नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2015 में 46 मिलियन महिलाएं ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) की समस्या से पीड़ित थीं और ऐसा माना जा रहा है कि ये आंकड़े आने वाले वक्त में और ज्यादा बढ़ सकते हैं। ऑस्टियोपोरोसिस की वजह से हड्डियां (Bone) कमजोर होने लगती हैं। वहीं अगर बात मेनोपॉज (Menopause) की करें, तो हर महिलाओं को 50 साल की उम्र के बाद मेनोपॉज की समस्या का सामना करना ही पड़ता है। हालांकि कुछ रिपोर्ट्स की मानें, तो बदलती जीवनशैली की वजह से कई महिलाओं में मेनोपॉज की समस्या 50 साल की उम्र से पहले ही होने लगती है। ऐसी स्थिति में महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस और मेनोपॉज (Osteoporosis and Menopause) को एक साथ समझना बेहद जरूरी हो जाता है। इसलिए आज इस आर्टिकल में ऑस्टियोपोरोसिस और मेनोपॉज का आपस में क्या है तालमेल, यह समझने की कोशिश करते हैं।
- ऑस्टियोपोरोसिस और मेनोपॉज क्या है?
- ऑस्टियोपोरोसिस और मेनोपॉज का आपस में क्या है संबंध?
- ऑस्टियोपोरोसिस और मेनोपॉज के लक्षण क्या हैं?
- मेनोपॉज के दौरान ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कैसे कम करें?
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ऑस्टियोपोरोसिस और मेनोपॉज क्या है? (What is Osteoporosis and Menopause?)
ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis)-
ऑस्टियोपोरोसिस हड्डी से जुड़ी एक बीमारी है, जिसकी वजह से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। इस बीमारी के दौरान हड्डियां इतनी कमजोर होने लगते हैं कि हल्की चोट लगने पर भी फ्रैक्चर का खतरा बढ़ने लगता है। ऑस्टियोपोरोसिस के कारण कूल्हे, कलाई या रीढ़ की हड्डियों के टूटने का खतरा ज्यादा रहता है। यह ध्यान दें कि हड्डी एक लिविंग टिशू होता है, जो टूटता और फिर जुड़ जाता है, लेकिन ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या होने पर नई हड्डियों का निर्माण नहीं हो पाता है और डैमेज हुई हड्डियों को फिर से बेहतर होने में सहायक भी नहीं हो पाता है। ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या प्रायः मध्यम उम्र की महिलाओं में देखी जाती है। ऐसा नहीं है कि कम उम्र के लोगों को ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या नहीं होती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या ज्यादा होती है। रिसर्च के अनुसार 50 वर्ष से ज्यादा उम्र की दो महिलाओं में एक महिला ऑस्टियोपोरोसिस की शिकार होती हैं।
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मेनोपॉज (Menopause)-
मेनोपॉज (Menopause) हर एक महिला को अपने जीवन में मेनोपॉज का सामना करना ही पड़ता है। अगर इसे सामान्य शब्दों में समझें तो 12 महीने तक माहवारी यानी पीरियड्स नहीं आने और पीरियड्स (Periods) बंद होने की स्थिति मेनोपॉज कहलाता है। ध्यान रखें यह कोई बीमारी नहीं है, लेकिन तकरीबन 50 साल या उसके आसपास की उम्र होते-होते महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती है। यह एक तरह का बायोलॉजिकल प्रॉसेस है, इसलिए मेनोपॉज की वजह से महिलाओं को टेंशन नहीं लेना चाहिए। इस दौरान शरीर में हो रहे बदलाव और हॉर्मोनल इम्बैलेंस की वजह से महिलाओं की शारीरिक परेशानी बढ़ जाती है, जिसकी वजह से चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग होना या इंसोमनिया जैसी अन्य शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ऑस्टियोपोरोसिस और मेनोपॉज (Osteoporosis and Menopause) क्या है, तो इसका जवाब आपको ऊपर मिल गया है, लेकिन ऑस्टियोपोरोसिस और मेनोपॉज का आपस में क्या तालमेल है यह समझते हैं।
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ऑस्टियोपोरोसिस और मेनोपॉज का आपस में क्या है संबंध? (Relation between Osteoporosis and Menopause)
पेरिमेनोपॉज (Perimenopause) और रजोनिवृत्ति (Menopause) के दौरान इस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजस्ट्रोन
(Progesterone) की कमी ऑस्टियोपोरोसिस से जुड़ी की परेशानियों को बढ़ाने में सहायक होता है। कम उम्र में रजोनिवृत्ति (45 वर्ष की आयु से पहले) यानी मेंस्ट्रुअल साइकिल (Menstrual Cycle) बंद होने की वजह से हड्डियां कमजोर (Weak bone) होना और बोन मसल्स का कम होना स्वभाविक माना जाता है। हड्डियों से जुड़ी यही परेशानी ऑस्टियोपोरोसिस और मेनोपॉज (Osteoporosis and Menopause) को आपस में कनेक्ट करती हैं।
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ऑस्टियोपोरोसिस और मेनोपॉज (Osteoporosis and Menopause) के लक्षण क्या हैं?
मेनोपॉज टर्म से तो हमसभी परिचित हैं और यह भी जानते हैं कि 45 या 50 साल की उम्र के बाद महिलाओं को मेनोपॉज से गुजरना पड़ता है। वहीं ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या होने के बावजूद भी महिलाओं को इसकी जानकारी नहीं होती है। कुछ रिसर्च रिपोर्ट्स की मानें, तो रेग्यूलर एक्टिविटी के दौरान या जब जरा सी चोट लगने पर हड्डी टूट जाती है, तब इस बीमारी के बारे में महिलाएं समझ पाती हैं। इसलिए ऑस्टियोपोरोसिस और मेनोपॉज के लक्षणों को अवश्य जानें-
मेनोपॉज के लक्षण (Symptoms of Menopause)-
- नींद नहीं आना।
- चिड़चिड़ापन महसूस होना।
- डिप्रेशन (Depression) में रहना।
- सामान्य से ज्यादा बाल झड़ना (Hair fall)।
- शरीर में जलन महसूस होना।
- थका-थका महसूस होना।
- चेहरे पर झुर्रियां (Wrinkles) आना।
- बुखार (Fever) आना।
- अचानक पसीना आना।
- दिल की धड़कन (Heart Beat) सामान्य से ज्यादा तेज होना।
इन लक्षणों के अलावा मेनोपॉज के और भी अन्य लक्षण हो सकते हैं।
ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण (Symptoms of Osteoporosis)-
- हड्डियों और मांसपेशियों (Muscles pain) में दर्द रहना।
- कमर दर्द (Lower back pain) की परेशानी होना।
- गर्दन (Neck pain) में दर्द होना।
- हल्की चोट लगने पर बोन फ्रैक्चर (Bone fracture) होना।
इन लक्षणों के नजर आने पर या महसूस होने पर तनाव ना लें सिर्फ जल्द से जल्द डॉक्टर से कंसल्ट कर उनके द्वारा बताई गई दवाओं और सलाहों का पालन करें।
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(पीरियड्स और महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी खास जानकारी के लिए नीचे दिए इस वीडियो लिंक को क्लिक करें।)
ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज कैसे किया जाता है?
अगर किसी महिला को ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या है, तो डॉक्टर निम्नलिखित तरह से इलाज करते हैं। जैसे:
दवाएं (Medicine)-
- एलेंड्रोनेट (Alendronate) (बिनोस्टो, फोसामेक्स [Binosto, Fosamax])
- रिसेड्रोनेट (एक्टोनेल, एटेलविया [Risedronate [Actonel, Atelvia])
- इबानड्रोनेट (Ibandronate) (बोनिवा) (Boniva)
- जोलेड्रोनिक एसिड (रेक्लास्ट, जोमेटा [Zoledronic acid, Reclast, Zometa])
ऑस्टियोपोरोसिस की तकलीफ को दूर करने के लिए ये दवाएं प्रिस्क्राइब की जा सकती हैं।
नोट: इन दवाओं का सेवन अपनी मर्जी से ना करें। डॉक्टर द्वारा प्रिस्क्राइब करने के बाद ही इनका सेवन करें और जितनी डोज लेने की सलाह दी गई हो, उतनी ही लें। जरूरत से ज्यादा इन दवाओं का सेवन नुकसानदायक भी हो सकता है।
हॉर्मोन थेरिपी (Hormone Therapy)-
हेल्थ एक्सपर्ट इस्ट्रोजन, विशेषरूप से मेनोपॉज के तुरंत बाद शुरू कर सकते हैं। इससे हड्डियों को स्ट्रॉन्ग करने में मदद मिलती है। हालांकि इस्ट्रोजन थेरिपी ब्लड क्लॉटिंग, एंडोमेट्रियल कैंसर (Endometrial cancer) और संभावित हार्ट की बीमारी (Heart problem) के खतरे को बढ़ा देती है। इसलिए कम उम्र की महिलाओं को ईस्ट्रोजेन देने का निर्णय हेल्थ कंडिशन को ध्यान में रखकर किया जाता है।
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मेनोपॉज के दौरान ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को कैसे कम करें? (Reducing the risk of Osteoporosis during Menopause)
मेनोपॉज के पड़ाव में पहुंचने के साथ-साथ अगर महिलाएं निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें, तो ऑस्टियोपोरोसिस से जुड़ी समस्याओं को कम किया जा सकता है। जैसे:
1. बोन हेल्थ से जुड़े रिसर्च सेंटर हेल्दी बोन्स ऑस्ट्रेलिया (Healthy Bones Australia) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार 50 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को 1300 mg कैल्शियम का सेवन रोजाना करना चाहिए। कैल्शियम की पूर्ति के लिए दूध के अलावा महिलाएं सोया और आलमंड मिल्क का सेवन करें, आलमंड, ब्राजील नट्स, फर्म टोफू हरी सब्जियां और सैल्मन (Salmon) मछली का सेवन करना लाभकारी माना जाता है।
2. विटामिन डी (Vitamin D) का सेवन करें। ध्यान रखें विटामिन डी कैल्शियम को एब्सॉर्ब करने में सहायक होता है। इसलिए संतुलित मात्रा में इसका सेवन लाभकारी माना जाता है।
3. ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) की समस्या होने पर नियमित वर्कआउट (Workout) करें। नैशनल ऑस्टियोपोरोसिस फाउंडेशन (National Osteoporosis Foundation) में पब्लिश्ड एक रिपोर्ट के अनुसार ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को कम करने के लिए वेट-बेयरिंग (Weight-bearing) और मसल-स्ट्रैंथनिंग एक्सरसाइज (Muscle-Strengthening Exercises) करने से लाभ मिलता है।
4. नियमित एक्सरसाइज के अलावा रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार 30 से 40 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity) जरूर करना चाहिए। इससे भी ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से बचने या कम करने में सहायता मिलती है।
नोट: हाई इंटेंसिटी वाले वर्कऑउट्स को ना करें। इसलिए बेहतर होगा पहले एक्सपर्ट से बात करें, वर्कआउट करने का तरीका समझें और आपकी बॉडी के अनुसार आपको कितना वर्कआउट करना चाहिए, ये जानें और फिर एक्सरसाइज करें।
5. कैफीन (Caffeine) का सेवन कम से कम करें।
6. एल्कोहॉल (Alcohol) का सेवन ना करें।
7. स्मोकिंग (Smoking) से भी दूरी बनायें।
इन बताओं को ध्यान में रखकर ऑस्टियोपोरोसिस के खतरों को कम किया जा सकता है और अगर किसी महिला को ऑस्टियोपोरोसिस और मेनोपॉज (Osteoporosis and Menopause) दोनों ही स्थिति बन रही है, तो उन्हें भी लाभ मिल सकता है।
अगर आप ऑस्टियोपोरोसिस और मेनोपॉज (Osteoporosis and Menopause) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। अगर आप ऑस्टियोपोरोसिस या मेनोपॉज से जुड़े अपने सवालों को कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं।
(ऑस्टियोपोरोसिस और मेनोपॉज ही नहीं, मेनोपॉज का दिल के साथ भी है रिश्ता। जानने के लिए नीचे दिए इस क्विज को खेलें।)