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बुढ़ापे में ही नहीं बल्कि किसी भी उम्र में हो सकते हैं हड्डियों के रोग, इनसे बचाव है जरूरी

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/03/2021

    बुढ़ापे में ही नहीं बल्कि किसी भी उम्र में हो सकते हैं हड्डियों के रोग, इनसे बचाव है जरूरी

    ये तो आप जानते ही होंगी कि मनुष्य के शरीर में 206 हड्डियां होती हैं। हड्डियां हमें मूव करने में मदद करती हैं, हमारे शरीर को शेप देती हैं और सपोर्ट करती हैं। यह वो लिविंग टिश्यू है, जिनका पूरी उम्र लगातार पुनर्निर्माण होता रहता है। बचपन और आपके किशोरावस्था के दौरान, हमारा शरीर पुरानी हड्डी को हटाने की तुलना में तेजी से नई हड्डी जोड़ता है। लेकिन बीस की उम्र के बाद यह प्रक्रिया धीमी हो जाती है। युवावस्था में मजबूत हड्डियां पाने और उम्र के बढ़ने के साथ हड्डियों को टूटने से बचाने के लिए आपको पर्याप्त कैल्शियम, विटामिन डी लेना चाहिए और व्यायाम करना चाहिए। अन्यथा कई हड्डियों के रोग (Other Bone Diseases) आपको परेशान कर सकते हैं। इसके लिए बोन डिजीज के बारे में सही जानकारी होना जरूरी है। जानिए कौन से होते हैं हड्डियों के रोग (Other Bone Diseases) और कैसे बचा जा सकता है, इन समस्याओं से।

    हड्डियों के रोग कौन से होते हैं? (What are the Other Bone Diseases)

    हड्डियों के रोग (Other Bone Diseases), वो स्थिति है जिससे हमारे शरीर के स्केलेटन को नुकसान होता है, हड्डियां कमजोर होती हैं और आसानी से टूट सकती हैं। आपको जानकर आश्चर्य हो सकता है कि कमजोर हड्डियां उम्र बढ़ने का एक स्वाभाविक हिस्सा नहीं हैं।  हड्डियों का मजबूत होना बचपन में शुरू होता है, सभी उम्र के लोग अपने हड्डी के स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं। हड्डियों के रोग (Other Bone Diseases) इस प्रकार हैं:

    यह भी पढ़ें: क्या है हड्डियों की बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस? जानें इसके लक्षण

    • लौ बोन डेंसिटी और ऑस्टियोपोरोसिस (Low bone density and osteoporosis) : इससे हड्डियां कमजोर हो जाती है और जल्दी टूट जाती हैं।
    • ओस्टियोजेनेसिस इम्परफेक्टा (Osteogenesis Imperfecta) : जिसे कारण हड्डियां भंगुर हो जाती हैं।
    • हड्डियों के कैंसर और इंफेक्शन (Bone Cancer and infection)
    • अन्य हड्डियों के रोग (Other Bone Diseases) भी होते हैं जो पुअर न्यूट्रिशन, जेनेटिक और हड्डी के विकास या पुनर्निर्माण की समस्याओं से जुड़े हैं।

    हड्डियों के रोग

    हड्डियों के रोगों के बारे में जानें विस्तार से (Other Bone Diseases in Detail)

    हड्डियों के रोग (Other Bone Diseases) या समस्याएं हर उम्र के लोगों को परेशान कर सकती है। लेकिन, कुछ चीजों का ध्यान रख कर आप इनसे बच सकते हैं। यह कुछ हड्डियों के रोग (Other Bone Diseases) इस प्रकार हैं:

    ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis)

    ऑस्टियोपोरोसिस के कारण हड्डियां कमजोर और नाजुक हो सकती हैं। यह इतनी कमजोर होती हैं कि हल्का सा गिरने या बल लगने पर फ्रैक्चर हो सकता है। ऑस्टियोपोरोसिस से संबंधित फ्रैक्चर सबसे अधिक कूल्हे, कलाई या रीढ़ की हड्डी में होते हैं। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:

    ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण (Symptoms of Osteoporosis)

    ऑस्टियोपोरोसिस के शुरुआती स्टेज में कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। लेकिन, जब इसके कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं ,तो आप इन लक्षणों का सामना कर सकते हैं।

    • पीठ में दर्द (Back Pain)
    • समय के साथ ऊंचाई का कम होना (Loss of Height Over Time)
    • खराब पोस्चर  (Stooped Posture)
    • हड्डी का जल्दी टूटना (bone that Breaks much more Easily)

    ऑस्टियोपोरोसिस के कारण और रिस्क फैक्टर (Causes and Risk Factors of Osteoporosis)

    हमारी हड्डियां लगातार नवीनीकरण की स्थिति में होती हैं।  जिसमें की नई हड्डियां बनती हैं और पुरानी टूटती हैं। 20 की उम्र शुरुआत के बाद यह प्रक्रिया धीमी हो जाती है, और ज्यादातर लोग 30 साल की उम्र तक अपने पीक बोन मास तक पहुंच जाते हैं। लोगों की उम्र के अनुसार, बोन मास तेजी से खो सकता है। ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना आंशिक रूप से इस बात पर निर्भर करती है कि आपने अपने युवावस्था में कितना बोन मास प्राप्त किया था। पीक बोन मास  कुछ हद तक इनहेरिटेड भी होता है। इसके रिस्क फैक्टर इस प्रकार हैं:

    • लिंग (Sex) : महिलाओं में यह हड्डियों के रोग (Other Bone Diseases) होने की संभावना अधिक होती है। 
    • उम्र (Age) : बुढ़ापे में यह समस्या अधिक होती है।
    • फैमिली हिस्ट्री (Family History) : परिवार में किसी को ऑस्टियोपोरोसिस होने से आपको यह समस्या होने का जोखिम अधिक होता है।
    • बॉडी फ्रेम साइज (Body frame size) 

    इसके साथ ही कुछ अन्य चीजें भी इसके जोखिम को बढ़ा देती हैं जैसे:

    • हॉर्मोन लेवल्स (Hormone levels)
    • लौ कैल्शियम इन्टेक (Low calcium intake)
    • ईटिंग डिसऑर्डर्स (Eating disorders)
    • कुछ दवाईयां (Medications)
    • कुछ बीमारियां (Some Diseases)
    • लाइफस्टाइल में गड़बड़ी (Poor lifestyle)

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    ऑस्टियोपोरोसिस का निदान और उपचार (Diagnosis and treatment of Osteoporosis)

    ऑस्टियोपोरोसिस के निदान के लिए डॉक्टर एक मशीन से आपकी बोन डेंसिटी की जांच करेंगे। इस मशीन में लौ लेवल की एक्स रेज़ का प्रयोग किया जाता है। ऑस्टियोपोरोसिस के निदान में बोन डेंसिटी टेस्ट भी शामिल होता है।  जिससे अगले 10 वर्षों में हड्डी टूटने के आपके जोखिम का अनुमान लगाया जाता है। इस समस्या का उपचार इस प्रकार किया जा सकता है:

    पेजेट’स डिजीज ऑफ बोन (Paget’s Disease of bone)

    हड्डियों के रोग (Other Bone Diseases) में से एक है पेजेट’स डिजीज। यह बीमारी शरीर की सामान्य रीसाइक्लिंग प्रक्रिया के साथ हस्तक्षेप करती है, जिसमें हड्डी के नए ऊतक धीरे-धीरे पुराने हड्डी के ऊतकों की जगह ले लेते हैं। समय के साथ, हड्डियां नाजुक और भंगुर बन सकती हैं। पेल्विस, खोपड़ी, रीढ़ और पैर सबसे अधिक इस रोग से प्रभावित होते हैं।

    पेजेट’स डिजीज के लक्षण (Symptoms of Paget’s Disease)

    अधिकतर लोग पेजेट’स डिजीज होने पर कोई लक्षण अनुभव नहीं करते हैं। इसके सबसे पहले लक्षणों में हड्डी में दर्द होना शामिल है। इसके कारण हड्डियां कमजोर हो जाती है, जिससे हड्डियों की डेफोर्मिटीज़ और फ्रैक्चर होना भी इसके लक्षणों में शामिल है। इसके अन्य लक्षण शरीर के प्रभावित अंग पर निर्भर करते हैं, जैसे:

    • पेल्विस (Pelvis) : यह समस्या पेल्विस में होने के कारण कूल्हे में दर्द हो सकती है। 
    • खोपड़ी (Skull) : खोपड़ी में हड्डियों के बढ़ने के कारण सिरदर्द या सुनने में परेशानी हो सकती है। 
    • रीढ़ की हड्डी (Spine) : अगर इस रोग से आपकी रीढ़ की हड्डी प्रभावित हुई है तो इससे हाथ व पैर में दर्द, झुनझुनी और सुन्नता जैसी समस्याएं हो सकती हैं। 
    • टांग (Legs): हड्डियों के कमजोर होने पर टांग टेढ़ी हो सकती है। 

    पेजेट’स डिजीज के कारण  और रिस्क फैक्टर (Causes and Risk Factors of Paget’s Disease)

    पेजेट’स डिजीज के कारणों की पर्याप्त जानकारी मौजूद नहीं है। ऐसा माना जाता है कि यह समस्या पर्यावरण और आनुवंशिक कारकों के कारण हो सकती है। इसके रिस्क फैक्टर इस प्रकार हैं:

    • उम्र (Age)
    • लिंग (Sex)
    • फैमिली हिस्ट्री (Family History)

    हड्डियों के रोग

    पेजेट’स डिजीज का निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment of Paget’s Disease)

    हड्डियों के रोग (Other Bone Diseases) परेशानी का कारण बन सकते हैं। इसके निदान के लिए डॉक्टर आपकी शारीरिक जांच करेंगे और शरीर के जिस हिस्से में समस्या है, उसे भी जांचेंगे। आपको एक्स रे या ब्लड टेस्ट की सलाह भी दी जा सकती है। इसके साथ बोन स्कैन (Bone Scan) भी कराया जा सकता है। अगर पेजेट’स डिजीज का कोई लक्षण नजर नहीं आता है तो उपचार की जरूरत नहीं होती। हालांकि इस समस्या का पता एलिवेटेड अल्कलाइन फोस्फेटस लेवल (Elevated Alkaline Phosphatase Level) से चल सकता है। इसके उपचार के लिए इन तरीकों का प्रयोग किया जाता है:

    • दवाईयां  (Medications) जैसे बिसफोस्फोनेट्स (Bisphosphonates)
    • सर्जरी (Surgery)

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    हड्डियों का कैंसर (Bone cancer) 

    हड्डियों का कैंसर हड्डियों के रोग (Other Bone Diseases) का एक घातक प्रकार है।हड्डियों का कैंसर किसी भी हड्डी में शुरू हो सकता है। लेकिन अधिकतर यह पेल्विस या बाजू और टांगों की लम्बी हड्डी को प्रभावित करता है। यह एक दुर्लभ कैंसर है।

    हड्डियों के कैंसर के लक्षण (Symptoms of Bone Cancer)

    हड्डियों का कैंसर अधिकतर वयस्कों को प्रभावित करता है। हालांकि यह बच्चों को भी हो सकता है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:

    • हड्डी में दर्द (Bone Pain)
    • प्रभावित क्षेत्र के आसपास सूजन और टेंडरनेस (Swelling and Tenderness near the Affected Area)
    • हड्डियों का कमजोर होना (Weakened Bone)
    • कमजोरी (Fatigue)
    • अचानक वजन कम होना (Unintended Weight Loss)

    हड्डियों के कैंसर के कारण और रिस्क फैक्टर (Causes and Risk Factors of Bone Cancer)

    अधिकांश हड्डियों के कैंसर का कारण अज्ञात है। कुछ हड्डी के कैंसर के कारण को हेरेडिटरी फैक्टर्स से जोड़ा गया है, जबकि अन्य पिछले रेडिएशन एक्सपोजर (Previous Radiation Exposure) से संबंधित हैं। इसके रिस्क फैक्टर इस प्रकार हैं:

    हड्डियों के कैंसर का निदान और उपचार  (Diagnosis of Bone Cancer)

    हड्डियों के कैंसर के निदान के लिए इमेजिंग टेस्ट कराए जाते हैं। ताकि ट्यूमर की जगह और आकार का पता चल सके। इससे यह भी पता चलता है कि यह कैंसर शरीर के अन्य अंगों तक तो नहीं फैल गया है। 

    यह टेस्ट इस प्रकार हैं:

    इसके साथ ही डॉक्टर नीडल या सर्जिकल बायोप्सी (Needle or Surgical Biopsies) के माध्यम से प्रभावित स्थान के टिश्यू का सैंपल लेंगे। इससे यह पता चलेगा कि कैंसर किस तरह का है और बोन कैंसर का स्टेज कौन सा है।

    हड्डी के कैंसर के उपचार के विकल्प आपके कैंसर के प्रकार, कैंसर के चरण, आपको पूरी हेल्थ और आपकी प्राथमिकताओं पर आधारित होते हैं। यह विकल्प इस प्रकार हैं :

    ऑस्टियोमाइलाइटिस (Osteomyelitis)

    ऑस्टियोमाइलाइटिस हड्डी में होने वाला एक तरह का इंफेक्शन है। इंफेक्शंस हड्डी तक ब्लडस्ट्रीम के माध्यम से या पास के टिश्यू में फैलने के कारण हो सकता है। यह हड्डी में तब भी हो सकता है, जब हड्डी में किसी चोट के कारण हड्डी में जर्म्स हों।

    ऑस्टियोमाइलाइटिस के लक्षण (Symptoms of Osteomyelitis)

    कई बार ऑस्टियोमाइलाइटिस का कोई लक्षण नहीं नजर आता है और इस समस्या का निदान मुश्किल हो जाता है। हालांकि, इसके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:

    • बुखार (Fever)
    • इंफेक्शन की जगह सूजन, लालिमा या गर्मी (Swelling, Warmth and Redness in area of the Infection)
    • इंफेक्शन की जगह में दर्द (Pain in the Area of the Infection)
    • थकावट (Fatigue)

    ऑस्टियोमाइलाइटिस के कारण और रिस्क फैक्टर (Causes and Risk Factors of Osteomyelitis) 

    ऑस्टियोमाइलाइटिस के अधिकतर मामले स्टेफिलोकोकस बैक्टीरिया (Staphylococcus Bacteria) के कारण होते हैं, जो एक तरह के जर्म्स हैं। यह जर्म्स हमारी हड्डियों में ब्लडस्ट्रीम, किसी चोट या सर्जरी के मध्यम से प्रवेश कर सकते हैं। इससे जुड़े रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं: 

    इन कारकों के कारण ऑस्टियोमाइलाइटिस की संभावना बढ़ सकती है:

    • हाल में हुई कोई इंजरी या ऑर्थोपेडिक सर्जरी (Recent Injury or Orthopedic Surgery) 
    • सर्कुलेशन डिसऑर्डर्स (Circulation Disorders)
    • ऐसी समस्याएं जिसमें इंट्रावेनस लाइन्स या कॅथेटर्स की जरूरत हो (Problems Requiring Intravenous Lines or Catheters)
    • ऐसी स्थितियां जो प्रतिरक्षा प्रणाली को ख़राब करती हैं (Conditions that Impair the Immune System) 

    ऑस्टियोमाइलाइटिस का निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment of Osteomyelitis)

    ऑस्टियोमाइलाइटिस के निदान के लिए डॉक्टर प्रभावित हड्डी के आसपास की जगह की जांच करेंगे और देखेंगे कि वहां सूजन तो नहीं है इसके साथ ही उस जगह की टेंडरनेस की भी जांच की जाएगी। आपको कुछ टेस्ट कराने किए लिए कहा जा सकता है जैसे:

    ऑस्टियोमाइलाइटिस के लिए सबसे आम उपचार में इंफेक्टेड हड्डी के प्रभावित भाग को हटाने के लिए सर्जरी है। इसके बाद इंट्रावेनस एंटीबायोटिक्स (intravenous antibiotics) दिए जा सकते हैं। इसके साथ ही कुछ एंटीबायोटिक दी जा सकती हैं, जो इंफेक्शन को दूर करने में मददगार हो सकती हैं।

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    हड्डियों के रोग के लिए डायट (Diet for Other Bone Diseases)

    हेल्दी और बैलेंस्ड डायट लेने से आपको अपनी हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिलेगी। इसके लिए आपको अपने आहार में निम्नलिखित चीजों को शामिल करना चाहिए।

    हड्डियों के रोग से बचने के लिए क्या खाएं (What to Eat)

    आप जो भोजन करते हैं, वह आपकी हड्डियों को प्रभावित कर सकता है। उन खाद्य पदार्थों को खाएं जो कैल्शियम, विटामिन डी और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और जो आपकी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। जानिए क्या खाना चाहिए:

    क्या ना खाएं (What not to Eat)

    हड्डियों के रोग(Other Bone Diseases) के कारण न केवल आपका रोजाना का जीवन प्रभावित होता है। बल्कि आपको चलने-फिरने में भी समस्या हो सकती है।  इसलिए, आपको कुछ चीजों का बिलकुल भी सेवन नहीं करना चाहिए जैसे

  • एल्कोहॉल (Alcohol)
  • कैफीन युक्त पेय (Caffeine)
  • सॉफ्ट ड्रिंक्स (Soft Drinks)
  • अधिक नमक युक्त आहार High-salt foods 
  • प्रोसेस्ड फ़ूड (Processed Food)
  • हड्डियों के रोग से बचने के लिए लाइफस्टाइल में क्या परिवर्तन करें? (Lifestyle Change for Other Bone Diseases)

    हड्डियों के रोग से बचने के लिए आपका अपनी जीवनशैली में परिवर्तन करना जरूरी है। ऐसा करने में न केवल आपकी बोन लॉस कम होगा।  बल्कि, हड्डी के फ्रैक्चर की संभावना भी कम होती। यह परिवर्तन इस प्रकार हैं:

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    व्यायाम करना (Exercises)

    हड्डी की रिपेयर के लिए सर्कुलेशन आवश्यक है।  इसलिए व्यायाम के माध्यम से ब्लड फ्लो होने से हड्डियों को हील होने में मदद मिलती है। आप अपनी उम्र, मेडिकल कंडीशंस, हड्डियों की स्थिति के अनुसार व्यायाम कर सकते हैं। इसके लिए आप डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।  खासतौर पर अगर आप किसी हड्डियों के रोग (Other Bone Diseases) से पीड़ित हैं। जैसे:

    हाय इम्पैक्ट बेयरिंग एक्सरसाइजेज (high-Impact Weight-Bearing Exercises), जो इस प्रकार हैं:

    • डांसिंग (Dancing)
    • हायकिंग (Hiking)
    • जॉगिंग/रनिंग  (Jogging/running)
    • रस्सी कूदना (Jumping Rope)
    • टेनिस (Tennis)

    यह भी पढ़ें: जानें क्या है चारकोट फुट और हड्डियों को कैसे करता है कमजोर

    लौ-इम्पैक्ट वेट-बेयरिंग एक्सरसाइजेज (Low-Impact Weight-Bearing Exercises) भी हड्डियों को मजबूत करने के लिए फायदेमंद हैं, इसके उदाहरण कुछ इस प्रकार हैं:

    • लौ इम्पैक्ट एरोबिक्स (Low-Impact Aerobics)
    • ट्रेडमिल पर या बाहर फास्ट वाकिंग (Fast Walking on a Treadmill or Outside)
    • मसल स्ट्रेंथिंग व्यायाम (Muscle-Strengthening Exercises)

    आप वेट लिफ्टिंग (Lifting weights), वेट मशीन का प्रयोग (Lifting weights)  आदि भी कर सकते हैं। इसके साथ ही योगा (Yoga) और पिलाटे (Pilate) भी स्ट्रेंथ और फ्लेक्सिबिलिटी को बढ़ाने में मददगार हो सकते हैं।  लेकिन ,अपनी मर्जी से इन्हें न करें।  डॉक्टर की सलाह ले बाद और किसी एक्सपर्ट के मार्गदर्शन के बाद ही इन्हें करना चाहिए। 

    धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें (Avoid Smoking and Alcohol)

    शराब के अधिक सेवन से शरीर में विटामिन डी का अधिक सेवन प्रभावित होता है।  जिससे कैल्शियम की मात्रा प्रभावित होती है और हड्डियों के रोग (Other Bone Diseases) की संभावना बढ़ सकती है। यही नहीं, अधिक शराब से हॉर्मोन लेवल भी प्रभावित होता है, जो हड्डियों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। धूम्रपान और बोन डेंसिटी का सीधा संबंध है। इसलिए, धूम्रपान करने वालों में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा अधिक होता है। 

    bone disease

    गिरने से बचे (Prevent Falls)

    अगर आप हड्डियों के रोग (Other Bone Diseases) या समस्याओं से बचना चाहते हैं तो गिरने से बचे। गिरने से आपको फ्रैक्चर और चोट का खतरा बना रहता है। चोट से बचने के लिए घर में ऐसी किसी भी बाधा को उत्पन्न न होने दें जिससे आपके गिरने की संभावना बढ़े। इसके साथ ही घर के बाहर भी ध्यान से चलें। 

    हेल्दी वजन को बनाएं रखें (Maintain a Healthy Weight) 

    अगर आप हड्डियों के रोग (Other Bone Diseases) से बचना चाहते हैं तो शरीर के वजन को बनाए रखें। अधिक वजन से भी हड्डियों को नुकसान होगा और कई अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं।

    यह भी पढ़ें: फ्रैक्चर या हड्डियों को टूटने से बचाने के लिए किन बातों का आपको रखना चाहिए ख्याल?

    भंगुर हड्डियों के रोग (Other Bone Diseases) का कोई इलाज नहीं है। हालांकि, कुछ थेरेपीज से हड्डियों के टूटने की संभावना कम हो सकती है। अगर आप हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखना चाहते हैं तो छोटी उम्र से ही हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं। इसके साथ ही किसी भी समस्या या लक्षण को नजरअंदाज न करें। समय पर डॉक्टर की राय और सही उपचार जरूरी है।

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    AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/03/2021

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