Bhawana Sharma द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Bhawana Awasthi


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Bhawana Sharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 20/05/2021

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