कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ था। आज पूरी दुनिया इसका कहर झेल रही है। इसे लेकर सभी लोगों के जहन में यें सवाल हैं कि आखिर वुहान में इस वायरस की शुरुआत कैसे हुई? वुहान से पूरी दुनिया तक यह जानलेवा वायरस कैसे पहुंचा?
क्या है खतरनाक वायरस कोविड-19 (Corona Virus)?
कोरोना वायरस का संबंध वायरस के ऐसे परिवार से है, जिसके संक्रमण से खांसी, बुऱार, बदन दर्द, जुकाम से लेकर सांस लेने में दिक्कत जैसी परेशानी हो सकती है। इस वायरस के लक्षण सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम यानि की सार्स (SARS-CoV) से मिलते जुलते हैं। इसके लक्षण 7 से 14 दिन में नजर आते हैं। इसमें अपर रेस्पिरेट्री ट्रेक्ट इलनेस की समस्या हो जाती है। ये समस्या धीमे-धीमे शुरू होकर बढ़ने लगती है।
कहां से हुई खतरनाक वायरस कोविड-19 की शुरुआत?
कोरोना वायरस का संक्रमण दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर में शुरू हुआ था। अमेरिकी पत्रिका ‘नेशनल रिव्यू’ के एक लेख के अनुसार, कोरोना वायरस का पहला मामला दिसंबर 1 को चीन के वुहान में सामने आया था। शुरुआत में इस वायरस को लेकर कहा गया था कि यह चीनी ‘फिश मार्केट’ से फैलना शुरू हुआ था। इस शख्स में निमोनिया के लक्षण नजर आए। पांच दिन के बाद उस शख्स की 53 वर्षीय पत्नी, जो बाजार में नहीं गई थी उसे भी निमोनिया के साथ एडमिट किया गया। इन्हें आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया था। तब तक किसी को इस बात की जानकारी नहीं थी कि यह कोई वायरस हो सकता है। दिसंबर के दूसरे हफ्ते वुहान के डॉक्टरों को ऐसे मामले मिले जिनका कारण पता नहीं था। इन सभी मरीजों में सूखी खांसी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण नजर आए। ये सभी मामले इस बात का इशारा कर रहे थे कि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में वायरस फैल रहा है।
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कैसे-कैसे आगे फैला खतरनाक कोरोना वायरस (कोविड-19)?
चीन ने कोरोना वायरस को लेकर सही जानकारी नहीं दी, जिस वजह से आज दुनिया इसकी चपेट में है। यदि चीन शुरुआत में ही कोविड-19 की सही जानकारी देता तो दुनियाभर में इतने लोग जान न गवाते। 1 दिसंबर को शुरू हुआ कोरोना वायरस का मामला चीन ने 15 जनवरी तक छुपाकर रखा। 30 दिसंबर को वुहान के एक अस्पताल में ली वेनलियांग ने इसकी जानकारी दी थी। उनके द्वारा अस्पताल को दी गई इस जानकारी को किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। ये मामला यहीं नहीं रूका इसके बाद ली वेनलियांग पर अफवाह फैलाने के आरोप लगा कर अनुशासनात्मक कारवाई करने की बात कही। चीन ने हर वो प्रयास किया जिससे इस खबर को दबा दिया जाएं। डॉक्टर द्वारा उठाए गए सवालों को वहीं दबाकर चीन ने मीडिया को भी इससे संबंधित कोई भी जानकारी प्रकाशित नहीं करने का आदेश दिया। चीन इस बात को बार बार बोलता रहा कि इस वायरस का मानव से मानव में फैलने का कोई सबूत नहीं मिला है।
21 जनवरी को चीनी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने अमेरिका में कोरोना वायरस के पहले मामले की घोषणा की। इसके बाद 22 जनवरी को डब्ल्यूएचओ के एक प्रतिनिधिमंडल ने वुहान के एक क्षेत्र दौरा किया और निष्कर्ष निकाला, ‘नए परीक्षण किट से मालूम होता है कि वुहान में मानव-से-मानव संक्रमण हो रहा है।’ चीन ने कोरोना वायरस के पहला मामला सामने आने के लगभग दो महीने बाद पहला कदम उठाते हुए वुहान को लॉकडाउन की घोषणा की। लेकिन इस समय तक बहुत बड़ी संख्या में चीनी नागरिक विदेश यात्रा कर चुके थे। आज यह वायरस दुनिया के 200 से ज्यादा देशों में फैल चुका है। अंटार्कटिका के अलावा यह वायरस एशिया और यूरोप तक पहुंच गया।
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यूएस समेत कई दूसरे देश इसका इलाज ढ़ूंढ रहे हैं
दुनिया भर में वैज्ञानिक इसकी कारगर वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं। इसे लेकर कई अलग-अलग शोध किए जा रहे हैं। वैज्ञानिकों ने अब तक कोविड-19 को लेकर कई जानकारी जुटाई भी है। फिलहाल इसका कोई इलाज नहीं मिल पाया है।
क्या है खतरनाक वायरस कोविड-19 के लक्षण?
कोरोना वायरस मानव शरीर में एंटर होने के बाद उसके फेफड़ों पर हमला बोलता है। इस वायरस के लक्षण नजर आने में पांच दिन लग सकते हैं। कुछ शोध की मानें तो, कुछ लोगों में इसके लक्षण देरी से नजर आ सकते हैं। फेफड़ों के संक्रमित होने पर इंसान को सबसे पहले बुखार और सूखी खांसी की शिकायत हो सकती है। इसके बाद सांस लेने में परेशानी हो सकती है। डब्लूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना पेशेंट्स में लक्षण नजर आने में 14 दिन तक का समय लग सकता है। वहीं बहुत सारे ऐसे मामले भी देखें गए हैं जिनमें कोई लक्षण नजर नहीं आए और वो लोग कोरोना से संक्रमित थे। आमतौर पर ज्यादातर लोगों में इस बीमारी के शुरुआती लक्षण के तौर पर सर्दी और फ्लू की शिकायत होती है। इसके लक्षण आम सर्दी जुकाम से काफी मिलते जुलते हैं। यहीं कारण है कि इसकी पहचान करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। हालांकि डब्लयूएचओ द्वारा बताए गए लक्षणों के जरिए आप इस जानलेवा वायरस की पहचान कर सकते हैं। आइए जानते हैं इन लक्षणों के बारे में…
- कोरोना वायरस की चपेट में आने के 5 दिनों तक उस इंसान को सूखी खांसी आनी शुरू होती है। इसी के साथ फेफड़ों में तेजी से बलगम बनना शुरू होता है।
- पेशेंट को तेज फीवर आने लगता है। कई हेल्थ एक्सपर्ट कोरोना वायरस में तेज बुखार आने की पुष्टि कर चुके हैं।
- पांच दिनों के बाद पेशेंट को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। सांस लेने की समस्या दरअसल फेफड़ो में फैलते कफ के कारण होती है। उम्रदराज लोगों में यह समस्या ज्यादा देखने को मिलती है।
- कई कोरोना पेशेंट्स में बदन दर्द की शिकायत भी देखी गई है। कुछ पेशेंट्स ने वायरस की चपेट में आने के बाद जोड़ों में दर्द की शिकायत की है। कुछ लोगों को मांसपेशियों में दर्द की शिकायत हुई है। वहीं बहुत सारे लोगों ने थकान से भरा और शरीर टूटा-टूटा महसूस की बात कही।
- कोरोना से संक्रमित लोगों में डायरिया और उल्टी के भी लक्षण देखे गए है. करीब 30 प्रतिशत लोगों में इस तरह के लक्षण पाये गए हैं।
- कई रोगियों ने यह भी बताया कि वायरस की चपेट में आने के बाद उनके गले में असहनीय दर्द है। कई लोगों के तो गले में सूजन भी आ गई है।
- कोरोना पेशेंट्स की नाक से पानी बहता भी देखा गया है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि, बहुत सारे लोगों में कोरोना के बाद सूंघने और स्वाद की क्षमता में कमी देखी गई है।
- स्वाद और गंध महसूस न होना
कुछ लोगों में इसके लक्षण इतने तीव्र कैसे हैं?
ज्यादातर लोगों में कोविड-19 के बहुत हल्के लक्षण नजर आए। वहीं करीब 20 फीसदी ऐसे लोग भी हैं जिनमें इसका संक्रमण बहुत तेजी से पाया गया। इसके पीछे का कारण इंसान के रोग प्रतिरक्षा तंत्र है। इसके अलावा कोविड-19 के तेजी से लक्षण के पीछे कुछ आनुवांशिक कारण भी हो सकते हैं। यह वायरस अभी नया है। इसलिए इसके बारे में अभी ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता है। फिलहाल इसके बारे में सीमित जानकारी है।
दुनिया में खतरनाक वायरस कोविड-19 पर एक नजर डालते हैं
विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना वायरस से संक्रमित प्रति एक हजार व्यक्तियों में से नौ व्यक्तियों की मौत होने की आशंका है। इस वायरस से अभी तक के आंकड़ों के अनुसार इस संक्रमण से मरने वालों में सबसे ज्यादा तादाद बुजुर्गों की है। कोरोना के रोकथाम के उपायों के बारे में जानने से पहले एक नजर डालते हैं दुनिया भर में कोरोना संक्रमण की मौजूदा स्थिति पर…
वर्ल्ड रिपोर्ट मीटर के अनुसार (07 अप्रैल 16:34) के अनुसार, कोरोना से दुनिया भर में अब तक 75, 906 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना के प्रकोप से सबसे ज्यादा मौत इटली में हुई हैं। इटली में अब तक कोरोना से 16,523 लोगों की मौत हो गयी है। चीन में अब तक कोरोना से प्रभावित लोगों की संख्या 81,740 हो गयी है। वहीं दुनिया भर में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 1,359,010 के पार चली गई है।
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भारत में खतरनाक वायरस कोविड-19
भारत के केरल राज्य में 30 जनवरी को कोरोना वायरस का पहला पॉजिटिव मामला पाया गया था। छात्र वुहान यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा था। इसके बाद केरल से ही अन्य दो केस सामने आए। केरल राज्य में तीन लोग सबसे पहले कोरोना वायरस पॉजिटिव हुए थे। इन तीनों लोगों को डॉक्टर की निगरानी में रखा गया था। कुछ समय बाद तीनों लोग पूरी तरह से ठीक भी हो गए थे। उस समय भारत के कई स्टूडेंट चीन के वुहान शहर में पढ़ रहे थे। तब भारत सरकार 323 भारतीयों और सात मालदीव के लोगों को चीन के वुहान शहर से भारत लेकर आई। वुहान से लौटे ज्यादातर भारतीयों में छात्र थें जो वुहान में पढ़ाई के लिए गए हुए थे। कोरोना वायरस को उस दौरान पूरी तरह से नियंत्रित कर लिया गया था और लोग उम्मीद कर रहे थे कि अब भारत में कोरोना बिल्कुल नहीं है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और भारत में अचानक से कोरोना वायरस के कारण लोग फिर से संक्रमित होने लगे। आज स्थिति यह है कि देश में दिन-ब-दिन कोविड-19 के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अब तक (31 मार्च 19:56) संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1251 पहुंच गई है। वहीं 32 लोग अपने जान गंवा चुके हैं। अभी तक 102 लोग ठीक हो गए हैं। भारत सरकार की तरफ से लगातार लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए कई कदम भी उठाए गए हैं। देशभर में 21 दिन का लॉकडाउन लागू है।
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खतरनाक वायरस कोविड-19 से कैसे किया जाए बचाव
हम सभी इस बात से अच्छे से वाकिफ हैं कि कोरोना वायरस (कोविड-19) से बचने के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है। डब्लूएचओ की ओर से जानकारी दी गई है कि कोरोना वायरस (कोविड-19) की वैक्सीन बनने में एक साल से ज्यादा का समय लग सकता है। फिलहाल इससे बचने के लिए हाइजीन का खास ख्याल रखने की सलाह दी जा रही है। मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ की ओर से समय-समय पर कोरोना वायरस महामारी के बारे में एडवाइजरी जारी की जा रही है। इसमें लोगों से बार-बार हाथों को अच्छे से साफ करने की सलाह दी जा रही हैं। इसके साथ ही घर के बाहर निकलते समय मुंह को मास्क, रुमाल या टिशू पेपर से ढकने के लिए कहा जा रहा। छींकते या खांसते समय कोहनी का इस्तेमाल करें। हाथ साफ नहीं है तो आंखों, नाक और मुंह को टच करने से बचें। लोगों को घर पर रहने के लिए कहा है। कहीं भी भीड़ लगाने से मना किया गया है। कोरोना के लक्षण नजर आने पर कई हेल्पलाइन नंबर दिए गए हैं जिससे आप जॉच करने वाली टीम से कंसल्ट कर सकते हैं। कोविड-19 से जुड़ी कोई भी जानकारी लेने या देने के लिए हेल्पलाइन नंबर +91-11-23978046 पर फोन किया जा सकता है। इसके अलावा हर राज्य ने अपना हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। मास्क के इस्तेमाल को लेकर भी कई नियम बताए हैं। जैसे एक बार इस्तेमाल किए गए मास्क को दोबारा यूज न करें। मास्क को हमेशा पीछे से हटाएं और उसे इस्तेमाल करने के बाद आगे से न छूएं। मास्क को इस्तेमाल करने के बाद उसे तुरंत एक बंद डस्टबिन में फेंक दें।
कैसे फैलता है खतरनाक वायरस कोविड-19 ?
कोरोना वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के मुंह को बिना ढके खांसने या छींकने से हवा में वायरस पहुंच जाता है। या फिर इंफेक्टेड व्यक्ति यदि मुंह पर हाथ रखकर छींकता है और उन्ही हाथों को किसी जगह को टच करता है तो वह जगह संक्रमित हो जाती है। ठीक इसी तरह इंफेक्टेड व्यक्ति से हाथ मिलाने पर भी वायरस आसानी से फैल जाता है। संक्रमित जगह को छूने से भी वायरस फैल सकता है। वायरस नाक, आंख या मुंह का संपर्क करने पर शरीर में प्रवेश करता है। यहीं कारण है कि बार बार हाथ धोने की सलाह दी जा रही है। ताकि संक्रमण के प्रसार का खतरा कम किया जा सकें।
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फ्लू और कोरोना वायरस में क्या अंतर है?
कोरोना वायरस और फ्लू के लक्षण एक जैसे होते हैं। इसलिए इनमें अंतर लगा पाना काफी मुश्किल है। इसका पता बिना टेस्ट के नहीं लगाया जा सकता है। कोरोना वायरस में लोग आमतौर पर बुखार और खांसी की शिकायत करते हैं। फ्लू में भी ये ही लक्षण होते हैं लेकिन कोरोना वायरस के पेशेंट्स में सांस लेने में दिक्कत भी देखी गई है। ये वायरस की एक नई किस्म है जो इंसानों में पहले कभी नहीं देखी गई है। इसलिए डॉक्टरों को अभी इसके बारे में बहुत कुछ जानकारी जुटाना बाकी है।
कोरोना वायरस के संक्रमित होने का है शक तो इन टिप्स को करें फॉलो:
सबसे पहले डॉक्टर, फार्मेसी या अस्पताल जाने से बचें। क्योंकि इससे आप जिन जिन लोगों के संपर्क में आएंगे उन्हें भी यह वायरस होने की संभावना होगी। सबसे पहले लोगों के संपर्क में आने से बचें। इसके बाद अपने इलाके में मौजूद स्वास्थ्य कर्मी से फोन पर या ऑनलाइन जानकारी लें। आपकी जानकारी स्थानीय स्वास्थ्य टीमों के पास भेजी जाएगी। इसके बाद कोविड-19 टेस्ट के लिए टीम आपकी जांच करेगी। यदि आपकी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो आइसोलेशन वार्ड में रखा जा सकता है। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर आपको क्या करना है इसकी जानकारी देंगे। जैसे कि वर्तमान में इसका कोई इलाज नहीं है लेकिन इसके लक्षणों को कम करने के लिए दवाइयां दी जा सकती हैं। कोशिश करें जब तक आप पूरी तरह ठीक न हो जाए तब तक आप दूसरों के संपर्क में न आएं। कुछ अस्पताल इसके इलाज के लिए एंटी वायरल दवाओं पर परीक्षण कर रहे हैं। उम्मीद है कि साल के अंत तक इसकी वैक्सीन तैयार कर ली जाएगी।
खतरनाक वायरस कोविड-19 से बचने के लिए मास्क का इस्तेमाल सही या गलत
कोरोना वायरस से बचने के लिए लोगों को मास्क का इस्तेमाल करने की सलाह दी जा रही है। लेकिन लोग इस बात को लेकर परेशान हैं कि इस खतरनाक वायरस से बचने के लिए कौन सा मास्क पहनना सही होगा व मास्क को किस समय पहनना चाहिए? कोरोना वायरस के डर से लोग बाहर निकल रहे हैं तो मास्क लगाकर निकलते हैं। कई लोग तो घरों में भी मास्क लगाकर बैठे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के जारी किए गए बयान के मुताबिक अभी तक यह साबित नहीं हुआ है कि फेस मास्क कोरोना वायरस से बचाव करने में लाभकारी है या नहीं। ये सारी कंफ्यूजन को दूर करने के लिए ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने एक न्यूज वेबसाइट को बताया कि मास्क दो तरह के होते हैं पहला सर्जिकल मास्क और दूसरा N-95 मास्क। यदि आपको जुकाम या खांसी है तो आप मास्क लगा सकते हैं। इससे छींकते और खांसते समय इंफेक्शन नहीं फैलेगा। यदि आपको जुकाम या खांसी नहीं है तो आपको मास्क लगाने की जरूरत नहीं है। वहीं जो लोग अस्पताल में मरीजों का इलाज कर रहे हैं उन्हें इंफेक्शन होने का खतरा अधिक रहता है। इसलिए उन लोगों के लिए N-95 मास्क लगाना बेहद जरूरी होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ है, तो वह मास्क का इस्तेमाल न करें। इसके अलावा कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के आस-पास जाने पर भी फेस मास्क का इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि, संक्रमित व्यक्ति से जितना हो सके दूरी बनाए रखना ही सुरक्षित होता है। अगर आप पब्लिक प्लेस में जा रहे हैं तो बेहतर होगा कि मास्क का यूज करें, क्योंकि कोई भी व्यक्ति बाहर संक्रमित हो सकता है। बेहतर होगा कि सुरक्षा के लिए मास्क का इस्तेमाल करें।
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N95 मास्क में क्या होता है खास:
N95 रेस्पिरेटर मास्क सर्जिकल मास्क के मुकाबले ज्यादा मोटे फैब्रिक से बने होते हैं।
N95 रेस्पिरेटर मास्क पूरे चेहरे को कवर करता है।
N95 रेस्पिरेटर मास्क हवा में मौजूद बहुत छोटे-छोटे कणों को भी फिल्टर कर सकता है।
कोरोना वायरस की वैक्सीन बनने में कितना समय लगेगा?
कोरोना वायरस के फैलने का सबसे बड़ा कारण यही है कि इसकी कोई वैक्सीन इजाद नहीं हो सकी है। दुनिया भर में वैज्ञानिक इसका कारगर इलाज ढूंढने में जुटे हैं। 20 से ज्यादा वैक्सीन बनाने का काम जारी है। वैज्ञानिक अभी जानवरों पर शोध कर रहे हैं। एक वैक्सीन का इंसानों पर भी ट्रायल शुरू हो गया है। इस साल के अंत तक हो सकता है लोगों को इसका फायदा मिलने लगे। हालांकि परिक्षण कर रहे वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वैक्सीन को आने में एक साल का समय लग सकता है। क्योंकि अगर वैज्ञानिक इस साल दवा बना भी लेते हैं तो दवा का उत्पादन करने में भी वक्त लगेगा। इसका सीधा मतलब है कि इस साल के अंत तक दवा बन भी जाती है तो भी लोगों को इसका फायदा नहीं होगा। आपको बता दें, इंसानों के बीच फैल रहे कोरोना वायरस चार तरह के हैं। फिलहाल इनमें से किसी के लिए भी वैक्सीन तैयार नहीं हुई है।
क्या होम्योपैथी में है खतरनाक वायरस कोविड-19 का इलाज?
सोशल मीडिया में यह मैसेज तेजी से वायरल हो रहा था कि होम्योपैथी में कोरोना वायरस से निपटने की कारगर दवा है। दरअसल, भारत सरकार का आयुष मंत्रालय (आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथी मंत्रालय) ने कोरोना वायरस के उपचार को लेकर 29 जनवरी को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी। इसमें उन्होंने बताया था कि कोरोना वायरस के लक्षणों के उपचार के लिए होम्योपैथी में दवाएं हैं। मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति की आलोचना की गई। इसके बाद आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने कहा था कि विज्ञप्ति केवल उन दवाओं के नाम बताती है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं। कभी भी ऐसा दावा नहीं किया गया है कि इससे कोरोना वायरस का विषाणु खत्म हो सकता है।
कितना खतरनाक है कोरोना वायरस?
ब्रिटेन में चीफ मेडिकल ऑफिसर्स ने कोरोना वायरस के सार्वजनिक खतरे के स्तर को कम से मध्यम करार दिया। वहीं एनएचएस ने व्यक्तिगत तौर पर इसका जोखिम कम बताया। इनके अनुसार, कोरोना से संक्रमित होने पर हल्के फुल्के लक्षण सामने आएंगे, जिनसे उभरा जा सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि कोविड-19 से होने वाली मौतों की दर कम है, जो कि 1 से 2 प्रतिशत के बीच है। साथ ही जिन लोगों की मौत हुई, वो या तो उम्रदराज थे या उन्हें पहले से ही कोई बीमारी थी।
कोरोना का दाढ़ी से कनेक्शन
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC)- की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस के खतरे से बचने के लिए लंबी दाढ़ी को न रखना बेहतर होगा। कई रिपोर्ट्स में लंबी दाढ़ी के कारण कोरोना वायरस के फैलने की बात सामने आ रही है। दरअसल, इसके पीछे का कारण यह बताया जा रहा है कि दाढ़ी लंबी होने के कारण मास्क ठीक से नहीं लग पाता है, जिसके कारण कोरोना वायरस के फैलने के चांसेज बढ़ जाते हैं। CDC ने फोटो के माध्यम से ये समझाने की कोशिश की है कि दाढ़ी रखने से मास्क पहनने में परेशानी होती है और वो पूरी तरह स्किन को छू नहीं पाता है। इस कारण से मास्क अपना काम बेहतर तरीके से नहीं कर पाता और कोरोना वायरस का खतरा बढ़ जाता है।
कोरोना वायरस से बचाव और इसके इलाज को लेकर कई तरह की अफवाहें भी फैल रही है, जिसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी किए हैं
कोरोना वायरस की अभी तक कोई दवा या टीका नहीं है
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कुछ पोस्ट में ये दावा किया गया था कि कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार कर ली गई है। खतरनाक वायरस कोविड-19 से बचाव या फिर इसका इलाज करने के लिए अब तक कोई खास दवा उपलब्ध नहीं है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि इलाज के कुछ विशेष उपायों का अध्ययन किया जा रहा है और निदान के लिए इसका परीक्षण किया जाएगा।
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कोरोना वायरस से सिर्फ बुजुर्ग लोगों और बच्चों को खतरा है
इस बात को लेकर डब्ल्यूएचओ का कहना है कि खतरनाक वायरस कोविड-19 से सभी उम्र के लोग संक्रमित हो सकते हैं। डायबिटीज, अस्थमा, हृदय रोग या कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित लोगों में कोरोना वायरस के संक्रमण होने का खतरा ज्यादा है। कोरोना वायरस से सावधानी ही इसका बचाव है।
क्या निमोनिया की वैक्सीन कोरोना वायरस से बचाने में कारगर है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, निमोनिया की वैक्सीन से कोरोना का इलाज संभव नहीं है। ये पूरी तरह से एक अफवाह है। WHO के अनुसार, निमोनिया के लिए दी जाने वाली न्यूमोकॉकल वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ सुरक्षा प्रदान नहीं करती है। ये वायरस बिल्कुल नया है। इसके लिए एक अलग और नई वैक्सीन की जरूरत है। फिलहाल डॉक्टर और वैज्ञानिक इस वायरस के लिए वैक्सीन बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
क्या चाइनीज फूड खाने से फैल सकता है कोरोना वायरस?
सोशल मीडिया में वायरल हो रहे कई पोस्ट में यह भी दावा किया जा रहा है कि चाइनीज फूड से कोरोना वायरस फैल रहा है। इन पोस्ट में चाइनीज फूड से दूरी बनाकर रखने के लिए कहा जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ये बात पूरी तरह से गलत है। डब्लयूएचओ ने चाइनीज फूड को कोरोना वायरस फैलने का माध्यम नहीं माना है।
क्या कोविड-19 का कारगर इलाज एंटीबॉयोटिक है?
कोरोना वायरस को लेकर एक अफवाह फैल रही है कि एंटिबॉयोटिक से इसका इलाज हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि एंटीबायोटिक केवल बैक्टीरिया से फैलने वाले इंफेक्शन में काम करते हैं। यह किसी वायरस के खिलाफ काम नहीं करता है। ऐसे में कोरोना नाम के इस नए और खतरनाक वायरस का एंटीबायोटिक कारगर इलाज नहीं है।
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क्या लहसुन खाने से कोरोना संक्रमण से बचा जा सकता है?
सोशल मीडिया पर कई लोग इस बात का दावा कर रहे हैं कि लहसुन का सेवन करने से कोरोना वायरस से बचा जा सकता है। विश्व स्वास्थय संगठन के अनुसार, लहसुन खाना सेहत के लिए अच्छा होता है लेकिन कोरोना वायरस से बचाव में इसे उपयोगी नहीं माना जा सकता।
मच्छर काटने से भी फैलता है कोरोना वायरस
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस पोस्ट को लेकर विश्व स्वास्थय संगठन ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है, जिससे कि इस बात की पुष्टि हो सके कि मच्छर के शरीर में यह वायरस रह सकते हैं या नहीं। बता दें, न्यू कोरोना वायरस एक रेस्पिरेटरी वायरस है, जो मुख्य रूप से किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या किसी तरह से संपर्क में आने से फैलता है।
नोट व फोन से भी फैलता कोरोना
सोशल मीडिया पर चल रहे तमाम संदेशों के बीच लोगों के मन में यह भी भय बना हुआ है कि क्या नोट या फोन को छूने से भी कोरोना वायरस फैल सकता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक कोरोना वायरस कई सतहों पर घंटों तक एक्टिव रह सकता है। अगर कोई कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति फोन, दरवाजे के हैंडल, नोट जैसी किसी सतह को छूता है तो वह सतह भी संक्रमित हो जाती है।
क्या हवा में फैल सकता है कोरोना वायरस ?
सोशल मीडिया पर फैल रहे एक पोस्ट के अनुसार कोरोना वायरस हवा में भी फैल सकता है और लोगों को संक्रमित कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे गलत बताया। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि कोरोना वायरस का हवा से संक्रमण संभव नहीं है। यह वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने पर फैलता है, यह सिर्फ थूक के कणों से ही फैलता है। ये कण जब हम खांसते हैं या छींकते हैं या बोलते हैं तो शरीर से बाहर निकलते हैं। ये कण इतने हल्के नहीं होते कि हवा के साथ यहां से वहां उड़ सकें। ये बहुत जल्दी जमीन पर नीचे गिर जाते हैं। इसलिए हवा से इसका संक्रमण फैलने का खतरा नहीं है।
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कोरोना वायरस और डायबिटीज
डायबिटीज के मरीजों के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने निम्नलिखित गाइडलाइंस जारी की हैं:
डायबिटीज पेशेंट्स में संक्रमण होने के बाद तेजी से अन्य कई प्रकार की समस्याएं भी हो सकती हैं। इसलिए इन्हें खास सावधानी बरतने की जरूरत है। कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलता देख डायबिटीज के मरीजों के लिए भी कुछ जरूरी गाइडलाइंस जारी की गई हैं। यह गाइडलाइंस विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जारी की है, जिनमें डायबिटीज के मरीजों को संक्रमण से बचने के लिए कुछ जरूरी बातों को बताया गया है।
- भीड़भाड़ वाली जगहों पर न जाएं: देश में कोरोना वायरस के बढ़ते हुए संक्रमण को देखकर भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाना एवॉइड करें। ऐसा इसलिए क्योंकि इन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जिस वजह से ये बहुत आसानी से कोविड-19 से संक्रमित हो सकते हैं।
- लोगों से न मिलें: देश में जिस कदर कोरोना का प्रकोप बढ़ रहा है उसे देखते हुए फिलहाल लोगों से मिलना जुलना न करें। क्योंकि इन लोगों में संक्रामक बीमारियों से संक्रमित होने की आशंका अधिक होती है।
- समय-समय पर शुकर लेवल चैक करते रहें: डायबिटीज के मरीजों को वैसे भी अपना शुगर लेवल चैक करते रहना चाहिए। डॉक्टरों ने डायबिटीज के मरीजों को समय-समय पर अपना ब्लड शुगर लेवल इसलिए देखते रहने के लिए कहा है क्योंकि हाई ब्लड शुगर लेवल के कारण इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने के कारण लोग आसानी से कोरोना वायरस की चपेट में आ सकते हैं।
- सामान्य दिशानिर्देशों का भी पालन करें: कोविड-19 के संक्रमण से बचे रहने के लिए सामान्य हेल्थ एडवाइजरी जारी की गई है उन्हें भी फॉलो करते रहें। इसमें हाथों की साफ-सफाई, हाइजीन का ध्यान और मास्क का प्रयोग करना जरूरी बताया है।
कोरोना वायरस और कैंसर
कई शोध के अनुसार, कोविड-19 कैंसर पेशेंट्स के लिए बड़ी समस्या खड़ी कर सकता है। कैंसर रोगियों कि प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है। कई कैंसर पेशेंट्स जिनकी कीमोथेरेपी चल रही है उन्हें उल्टी की शिकायत रहती है, जिस वजह से वह कई चीजों का सेवन नहीं करती। इससे भी उनकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने लगती है। कोरोना वायरस कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों में घातक हो रहा है। यहीं कारण है कि कैंसर पेशेंट्स को खास ध्यान रखने के लिए कहा जा रहा है।
कोविड-19 और इकोनॉमी
साल 2019 में भारत में बेरोजगारी का सबसे अधिकतम स्तर देखा गया। पिछले साल देश के आठ प्रमुख क्षेत्रों से औद्योगिक उत्पादन 5.2 फ़ीसदी तक गिर गया। पिछले 14 वर्षों में देश सबसे खराब स्थिति में है। आसान शब्दों में समझाएं तो भारत की आर्थिक स्थिति पहले से ही खाराब हाल में थी। विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना के प्रभान से जहां एक और लोगों के स्वास्थ्य पर संकट मंडरा रहा तो दूसरी तरफ पहले पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था और अधिक खराब हो सकती है।
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क्यों कोविड-19 को चीन की साजिश बताया जा रहा है?
कोरोना वायरस को सोशल मीडिया पर चीन की एक गहरी साजिश का नतीजा बताया जा रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस को लगातार चीनी वायरस होने का दावा कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ चीन ने इसे अमेरिकी आर्मी की साजिश बताया। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने ट्वीट किया था कि ये वायरस अमेरिकी सेना ने ही चीन में छोड़ा था।
फरवरी 2020 में अमेरिकी सीनेटर टॉम कॉटन (रिपब्लिकन पार्टी) और फ्रांसिस बोयले ने कहा- ये वायरस चीन द्वारा बनाए जा रहे जैविक हथियारों से उपजा हो सकता है। ब्रिटेन में सांसद और हाउस ऑफ कामंन के डिफेंस सेलेक्ट कमेटी के चेयरमैन टॉबी एलवुड ने भी कोरोना वायरस को चीन की बड़ी साजिश बताया। उन्होंने कहा था कि कोरोना की उत्पत्ति खुद-ब-खुद नहीं हुई।
पूर्व ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने 09 मार्च को संयुक्त राष्ट्र को एक पत्र भेजकर कोरोना वायरस को अमेरिका की साजिश बताया। उन्होंने इस पत्र में दावा किया है कि कोविज-19 को किसी लैब में ही बनाया गया है। अमेरिका इस हथियार के जरिए दुनिया पर वर्चस्व बनाकर रखना चाहता है।
खतरनाक वायरस कोविड-19 टेस्ट कहां कराएं?
कोविड-19 टेस्ट के लिए सरकार द्वारा 52 लैबोरेटरी की लिस्ट जारी की है। सरकार की ओर से जारी लिस्ट के मुताबिक हर राज्य में कोरोना टेस्ट के लिए इन लैबोरेटरी में जांच की सुविधा है।
कोरोना वायरस टेस्ट दिल्ली में:
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (All india institute of medical sciences)
नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (National Center of Disease Control)
कोरोना वायरस टेस्ट आंध्र प्रदेश में:
श्री वेंकटेश इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, तिरूपती (Sri venkateswara institute of medical sciences, Tirupati)
आंध्रा मेडिकल कॉलेज, विशाखापट्नम (Andhra Medical College, Vishakapatnam)
जीएमसी अनंतपूर (GMC Anantpur)
कोरोना वायरस टेस्ट महाराष्ट्र में:
इंदिरा गांधी गवर्नमेंट कॉलेज, नागपुर (Indira Gandhi Government Medical College, Nagpur)
संक्रामक रोगों के लिए कस्तूरबा अस्पताल, मुंबई (Kasturba Hospital for Infectious Disease, Mumbai)
कोरोना वायरस टेस्ट मध्य प्रदेश में:
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, भोपाल (All india institute of medical sciences, Bhopal)
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च इन ट्राइबल हेल्थ, जबलपुर (National Institute of Research in Tribal Health, NIRTH, Jabalpur)
कोरोना वायरस टेस्ट तमिलनाडु में:
किंग्स इंस्टीट्यूट ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन एंड रिसर्च, चेन्नई (King’s Institute of Preventive Medicine & Research, Chennai)
गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, थेनी (Government Medical College, Theni)
कोरोना वायरस टेस्ट त्रिपुरा में:
गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, अगरतला (Government Medical College, Agartala)
कोरोना वायरस टेस्ट तेलंगाना में:
गांधी मेडिकल कॉलेज, सिकंदराबाद (Gandhi Medical College, Secunderabad)
कोरोना वायरस टेस्ट उत्तर प्रदेश में:
किंग्स जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ (King’s George Medical University, Lucknow)
चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी (Institute of Medical Science, Banaras Hindu University, Varanasi)
जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ (Jawaharlal Nehru Medical College, Aligarh)
कोरोना वायरस टेस्ट अंडमान निकोबार में:
रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर, पोर्ट ब्लेयर (regional medical research centre Port blair)
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कोरोना वायरस टेस्ट असम में:
गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज, गुवाहाटी (Gauhati Medical College, Guwahati)
क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र, डिब्रूगढ़ (Regional Medical Research Center, Dibrugarh)
कोरोना वायरस टेस्ट चंडीगढ़ में:
पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (Post Graduate Institute of Medical Education & Research)
कोरोना वायरस टेस्ट छत्तीसगढ़ में:
एम्स को कोरोना वायरस का परीक्षण का लैब बनाया गया है (All India Institute of Medical Science)
कोरोना वायरस टेस्ट गुजरात में:
बीजे मेडिकल कॉलेज, अहमदाबाद (BJ Medical College, Ahmedabad)
एम.पी.शाह गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, जामनगर (M.P. Shah Government Medical College, Jamnagar)
कोरोना वायरस टेस्ट हरियाणा में:
पंडित बीडी शर्मा पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, रोहतक (Pt/ B.D. Sharma Post Graduate Institute of Medical Science, Rohtak, Haryana)
बीपीएस गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज, सोनीपत (BPS Government Medical College, Sonipat)
कोरोना वायरस टेस्ट बिहार में:
राजेंद्र मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, पटना (Rajendra Memorial Research Institute of Mediacal Science, Patna)
कोरोना वायरस टेस्ट हिमाचल प्रदेश में:
इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज, शिमला (Indira Gandhi Medical College, Shimla)
डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज कांगड़ा, टांडा (Dr. Rajendra Prasad Govt. Med. College, Kangra, Tanda)
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कोरोना वायरस टेस्ट जम्मू-कश्मीर में:
शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, श्रीनगर (Sher-e-Kashmir Institute of Medical Sciences, Srinagar)
गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज, जम्मू (Government Medical College, Jammu)
कोरोना वायरस टेस्ट झारखंड में:
एमजीएम मेडिकल कॉलेज, जमशेदपुर (MGM Medical College, Jamshedpur)
कोरोना वायरस टेस्ट कर्नाटक में:
बैंगलुरू मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, बैंगलुरू (Bangalore Medical College & Research Institute, Bangalore)
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी फील्ड यूनिट, बैंगलुरू (National Institute of Virology Field Unit, Bangalore)
मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ मैसूर, मैसूर (Mysore Medical College & Research Institute, Mysore)
हसन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, हसन (Hassan Institute of Medical Sciences, Hassan)
शिमोगा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, शिमोगा (Shimoga Institute of Medical Sciences, Shimoga)
कोरोना वायरस टेस्ट पंजाब में:
गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, पटियाला, पंजाब (Government Medical College, Patiala, Punjab)
गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, अमृतसर (Government Medical College, Amritsar)
कोरोना वायरस टेस्ट राजस्थान में:
सवाई मान सिंह, जयपुर (Sawai Man Singh, Jaipur)
डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज, जोधपुर (Dr. S.N Medical College, Jodhpur)
झालावाड़ मेडिकल कॉलेज, झालावाड़ (Jhalawar Medical College, Jhalawar, Rajasthan)
एसपी मेडिकल कॉलेज, बीकानेर (SP Medical College, Bikaner, Rajasthan)
कोरोना वायरस टेस्ट ओडिशा में:
क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र, भुवनेश्वर (Regional Medical Research Center, Bhubaneswar)
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कोरोना वायरस टेस्ट पुडुचेरी में:
जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, पुडुचेरी (Jawaharlal Institute of Postgraduate Medical Education & Research, Puducherry)
कोरोना वायरस टेस्ट केरल में:
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी फील्ड यूनिट, केरल (National Institute of Virology Field Unit, Kerala)
गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज, तिरुवनंतपुरम (Government Medical College, Thriuvananthapuram, Kerala)
गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज, कोझीकोड (Government Medical College, Kozhikhode, Kerala)
कोरोना वायरस टेस्ट मेघालय में:
NEIGR ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल साइंसेज, शिलांग (NEIGR of Health and Medical Sciences, Shillong)
कोरोना वायरस टेस्ट मणिपुर में:
जे एन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, इंफाल‐पूर्व (J N Institute of Medical Sciences Hospital, Imphal-East, Manipur)
कोरोना वायरस टेस्ट उत्तराखंड में:
गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी (Government Medical College, Haldwani)
कोरोना वायरस टेस्ट पश्चिम बंगाल में:
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉलरा एंड एंटरिक डिजीज, कोलकाता (National Institute of Cholera and Enteric Diseases, Kolkata)
IPGMER, कोलकाता