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क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर : यह बीमारी है सामान्य हार्ट फेलियर से अलग

क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर : यह बीमारी है सामान्य हार्ट फेलियर से अलग

लेफ्ट-साइडेड हार्ट फेलियर के दो प्रकार होते है सिस्टोलिक हार्ट फेलियर (Systolic Heart Failure) और डायस्टोलिक हार्ट फेलियर। आज हम इनमें से एक के बारे में बात करने वाले हैं जिसे क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर (Chronic Diastolic Heart Failure) भी कहा जाता है। हार्ट का पंपिंग एक्शन ऑक्सीजन रिच ब्लड को फेफड़ों से बाएं एट्रियल (Left Atrium) में ले जाता है। इसके बाद ब्लड बाएं वेंट्रिकल में जाता है, जो इसे शरीर के बाकी हिस्सों में पंप करता है। बायां वेंट्रिकल हार्ट को अधिकतर पंपिंग पावर सप्लाय करता है, इसलिए यह अन्य चैम्बर्स से बड़ा होता है और सामान्य कार्य के लिए आवश्यक है। क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर (Chronic Diastolic Heart Failure) वह स्थिति है, जिसमें हार्ट का निचला बायां चैम्बर (Lower Left Chamber) डायस्टोलिक फेज के दौरान सही तरीके से ब्लड से भरने में असमर्थ रहता है। चलिए इसके बारे में विस्तार से जान लेते हैं।

क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर क्या है? (Chronic Diastolic Heart Failure)

क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर (Chronic Diastolic Heart Failure) में हार्ट का निचला बायां चैम्बर (Lower Left Chamber) डायस्टोलिक फेज के दौरान सही तरीके से ब्लड से भरने में असमर्थ रहता है, जिससे शरीर से खून पम्प्ड आउट करने की मात्रा में कमी आती है। डायस्टोलिक फेज तब होता है, जब हृदय आराम करता है और खून से भर जाता है। अगर किसी व्यक्ति में क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर का निदान होता है, तो इसका अर्थ है कि उसका बायां वेंट्रिकल सामान्य से अधिक सख्त हो गया है।

इसके कारण हार्ट उतना रिलैक्स नहीं रह पाता, जितना उसे होना चाहिए। जब यह पंप करता है तो यह उतना नहीं भर पाता, जितना उसे भरना चाहिए। क्योंकि, वेंट्रिकल्स में कम खून होता है। जिसके कारण शरीर से कम खून पम्प्ड आउट होता है। अब जान लेते हैं क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर (Chronic Diastolic Heart Failure) के लक्षणों के बारे में।

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क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Chronic Diastolic Heart Failure)

हार्वर्ड हेल्थ पब्लिकेशन्स (Harvard Health Publications) के अनुसार जिस तरह से हमारे शरीर को रिलेक्सेशन की जरूरत होती है। उसी तरह से जरूरी है हमारे हार्ट के लिए आराम करना। लेकिन, अगर किन्हीं कारणों से हार्ट को आराम करने में मुश्किल हो, तो यह पूरी तरह से नहीं भर पाता है। हर कॉन्ट्रेक्शन के साथ कम ब्लड के पंप होने से हार्ट फेलियर के एक प्रकार की स्टेज को सेट कर देता है। जिसे कई नामों से जाना जाता जैसे क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर (Chronic Diastolic Heart Failure), सामान्य इजेक्शन फ्रैक्शन (Normal Ejection Fraction) के साथ हार्ट फेलियर आदि। क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर के सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं :

  • सांस लेने में समस्या खासतौर पर रात को (Shortness of breath)
  • व्यायाम करते हुए या सीधे लेटे हुए सांस लेने में परेशानी होना (Breathlessness)
  • खांसी और व्हीज़िंग, यह कई बार बलगम सफेद या गुलाबी हो सकती है (Coughing or wheezing)
  • ध्यान लगाने में समस्या (Difficulty concentrating)
  • थकावट (Fatigue)
  • फ्लूइड रिटेंशन, जिसके कारण टखने, पैर, टांग या पेट में सूजन (Fluid Retention)
  • भूख लगने में समस्या या जी मिचलाना (Lack of Appetite and Nausea)
  • हार्टबीट का असामान्य या तेज होना (Rapid or Irregular Heartbeat)
  • अचानक वजन का वढ़ना (Sudden Weight Gain)

इस समस्या के लक्षण माइल्ड से ले कर गंभीर हो सकते हैं। कुछ लोग इन लक्षणों के अलावा भी अन्य लक्षणों को महसूस कर सकते हैं। अब जानिए क्या हैं इस बीमारी के कारण?

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क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर के कारण (Causes of Chronic Diastolic Heart Failure)

जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारा हार्ट और ब्लड वेसल्स कम इलास्टिक बन जाते हैं। इससे उनके सख्त होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए बुजुर्गों में डायस्टोलिक हार्ट फेलियर होना अधिक सामान्य है। सामान्य उम्र बढ़ने के अलावा, इस बीमारी के आम कारण इस प्रकार हैं:

हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)

अगर किसी व्यक्ति को हाय ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो दिल को शरीर में ब्लड पंप करने के लिए अधिक काम करना पड़ता है। इस अतिरिक्त कार्य के कारण हार्ट मसल थिक और बड़े हो जाते हैं। यही नहीं यह अधिक सख्त भी हो जाते हैं।

डायबिटीज (Diabetes)

डायबिटीज हार्ट की वॉल को थिक बना सकती है, इससे यह सख्त हो जाती है। इसके कारण यह क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर का कारण बन सकती है।

कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary Artery Disease)

इस समस्या के कारण हार्ट मसल में बहने वाले रक्त की मात्रा ब्लॉक या सामान्य से कम हो जाती है। इससे भी यह क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर (Chronic Diastolic Heart Failure) का कारण बन सकती है।

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ओबेसिटी (Obesity)

मोटापे के कारण ब्लड को पंप करने के लिए अधिक काम करना पड़ता है जिससे यह भी इस हार्ट कंडीशन की वजह बन सकता है। यह थे कुछ कारण लेकिन इस बीमारी के साथ कुछ रिस्क फैक्टर्स भी जुड़े हुए हैं। इस समस्या से जुड़े रिस्क फैक्टर इस प्रकार हैं

  • उम्र का बढ़ना (Aging) : जैसे -जैसे हमारी उम्र बढ़ती है। हार्ट मसल अधिक सख्त हो जाते हैं। जिससे यह हृदय को ठीक से रक्त से भरने से रोकते हैं।
  • एओर्टिक स्टेनोसिस (Aortic Stenosis) : एओर्टिक वॉल्व की तंग ओपनिंग बाएं वेंट्रिकल को मोटा कर सकती है।
  • हायपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी (Hypertrophic Cardiomyopathy) :यह एक इनहेरिटेड हार्ट मसल अब्नोर्मलिटी है, जिसके कारण दाएं वेंट्रिकल्स वाल्स थिक हो जाते हैं।
  • पेरिकार्डियल डिजीज (Pericardial Disease) : दिल के आसपास की सैक में होने वाली यह असामान्यता पेरीकार्डियल स्पेस (Pericardial Space) में तरल पदार्थ का निर्माण कर सकती है या पेरीकार्डियम (Pericardium) को मोटा कर सकती है। अब जानिए कैसे हो सकता है इस बीमारी का निदान?

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क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर का निदान (Diagnosis of Chronic Diastolic Heart Failure)

क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर (Chronic Diastolic Heart Failure) का निदान करने के लिए सबसे पहले डॉक्टर रोगी से इसके लक्षणों के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही वो रोगी की शारीरिक जांच करते हैं। उसके बाद एडवांस्ड डायग्नोस्टिक प्रोसीजर और तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। ताकि प्रभावी रूप से निदान संभव हो सके, उपचार के बारे में जाना जा सके और स्थिति को ध्यान से मॉनिटर किया जा सके। क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर के निदान के सामान्य तरीके इस प्रकार हैं :

ब्लड टेस्ट (Blood Test)

ब्लड टेस्ट का प्रयोग खून में फैट्स, कोलेस्ट्रॉल, शुगर और प्रोटीन के लेवल को जानने के लिए किया जाता है। इन सब से हार्ट कंडीशन के बारे में जानकारी मिल सकती है।

चेस्ट एक्स -रे (Chest X-ray)

चेस्ट एक्स -रे लंग्स, हार्ट और महाधमनी (Aorta) की जांच करने का एक सामान्य इमेजिंग टेस्ट है

एकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram)

इस अल्ट्रासाउंड में हार्ट चैम्बर्स और वॉल्व्स की मूविंग तस्वीरों को लेने के लिए साउंडवेव्स का प्रयोग किया जाता है।

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इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram)

इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट को हार्ट की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को मापने के लिए किया जाता है। यही नहीं, यह टेस्ट यह जानने में भी मदद करता है कि कहीं हार्ट के भाग एंलार्जड, ओवरवर्कड और डैमेज्ड तो नहीं है। दिल के इलेक्ट्रिकल करंट का पता 12 से 15 इलेक्ट्रोड द्वारा लगाया जाता है, जो चिपचिपे टेप के माध्यम से हाथ, पैर और छाती से जुड़े होते हैं।

इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी स्टडी (Electrophysiology Study)

यह टेस्ट हार्ट की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटीज और पाथवेज़ को रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है। यह हार्ट रिदम की समस्याओं का कारण जानने और इसके लिए बेहतरीन उपचार की पहचान करने में भी मदद कर सकता है।

स्ट्रेस टेस्टिंग (Stress Testing)

इस टेस्ट को व्यायाम के दौरान किया जाता है। अगर व्यक्ति व्यायाम नहीं कर पाता हो, तो हार्ट रेट को बढ़ाने के लिए दवा दी जा सकती है। इसका प्रयोग एकोकार्डियोग्राम के साथ भी किया जा सकता है। यह टेस्ट हार्ट रेट, रिदम और इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी के साथ ही ब्लड प्रेशर में बदलाव को भी बता सकता है। व्यायाम करने से हमारा हार्ट कड़ी मेहनत करता है और हृदय की जांच के दौरान तेजी से धड़कने लगता है। अब जान लेते हैं ट्रीटमेंट के बारे में।

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क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर का उपचार (Treatment of Chronic Diastolic Heart Failure)

क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर को एक गंभीर स्थिति माना जाता है। इस स्थिति के उपचार के लिए डॉक्टर दवाइयों या सर्जरी की सलाह भी दे सकते हैं। जानिए कैसे संभव है इस बीमारी का ट्रीटमेंट?

दवाइयां (Medication)

क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर (Chronic Diastolic Heart Failure) के लक्षणों को कम करने और उनका उपचार करने के लिए कुछ दवाइयों की सलाह दी जाती हैं। यह दवाइयां इस प्रकार हैं:

  • एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स (Angiotensin-Converting Enzyme Inhibitors ) और एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin Receptor Blockers ), जो ब्लड फ्लो को सुधारने के लिए ब्लड वेसल्स को रिलेक्स करती हैं।
  • बीटा-ब्लॉकर्स (Beta-blockers), यह दवाइयां ब्लड प्रेशर को कम कर सकती हैं और हार्ट रिदम को धीमा कर सकती हैं।
  • कैल्शियम-चैनल ब्लॉकर्स (Calcium-Channel Blockers) और लॉन्ग- एक्टिंग नाइट्रेट्स (Long-Acting Nitrates) भी ब्लड वेसल्स को रिलेक्स करती हैं।
  • डायूरेटिक्स (Diuretics) यह दवा शरीर में फ्लूइड कंटेंट को कम कर सकती हैं।
  • वासोडायलेटर(Vasodilator) यह दवा ब्लड वेसल्स को ओपन करती है। इन्हें तब दिया जाता है जब कोई व्यक्ति एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स (Angiotensin-Converting Enzyme Inhibitors) को सहन न कर पाएं।

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सर्जरी (Surgery)

अगर यह दवाइयां रोगी के लिए प्रभावी न हों, तो डॉक्टर आपको सर्जरी की सलाह दे सकते हैं। क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर में सर्जरी के विकल्प इस प्रकार हैं:

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लाइफस्टाइल बदलाव (Lifestyle Changes)

क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर (Chronic Diastolic Heart Failure) से बचाव संभव नहीं है। लेकिन, आप इस बीमारी और स्थिति के जोखिम को कम करने के लिए अपने जीवन में कुछ बदलाव कर सकते हैं। यह बदलाव इस प्रकार से हैं:

  • एक्टिव रहें (Be Active) : रोजाना व्यायाम करने और शारीरिक रूप से एक्टिव रहने से न केवल ब्लड सर्कुलेशन सही से हो पाता है, बल्कि हार्ट मसल्स में स्ट्रेस भी कम होता है।
  • हेल्दी डायट लें (Eat Healthy Diet) : दिल की समस्याओं को दूर करने के लिए ऐसा आहार खाएं, जो दिल के लिए अच्छा हो। शुगर, सैचुरेटेड फैट, कोलेस्ट्रॉल और नमक की मात्रा सीमित करें और पर्याप्त मात्रा में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लो फैट डेयरी उत्पादों का सेवन करें।
  • नियमित चेकअप कराएं (Get Regular Checkups) : नियमित रूप से चेकअप कराना बेहद जरूरी है। खासतौर पर अगर आपको लक्षणों में बदलाव, कोई नई समस्या या दवा से साइड इफेक्ट्स को महसूस करें।
  • वजन को सही रखें (Maintain Healthy Weight) : वजन कम करना और स्वस्थ वजन बनाए रखना हृदय पर कम तनाव डालता है। जिससे दिल संबंधी समस्याओं से दूर रहने में मदद मिलती है।
  • एल्कोहॉल की मात्रा सीमित रखें (Reduce Alcohol Intake) : अगर आप दिल की समस्याओं से पीड़ित हैं तो एल्कोहॉल का सेवन न करने या सीमित मात्रा में इसे पीने से आपको काफी हद तक राहत मिल सकती है।
  • स्मोकिंग से बचें (Stop Smoking) : धूम्रपान करने से ब्लड वेसल्स को नुकसान हो सकता है, खून में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो सकती है और इससे हार्टबीट बढ़ सकती है। इसलिए इससे भी बचें।
  • डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयां ले (Take Right Medicines) :अगर डॉक्टर ने आपको क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर (Chronic Diastolic Heart Failure) के लिए कुछ दवाइयों की सलाह दी है, तो डॉक्टर के बताए अनुसार ही उनका सेवन करें।

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क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर (Chronic Diastolic Heart Failure) कोई नई बीमारी नहीं है। लेकिन, डॉक्टर्स के पास अब ऐसे टूल्स हैं जिनसे वो जान सकते हैं कि यह सामान्य हार्ट फेलियर है या क्रॉनिक डायस्टोलिक हार्ट फेलियर। इस समस्या से प्रभावित लोगों की संख्या भी बहुत अधिक है। इसलिए, इसके लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है, ताकि सही समय पर इलाज हो सके। इसके साथ ही सबसे आवश्यक है हेल्दी लाइफस्टाइल का पालन करना। सही और स्वस्थ लाइफस्टाइल से आपको न केवल दिल बल्कि अन्य कई समस्याओं से बचने में भी मदद मिलेगी।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

15/12/2021

Nikhil deore द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nikhil deore


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Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 15/12/2021

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