- स्टेज 1 (Stage 1) : स्टेज 1 का अर्थ है कि ट्यूमर ने शरीर की मिडलाइन को क्रॉस नहीं किया है। ट्यूमर को पूरी तरह से हटा दिया गया है और यह शरीर के अन्य क्षेत्रों में नहीं फैला है। यह स्टेज यह भी बताती है कि शरीर में ट्यूमर की तरफ मौजूद लिम्फ नोड में कैंसर सेल मौजूद नहीं है।
- स्टेज 2A (Stage 2A) :स्टेज 2A में शामिल ट्यूमर शरीर की मिडलाइन को क्रॉस नहीं किया होता है। हालांकि, सभी विज़िबल ट्यूमर को रिमूव कर दिया जाता है लेकिन इस स्टेज में ट्यूमर रिमूवल पूरा नहीं हो पाता है। ट्यूमर की यह स्टेज शरीर के अन्य भागों तक नहीं फैली होती और ट्यूमर की तरफ की लिम्फ नोड्स में ट्यूमर सेल्स मौजूद नहीं होते।
- स्टेज 2B Stage 2B : इस स्टेज में ट्यूमर को कुछ मामलों में पूरी तरह से रिमूव किया भी जा सकता है या जबकि कुछ मामलों में ऐसा नहीं हो पाता। लेकिन, यह शरीर के दूसरे भागों में नहीं फैला होता, जिस तरफ ट्यूमर होता है।
- स्टेज 3 Stage 3 : स्टेज 3 में वो ट्यूमर शामिल होता है जो शरीर की मिडलायन को क्रॉस नहीं करता है और जिसे पूरी तरह से नष्ट नहीं किया जा सकता। लिम्फ नॉड्स में ट्यूमर सेल हो भी सकते हैं और नहीं भी हो सकते हैं।। लेकिन, इस स्टेज में शरीर के दूसरे भाग में ट्यूमर के साथ लिम्फ नॉड्स होते हैं।
- स्टेज 4 Stage 4 : स्टेज 4 में वो ट्यूमर शामिल है जो दूर के लिम्फ नोड्स (Lymph Nodes), बोन मैरो (Bone Marrow), लिवर (Liver) , त्वचा (Skin) या अन्य अंगों में मेटास्टेसाइज (Metastasize) हो गया होता है।
- Stage 4S : इस स्टेज में एक ट्यूमर ऐसा शामिल होता है जो लिवर, त्वचा या अस्थि मज्जा को मेटास्टेसाइज कर चुका होता है, लेकिन हड्डियों को नहीं। यह अवस्था आम तौर पर 1 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में पाई जाती है। यह तो थी इस कैंसर की स्टेजेज। अब जान लेते हैं इसके निदान के बारे में।
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न्यूरोब्लास्टोमा का निदान (Diagnosis of Neuroblastoma)
न्यूरोब्लास्टोमा (Neuroblastoma) के निदान के लिए डॉक्टर बच्चे की शारीरिक और न्यूरोलॉजिकल जांच कर सकते हैं। न्यूरोलॉजिकल जांच से बच्चों के नर्व फंक्शन, रिफ्लेक्स और कोऑर्डिनेशन की जांच होती है। इसके साथ ही डॉक्टर रोगी को कई अन्य टेस्ट कराने की सलाह भी दे सकते हैं। हालांकि इसके लक्षण अन्य किन्हीं कंडीशंस के लक्षणों जैसे भी हो सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर अन्य टेस्ट करा सकते हैं, जैसे:
- ब्लड और यूरिन टेस्ट्स (Blood and Urine tests) : ये टेस्ट मरीज के खून में हार्मोन के स्तर को मापते हैं, जो न्यूरोब्लास्टोमा (Neuroblastoma) द्वारा बनाए जा सकते हैं।
- इमेजिंग टेस्ट्स (Imaging tests) : इन टेस्ट्स से यह पता चलता है कि कैंसर कितना फैल चुका है।
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) : अल्ट्रासाउंड से पेट में ट्यूमर का पता चलता है।
- एक्स -रेज़ (X-Rays) : इससे छाती और हड्डियों में कैंसर के निदान के लिए किया जाता है ।
- अन्य तरह के स्कैन (Other Types of Scans) : डॉक्टर आपको सीटी स्कैन (CT-Scan), मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic resonance imaging) आदि कराने के लिए भी कह सकते हैं।
- बायोप्सी (Biopsy) : बायोप्सी में रोगी के ट्यूमर या बोन मैरो का सैंपल लिया जाता है और कैंसर के निदान के लिए इसकी जांच की जाती है। इसके साथ ही ब्लड सेल्स काउंट्स, लिवर व किडनी फंक्शन और शरीर में साल्ट के बैलेंस को जांचने के लिए अन्य लैब टेस्ट भी कराए जा सकते हैं। जानिए कैसे संभव है इसका उपचार?
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न्यूरोब्लास्टोमा का उपचार (Treatment of Neuroblastoma)
न्यूरोब्लास्टोमा (Neuroblastoma) वो कैंसर है जिसका उपचार संभव है। लेकिन, इसके उपचार में यह चीज जानना सबसे जरूरी फैक्टर है कि यह कितना फैला है। जितनी जल्दी इस कैंसर का इलाज हो, उतने ही ज्यादा संभावना होती है रोगी के ठीक होने की। न्यूरोब्लास्टोमा का उपचार रोगी कि उम्र और यह कैंसर कितना फैला है इस पर निर्भर करता है। इसके उपचार के तरीके इस प्रकार हैं:
सर्जरी (Surgery)
अगर ट्यूमर शरीर के अन्य भागों में न फैला हो, तो सर्जरी का प्रयोग करके ट्यूमर को रिमूव किया जा सकता है। अगर यह ट्यूमर स्पाइनल कॉर्ड को प्रभावित कर रहा हो तो सर्जरी की जगह कीमोथेरेपी का प्रयोग किया जा सकता है। जब न्यूरोब्लास्टोमा (Neuroblastoma) का निदान होने तक यह कैंसर फैल चुका हो, तो सर्जरी के बजाय कीमोथेरेपी और अन्य दवाओं का भी उपयोग किया जा सकता है।
कीमोथेरेपी (Chemotherapy)
कीमोथेरेपी वो पावरफुल दवाइयां हैं, जिनका प्रयोग कैंसर सेल्स को नष्ट करने या उन्हें ग्रो होने से रोकने और अधिक कैंसर सेल्स को बनने से रोकना है। इन दवाइयों को ब्लड स्ट्रीम में इंजेक्ट किया जाता है, लेकिन कई बार इन्हें ओरल भी दिया जा सकता है। कॉम्बिनेशन थेरेपी (Combination Therapy) में एक समय में एक से अधिक प्रकार के दवाइयों का उपयोग किया जाता है है। रेडिएशन थेरेपी का प्रयोग भी कीमोथेरेपी के साथ कम्बाइन कर के किया जा सकता है।
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रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy)
रेडिएशन थेरेपी में हाय एनर्जी एक्स रे (High-Energy X-Rays) या अन्य तरह की रेडिएशन का प्रयोग किया जाता है। ताकि कैंसर सेल्स को नष्ट किया जा सके या उन्हें ग्रो होने से रोका जा सके।
एक्सटर्नल रेडिएशन में एक्स-रे डोज देने के लिए शरीर के बाहर मशीनों का उपयोग किया जाता है। इंटरनल रेडिएशन में नीडल्स, सीड्स, वायर्स आदि का प्रयोग किया जाता है, ताकि रेडिएशन को कैंसर में या कैंसर के नजदीक डिलीवर किया जा सके। हाय रिस्क पेशेंट्स (High-Risk Patients )को इससे अधिक इंटेंस ट्रीटमेंट दिया जा सकता है। न्यूरोब्लास्टोमा (Neuroblastoma) के रोगी उस समय बेहद रिस्क में होते हैं, जब ट्यूमर को सर्जिकल रिमूव न किया जा सके और यह फैल जाए। अधिक जोखिम वाले रोगियों में कीमोथेरेपी और इम्यून थेरेपी को स्टेम सेल्स ट्रांसप्लांट के साथ मिला कर हाय डोज में इसका प्रयोग किया जाता है।
स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Stem Cell Transplant)
इस तरीके में बोन मैरो को हेल्दी सेल्स के साथ रिप्लेस कर दिया जाता है। यह रिप्लेसमेंट सेल्स रोगी के शरीर या डोनर कहीं से भी लिए जा सकते हैं। इस प्रक्रिया को बोन मैरो ट्रांसप्लांट भी कहा जाता है।
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यह तो थी न्यूरोब्लास्टोमा (Neuroblastoma) के बारे में पूरी जानकारी। इस रोग से बचाव संभव नहीं है लेकिन आपको या आपके पार्टनर को यह कैंसर है तो आपके बच्चों को भी यह समस्या हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह लें और जेनेटिक टेस्टिंग कराएं। अगर आपको अपने बच्चे में इस कैंसर के कोई भी लक्षण नजर आते हैं तो भी तुरंत मेडिकल हेल्प लेना जरूरी है क्योंकि जल्दी निदान और उपचार से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। इससे बच्चे को जल्दी रिकवर होने भी मदद मिलती है।