एस्ट्रोजन हार्मोन महिलाओं के शरीर में पाए जाने वाले हार्मोन में मुख्य है। ऐस्ट्रोजन हार्मोन महिलाओं के फिजिकल फीचर, रिप्रोडक्टिव फंक्शन, ब्रेस्ट और यूट्रस की ग्रोथ के साथ ही पीरियड्स (menstrual) साइकिल के रेगुलेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एस्ट्रोजन हार्मोन सिर्फ महिलाओं के ही नहीं, बल्कि पुरुषों के शरीर में भी बनता है, लेकिन बहुत ही कम मात्रा में बनता है। एस्ट्रोजन हार्मोन के लेवल को चेक करने के लिए एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट किया जाता है। अगर आपको अब तक इस हार्मोन के बारे में जानकारी नहीं थी तो ये आर्टिकल पढ़ें और जानें कि कैसे किया जाता है एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट।
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एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट से पहले ये जान लें
एस्ट्रोजन हार्मोन के बहुत से प्रकार होते हैं लेकिन एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट के दौरान केवल कुछ ही एस्ट्रोजन की जांच की जाती है।
एस्ट्रोन (Estrone)
एस्ट्रोन जिसे ई-1 भी कहा जाता है, ये महिलाओं में मेनोपॉज के बाद रिलीज होता है। मेनोपॉज यानी महिलाओं के जीवन में ऐसे समय का आना जब पीरियड्स आना बंद हो जाते हैं। आमतौर पर महिलाओं को 50 साल की उम्र तक मीनोपॉज हो जाता है।
एस्ट्राडियोल (Estradiol)
एस्ट्राडियोल हार्मोन को E2 भी कहते हैं। ये हार्मोन वजायनल लक्षण जैसे कि मीनोपॉज के कम उम्र में रोकने का काम करता है। इसे 17 बीटा-एस्ट्राडियोल ( 17 beta-estradiol) भी कहते हैं। ओवरीज, ब्रेस्ट और एड्रेनल ग्लैंड्स ये हार्मोन बनाती हैं। प्रेग्नेंसी में प्लासेंटा भी एस्ट्राडियोल हार्मोन बनाने का काम करता है। इस हार्मोन की मदद से सेक्स ऑर्गन जैसे कि यूट्रस, फैलोपियन ट्यूब, वजायना और ब्रेस्ट का डेवलपमेंट होता है। एस्ट्राडियोल हार्मोन पुरुषों में भी पाया जाता है, लेकिन ये बहुत ही कम मात्रा में पाया जाता है।
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एस्ट्रिऑल( Estriol)
एस्ट्रिऑल हार्मोन को E3 भी कहते हैं। ये हार्मोन प्रेग्नेंसी के समय बढ़ जाता है।
एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट क्यों किया जाता है ?
एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट की हेल्प से महिलाओं के शरीर की जरूरी जानकारी मिल जाती है। महिला की फर्टिलिटी (प्रेग्नेंट होने की क्षमता) की जानकारी, प्रेग्नेंसी के बारे में जानकारी, पीरियड्स के बारे में और अदर हेल्थ कंडीशन के बारे में जानकारी मिल जाती है। एस्ट्रोन (Estrone),एस्ट्राडियोल (Estradiol) और एस्ट्रिऑल( Estriol) हार्मोन के शरीर में लेवल की जांच की हेल्प से डॉक्टर को कई बातों की जानकारी मिल जाती है। जानिए एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट से डॉक्टर को क्या बातें जानने को मिलती हैं।
- लड़कियों में जल्दी या फिर देरी से प्युबर्टी का पता चलना
- लड़कों में देरी से प्युबर्टी का पता चलना
- पीरियड्स को लेकर हो रही गड़बड़ी की वजह जानना
- इनफर्टिलिटी की समस्या का पता लगाने के लिए टेस्ट
- मेनोपॉज ट्रीटमेंट को मॉनीटर करने के लिए
- उन ट्यूमर का पता लगाने के लिए जो एस्ट्रोजन रिलीज कर रहे हैं
- प्रेग्नेंसी के समय बर्थ डिफेक्ट का पता लगाने के लिए
- हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का पता लगाने के लिए
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क्या मुझे एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट कराना चाहिए ?
ऐसा जरूरी नहीं है कि सभी लड़कियों और महिलाओं को एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट कराना चाहिए। कुछ महिलाओं और लड़कियों को एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट की जरूरत पड़ सकती है। लेकिन ये बात आपका डॉक्टर तय करेगा कि आपको एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट कराना है या फिर नहीं। सभी लड़कियों और महिलाओं को इस बारे में जानकारी जरूर होनी चाहिए।
अगर आपको
- प्रेग्नेंट होने में किसी भी प्रकार की समस्या हो रही है।
- अगर लड़की की उम्र अधिक हो गई हो यानी 18 साल से ज्यादा और उसको पीरियड्स नहीं हो रहे हो तो डॉक्टर एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट की सलाह दे सकता है।
- अगर महिला को मेनोपॉज के लक्षण के साथ ही हॉट फ्लैशेज या नाइट स्वैट की समस्या हो रही हो।
- मेनोपॉज के बाद भी वजायनल ब्लीडिंग हो रही हो।
- लड़का या लड़की, जिसमें समय पर प्युबर्टी के लक्षण नजर नहीं आ रहे हो।
- अगर पुरुषों में महिलाओं के कुछ लक्षण जैसे कि ब्रेस्ट बढ़ना आदि नजर आ रहा हो तो डॉक्टर तुरंत एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट की सलाह देता है।
बर्थ डिफेक्ट की है हिस्ट्री तो कराना पड़ सकता है टेस्ट
अगर कोई महिला प्रेग्नेंट है तो डॉक्टर उसे एस्ट्रिऑल टेस्ट के लिए सलाह दे सकता है। एस्ट्रिऑल टेस्ट 15वें और 20वें सप्ताह के दौरान किया जाता है। लेकिन ये टेस्ट सभी महिलाओं को नहीं करवाना पड़ता है। जिन महिलाओं के परिवार में बर्थ डिफेक्ट की हिस्ट्री रह चुकी है, डॉक्टर उन्हें ये टेस्ट कराने की सलाह दे सकता है। एस्ट्रिऑल टेस्ट की सहायता से जेनेटिक बर्थ डिफेक्ट जैसे कि डाउन सिंड्रोम आदि का पता लगाया जा सकता है। जो महिलाएं 35 से अधिक उम्र की हैं, डायबिटीज की समस्या है या फिर प्रेग्नेंसी में वायरल इंफेक्शन हो गया है, उन्हें इस टेस्ट की सलाह दी जा सकती है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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पुरुषों में भी हो सकता है एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट
जैसा कि हमने आपको ऊपर भी बताया कि एस्ट्रोजन केवल महिलाओं में ही नहीं बल्कि पुरुषों में भी बनता है। पुरुषों में एस्ट्रोजन का लेवल कम पाया जाता है। अगर कभी एस्ट्रोजन में गड़बड़ी हो जाती है तो पुरुषों में भी एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट की जरूरत पड़ सकती है। कुछ लक्षणों के आधार पर पुरुषों को टेस्ट की सलाह दी जाती है। जानिए क्या हैं लक्षण,
- प्युबर्टी अगर लड़के में सही समय पर नहीं आती है तो डॉक्टर एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट की सलाह दे सकता है।
- अगर पुरुषों में अचानक से ब्रेस्ट बढ़ने लगते हैं तो उस कंडीशन को गाइनेकोमास्टिया (gynecomastia) कहते हैं। ऐसी कंडीशन में भी डॉक्टर जांच की सलाह दे सकता है।
- अगर लो टेस्टोस्टेरॉन ( testosterone) के कारण एस्ट्रोजन का लेवल हाई हो रहा है तो भी डॉक्टर एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट के लिए कह सकता है।
- पुरुषों में ट्यूमर की पहचान करने के लिए एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट किया जाता है।
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एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट के दौरान क्या होता है ?
एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट के लिए डॉक्टर ब्लड, यूरिन या फिर सलाइवा का सैंपल ले सकता है। ब्लड और यूरिन टेस्ट डॉक्टर के ऑफिस या फिर लैब में हो जाता है। सलाइवा की जांच घर में भी की जा सकती है।
एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल
एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट के लिए डॉक्टर आपकी आर्म से निडिल का यूज करके ब्लड सैंपल लेगा। ज्यादातर लोगों को निडिल से बहुत डर महसूस होता है और उन्हें निडिल देखकर चक्कर आने लगता है। खासतौर पर महिलाओं के साथ ऐसा होता है। ये बात ध्यान रखें कि हेल्थ केयर प्रोवाइडर या फिर डॉक्टर इतने अच्छे ढंग से ब्लड निकालते हैं कि कुछ भी पता ही नहीं चलता है। जांच के दौरान डरने की जरूरत नहीं है। कुछ ही मिनट में ब्लड टेस्ट हो जाता है।
एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट के लिए यूरिन सैंपल
एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट के लिए डॉक्टर यूरिन का सैंपल लेता है। यूरिन टेस्ट के लिए डॉक्टर आपसे 24 घंटे के दौरान जितनी भी बार आपने यूरिन पास किया है, उसका सैंपल मांग सकता है। इसे 24-आवर यूरिन सैंपल टेस्ट भी कहते हैं। हेल्थ केयर प्रोवाइडर या फिर लैबोरेट्री प्रोफेशनल आपको यूरिन कलेक्ट करने के लिए कंटेनर देगा और साथ ही कुछ निर्देश भी देगा। जानिए यूरिन टेस्ट के दौरान क्या स्टेप अपनाएं जाते हैं।
- सुबह उठने के बाद यूरिन करें। फिर यूरिन कितने बजे की है, उस टाइम को नोट कर लें। इसे कलेक्ट करने की जरूरत नहीं है।
- अगले 24 घंटे के लिए जितनी बार भी यूरिन पास करें, उस यूरिन के सैंपल को कंटेनर में इकट्ठा करें।
- आपको यूरिन को अधिक तापमान में नहीं रखना चाहिए। यूरिन कंटेनर को रेफ्रिजरेटर या फिर आईस की हेल्प से ठंडा रखें।
- फिर हेल्थ केयर प्रोवाइडर को सैंपल दें।
घर में सलाइवा टेस्ट
एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट के लिए घर में सलाइवा टेस्ट भी किया जा सकता है। इस बारे में आप डॉक्टर से भी बात कर सकते हैं। सलाइवा टेस्ट के लिए किस किट का यूज करना है और किस तरह से सलाइवा का सैंपल प्रिपेयर करना है, इस बारे में डॉक्टर से जानकारी प्राप्त करें।
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एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट से कोई रिस्क है ?
एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट में अपनाई गई प्रक्रिया बहुत ही सरल होती है। किसी भी व्यक्ति को एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट के लिए पहले से प्रिपरेशन करने की जरूरत नहीं पड़ती है। रिस्क फैक्टर की बात की जाए तो टेस्ट के दौरान या फिर बाद में किसी भी तरह का रिस्क नहीं होता है। जिन महिलाओं या फिर पुरुषों को निडिल से डर लगता है, उन्हें हल्का सा दर्द महसूस हो सकता है। लेकिन निडिल का दर्द भी कुछ सेंकेंड ही महसूस होता है। बाकी टेस्ट के दौरान डरने की जरूरत नहीं है। कुछ लोगों को टेस्ट के दौरान परेशानी भी महसूस हो सकती है, जानिए किस तरह की परेशानी से गुजरना पड़ सकता है,
- ब्लीडिंग की समस्या
- इंफेक्शन
- चोट लगने की संभावना
- चक्कर आना या बेहोशी महसूस होना
- सुटेबल वेंस न मिल पाने पर डॉक्टर मल्टीपल पंचर कर सकता है।
- स्किन के नीचे ब्लड बिल्डिंग
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एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट के रिजल्ट का क्या मतलब है ?
एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट के रिजल्ट में एस्ट्राडियोल और एस्ट्रोन का स्तर दिया रहता है। अगर एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट के रिजल्ट में आपका एस्ट्राडियोल (estradiol ) या एस्ट्रोन (estrone ) का स्तर सामान्य से अधिक है तो यह निम्नलिखित कारणों से हो सकता है,
- ओवरीज, एड्रेनल ग्लैंड्स ( adrenal glands) या टेस्टिकल्स (testicles) का ट्यूमर।
- लड़कियों में अर्ली प्युबर्टी और लड़कों में लेट प्युबर्टी
- हाइपरथाइरोडिज्म (Hyperthyroidism)
- सिरोसिस, लिवर डैमेज (Cirrhosis)
अगर हार्मोन का लेवल कम है तो निम्न कारण हो सकते हैं,
- महिलाओं में प्राइमरी ओवरी इनसफिशियंसी नामक स्थिति बनना। ऐसी स्थिति में महिलाओं की ओवरी 40 साल से पहले ही काम करना बंद कर देती है।
- ईटिंग डिसऑर्डर एनोरेक्सिया नर्वोसा (Anorexia Nervosa) के कारण
- पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम जिसमें महिलाएं को प्रेग्नेंसी के लिए समस्या का सामना करना पड़ता है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम महिलाओं में इनफर्टिलिटी के मुख्य कारणों में से एक होता है।
- अगर महिला प्रेग्नेंट है और उसका एस्ट्रिऑल का स्तर सामान्य से कम है, तो इसका मतलब है कि उसकी गर्भावस्था को खतरा है। साथ ही होने वाले बच्चे में बर्थ डिफेक्ट का भी खतरा है। अगर टेस्ट के दौरान पॉसिबल बर्थ डिफेक्ट के बारे में जानकारी मिलती है तो डॉक्टर अन्य टेस्ट की सलाह भी देगा और फिर निदान करेगा।
- एस्ट्रिओल का हाई लेवल लेबर को भी जल्दी शुरू कर सकता है। लेबर से करीब चार सप्ताह पहले ही एस्ट्रिओल का लेवल बढ़ जाता है।
अन्य टेस्ट की सलाह
एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट के रिजल्ट आने के बाद डॉक्टर लक्षणों के आधार पर अन्य टेस्ट की सलाह भी दे सकता है। फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH) के लेवल को भी चेक किया जा सकता है। FSH हार्मोन की हेल्प से मेंस्ट्रुअल साइकिल मैनेज होती है और सही समय पर ओवरी में एग का प्रोडक्शन होता है। वहीं पुरुषों में FSH स्पर्म के प्रोडक्शन को प्रमोट करने का काम करता है। अगर महिला या पुरुष में इनफर्टिलिटी की समस्या है तो डॉक्टर FSH का टेस्ट और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन ( luteinizing hormone ) की जांच की जा सकती है। लड़के और लड़कियों में अर्ली प्युबर्टी के दौरान भी टेस्ट किए जा सकते हैं।
मेडिसिन के कारण एस्ट्राडियोल लेवल पर प्रभाव
कुछ मेडिसिन आपके एस्ट्राडियोल लेवल को प्रभावित कर सकती हैं। अगर आप टेस्ट कराने जा रही हैं तो डॉक्टर को इस संबंध में जरूर बताएं कि आप कौन सी दवा रोजाना ले रही हैं। हो सकता है कि आपका डॉक्टर किसी मेडिसिन को जांच के कुछ समय पहले तक बंद कर दें। जानिए कौन सी मेडिसिन आपके एस्ट्राडियोल लेवल को प्रभावित कर सकती है।
- गर्भनिरोधक गोलियां (Birth control pills)
- एस्ट्रोजन थेरेपी (Estrogen therapy)
- ग्लूकोकॉर्टिकॉइड्स (Glucocorticoids)
- फेनोथियाजिनेस, जिसका यूज स्किजोफ्रेनिया ( schizophrenia) और अन्य मानसिक विकारों के इलाज के लिए किया जाता है।
- एंटीबायोटिक्स टेट्रासाइक्लिन ( Tetracycline ), पैनामाइसिन और एम्पीसिलीन (Ampicillin)
- पीरियड्स के दौरान भी महिलाओं के एस्ट्राडियोल लेवल में अंतर पाया जा सकता है। ऐसे में डॉक्टर ब्लड टेस्ट के लिए किसी खास दिन का चुनाव कर सकता है
इन कारणों से भी प्रभावित हो सकता है एस्ट्राडियोल लेवल
- एनीमिया
- हाई ब्लड प्रेशर
- किडनी डिसीज
- रिड्यूज लीवर फंक्शन
डॉक्टर का सुझाव
एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट का रिजल्ट आ जाने के बाद हार्मोन के कम या फिर ज्यादा लेवल के बारे में जानकारी मिल जाती है। ऐसे में डॉक्टर रिजल्ट के आधार पर कुछ मेडिसिन का सुझाव दे सकता है या फिर मेडिसिन को चेंज कर सकता है।
- दवा में परिवर्तन
- नई दवा लेने का सुझाव
- स्पेशलिस्ट से जांच की सलाह
- एडिशनल टेस्ट और प्रोसीजर के बारे में जानकारी
- एस्ट्राडियोल लेवल की मॉनिटरिंग और अन्य जांच
अगर आपके मन में एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट को लेकर कोई भी प्रश्न हो तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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