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टीनएज प्रेग्नेंसी का मानसिक संतुलन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

टीनएज प्रेग्नेंसी का मानसिक संतुलन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

हमारे समाज में अभी भी कुछ चीजें चिंता का विषय हैं। उन्हीं में से एक है कम उम्र में लड़कियों का विवाह और छोटी उम्र में उनका मां बनना। आज भी हमारे समाज में कई लोग छोटी उम्र में ही अपनी बच्चियों का विवाह कर देते हैं, जिससे वो जल्दी गर्भवती हो जाती हैं। इन लड़कियों को कम उम्र में जल्दी शादी और मां बनाने के लिए बहुत दबाव का सामना करना पड़ता है, जबकि वो अभी खुद बच्चियां होती हैं। इसके अधिकतर मामले पिछड़ी जगहों से जुड़े होते हैं। जहां लड़कियां अपने सेक्शुअल और प्रजनन हेल्थ को लेकर सही निर्णय नहीं ले पाती।

छोटी उम्र में मां बनने को टीनएज प्रेग्नेंसी (Teenage pregnancy) कहा जाता है। लेकिन, इस प्रेग्नेंसी का होने वाली मां के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आइए,जाने टीनएज प्रेग्नेंसी का मानसिक संतुलन पर असर  (Teenage Pregnancy Affects Mental Balance) क्या होता है। टीनएज प्रेग्नेंसी का प्रभाव (Effect of Teenage Pregnancy) उनके शरीर पर क्या पड़ता है, यह भी जानें।

टीनएज प्रेग्नेंसी क्या होती है (What is Teenage pregnancy)?

टीनएज प्रेग्नेंसी (Teenage Pregnancy) , वो प्रेग्नेंसी है, जिसमें बीस साल से कम उम्र की लड़की गर्भवती हो जाती है। आमतौर पर टीनएज प्रेग्नेंसी को 15-19 साल तक की लड़कियों की गर्भावस्था से जोड़ कर देखा जाता है। लेकिन, कई बार इसमें दस साल से कम उम्र की लड़कियां भी शामिल होती हैं। इसे टीन प्रेग्नेंसी (Teen Pregnancy) या अडलेसेन्ट यानी किशोर प्रेग्नेंसी (Adolescent Pregnancy)भी कहा जाता है।

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भारत में यह समस्या अधिकतर गांव में देखी जाती है। जहां लड़कियों की छोटी उम्र में ही शादी कर दी जाती है। यह लड़कियां आमतौर पर इतनी पढ़ी-लिखी नहीं होती है कि वो अपने शरीर या भविष्य को लेकर खुद कोई निर्णय ले पाएं। परिवार, रिश्तेदारों या समाज पर निर्भर होने के कारण वो उनके निर्णय को मानती हैं। कई बार छोटी उम्र में गर्भवती होने का कारण यौन हिंसा भी हो सकती है।

टीनएज प्रेगनेंसी का मानसिक संतुलन पर असर

टीनएज प्रेग्नेंसी के लक्षण (Teenage Pregnancy Symptoms) कौन से हैं

टीनएज प्रेग्नेंसी का मानसिक संतुलन पर असर  (Teenage Pregnancy affects mental balance) जानने से पहले जानते हैं, इसके लक्षणों के बारे में। हालांकि, इसका मुख्य लक्षण पीरियड का मिस होना ही है। लेकिन, यह लक्षण उन टीनएज लड़कियों के लिए परेशान करने वाला हो सकता है, जिनका किन्हीं कारणों से मासिक धर्म चक्र सामान्य नहीं होता। गर्भावस्था के कुछ लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

  • मॉर्निंग सिकनेस
  • अचानक खास चीज़ों को खाने की क्रेविंग
  • निपल्स या ब्रेस्टस में दर्द
  • असामान्य थकावट
  • लगातार पेशाब
  • असामान्य मूड स्विंग्स
  • चक्कर आना
  • वजन का बढ़ना
  • पेट का फूलना

एक पॉजिटिव प्रेग्नेंसी टेस्ट गर्भावस्था का एक और संकेत है। आज कल घर पर किए जाए वाले प्रेग्नेंसी टेस्ट को सटीक माना जाता है। इस प्रेग्नेसी किट को दवा की दुकानों से आसानी से खरीदा जा सकता है।

टीनएज प्रेग्नेंसी का मानसिक संतुलन पर असर (Teenage pregnancy affects mental balance)

प्रेग्नेंसी के साथ ही टीनएज प्रेग्नेंसी का मानसिक संतुलन पर असर (Teenage pregnancy affects mental balance) क्या होता है, यह जानना बहुत जरूरी है। टीनएज प्रेग्नेंसी (Teenage Pregnancy) का होने वाली मां के मानसिक संतुलन पर बहुत अधिक बुरा असर होता है। एक सर्वे के मुताबिक हर साल, लाखों टीनएज लड़कियां बच्चों को जन्म देती हैं। टीनएज प्रेग्नेंसी के कारण यंग मां के शरीर ही नहीं बल्कि दिमाग पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। जानिए, टीनएज प्रेग्नेंसी का मानसिक संतुलन पर असर (Teenage pregnancy affects mental balance) के बारे में :

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बेबी ब्लूज (Baby blues)

बेबी ब्लूज महिलाओं में उदासी की वो भावना है ,जो टीनएज लड़की बच्चे को जन्म देने के पहले कुछ दिनों में महसूस करती है। इसे पोस्टपार्टम ब्लूज भी कहा जाता है। इसमें महिला मूड स्विंग्स, उदासी, एंग्जायटी , कुछ भी खाने और सोने में समस्या, ध्यान लगाने में परेशानी आदि महसूस कर सकती है। टीनएज प्रेग्नेंसी का प्रभाव (Effect of Teenage Pregnancy) होने वाली मां की दिनचर्या पर भी पड़ता है।

डिनायल (Denial)

टीनएज प्रेग्नेंसी का मानसिक संतुलन पर असर  (Teenage Pregnancy affects Mental Balance) में दुसरा है डिनायल। डिनायल वो पहला मेन्टल इशू है। जो टीनएजर्स उस समय महसूस करते हैं, जब उन्हें पता चलता है कि उनका प्रेग्नेंसी टेस्ट रिजल्ट पॉजिटिव हैं। अधिकतर टीनएजर्स इस चीज के लिए तैयार नहीं होते और जब वो ऐसा होते हुए पाते हैं तो इसे स्वीकार नहीं कर पाते। ऐसे में वो इस स्थिति से बचने की कोशिश करते हैं। इस स्थिति में वो सही मेडिकल हेल्प भी नहीं पाना चाहते। वे मेडिकल हेल्प की कमी के कारण गर्भावस्था में जटिलताओं को और बढ़ा सकते हैं।

अपराध की भावना (Feeling of Guilt)

यह भावना टीनएज कई बार महसूस कर सकते हैं। गर्भवती होने के बाद टीनएजर्स इस चीज़ को महसूस कर सकते हैं कि उन्होंने अपने माता-पिता का विश्वास खोया है या कुछ गलत किया है। इस तरह की मनोवैज्ञानिक स्थिति से जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी निपटने की जरूरत होती है। क्योंकि, इस स्थिति में वो खुद को संभाल नहीं पाते और कई बार गलत कदम भी उठा सकते हैं। ऐसे में किसी ऐसे व्यक्ति से बात करना जरूरी है जो उसका सही मार्गदर्शन करे और जिस पर वो भरोसा कर सके।

टीनएज प्रेगनेंसी का मानसिक संतुलन पर असर

पोस्टपार्टम डिप्रेशन यानी प्रसवोत्तर अवसाद (Postpartum Depression)

टीनएज प्रेग्नेंसी का मानसिक संतुलन पर असर (Teenage Pregnancy affects Mental Balance) में अगला है पोस्टपार्टम डिप्रेशन। प्रसवोत्तर अवसाद में बेबी ब्लूज़ की तुलना में अधिक गंभीर लक्षण नजर आते हैं। किशोर माताओं में प्रसवोत्तर अवसाद होने की संभावना दोगुनी होती है। बेबी ब्लूज़ और पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum Depression) दोनों अलग हैं। बेबी ब्लूज़ के लक्षण कुछ हफ्तों के बाद दूर हो जाते हैं। लेकिन प्रसवोत्तर अवसाद के लक्षण जल्दी ठीक नहीं हो सकते। टीनएज प्रेग्नेंसी का प्रभाव (Effect of Teenage Pregnancy) डिप्रेशन के रूप में भी सामने आ सकता है

प्रसवोत्तर अवसाद के लक्षण इस प्रकार हैं:

  • अत्यधिक थकान (Excessive fatigue)
  • चिंता (Anxiety)
  • पैनिक अटैकस (Panic Attacks)
  • खुद को या अपने बच्चे को नुकसान पहुंचाने के बारे में सोचना
  • जो काम आपको पसंद हैं उन्हें करने में मजा न आना

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बच्चे के साथ बॉन्ड न बनना

प्रसव से पहले ही होने वाली टीनएजर मां अपने बच्चे के साथ बॉन्ड नहीं बना पाती। ऐसा उम्र कम होने या अपराध की भावना के कारण हो सकता है। समय के साथ बच्चे के साथ संबंध न बन पाने के कारण मां और बच्चे दोनों प्रभावित हो सकते हैं।

आत्मसम्मान संबंधी समस्याएं

टीनएज प्रेग्नेंसी का मानसिक संतुलन पर असर  (Teenage Pregnancy affects Mental Balance) के साथ ही उसे आत्मसम्मान संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। प्रसव के बाद, जब टीनएजर मां स्कूल, कॉलेज या काम पर वापस जाती है, तो आमतौर पर उसके दोस्त या आसपास के लोग उसे वापस अपने जीवन में स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हो पाते। जिससे वो उस स्थान पर जाना बंद कर सकती हैं। इससे उनकी शिक्षा और काम पर प्रभाव पड़ता है और उन्हें शर्म महसूस होती है। ऐसा होने से उनके आत्मसम्मान को भी ढेस पहुंचती है।

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अगर टीनएज मां गर्भावस्था के दौरान या बाद किसी भी तरह की परेशानी का अनुभव करती है तो तुरंत सहायता लेनी चाहिए। क्योंकि, वो इसमें अकेली नहीं है। बल्कि ऐसे कई और लोग भी हैं। उसके माता-पिता और प्रियजनों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि उसको सपोर्ट करें। ऐसा कोई भी लक्षण महसूस होने पर टीनएज मां को सही मदद दिलाएं।

टीनएज प्रेग्नेंसी (Teenage Pregnancy) में शारीरिक परिवर्तन

टीनएज प्रेग्नेंसी का मानसिक संतुलन पर असर  (Teenage Pregnancy affects Mental Balance) के साथ ही शरीर पर भी प्रभाव पड़ता है। वैसे तो हर महिला गर्भावस्था के दौरान और बाद में अपने शरीर में बहुत से बदलाव पाती है जैसे स्ट्रेच मार्क्स, वजन का बढ़ना, गेस्टेशनल, डायबिटीज आदि। लेकिन टीनएजर मां को इससे भी अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जैसे:

सी-सेक्शन प्रसव की अधिक संभावना (More Chances of C-Section Delivery)

टीनएज माताओं में सी-सेक्शन प्रसव की संभावना अधिक होती है। क्योंकि, इस उम्र तक पेल्विक बोन पूरी तरह से विकसित नहीं हुई होती। ऐसे में, अगर पेल्विक बोन अविकसित है, तो बच्चे के लिए वजाइनल डिलीवरी के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती। यही नहीं, सी-सेक्शन का अर्थ है टीनएज मां के लिए पूरी तरह से स्वस्थ होने में अधिक समय लगना।

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एनीमिया (Anemia)

कम उम्र में गर्भधारण करने से एनीमिया होने की संभावना अधिक होती है, जो आयरन और विटामिन में कमी है। हालांकि, गर्भावस्था में हल्का एनीमिया होना सामान्य है। लेकिन कम उम्र की मां जिनके शरीर का अभी विकास हो रहा होता है। उसे अधिक नुट्रिएंट की जरूरत होती। ऐसे में उस में एनीमिया की संभावना बढ़ जाती है। इसके साथ टीनएज में गर्भधारण (Pregnancy in Teenage) से लौ बर्थ रेट और बर्थ डिफेक्ट जैसी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।

मोटापा (Obesity)

टीन प्रेग्नेंसी को मोटापे के साथ भी जोड़ा जाता है। ऐसा माना जाता है कि टीन प्रेग्नेंसी के बाद वजन का बढ़ना सामान्य है। अध्ययन यह भी बताते हैं कि कम उम्र में बच्चा होने से लॉन्ग टर्म हेल्थ रिस्क भी बढ़ जाते हैं।

टीनएज प्रेग्नेंसी का मानसिक संतुलन पर असर  (Teenage Pregnancy affects Mental Balance) के साथ ही उनके भविष्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। टीन मदर कम पढ़ी-लिखी होती हैं और ज्यादातर कॉलेज नहीं जा पाई होती हैं। जिसके कारण वो न तो कोई काम कर पाती हैं और न ही कोई नौकरी। जिससे उसे दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। यही नहीं, टीन माता-पिता के बच्चों को भी कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है कई बाद उन्हें उपेक्षित महसूस कराया जा सकता है या उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा सकता है।

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टीनएज प्रेग्नेंसी के लिए कुछ टिप्स (Tips for Teenage Pregnancy)

टीनएज प्रेग्नेंसी का मानसिक संतुलन पर असर  (Teenage Pregnancy affects Mental Balance) तो पड़ता ही है। इसके साथ ही उन्हें ब्लड प्रेशर का बढ़ना, प्रीमेच्योर बच्चे का जन्म जैसी समस्याओं से भी गुजरना पड़ सकता है। ऐसे में, टीनएज मां को इन चीजों का ध्यान रखना चाहिए।

  • गर्भवस्था के दौरान अपने माता-पिता और अभिभावकों की सलाह और मदद अवश्य लें। क्योंकि इतनी कम उम्र में आप यह सब अकेले नहीं कर पाएंगी। ऐसी में, किसी अनुभवी का आपके साथ रहना जरूरी है
  • यौन संचारित संक्रमण (STI) के लिए परीक्षण करवाएं। यदि आपको STI है, तो उपचार आवश्यक है।
  • गर्भवस्था में खासतौर पर टीनएज में आपको फोलिक एसिड (Folic Acid), कैल्शियम (Calcium), आयरन (Iron) और अन्य जरूरी नुट्रिएंट्स की अधिक जरूरत होती है। इसलिए इस दौरान संतुलित और सही आहार लेना न भूलें।

टीनएज प्रेगनेंसी

  • फिजिकली एक्टिव रहें। रोजाना व्यायाम या अन्य फिजिकल एक्टिविटीज (Physical Activities) करने से आपको प्रेग्नेंसी में होने वाली बेचैनी से आराम मिलेगा और आपकी एनर्जी लेवल भी बढ़ेगा। इसके साथ ही मानसिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलेगा। इसके लिए अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
  • अल्कोहल , तम्बाकू और अन्य ड्रग्स का सेवन न करें, जो आपके और आपके बच्चे के लिए नुकसानदायक हो। डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी चीज का सेवन न करें।
  • अपने और अपने बच्चे के भविष्य के बारे में सोचें। अगर आप अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई हैं तो उसे पूरा करें। ताकि, आपका अपने और अपने बच्चे के लिए कुछ कर पाएं। इसके लिए आप किसी काउंसलर या सोशल वर्कर की सहायता ले सकते हैं।

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टीनएज प्रेग्नेंसी का मानसिक संतुलन पर असर (Teenage Pregnancy affects Mental Balance) क्या असर होता है, यह आज जान ही गए होंगे। टीनएज प्रेग्नेंसी (Teenage Pregnancy) होने वाली मां के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से नुकसानदायक है। इसे रोकने का सबसे अच्छा तरीका है समाज को इस बारे में जागरूक करना, लड़कियों को शिक्षित करना ताकि वो अपने अच्छे या बुरे के बारे में जान पाएं। अगर कोई टीनएजर लड़की गर्भवती है, तो उसे परिवार का सपोर्ट मिलना जरूरी है। इसके साथ ही उसे अपना पूरा ख्याल रखना चाहिए ताकि गर्भावस्था और प्रसव में कोई समस्या न हो।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Teenage Pregnancy.https://plan-international.org/sexual-health/teenage-pregnancy .Accessed on 17/2/21

Effects & Consequences of Teenage Pregnancy.http://www.myhealth.gov.my/en/effects-a-consequences-ofteenage-pregnancy/ .Accessed on 17/2/21

Teenage pregnancy: Helping your teen cope. https://www.mayoclinic.org/healthy-lifestyle/tween-and-teen-health/in-depth/teen-pregnancy/art-20048124 .Accessed on 17/2/21

Impact of Social and Cultural Factors on Teen Pregnancy.https://medlineplus.gov/teenagepregnancy.htmlE .Accessed on 17/2/21

About Teen Pregnancy. https://www.cdc.gov/teenpregnancy/about/index.htm .Accessed on 17/2/21

Current Version

27/10/2021

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Bhawana Awasthi


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Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/10/2021

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