क्या जीवन में किसी परेशानी या दुखभरी परिस्थिति में आपने पेट के खराब होने की परेशानी को महसूस किया है? या कभी उत्साहित होने पर बोली जाने वाली यह कहावत सुनी है “बटरफ्लाई इन माय स्टमक’? यह दोनों बातें यह साबित करती हैं कि हमारे गट और दिमाग के बीच में गहरा संबंध होता है। हमारा गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (Gastrointestinal Tract) हमारे इमोशंस को लेकर सेंसिटिव होता है जिनमें हमारा गुस्सा, तनाव या दुख आदि शामिल हैं। यह सभी फीलिंग्स हमारे गट के लक्षणों को बढ़ा सकती हैं। गट-ब्रेन कनेक्शन (Gut-Brain Connection) कोई मिथ या मजाक नहीं है बल्कि यह सच है। अगर आप गट-ब्रेन कनेक्शन (Gut-Brain Connection) के बारे में नहीं जानते हैं, तो पाइए इस बारे में पूरी जानकारी।
गट-ब्रेन कनेक्शन क्या है? (Gut-Brain Connection)
हमारे गट में वो सभी अंग शामिल होते हैं, जो खाने को डायजेस्ट करने और वेस्ट के रूप में इसकी प्रोसेसिंग करने में शामिल होते हैं। गट की लायनिंग को “दूसरा ब्रेन’ भी कहा जाता है। हमारे दिमाग का हमारे पेट और इंटेस्टाइन दोनों पर सीधा प्रभाव पड़ता है। यह कनेक्शन दोनों तरफ से होता है। जैसे खराब इंटेस्टाइन दिमाग को सिग्नल भेजता है और एक परेशान दिमाग हमारे गट को सिग्नल भेज सकता है। किसी व्यक्ति का पेट और इंटेस्टाइनल डिस्ट्रेस (Intestinal Distress) तनाव, स्ट्रेस और डिप्रेशन की वजह बन सकते हैं।
क्लीवलैंड क्लिनिक (Cleveland Clinic) के अनुसार शोधकर्ताओं ने यह पाया है कि हमारे गट में मौजूद नर्वस सिस्टम (जिसके बारे में कम जानकारी है) हमारे ब्रेन के साथ कम्युनिकेट करता है। इसे सेकंड ब्रेन कहा जाता है। हमारे शरीर की किसी खास बीमारी और संपूर्ण स्वास्थ्य में यह दो ब्रेन खास भूमिका निभाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। हमारा गट या सेकंड ब्रेन अपने आप काम कर सकता है और हमारे वास्तविक मस्तिष्क के साथ कम्युनिकेट करता है। यह दोनों इन मुख्य तरीकों से जुड़े हुए हैं:
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फिजिकली (Physically)
गट-ब्रेन कनेक्शन (Gut-Brain Connection) को जानने के लिए पहले जानते हैं, इनका फिजिकल कनेक्शन। वेगस नर्व (Vagus Nerve) जो गट के साथ ही हार्ट, लंग्स और अन्य ऑर्गन्स के मैसेजिज को कंट्रोल करती है। यह नर्व ब्रेन से सीधे तौर पर जुड़ी होती है। केमिकल मैसेज जो गट और ब्रेन के बीच में पास होते हैं, वो बैक्टीरिया, वायरस और कवक से प्रभावित होते हैं। यह सब गट में रहते हैं और इन्हें गट माइक्रोबायोम (Gut Microbiome) कहा जाता है। यह बैक्टीरिया, वायरस या कवक जो गट में रहते हैं, वो हमारे लिए लाभदायक, हानिरहित या हानिकारक कुछ भी हो सकते हैं।
केमिकली (Chemically)
हमारा गट हमारे दिमाग से केमिकल के माध्यम से भी जुड़ा होता है जैसे हॉर्मोन्स और न्यूरोट्रांसमिटर (Neurotransmitter) जो मैसेज सेंड करते हैं।
जानिए गट माइक्रोबायोम किस तरह से हमारी मेंटल हेल्थ से जुड़े होते हैं (How Is The Gut Microbiome Related To Mental Health)?
गट माइक्रोबायोम (Gut Microbiome) गट में पाए जाने वाले बैक्टीरिया, वायरस या कवक आदि को कहा जाता है। मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम्स और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण जैसे हार्टबर्न, अपच, एसिड रिफ्लक्स, ब्लोटिंग, दर्द, कब्ज और डायरिया आदि के बीच में बहुत स्ट्रांग रिलेशनशिप है। एंग्जायटी और डिप्रेशन गट माइक्रोबायोम में बदलाव का कारण बन सकते हैं और ऐसा स्ट्रेस रिस्पांस के परिणामस्वरूप हो सकता है। जानवरों में हुई रिसर्च के अनुसार गट माइक्रोबायोम में बदलाव और गट में इन्फ्लेमेशन दिमाग को प्रभावित कर सकते हैं और कुछ ऐसे लक्षणों का कारण बन सकता है, जो एंग्जायटी, डिप्रेशन, आटिज्म आदि की तरह लगते हैं।
न्यूरोसाइकोलॉजी (Neuropsychology) और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के अध्ययन से यह बात साबित हुई है कि बायपोलर डिसऑर्डर (Bipolar disorder), सिज़ोफ्रेनिया (Schizophrenia) और अन्य (Psychological) मनोवैज्ञानिक या न्यूरोलॉजिकल समस्याएं (Neurological Problems) भी माइक्रोबायोम के साथ जुड़ी हो सकती हैं। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि माइक्रोबायोम में बैक्टीरिया के सामान्य, स्वस्थ संतुलन में अगर कोई भी बाधा आती है तो यह इम्यून सिस्टम को ओवररिएक्ट करने और गैस्ट्रोएंट्राइटिस ट्रैक्ट (Gastrointestinal tract) की सूजन का कारण बन सकती है। इससे न केवल दिमाग बल्कि पूरे शरीर को हानि हो सकती है।
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गट-ब्रेन कनेक्शन (Gut-Brain Connection) में एक और तथ्य भी शामिल है। गेस्ट्रोएंट्राइटिस ट्रैक्ट और दिमाग के बीच में कनेक्शन और कम्युनिकेशन के सिस्टम को गट ब्रेन एक्सिस (Gut-Brain Axis) कहा जाता है। कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार कुछ संक्रमण गैस्ट्रोएंट्राइटिस ट्रैक्ट में म्यूकोसल मेम्ब्रेन (Mucosal Membrane) को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। यह गट ब्रेन एक्सिस (Gut-Brain Axis) को बाधित कर सकते हैं और मस्तिष्क के सामान्य विकास में हस्तक्षेप कर सकते हैं। म्यूकोसल मेम्ब्रेन को अन्य तरीकों से भी बदला जा सकता है, जैसे पुअर डायट ऑप्शंस, रेडिएशन ट्रीटमेंट, एंटीबायोटिक और कीमोथेरेपी के माध्यम से। गट-ब्रेन कनेक्शन को बनाए रखने के लिए क्या करना चाहिए, जानते हैं इसके बारे में।
गट-ब्रेन कनेक्शन को बनाए रखने के लिए क्या करना चाहिए? (Gut-Brain Connection)
गट-ब्रेन कनेक्शन (Gut-Brain Connection) के बारे में तो आप जान ही गए होंगे। मेंटल हेल्थ को बनाए रखने के लिए गट को हेल्दी रखना बेहद जरूरी है। अपने माइक्रोबायोम के स्वास्थ्य को बनाए रखने व रिस्टोर करने और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अपने डायजेस्टिव ट्रैक्ट में लाभदायक बैक्टीरिया का बैलेंस बनाए रखना बेहद आवश्यक है। इसका पहला चरण है संतुलित आहार का सेवन। जिसमे प्रोबायोटिक और प्रीबायोटिक इंग्रीडिएंट भी शामिल हैं। यह गट माइक्रोबायोम के बैलेंस को रीस्टोर करने में मदद कर के साथ ही मायक्रोबायल स्वास्थ्य (Microbial Health) को सपोर्ट करते हैं। यह वो खाद्य पदार्थ हैं जिनमे लाइव लाभदायक बैक्टीरिया यानी प्रोबायोटिक होते हैं। आइए जानते हैं गट और मेंटल हेल्थ को बनाये रखने के लिए क्या खाना चाहिए और किन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
गट हेल्थ को हेल्दी रखने के लिए क्या खाएं? (What to Eat for Gut Health)
गट-ब्रेन कनेक्शन (Gut-Brain Connection) के साथ ही जानते हैं कि गट को स्वस्थ रखने के लिए कौन सा आहार लाभदायक है। जानिए इसके लिए आपको क्या खाना चाहिए:
प्रोबायोटिक फूड्स (Probiotic Foods)
प्रोबायोटिक फूड्स वो खाद्य पदार्थ हैं जो कई लाभदायक लाइव बैक्टीरिया प्रदान करते हैं। यह खाद्य पदार्थ फर्मेंटेशन प्रोसेस के दौरान ग्रो होते हैं। इनमे से कुछ चीजों को आप अपनी डायट में शामिल कर सकते हैं। इनमें पनीर, दही, एप्पल साइडर विनेगर आदि शामिल है। इस बात का ध्यान रखें कि इन चीजों का प्रोबायोटिक इफेक्ट अधिक तापमान में कुकिंग, प्रोसेसिंग या प्रिजर्विंग करने पर नष्ट हो जाता है।
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प्रीबायोटिक फूड्स (Prebiotic Foods)
प्रीबायोटिक फूड्स में जीवित जीव (Living Organism) नहीं होते हैं। यह माइक्रोबायोम के स्वास्थ्य में योगदान करते हैं। प्रीबायोटिक खाद्य पदार्थों में लीक, प्याज, लहसुन, गोभी, फलियां और ओट्स आदि शामिल हैं।
कमर्शियल सप्लीमेंट्स (Commercial Supplements)
ऐसा माना जाता है कि प्रोबायोटिक सप्लीमेंट डिप्रेशन, एंग्जायटी या अन्य मनोवैज्ञानिक (Psychological) और न्यूरोलॉजिकल (Neurological) कंडीशंस में लक्षणों को सुधारने में लाभदायक है। लेकिन इसके प्रयोग के बारे में अपने डॉक्टर से बात करना जरूरी है। वर्तमान में, कोई स्टैंडर्डज़ेड रेकमेंडेशन्स नहीं हैं क्योंकि शोधकर्ताओं ने अभी तक यह निर्धारित नहीं किया है कि कौन सी बैक्टीरियल स्पीशीज या स्पीशीज का मेल, खुराक और डिलीवरी सिस्टम खास लक्षणों का इलाज करने और पूरे स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है।
मेंटल हेल्थ को बनाए रखने के लिए क्या खाएं? (What to eat for Mental Health)
गट-ब्रेन कनेक्शन (Gut-Brain Connection) में जहां दिमाग के स्वास्थ्य के लिए गट का हेल्दी रहना जरूरी है। वहीं गट को स्वस्थ रखने के लिए मेंटल हेल्थ का सही रहना भी जरूरी है। हालांकि, मेंटल हेल्थ के लिए कोई खास डायट नहीं है। लेकिन, कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें खाने से डायजेस्टिव ट्रैक्ट और ब्रेन दोनों को खुशी मिल सकती है। मेंटल हेल्थ को सुधारने के लिए खाद्य पदार्थ इस प्रकार हैं:
ओमेगा-3’s (Omega -3’s)
ओमेगा-3s का उत्पादन हमारा शरीर नहीं कर सकता है। इसलिए, हमें यह फैटी एसिड्स अन्य जगह से प्राप्त करने चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ओमेगा-3s कोलेस्ट्रॉल और हाय ब्लड प्रेशर को कम करने में लाभदायक है। यह कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ (Cardiovascular Health) को बढ़ाता है। यही नहीं, यह हमारे गट के लिए भी लाभदायक है। इसके और भी कई लाभ हैं। ओमेगा-3s को हम इन चीजों से प्राप्त कर सकते हैं:
- अखरोट (Walnuts)
- अलसी के बीज (Flax Seeds)
- सालमोन (Salmon)
विटामिन-D (Vitamin-D)
विटामिन-D की कमी के कारण सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (Seasonal Affected Disorder) हो सकता है। जो इंफ्लमेटरी बॉवेल डिजीज का कारण बनता है और माइक्रोबायोम (Microbiome) को भी बाधित कर सकता है। वास्तव में विटामिन-D की कमी माइक्रोबायोटा (Microbiota) को भी प्रभावित करती है। जिससे इंफ्लमेटरी बॉवेल डिजीज हो सकती हैं। विटामिन-D आप इनसे प्राप्त कर सकते हैं :
- ऑरेंज जूस (Orange Juice)
- एग योल्क (Egg Yolks)
- सालमोन और टूना (Salmon and Tuna)
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सेलेनियम (Selenium)
सेलेनियम में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो गट की सूजन को दूर करने में मदद करते हैं और इम्युनिटी को बढ़ाते हैं। इसके साथ ही यह इंटेस्टाइनल डिसफंक्शंस से बचने के लिए गट माइक्रोबायोटा को सुधारता है। यह चीजें इसका अच्छा स्त्रोत हैं:
- अंडे (Eggs)
- टूना (Tuna)
प्रोटीन (Protein)
प्रोटीन में नाइट्रोजन होता है जो माइक्रोबायोम (Microbiome) में मौजूद बुरे बैक्टीरिया की संख्या को कम करता है। लीन प्रोटीन मूड को सुधारती है और डिप्रेशन की फीलिंग को कम करती हैं। इन चीजों से आप प्रोटीन प्राप्त कर सकते हैं
- अंडे, दूध और दही (Eggs, Milk, and yogurt)
- चिकन और फिश (Chicken and Fish)
- ब्रोकली (Broccoli)
- ओट्स (Oats)
- नट्स (Nuts)
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फाइबर (Fiber)
फाइबर का सेवन करने से भी डिप्रेशन के लक्षण कम होते हैं, याददाश्त सुधरती है और मूड सही रहता है। फाइबर माइक्रोबायोटा को सपोर्ट करके पाचन तंत्र में सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव (Oxidative stress) को भी कम करता है। जिन खाद्य पदार्थों में फाइबर अधिक होता है, उनमें यह सब शामिल हैं:
- फल और सब्जियां (Fruits and vegetables)
- बींस (Beans)
- ओट्स (Oats)
- नट्स और सीड्स (Nuts and seeds)
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आहार जिनका सेवन नहीं करना चाहिए?
गट-ब्रेन कनेक्शन (Gut-Brain Connection) के बारे में जानने के साथ ही आपको उन चीजों के बारे में भी जानना चाहिए। जिनका सेवन आपको गट-ब्रेन हेल्थ के लिए नहीं करना चाहिए। अगर आप इंटेस्टाइनल डिस्कंफर्ट (Intestinal Discomfort), मेंटल इशूज (Mental issues) या अन्य गंभीर हेल्थ कंडीशंस से पीड़ित है, तो हो सकता है कि इसका कारण कुछ ऐसे आहार हैं, जो आपके गट के लिए सही नहीं है। ऐसे में आपको इनका कम सेवन करना चाहिए ताकि गट हेल्थ सुधरे। यह आहार इस प्रकार है:
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एल्कोहॉल (Alcohol)
अधिक शराब पीने से आपको इसकी आदत लग सकती है या लिवर और अन्य कई समस्याएं हो सकती है। यही नहीं, शराब को गट माइक्रोबायोटा को बदलने और आपके माइक्रोबायोम के संतुलन को कम करने के लिए भी जाना जाता है। इसके साथ ही यह डिप्रेसेंट है। इसका सेवन करने से अस्थायी रूप में मूड तो अच्छा रहता है लेकिन ब्रेन केमिस्ट्री बदल सकती है। यह एंग्जायटी और तनाव का कारण बन सकती हैं। इसलिए, इससे बचे या इसकी मात्रा सीमित कर दें।
मछली जिसमे मरकरी अधिक हो (Fish High In Mercury)
ऐसी फिश जिसमे मरकरी की मात्रा अधिक हो वो गेस्ट्रोएंट्राइटिस ट्रैक्ट (Gastrointestinal Tract) को नुकसान पहुंचा सकती है और मूड स्विंग्स और मेमोरी लॉस का कारण बन सकती है। बहुत सी मछलियों में ओमेगा 3 फैटी एसिड और अन्य न्यूट्रिएंट्स होते हैं। जो गट हेल्थ पर अच्छा प्रभाव ड़ाल सकते हैं।
प्रोसेस्ड फूड (Processed Food)
ऐसे आहार जिनमें आर्टिफिशियल इंग्रीडिएंट होते हैं जैसे प्रिजर्वेटिव्स (Preservatives), फ्लेवर (flavor), आदि भी हमारे दिमाग को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके साथ ही आर्टिफिशियल स्वीट, ट्रांस फैट और अन्य प्रोसेस्ड फूड भी कई हेल्थ समस्याओं का कारण बन सकते हैं। इन्हें खाने से बचें।
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यह तो थी गट-ब्रेन कनेक्शन (Gut-Brain Connection) के बारे में पूरी जानकारी। आप न्यूट्रिशन, गट हेल्थ और उनके मेंटल हेल्थ से कनेक्शन के बारे में तो आप जान ही गए होंगे। गट और ब्रेन के बीच में कई नर्वज और न्यूरॉन्स काम करते हैं। गट में उत्पन्न होने वाले न्यूरोट्रांसमीटर और अन्य रसायन भी हमारे ब्रेन को प्रभावित करते हैं। लेकिन, अपने गट में मौजूद बैक्टीरिया के प्रकारों को बदल कर ब्रेन हेल्थ को सुधारा जा सकता है। इसके लिए सही आहार का सेवन जरूरी है। इसके साथ ही अन्य हेल्दी हैबिट्स को अपना कर भी आप गट और ब्रेन के स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं जैसे व्यायाम करना, तनाव से बचना, पर्याप्त नींद लेना आदि गट- ब्रेन कनेक्शन और इन्हें कैसे स्वस्थ रखा जाए इसके लिए आप अपने डॉक्टर से जान और सही सलाह ले सकते हैं।
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