रेम स्लीप यानी रैपिड आई मूवमेंट स्लीप नींद के पांच चरणों में से एक ऐसा चरण है जो हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी है। आपको जानकर हैरान होगी कि नींद हमारे शरीर के हर सिस्टम और कोशिकाओं को प्रभावित करती है। नींद सिर्फ मूड ही नहीं दिमाग से लेकर दिल, फेफड़े, मेटाबॉलिज्म और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करती है। कई रिसर्च में यह बात सिद्ध हो चुकी है कि अपर्याप्त नींद या नींद की सही गुणवत्ता नहीं होने से उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारियां, डायबिटीज, डिप्रेशन और मोटापे का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इस आर्टिकल में जानें कि कैसे रेम स्लीप स्टेज आपको कई खतरनाक बीमारियों से बचने में मदद करती है।
क्या है रेम स्लीप (REM Sleep)?
रेम स्लीप स्टेज (रैपिड आई मूवमेंट स्लीप, REM) नींद के पांच चरणों में से एक है, जिसमें नींद के दौरान आपकी आंखें पलकों के पीछे तेजी से अलग-अलग दिशाओं में घूमती हैं। रेम स्लीप स्टेज हमारे स्लीप पैटर्न का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। रेम स्लीप स्टेज के दौरान आपको ज्यादा और तेजी से सपने आ सकते हैं, क्योंकि उस समय आपका दिमाग ज्यादा एक्टिव होता है। जिसका अच्छा प्रभाव हमारी सेहत पर पड़ता है।
यह भी पढ़ें : जानिए सोने के कितने प्रकार होते हैं?
सोते वक्त दिमाग का ज्यादा एक्टिव होना
क्या आप जानते हैं कि सोते समय आपके दिमाग और शरीर में बहुत कुछ चल रहा होता है। यह बात एकदम सही है कि आपका मस्तिष्क हर रात कई बार नींद के पांच अलग-अलग चरणों के माध्यम से गुजरता है। रेम स्लीप स्टेज पांचवीं और सबसे महत्वपूर्ण स्लीप स्टेज है। रेम स्लीप आपके दिमाग को रीस्टोर करने के साथ ही आपके सीखने और याद रखने की क्षमता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि आपको केवल एक रात के लिए ही पर्याप्त रेम स्लीप न मिले, तो अवश्य ही आपको अगले दिन थकावट महसूस होने लगेगी और आपको एनर्जी भी कम लगेगी।
रेम स्लीप स्टेज को बेहतर ढंग से समझने के लिए, आपको नींद के पहले चार चरण समझने होंगे। नींद के चरण निम्नलिखित है :
- रेम स्लीप स्टेज के दौरान आपके सपने तीव्र हो सकते हैं, क्योंकि उस समय आपका मस्तिष्क ज्यादा सक्रिय होता है।
- शिशु, वयस्कों की तुलना में 50% तक अपनी नींद में रेम स्लीप स्टेज में गुजारते है। वहीं व्यस्क केवल 20% रेम स्लीप में बिताते हैं।
यह भी पढ़ें : सिजेरियन डिलिवरी के बाद अच्छी नींद के लिए टिप्स
रेम स्लीप स्टेज और नींद के पांच चरण
स्टेज 1
नींद की इस अवस्था में आंखों की गति धीमी होती है, मांसपेशियों को अभी तक पूरी तरह से आराम नहीं मिलता है। बहुत हल्की नींद का यह चरण आमतौर पर लगभग पांच मिनट तक रहता है।
यह भी पढ़ें : रेयर स्लीप डिसऑर्डर : कहीं आप इनमें से किसी का शिकार तो नहीं
स्टेज 2
इस स्टेज के दौरान, आप हल्की नींद में होते हैं। आपकी हृदय गति धीमी हो जाती है और आपके शरीर का तापमान भी गिर जाता है। इस दौरान शरीर गहरी नींद के लिए तैयार हो रहा होता है। यदि इस स्टेज में आपको हल्का सा शोर सुनाई दे तो आप आसानी से जाग सकते हैं। स्टेज दो की नींद लगभग 45-50 मिनट तक रहती है।
स्टेज 3
यह गहरी नींद की अवस्था है। रेम स्लीप स्टेज के दौरान इंसान का जागना कठिन होता है और यदि कोई आपको जगाता है तो आपको कुछ मिनटों तक कुछ समझ ही नहीं आता है।
यह भी पढ़ें : महिलाओं में इंसोम्निया : प्री-मेनोपॉज, मेनोपॉज और पोस्ट मेनोपॉज से नींद कैसे होती है प्रभावित?
स्टेज 4
इस अवस्था में आप अपनी गहरी नींद का अनुभव करते हैं और जब आप इस अवस्था में होते हैं तो आसानी से जागना मुश्किल हो सकता है। यह स्थिति लगभग 15 मिनट तक रहती है।
रेम स्लीप स्टेज में सुधार प्रक्रिया
जब आप रेम स्लीप स्टेज के आगे पहुंच जाते हैं तो शरीर में सुधार प्रक्रिया शुरू हो जाती है। हमारी कोशिकाएं फिर से बनती हैं, हड्डियों, मांसपेशियां और रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होने लगता ह।
नींद के इन सारे चरणों से गुजरने में लगभग 70-90 मिनट लगते हैं और यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। रेम स्लीप सहित, एक पूरी नींद के चक्र में 90-110 मिनट लगते हैं और ज्यादातर लोग हर रात चार से छह स्लीप साइकिल (sleep cycle) पूरा करता है। रेम स्लीप की पहली अवधि आमतौर पर 10 मिनट तक रहती है। उसके बाद का प्रत्येक रेम स्लीप साइकिल लंबा हो जाता है और आखिर में एक घंटे तक चल सकता है। इस दौरान आपकी हृदय गति और श्वास तेज हो जाती है।
यह भी पढ़ें : सिर्फ प्यार में नींद और चैन नहीं खोता, हर उम्र में हो सकती है ये बीमारी
हमें रेम स्लीप की आवश्यकता क्यों है?
- रेम स्लीप की अवस्था के बाद जब आप जागते हैं तो आप काफी रिफ्रेश और एक्टिव महसूस करते हैं। रेम स्लीप की अंतिम स्टेज है तो यदि आप इस दौरान नहीं सो पाते हैं तो अगले दिन आप काफी थकावट महसूस करते हैं।
- यदी आप बिना जागे पूरी रात एक लगातार नींद लेते हैं तो हमारा दिमाग न्यूरोटॉक्सिन (Neurotoxins) को हटाकर साफ कर देता है। जैसे-बीटा-एमाइलॉयड (beta-amyloid) नामक कुछ वेस्ट प्रोडक्ट, जो अल्जाइमर रोग (Alzheimer) वाले लोगों में पाए जाते हैं।
- रेम स्लीप स्टेज का सीधा संबंध प्रोटीन के निर्माण से है। एक रिसर्च के अनुसार रेम स्लीप का प्रभाव मेंटल स्किल्स पर पड़ता है। रेम स्लीप दिमाग के उन हिस्सों को उत्तेजित करती है जिनका उपयोग लर्निंग प्रोसेस में होता है। इसलिए, कहा जाता है कि रेम स्लीप वयस्कों की तुलना में बच्चों के लिए बहुत जरूरी होती है।
- रेम स्लीप हमारे दिमाग की दिनभर की गंदगी (खराब विचारों) को दूर करने में मदद कर सकती है। हालांकि, बाधित नींद का मतलब है कम रेम स्लीप , जिसका अर्थ है कि हम अपने विचारों को पूरी तरह से साफ नहीं कर पाए हैं या फिर हमें इसके लिए कम समय मिलता है।
- जिन लोगों को पर्याप्त मात्रा में रेम स्लीप नहीं आती है, उन्हें अल्जाइमर रोग और पार्किंसन (Parkinson’s disease) का हाई रिस्क हो सकता हैं। साथ ही सुबह उठने पर व्यक्ति को ताजगी महसूस नहीं होती है। ऐसे लोगों में दिन में सोने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
और पढ़ें :
क्या आप जानते हैं कि महिलाओं और पुरुषों की नींद में अंतर होता है?
समझें पैनिक अटैक (Panic attack) और एंग्जायटी अटैक (Anxiety attack) में अंतर
जोकर फिल्म ने मेंटल हेल्थ के प्रति लोगों को किया अवेयर, किसी को भी हो सकते हैं ये 5 तरह के डिसऑर्डर
इन तरीकों से आप चुटकियों में पा सकते हैं साउंड स्लीप
[embed-health-tool-bmi]