मुझे बहुत तेज भूख लगी थी फिर मुझे दुकान में गरमागरम समोसा दिख गया। बर्गर- पिज्जा की दुकान भी पास थी, समझ नहीं आ रहा था कि क्या खाऊं। आखिरकार मन समोसे में अटक गया। कसम से.. पेट भर दो समोसे खा गई। बाद में थोड़ा अफसोस भी हुआ कि अब तो पक्का फैट बढ़ जाएगा। कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट पढ़ी और ये सोच के दिल बाग-बाग हो गया कि समोसे और बर्गर के बीच मेरा चुनाव बेहतर था। अगर आप समोसे के शौकीन हैं तो इस रिपोर्ट पर थोड़ा ध्यान दीजिए।
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जानिए क्या कहती है रिपोर्ट
सेंटर फॉर साइंस एंड एंवायरमेंट (CSE) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि समोसा, बर्गर से ज्यादा हेल्दी है। शायद आपको सुनकर हैरानी हो, लेकिन ये एकदम सच है। आप हफ्ते में दो या तीन बार समोसा खा लेते हैं तो, चिंता बिल्कुल मत कीजिए क्योंकि ये थोड़ा ऑयली हो सकता है लेकिन बर्गर की तरह अनहेल्दी नहीं।
आखिर क्यों समोसा है बेहतर?
साफ सीधी बात बस इतनी है कि जंक फूड बर्गर भी है और समोसा भी, लेकिन समोसा बनाने में फ्रेश चीजों का इस्तेमाल होता है। वहीं बर्गर में प्रिजरवेटिव्स का यूज किया जाता है। समोसा बनाते समय ताजा आटा गूंथा जाता है और बर्गर बनाने में प्रिजरवेटिव्स, ऐसिड रेग्युलेटर, एंटीऑक्सीडेंट्स मिलाए जाते हैं। समोसे के फ्रेश इंग्रीडिएंट्स में ऐसा कुछ भी नहीं मिलाया जाता है। CSE ने रिपोर्ट फाइल करने के साथ ही ‘Know Your Diet’ सर्वे भी किया है। इस सर्वे में 9 से 17 साल के 13,000 बच्चों को शामिल किया गया। ये सभी 15 अलग-अलग राज्यों से थे। सर्वे में ये बात सामने आई कि पैक्ड फूड की खपत बहुत बढ़ रही है। पैक्ड फूड में शुगर और नमक बहुत ज्यादा मात्रा में होती है।
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क्या कहना है डायटीशियन का?
फ्रेश खाने के बारें में हैलो स्वास्थ्य ने डायटीशियन शुचि बसंल से उनकी राय ली। डायटीशियन का कहना है कि खाना बनाने के तीन से चार घंटे के अंदर खा लेना चाहिए। लंबे समय से प्रिजरवेशन में रखा खाना अपना तत्व खो देता है। कोशिश करें कि फ्रेश फूड खाने की हैबिट अपनाएं। पैक्ड फूड खाने का असल तत्व खोता जा रहा है।
एक समोसा और एक बर्गर में कैलोरी की कितनी मात्रा होती है?
एक मध्यम आकार के समोसा में लगभग 262 कैलोरी होती है, जबकि एक मध्यम आकार के बर्गर में 295 से 500 कैलोरी की मात्रा हो सकती है। बर्गर में कैलोरी की मात्रा उसके आकार और उसमें इस्तेमाल की जानी वाली अन्य समाग्रियों पर भी निर्भर कर सकती है। साथ ही, अगर बर्गर में चीज का इस्तेमाल करते हैं, तो उसमें कैलोरी की मात्रा और भी बढ़ सकती है।
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जानिए समोसा VS बर्गर में अंतर
समोसा और बर्गर दोनों को बनाने में लगभग सभी समाग्री एक जैसी ही होती है। तो चलिए जानते हैं कैसे एक जैसी ही समाग्रियां अलग-अलग तौर पर कैसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक या फायदेमंद हो सकती हैंः
ताजे और पैक्ड फूड का इस्तेमाल
एक तरफ समोसा जहां ताजे और फ्रेश सब्जियों से बनता है, तो वहीं दूसरी तरफ, बर्गर पैक्ड पदार्थों से बनाया जाता है। ये पैक्ड फूड कई दिनों का भी हो सकता है।
मैदे का इस्तेमाल
समोसे का आकार देने के लिए मैदे का इस्तेमाल किया जाता है, वहीं बर्गर में पाव बनाने के लिए भी मैदे का इस्तेमाल किया जाता है। मैदा बनाने के लिए गेंहू का इस्तेमाल किया जाता है। मैदे को रिफाइंड आटा भी कहा जाता है, क्योंकि गेंहू के आटे को ही रिफाइंड करके मैदा बनाया जाता है। मैदा बनाने के लिए गेंहू के आटे को ब्लीच किया जाता है जिसके कारण ही मैदा बहुत पतला, मुलायम और रंग में बहुत ज्यादा सफेद होता है। जब गेंहू के आटे को रिफाइंड करके मैदा बना दिया जाता है, तो उसके अंदर के सभी फाइबर खत्म हो जाते है। क्योंकि, मैदे को रिफाइंड करने के लिए इस्तेमाल किए गए ब्लीच में केमिकल की मात्रा होती है।
समोसा बनाते वक्त सीधे मैदे का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि, बर्गर का पाव बनाने के लिए मैदे में खमीर (यीस्ट) की जरूरत होती है, जिससे ही पाव और ब्रेड स्पंजी और बहुत ज्यादा मुलायम बनते हैं।
तेल का इस्तेमाल
आमतौर पर समोसा बनाने के लिए घरों में इस्तेमाल किए जाने सामान्य कुकिंग ऑयल्स का इस्तेमाल किया जाता है। जबकि, बर्गर की टिक्की बनाने के लिए सामान्य कुकिंग ऑयल्स के अलावा अन्य तेलों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। समोसा तलने के बाद जहां उसे कुछे ही घंटों में खा लिया जाता है, वहीं बर्गर को फ्रीज करके स्टोर भी किया जा सकता है।
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फास्ट फूड के नुकसान
खाद्य संस्थान के आंकड़ों के अनुसार, हर व्यक्ति अपने बजट का 45 फिसदी खर्च फास्ट फूड के लिए करता है। जिसके पीछे कई अलग-अलग कारण भी है, जैसे- घर से दूर रहना या फास्ट फूड को बहुत ज्यादा पसंद करना। कभी-कभार फास्ट फूड खाने से सेहत पर कोई नुकसान नहीं होता है, लेकिन इसकी आदत शरीर के लिए मुसीबत बन सकती है।
शुगर की मात्रा में वृध्दि
फास्ट फूड्स में कार्बोहाइड्रेट की अधिक मात्रा और फाइबर की बहुत कम मात्रा पाई जाती है। शरीर का पाचन तंत्र जब खाद्य पदार्थों को पचाता है, तो कार्ब्स को खून के प्रवाह में ग्लूकोज यानी शुगर के रूप में छोड़ता है। जिसके कारण खून में शुगर की मात्रा भी बढ़ जाती है। इसके बाद, अग्नाशय (पेनक्रियाज) इंसुलिन रिलीज करके खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ा देता है। अग्नाशय, वह अंग है जो शरीर में रसायन उत्पन्न करता है और इस रसायन को इंसुलिन कहते हैं। इंसुलिन शरीर में शुगर को कोशिकाओं में पहुंचाने का कार्य करता है। अगर शुगर की मात्रा शरीर में बहुत ज्यादा हो जाए, तो यह कई बीमारियों के जोखिम का कारण बन सकती है। जिसमें टाइप-2 डायबिटीज (मधुमेह) और मोटापा सबसे सामान्य होता है।
भारत में मोटापे का आंकड़ा
आंकड़ों पर गौर किया जाए तो, भारत में लोगों में मोटापे की संख्या तेजी से बढ़ी है। साल 2005 और 2015 के बीच मोटापे के अंकड़ें दोगुनी तेजी से बढ़ें थे और साल 2019 में देश में मोटापे का अंकड़ा 135 लाख हो गई है। इसके अलावा हर साल मोटापे के कारण लगभग 26 फिसदी लोगों की मृत्यु ह्रदय की समस्याओं के कारण होती है। एक अनुमानित आंकड़े के मुताबिक साल 2016 में देश में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज के मरीजों की संख्या लगभग 22.2 लाख और क्रॉनिक अस्थमा के मरीजों की संख्या लगभग 35 लाख थी।
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