अगर टीनएज मां गर्भावस्था के दौरान या बाद किसी भी तरह की परेशानी का अनुभव करती है तो तुरंत सहायता लेनी चाहिए। क्योंकि, वो इसमें अकेली नहीं है। बल्कि ऐसे कई और लोग भी हैं। उसके माता-पिता और प्रियजनों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि उसको सपोर्ट करें। ऐसा कोई भी लक्षण महसूस होने पर टीनएज मां को सही मदद दिलाएं।
टीनएज प्रेग्नेंसी (Teenage Pregnancy) में शारीरिक परिवर्तन
टीनएज प्रेग्नेंसी का मानसिक संतुलन पर असर (Teenage Pregnancy affects Mental Balance) के साथ ही शरीर पर भी प्रभाव पड़ता है। वैसे तो हर महिला गर्भावस्था के दौरान और बाद में अपने शरीर में बहुत से बदलाव पाती है जैसे स्ट्रेच मार्क्स, वजन का बढ़ना, गेस्टेशनल, डायबिटीज आदि। लेकिन टीनएजर मां को इससे भी अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। जैसे:
सी-सेक्शन प्रसव की अधिक संभावना (More Chances of C-Section Delivery)
टीनएज माताओं में सी-सेक्शन प्रसव की संभावना अधिक होती है। क्योंकि, इस उम्र तक पेल्विक बोन पूरी तरह से विकसित नहीं हुई होती। ऐसे में, अगर पेल्विक बोन अविकसित है, तो बच्चे के लिए वजाइनल डिलीवरी के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती। यही नहीं, सी-सेक्शन का अर्थ है टीनएज मां के लिए पूरी तरह से स्वस्थ होने में अधिक समय लगना।
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एनीमिया (Anemia)
कम उम्र में गर्भधारण करने से एनीमिया होने की संभावना अधिक होती है, जो आयरन और विटामिन में कमी है। हालांकि, गर्भावस्था में हल्का एनीमिया होना सामान्य है। लेकिन कम उम्र की मां जिनके शरीर का अभी विकास हो रहा होता है। उसे अधिक नुट्रिएंट की जरूरत होती। ऐसे में उस में एनीमिया की संभावना बढ़ जाती है। इसके साथ टीनएज में गर्भधारण (Pregnancy in Teenage) से लौ बर्थ रेट और बर्थ डिफेक्ट जैसी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।
मोटापा (Obesity)
टीन प्रेग्नेंसी को मोटापे के साथ भी जोड़ा जाता है। ऐसा माना जाता है कि टीन प्रेग्नेंसी के बाद वजन का बढ़ना सामान्य है। अध्ययन यह भी बताते हैं कि कम उम्र में बच्चा होने से लॉन्ग टर्म हेल्थ रिस्क भी बढ़ जाते हैं।
टीनएज प्रेग्नेंसी का मानसिक संतुलन पर असर (Teenage Pregnancy affects Mental Balance) के साथ ही उनके भविष्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। टीन मदर कम पढ़ी-लिखी होती हैं और ज्यादातर कॉलेज नहीं जा पाई होती हैं। जिसके कारण वो न तो कोई काम कर पाती हैं और न ही कोई नौकरी। जिससे उसे दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। यही नहीं, टीन माता-पिता के बच्चों को भी कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है कई बाद उन्हें उपेक्षित महसूस कराया जा सकता है या उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा सकता है।
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