क्या आप एक सामान्य जुकाम और फ्लू के प्राकर को पहचान सकते हैं? हममें से अधिकतर लोग सर्दी या खांसी होने पर मेडिकल स्टोर से जुकाम की कोई भी दवा खरीद कर उसका सेवन करते हैं। अगर आप भी इनमें से ही एक हैं या बिना जुकाम और फ्लू के प्रकार पहचाने किसी भी तरह के उपचार का इस्तेमाल करते हैं, तो समय रहते अपनी इस आदत को बदलें और जुकाम और फ्लू के प्रकार की पहचान करने के बाद ही स्टोर से दवा खरीदें।
जुकाम और फ्लू के प्रकार में अंतर
जुकाम और फ्लू के प्रकार लगभग एक जैसे ही हैं। जुकाम और फ्लू दोनों ही श्वसन (सांस) से संबंधी बीमारियां हैं लेकिन दोनों अलग-अलग वायरस के कारण होती हैं। जिसकी वजह से इनमें फर्क कर पाना मुश्किल हो सकता है। सामान्य तौर पर, फ्लू आम सर्दी से भी खराब होता है और इसके लक्षण बहुत तेजी से फैलते हैं। फ्लू होने पर डॉक्टर से उपचार कराना बेहद जरूरी होता है। जबकि, जुकाम होने पर बहती या भरी हुई नाक की समस्या सबसे अधिक होती है। इसके उपचार घरेलू तौर पर भी किए जा सकते हैं।
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जानिए जुकाम और फ्लू के प्रकार
जुकाम और फ्लू के प्रकार अलग-अलग होते हैं। लेकिन इनके लक्षणों में फर्क होता है।
जुकाम के वायरस के प्रकार
ऐसे 200 से भी अधिक वायरस होते हैं जो जुकाम और फ्लू के प्रकार का कारण बन सकते हैं। जिसमें दो समूहों में से एक हैं इसका सबसे मुख्य कारण हो सकता है:
- राइनो वायरस (Rhinoviruses)
- कोरोना वायरस (Coronaviruses)
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राइनो वाइरस (Rhinoviruses) क्या है?
जुकाम और फ्लू के प्रकार में राइनो वायरस भी एक बड़ा कारण होता है। यह वायरस बदलते मौसम के कारण पैदा होने वाले संक्रमण के कारण होता है। इसके कारण बुखार, सर्दी-जुकाम और गले में खराश की समस्या सबसे आम होती है। आमतौर पर जब दिन गर्म और रात ठंडी होने लगती है इसके संक्रमण सबसे ज्यादा ऐसे समय में ही फैलते हैं। यह छोटी समस्या होती है, लेकिन अगर लंबे समय तक इसके वायरस शरीर में रह जाएं, तो रोग-प्रतिरोध की क्षमता घट सकती है। जिसके कारण व्यक्ति को निमोनिया हो सकता है। किसी भी तरह की बीमारी के लिए जुकाम और फ्लू के प्रकार को समझना जरूरी है।
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यह संक्रमण एक बीमार व्यक्ति से दूसरे व्यक्तियों में बहुत तेजी से फैलता है। राइनो वाइरस से बचाव करने के लिए बीमार व्यक्ति से दूर रहना चाहिए। उससे गले मिलने, जूठा खाने या हाथ मिलाने से भी दूरी बनाए रखनी चाहिए। जुकाम और फ्लू के प्रकार जानने के बाद इनका इलाज आसान होता है।
राइनो वायरस के लक्षण
- लाल आंखें होना
- खांसी आना
- जुकाम होना
- जोड़ो में दर्द से परेशान रहना
- गले में दर्द होना
- बहती नाक की समस्या
- सिर दर्द से परेशान रहना
- भूख न लगना
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कोरोना वायरस (Coronaviruses) क्या है?
कुछ साल पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने एक बयान में कोरोना वायरस को लेकर दावा किया था कि ये वायरस एक-दूसरे के संपर्क में रहने वाले दो इंसानों में तेजी से फैल सकता है। आमतौर पर कोरोना वायरस सांस से संबंधित परेशानी पैदा करता है जिसके कारण निमोनिया और कभी-कभी किडनी फेल होने की स्थिति भी देखी जाती है। साथ ही, सर्दी-जुकाम का भी यह एक कारण होता है। जुकाम और फ्लू के प्रकार जानना इसलिए भी जरूरी है ताकि पता चल सके कि यह फैलने वाली बीमारी है या नहीं।
डब्ल्यूएचओ की ताजा रिपोर्ट के अनुसार साल 2012 से 2013 के दौरान यूरोप और मध्य पूर्व में इस वायरस से संक्रमित 33 मरीजों की पहचान की गई थी।
फ्लू वायरस के प्रकार
फ्लू वायरस के कई कारण हो सकते हैं। इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण सांस की नली में समस्या सबसे तेजी से फैलती है। आमतौर पर फ्लू वायरस जनवरी से मार्च या अप्रैल कभी-कभी जुलाई से अगस्त के दौरान भी तेजी से फैल सकत हैं।
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इन्फ्लूएंजा वायरस तीन प्रकार के होते हैं
- इन्फ्लूएंजा ए (A)
- इन्फ्लूएंजा बी (B)
- इन्फ्लूएंजा सी (C)
इन तीनों में सिर्फ इन्फ्लूएंजा ए और बी ही विभिन्न रोगों और स्थितियों का कारण बन सकते हैं। जबकि, इन्फ्लूएंजा सी के कारण बच्चों और वयस्कों में सामान्य सर्दी-जुकाम हो सकता है। फ्लू के वायरस को मौसमी इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है।
मौसमी इन्फ्लूएंजा होने पर बुखार, खांसी, गले में खराश, बहती नाक, मांसपेशियों में दर्द, थकान, उल्टी, दस्त और सिरदर्द के लक्षण देखें जा सकते हैं। फ्लू होने पर बुखार पांच से सात दिनों में ठीक हो जाता है, लेकिन खांसी के लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं। इसके अलावा अगर इंफ्लुएंजा शारीरिक तौर पर कमजोर, दुर्बल या बुजुर्ग लोगों में हो जाए, तो यह एक गंभीर बीमारी का कारण भी हो सकती है।
जुकाम और फ्लू के प्रकार जानने से पहले ये भी जानना जरूरी है कि ये वायरस साल के किसी भी मौसम या महीने में हो सकते हैं, लेकिन सर्दियों में इसका खतरा सबसे अधिक होता है। इसके लक्षण पशुओं में भी पाएं जाते हैं।
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जुकाम के लक्षण
- बंद या बहती नाक
- गले में खराश
- छींक आना
- खांसी
- सिर दर्द
- बदन दर्द
- हल्की थकान
फ्लू के लक्षण
- सूखी खांसी आना
- लंबी खांसी आना
- बहुत तेज बुखार होना
- गले में खराश रहना
- कंपकपी लगना
- मांसपेशियों में दर्द होना
- बदन दर्द होना
- सिर दर्द होना
- भरी या बहती नाक आना
- मतली महसूस होना
- उल्टी होना
- दस्त की समस्या
फ्लू के लक्षण तेजी से नजर आते हैं और बेहद तीव्र हो सकते हैं। यह आमतौर पर 1 से 2 हफ्तों के लिए रहते हैं।
अपने लक्षणों के आधार पर अपनी स्थिति का पता लगाने की कोशिश करें। अगर आपको फ्लू है तो 48 घंटों के अंदर लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें की कोशिश करें।
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जुकाम का इलाज कैसे करें
कोल्ड एक वायरल संक्रमण होता है जिसे एंटीबायोटिक्स की मदद से ठीक नहीं किया जा सकता है। हालांकि, ओटीसी दवाएं जैसे एंटीहिस्टामिन, एसिटामिनोफेन और नॉन-स्टेरॉइडल ड्रग की मदद से जुकाम के लक्षणों से आराम मिलता है। ऐसे में ज्यादा से ज्यादा पानी पियें और खुद को हाइड्रेटेड रखें।
कुछ लोग जुकाम के लिए घरेलू उपायों जैसे जिंक और विटामिन सी का इस्तेमाल करते हैं। घरेलू उपाय मौसम और लक्षणों के अनुसार कार्य करते हैं। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लिए बिना कुछ न करें।
2015 की एक स्टडी के अनुसार जिंक के सेवन से कोल्ड के लक्षणों को कम किया जा सकता है व साथी ही उसकी समय सिमा को भी कम कर देता है।
विटामिन सी जुकाम के रोकथाम में भले ही कारगर न माना जाता हो लेकिन इसका लगातार सेवन करने से लक्षणों में कमी जरूर देखी गई है। जुकाम आमतौर पर 7 से 10 दिनों के अंदर अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि, अगर निम्न परिस्थितियां उतपन्न होने लगती हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें –
- हफ्ते भर में जुकाम के लक्षण कम न होने पर
- जुकाम के साथ तेज बुखार रहना
- बुखार का कम न होना
आपको एलर्जी या बैक्टीरियल इंफेक्शन जैसे साइनोसाइटिस या स्ट्रेप थ्रोट है तो आपको एंटी बायोटिक्स की आवश्यकता पड़ सकती है। अगर आपको तीव्र खांसी है तो यह अस्थमा या ब्रोंकाइटिस हो सकता है।
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फ्लू का इलाज कैसे करें
ज्यादातर मामलों में फ्लू का सबसे अच्छा उपचार होता है आराम और हाइड्रेटेड रहना। डिहाइड्रेशन से बचने के लिए जितना हो सके उतना पानी पियें। ओटीसी और पेन किलर जैसे आइबूप्रोफेन और एसिटामिनोफेन से आप अपने लक्षणों को नियंत्रित कर सकेंगे और अच्छा महसूस होने लगेगा।
हालांकि, फ्लू में बच्चे को कभी भी एस्प्रिन न दें इससे स्थिति और खराब हो सकती है। इसके अलावा बेहद दुर्लभ मामलों में बच्चे को रेये सिंड्रोम भी होने का खतरा रहता है।
फ्लू के इलाज के लिए आपके डॉक्टर आपको एंटीवायरल ड्रग जैसे ओसेल्टामिविर, जानामिविर या पेरामिविर के सेवन की सलाह दे सकते हैं। यह दवाएं फ्लू के समय को कम करने व निमोनिया जैसी गंभीर स्थिति के रोकथाम में काम आती हैं।
हालांकि, यह फ्लू के शुरुआती 48 घंटों में प्रभावशाली नहीं होती हैं। अगर आपको निम्न परिस्थितियों के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें –
- सांस लेने में दिक्कत होना
- गले में तीव्र खराश
- खांसी में हरा बलगम आना
- तेज बुखार
- सीने में दर्द
- अत्यधिक थकान
ऊपर बताए गए जुकाम और फ्लू के प्रकार में से किसी भी तरह के लक्षण दिखाई देनें पर सबसे पहले अपने डॉक्टर को इसकी जानकारी दें। उनके बताए गए निर्देशों के अनुसार आप मेडिकल स्टोर से दवाएं खरीद सकते हैं।
लेकिन, अगर इसके बाद भी लक्षण बने रहते हैं या स्वास्थ्य स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ती है, तो जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से संपर्क करें।