परिवारिक माहौल (Family environment)- यदि बच्चे के पैरेंट्स बहुत फिजिकली एक्टिव (Physically active) रहते हैं और हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करते हैं तो वह भी वही करेगा। यानी पारिवारिक माहौल भी बच्चों की सेहत में अहम भूमिका निभाता है।
किशोरावस्था की आम स्वास्थ्य समस्याएं (Adolescence common health conditions)
किशोरावस्था में सेहत (Adolescence Health) का ध्यान रखने के लिए पैरेंट्स को इस उम्र में होने वाली आम स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए जो किशोरों के शीरीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
हिंसा (Violence)
उस उम्र में किशोरों (Teenagers) के साथ होने वाले हिंसा उनकी मौत का एक बड़ा कारण है। जानकारों का मानना है कि ज्यादातर मेल एडोलसेंट (Male Adolescence) या किशोर को हिंसा का सामना अधिक करना पड़ता है, जबकि 20 साल तक की हर 10 में से एक लड़की सेक्सुअल एब्यूज का सामना करना पड़ता है जो कि बहुत ही गंभीर स्थिति है। किशोरों के साथ होने वाली हिंसा के लिए हार्मोनल (Hormonal) बदलावों को जिम्मेदार ठहराया जाता है, क्योंकि यह उन्हें आक्रामक बना देता है। यही आक्रामकता हिंसा को जन्म देती है, जो किशोरों की जिंदगी को प्रभावित करने के साथ ही शिक्षा और करियर पर भी असर डालती है और कई बार मौत का कारण भी बन जाती है। किशोरावस्था में हिंसा का शिकार होने पर इंजरी (Injury) का जोखिम बढ़ जाता है, इसके अलावा HIV और दूसरे सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन (Sexually transmitted infection) का खतरा भी।
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मानसिक स्वास्थ्य (Mental health)
किशोरों में बीमारी और विकलांगता का एक बहुत बड़ा कारण डिप्रेशन है और 15-19 साल के बच्चों की मौत का एक बड़ा कारण आत्महत्या है जो डिप्रेशन का ही नतीजा होता है। व्यस्कों को होने वाली करीब आधी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं 14 साल की उम्र से ही शुरू हो जाती है, लेकिन अधिकांश में मामलों में इसका निदान और उपचार नहीं किया जाता है, क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान ही नहीं दिया जाता है।
किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर कई चीजों का असर होता है जैसे हिंसा, गरीबी, स्टिग्मा, बहिष्कार आदि। इन सबकी वजह से बच्चे का मानसिक स्वास्थ्य बुरी तरह से प्रभावित होता है और यदि समस्या का उपचार न किया जाए तो व्यस्क होने पर यह और बढ़ जाती है और शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य दोनों को इतनी बुरी तरह प्रभावित करती है कि वह व्यक्ति सामान्य जीवन नहीं जी पाता।
एल्कोहल और ड्रग्स का इस्तेमाल (Alcohol and drug use)
किशोरावस्था में कभी पीयर प्रेशर तो कभी जिज्ञासावश बच्चे शराब और ड्रग्स का सेवन कर लेते हैं और अपना आपा खो बैठते हैं। शौकिया तौर पर शुरू किया गया यह सेवन कई बार लत में तब्दील हो जाता है। शराब और ड्रग्स के नशे में उन्हें पता ही नहीं चलता कि वह क्या कर रहे हैं औ कई बार असुरक्षित यौन संबंध बना लेते हैं, खतरनाक रूप से गाड़ी चलाकर अपनी और दूसरों की जान जोखिम में डाल देते हैं। शराब की लत यदि जल्दी न छुड़ाई जाए तो व्यस्क होने पर भी यह आदत बनी रहती है जिसका उनकी जिंदगी और सेहत पर गहरा असर पड़ता है। एल्कोहल (Alcohol) और ड्रग्स (Drugs) का इस्तेमाल बच्चों और किशोरों में न्यूरोकॉग्निटिव अल्टरेशन (neurocognitive alterations) से संबंधित है, जो आगे चलकर बिहेवरियल, इमोशनल और एकेडमिक समस्याएं खड़ी कर सकता है।
एचआईवी/एड्स (HIV/AIDS)