आपने देखा होगा कि घर के बड़े-बुजुर्ग बच्चों को दूध पीने पर बहुत जोर देते हैं। कभी-कभी दूध न पीने पर मां-बाप की डांट-फटकार भी सुननी पड़ती है। इसकी वजह है दूध में मौजूद नुट्रिशन्स जिससे सेहत को कई लाभ मिलते हैं। लेकिन, देखा गया है कुछ लोग दूध का पाचन नहीं कर पाते हैं। मेडिकल भाषा में इसे लैक्टोज इन्टॉलरेंस (Lactose Intolerance) कहा जाता है। नतीजन, कई तरह की डाइजेस्टिव समस्याओं से उन्हें दो-चार होना पड़ता है। इस आर्टिकल में जानें कि दूध कितनी देर में पचता है और इससे जुड़ी सारी बातें।
दूध कितनी देर में पचता है? (Milk digestion timing)
दूध कितनी देर में पचता है ये जानने से पहले जान लें कि दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन कई हजार सालों से चला आ रहा है। इसकी वजह दूध में मौजूद पोषक तत्व हैं। इसलिए, दूध पीने के फायदे आपके शरीर को मिलते हैं। दूध में कैल्शियम, फास्फोरस, प्रोटीन, पोटैशियम जैसे कई आवश्यक न्यट्रिएंट्स होते हैं। दूध पीने से हड्डी और मांसपेशियां स्ट्रॉन्ग होती हैं। वहीं, दूध में मौजूद कैल्शियम और फास्फोरस दांतों की देखभाल के लिए अच्छे माने जाते हैं। यहां तक कि प्रतिदिन दूध पीने के फायदे आपके दिल को भी मिलते हैं।
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एनसीबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार दूध पीने से इस्केमिक हार्ट डिजीज (Ischemic Heart Disease) और इस्केमिक स्ट्रोक (ब्लड क्लॉटिंग की वजह से आने वाला स्ट्रोक) के रिस्क को भी कम किया जा सकता है। मिल्क के फायदे पेट की हालत को भी दुरुस्त करते हैं। इसके एन्टासिड इफेक्ट्स अपच और एसिडिटी के साथ-साथ और भी कई पाचन संबंधी समस्याओं को कम करने में मददगार होते हैं।
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दूध कितनी देर में पचता है? और इसमें कितने पौष्टिक तत्व होते हैं?
दूध विभिन्न तरीके से स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले पोषक तत्व प्रदान करता है। एक कप (240 मिलीलीटर) होल मिल्क में ये पोषक तत्व शामिल होते हैं:
- कैलोरी (Calorie): 149
- प्रोटीन (Protienn): 8 ग्राम
- वसा (Fat): 8 ग्राम
- कार्ब्स (Carbs): 12 ग्राम
- कैल्शियम (Calcium): 21% डीवी
- मैग्नीशियम (Magnesium): 6% डीवी
- पोटैशियम (Potassium): 7% डीवी
- विटामिन डी (Vitamin D): 16% डीवी
दूध में मौजूद कैल्शियम, हड्डी के विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है जबकि मैग्नीशियम और पोटैशियम रक्तचाप (blood pressure) के नियमन के लिए जरूरी हैं। यह कैलोरी में कम है लेकिन प्रोटीन में समृद्ध होता है।
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दूध कितनी देर में पचता है और दूध पीने का सही समय क्या है?
आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार, गाय के दूध का सेवन शाम को किया जाना चाहिए। अलग-अलग समय पर दूध का पाचन कैसा होता है? यह नीचे बताया जा रहा है;
- सुबह: डाइजेशन में भारी होने की वजह से सुबह खाली पेट दूध पीने से मना किया जाता है। इससे एसिडिटी की समस्या हो सकती है। हालांकि, मिड ब्रेकफास्ट में सीरिअल (cereal) के साथ एक गिलास दूध का सेवन करना आपको एनर्जी देगा।
- शाम: शाम को एक गिलास दूध पीना हर आयु वर्ग के लिए उपयोगी है।
- रात: आयुर्वेद के अनुसार, दूध पीने का सही समय रात में है। यह भी कहा जाता है कि रात में दूध पीना ओजस (आयुर्वेद में एक अवस्था जब पाचन ठीक हो जाता है) को बढ़ावा देता है। विज्ञान के अनुसार, बिस्तर पर जाने से पहले गर्म दूध का एक गिलास पीने से शारीरिक और मानसिक तनाव (mental stress) कम होता है। इसमें ट्रिप्टोफैन नामक एक एमिनो एसिड होता है जो नींद में सहायक होता है। दूध आपके शरीर को आराम देता है और नींद लाने वाले हार्मोन (मेलाटोनिन) को स्रावित करता है। इसलिए, यदि आप नींद आने की समस्या से जूझ रहे हैं, तो आपको सोने से पहले एक गिलास दूध पीने की कोशिश करनी चाहिए।
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दूध शरीर में किस तरह से पचता है (How milk is digested in the body)?
दूध कितनी देर में पचता है ये समझने के लिए इसकी पाचन प्रक्रिया समझना जरूरी है। पाचन प्रक्रिया मुंह में शुरू होती है, जहां आपकी थोड़ी एसिडिक सलाइवा दूध के साथ मिलती है और इसे तोड़ना शुरू कर देती है। जब आप दूध को निगलते हैं, तो यह अन्नप्रणाली (esophagus) और पेट में जाता है। पेट में गैस्ट्रिक जूस (gastric juice) दूध को और ब्रेकडाउन करते हैं और उसमें मौजूद किसी भी जीवित बैक्टीरिया को मार देता है। पेट फिर दूध को छोटी आंत में भेजता है, जहां पोषक तत्व – जैसे अमीनो एसिड, प्रोटीन बिल्डिंग ब्लॉक, फैटी एसिड, फैट बिल्डिंग ब्लॉक (fat building block) अवशोषित होते हैं। वहीं, अवशोषित न होने वाली सामग्री बड़ी आंत में चली जाती है और मलाशय के माध्यम से उसे बाहर निकाल दिया जाता है। अपशिष्ट तरल पदार्थ भी यूरिन पास करने के दौरान निष्काषित होते हैं।
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दूध का पाचन : लैक्टेज की भूमिका (Role of lactase)
हर किसी का शरीर दूध के लिए नहीं बना है। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपके शरीर में लैक्टेज का उत्पादन कम हो जाता है। लैक्टोज मिल्क और अन्य डेयरी उत्पादों के डाइजेशन के लिए एक महत्वपूर्ण एंजाइम है। छोटी आंत लैक्टेज उत्पन्न करती है। यदि आपका शरीर लैक्टेज की एक छोटी मात्रा का उत्पादन करता है, तो आपको लैक्टोज इन्टॉलरेंस हो सकता है। हर व्यक्ति में लैक्टेज का लेवल अलग-अलग होता है। कुछ लोगों में लैक्टेज इतना कम होता है कि उन्हें दूध को हजम करना मुश्किल हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिस्कंफर्ट (gastrointestinal discomfort) होता है।
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दूध कितनी देर में पचता है?
पश्चिमी आहार में कई लोग दूध को ठीक से पचा नहीं पाते हैं। लैक्टोज दूध में पाया जाने वाला नेचुरल शुगर है, और लैक्टेज एक एंजाइम है जो लोगों को इसे पचाने में मदद करता है। बचपन के बाद, आपका शरीर दूध को पचाने के लिए कम लैक्टेज का उत्पादन करता है। क्योंकि दूध में सभी छह पोषक तत्व होते हैं; प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, मिनरल और पानी। दूध आपके पेट से गुजरता हुआ छोटी आंत और फिर बड़ी आंत में पहुंचता है। दूध कितनी देर में पचता है? इसका जवाब है कि भोजन पेट में कम से कम चार से पांच घंटे रहता है। उसी तरह कम वसा वाले दूध की तुलना में अधिक वसा वाला दूध चार से पांच घंटे तक रहता है। दूध छोटी आंत में गुजरता है जहां अधिकांश पोषक तत्व पचते और अवशोषित होते हैं। छोटी आंत से गुजरने में एक मिश्रित भोजन को तीन से पांच घंटे लग सकते हैं। बचा हुआ दूध 24 घंटे तक की अवधि के दौरान बड़ी आंत से गुजरता है, जहां कुछ पानी और विटामिन और मिनरल्स अवशोषित होते हैं। यह सिर्फ एक अनुमान पर आधारित हैं, और दूध के अलग प्रकार के लिए पाचन का समय अलग-अलग हो सकता है।
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दूध का पाचन : कुछ लोग लैक्टोज इन्टॉलरेंस क्यों होते हैं?
लैक्टोज दूध और अन्य डेयरी उत्पादों में पाया जाने वाला मुख्य शर्करा है। जो लोग लैक्टोज इन्टॉलरेंस होते हैं उन्हें शुगर को डाइजेस्ट करने में मुश्किल होती है। ऐसे लोगों में आमतौर पर उनकी छोटी आंत में पर्याप्त लैक्टेज नहीं बना है, जो लैक्टोज को पचा सके।
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दूध का पाचन : लैक्टोज इनटॉलेरेंस के लक्षण
लैक्टोज युक्त भोजन या पेय का सेवन करने के 30 मिनट से दो घंटे के बीच पीड़ित को निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव हो सकता है:
- पेट फूलना,
- दस्त,
- पेट में ऐंठन आदि।
कुछ मामलों में ये लक्षण गंभीर भी हो सकते हैं।
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दूध का पाचन : कौन लोग होते हैं प्रभावित?
- लगभग 60% वयस्क इंसान लैक्टोज इन्टॉलरेंस होते हैं। हालांकि, यह जगह के आधार पर भी बदलती है। नेशनल हेल्थ सर्विस के अनुसार, लैक्टोज इन्टॉलरेंस अफ्रीकी, एशियाई, हिस्पैनिक और अमेरिकी भारतीय मूल के लोगों में सबसे आम है। वहीं, चीन के लगभग 90% लोगों में यह स्थिति पाई जाती है।
- समय से पहले पैदा हुए शिशुओं (premature babies) में लैक्टेज के स्तर में कमी हो सकती है क्योंकि तब तक छोटी आंत लैक्टेज-उत्पादक कोशिकाओं को विकसित नहीं करती है।
- छोटी आंत को प्रभावित करने वाले रोग लैक्टोज इन्टॉलरेंस का कारण बन सकती हैं उनमें सीलिएक और क्रोहन डिजीज शामिल हैं।
- यदि आपने पेट के कैंसर के इलाज के लिए रेडिएशन थेरेपी या कीमोथेरेपी का सहारा लिया है जिससे आंतों की जटिलताएं जन्म ली हैं, तो लैक्टोज इन्टॉलरेंस बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है।
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दूध पचाने के घरेलू उपाय (Home remedies for milk digestion)
लैक्टोज इन्टॉलरेंस के लक्षणों को कम करने के तरीके हैं:
स्मॉल सर्विंग्स लें (Take small servings)
कभी-कभी दूध की अधिक मात्रा लेने की वजह से दूध का पाचन कठिन बन जाता है। इसलिए, एक बार में 4 औंस (118 मिलीलीटर) तक ही दूध का सेवन करें। ली गई सर्विंग्स जितनी कम होंगी, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं की संभावना उतनी ही कम होगी।
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अन्य खाद्य पदार्थों के साथ दूध लें (Take milk along with other foods)
दूध को अन्य खाद्य पदार्थों के साथ लेने पर यह पाचन प्रक्रिया को धीमा कर देता है और लैक्टोज इन्टॉलरेंस के लक्षणों को कम कर सकता है।
डेयरी उत्पादों के साथ करें एक्सपेरिमेंट (Experiment with dairy products)
सभी डेयरी उत्पादों में लैक्टोज की समान मात्रा नहीं होती है। उदाहरण के लिए, हार्ड चीज जैसे; स्विस या चेडर में लैक्टोज की थोड़ी मात्रा होती है। ऐसे ही आप कल्चर्ड डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे कि योगर्ट का भी सेवन कर सकते हैं, क्योंकि संवर्धन प्रक्रिया (culturing process) में उपयोग किए जाने वाले बैक्टीरिया स्वाभाविक रूप से लैक्टोज को तोड़ने वाले एंजाइम का उत्पादन करते हैं।
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दूध का पाचन: लैक्टोज फ्री उत्पादों को देखें (Lactose Free Products)
“लैक्टोज-फ्री” या “कम लैक्टोज” दूध और अन्य डेयरी उत्पाद मार्केट में व्यापक रूप से उपलब्ध हैं। इसलिए, प्रोडक्ट्स लेते समय फूड लेबल की जांच करनी चाहिए। हालांकि, ये प्रोडक्ट्स मिल्क एलर्जी वाले लोगों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं क्योंकि दूध की एलर्जी वाले लोगों को दूध में मौजूद प्रोटीन से एलर्जी होती है। ये प्रोटीन प्रोडक्ट्स से लैक्टोज को हटाने पर भी उसमें मौजूद होते हैं।
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क्या लैक्टोज इनटॉलेरेंस डेयरी एलर्जी (Lactose Intolerance Dairy Allergies)की तरह ही है?
नहीं, इनटॉलेरेंस और एलर्जी अलग-अलग हैं। पीनट एलर्जी के बाद मिल्क एलर्जी दूसरी सबसे आम फूड एलर्जी है। दूध से एलर्जी होने पर दूध में पाए जाने वाले प्रोटीन के प्रति शरीर विपरीत प्रतिक्रिया करता है जबकि लैक्टोज इनटॉलेरेंस या दूध न पचने का कारण उसमें मौजूद शुगर होती है। मिल्क एलर्जी, दूध न हजम होने की स्थिति से ज्यादा नुकसानदेह हो सकती है।
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ध्यान दें
दूध वेजीटेरियन लोगों में पोषक तत्व की पूर्ति का एक मुख्य पेय पदार्थ है। इसमें मौजूद कैल्शियम, विटामिन A, प्रोटीन, विटामिन D, विटामिन B12 जैसे कई नुट्रिशन्स मौजूद होते हैं। दूध का पाचन न होने पर एक व्यक्ति में इन पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि आप ऐसे खाद्य पदार्थों के सेवन कर सकते हैं जो इन पोषक तत्वों की पूर्ति करते हों। जैसे-संतरा, बादाम, ब्रोकली, तिल, पालक, खजूर, नारियल, सोया मिल्क, अंजीर, चना, गाजर आदि। इसके अलावा प्राकृतिक रूप से विटामिन D पाने के लिए सुबह की धूप का उपयोग करना चाहिए। साथ ही आहार में बदलाव के लिए डॉक्टर की सलाह भी लें।
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