इंसोम्निया (Insomnia) और कम नींद सेहत के लिए खतरनाक हो सकती है। एक अनुमान के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अनिद्रा और नींद से जुड़ी समस्याएं ज्यादा होती हैं और इन समस्याओं के कारण मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यह समस्या किसी भी उम्र के लोगों के साथ हो सकती है। नींद न आने के पीछे कई कारण भी हो सकते हैं। लेकिन इसके बारे में जानने से पहले जान लेते हैं इंसोम्निया यानि अनिद्रा का क्या अर्थ है।
अनिद्रा (Insomnia) क्या है?
अनिद्रा एक सामान्य स्लीप डिसऑर्डर (Sleep disorder) है जिसमें व्यक्ति को नींद आने में कठिनाई होती है या सोने के कुछ ही देर बाद ही नींद खुल जाती है और दोबारा नहीं आती है। साथ ही सुबह उठने पर थकान महसूस होती है। अनिद्रा की समस्या न सिर्फ शरीर की ऊर्जा घटा देती है बल्कि व्यक्ति का मूड भी खराब रहता है और कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। वयस्कों को रात में 7 से 8 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है। लेकिन ज्यादातर वयस्क एक्यूट इंसोम्निया (Acute insomnia) से ग्रसित होते हैं जो कुछ दिन या कुछ हफ्तों तक रहती है।
जबकि कुछ लोग क्रोनिक इंसोम्निया (Chronic insomnia) से पीड़ित होते हैं जो महीनों या इससे ज्यादा समय तक बनी रहती है। अगर समस्या ज्यादा बढ़ जाती है तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं, जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।
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कितना सामान्य है अनिद्रा (Insomnia) होना?
अनिद्रा एक आम बीमारी है जिससे किसी भी उम्र के लोग पीड़ित हो सकते हैं। इस बीमारी से वयस्क पुरुषों की अपेक्षा वयस्क महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। दुनिया भर में लाखों लोग अनिद्रा से पीड़ित हैं और सबके अपने अलग कारण हैं। स्टडी में पाया गया है कि भारी संख्या में वयस्क अनिद्रा से पीड़ित हैं जिससे उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें। आइए अब जानते हैं इंसोम्निया (Insomnia) के प्रकार के बारे में।
इंसोम्निया के प्रकार (Types of Insomnia)
- शॉर्ट टर्म एक्यूट इंसोम्निया (Short Term acute insomnia) : यह कुछ दिनों से कुछ सप्ताह तक रहता है और तकरीबन तीन सप्ताह तक चलता है। ऐसा आमतौर पर एक दर्दनाक घटना के प्रभाव या तनाव के कारण हो सकता है। इसके अलावा, तनाव या जीवन में किसी प्रकार का फेरबदल होना। यह टेंपरेरी इंसोम्निया हो सकता है। इसके अलावा, और भी कई दूसरे कारणों से भी नींद नहीं आती है, जैसे बहुत काम करना, बहुत घूमना, वातावरण में बदलाव। शॉर्ट टर्म एक्यूट इंसोम्निया खुद ठीक भी हो जाता है।
- क्रोनिक लॉन्ग टर्म इंसोम्निया (chronic long term insomnia) : यह एक महीने से ज्यादा भी हो सकता है। कई रातों तक जागने के बाद सोने के बाद ऐसा हो सकता है। ऐसे में आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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किन कारणों से नहीं आती है नींद? (Causes of Insomnia)
नींद न आने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं। जैसे-
- रेस्टलेस लेग सिन्ड्रॉम : इस दौरान, लोगों के पैरों में पैरों में सेंसेशन होती है, जिससे वो असहज महसूस करते हैं। इस वजह से उनकी नींद बार-बार टूटती रहती है। ज्यादा समय तक इस बीमारी से ग्रस्त रहने पर डिप्रेशन की परेशानी भी हो सकती है, क्योंकि इंसोम्निया के लक्षण मानसिक तौर पर बीमार कर सकते हैं।
- तनाव : तनाव की स्थिति किसी भी वजह से हो सकती है। परिवार की फायनेंशियल कंडिशन, स्वास्थ्य, काम के बारे में चिंता करना या फिर जरूरत से ज्यादा वर्क लोड इस समस्या का कारण हो सकता है। इन सभी का सीधा असर दिमाग पर पड़ता है और तनाव की स्थिति शुरू हो जाती है, जिससे नींद आने में कठिनाई होती है।
- अन्य कारण : सोने से पहले बहुत ज्यादा खाना, ज्यादा टेलीविजन देखना, काम के दौरान अपने बिस्तर का उपयोग करना, सोने की जगह ठीक न होना या अनियमित सोने का समय अनिद्रा पैदा कर सकता है।
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इंसोम्निया के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Insomnia)
इसके लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जैसे-
- रात में ठीक से तरह से नींद नहीं आना
- रात में सोना कम और ज्यादा जागना या बार-बार नींद खुलना
- नियमित कामों को ठीक से नहीं कर पाना
- हमेशा थका हुआ महसूस करना
ठीक से नहीं सोने की वजह से हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक ब्रेन संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में बेहतर होगा की कुछ बातों का ख्याल रखा जाए, जैसे :
- इंसोम्निया से बचाव इस बात पर निर्भर करता है कि मरीज किस प्रकार से अपने आप को आराम दे सकता है। कुछ सामान्य बदलाव हर उम्र के मरीजों के लिए लाभदायक होते हैं।
- नियमित रूप से सुबह जागना और नियमित समय से ही सोना। सही समय पर न सोने की वजह से भी नींद आने में परेशानी हो सकती है। इसलिए सोने का समय तय रखें और साथ ही सुबह जागने का भी समय नियमित रखें।
- सोने तभी जाएं जब आपको लगने लगे की आपको नींद आ रही है।
- सोते समय अपने आपको रिलैक्स रखें। किसी भी बातों के बारे में न सोचें। क्योंकि सोने के दौरान सोचने की वजह से नींद आने में परेशानी हो सकती है।
- नियमित रूप से योगा या व्यायाम की आदत डालें। इससे अच्छी नींद आने में मदद मिलेगी।
- सोने की जगह को साफ और अच्छा रखने से भी नींद अच्छी आती है। इसलिए अपने बेडरूम को क्लीन रखें।
- सोने के कुछ देर पहले खाना खाएं। फिर टहलकर रात को सोने जाएं।
- सोते वक्त मोबाइल का इस्तेमाल न करें और टीवी भी न देखें। यह ध्यान रखें की सोने के दौरान किसी भी गेजेट्स का प्रयोग न करें।
- हल्की नीली लाइट में जल्दी नींद आती है, इसका इस्तेमाल आप अपने सोने वाले कमरे में कर सकते हैं। हालांकि रिसर्च के अनुसार बेडरूम में रेड लाइट (नाइट बल्ब) का प्रयोग करना चाहिए। इससे नींद अच्छी आती है।
- बेडशीट (चादर) कॉटन का प्रयोग करें और तकिये और गद्दे के क्वॉलिटी का भी ध्यान रखें। कभी-कभी तकिये और गद्दे की क्वॉलिटी ठीक नहीं होने के कारण भी नींद आने की परेशानी होती है।
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मुंबई में रहने वाले 35 साल के प्रशांत कुमार मीडिया की कंपनी में काम करते हैं। उनसे जब हमने नींद से जुड़ी परेशानी के बारे में समझना चाहा तो उनका कहना था कि ‘अगर गद्दे या तकिये में से कोई भी एक ठीक न हो तो मुझे नींद नहीं आती है और नींद ठीक से पूरी नहीं होती है तो मैं अपने काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता हूं। यही नहीं ठीक से नहीं सोने की वजह से कब्ज की परेशानी भी होने लगती है। इसलिए मैं बेडशीट, मेट्रेस और तकिये के साथ-साथ बेडरूम को भी ठीक रखता हूं।’
इंसोम्निया की समस्या सिर्फ बड़ों में ही नहीं होती है बल्कि इसके शिकार बच्चे भी होते हैं। एक रिसर्च के अनुसार 41 प्रतिशत पेरेंट्स बच्चों में इंसोम्निया की समस्या की परेशानी डॉक्टर से शेयर कर चुके हैं।
बच्चों में इंसोम्निया के कारण क्या हैं?
बच्चों में इंसोम्निया के कारण निम्नलिखित हैं। जैसे-
- बच्चों में बढ़ता तनाव
- दवाओं के सेवन
- बच्चों को अत्यधिक कैफीन युक्त आहार खिलाना
- बच्चों में सायकेट्रिस्ट डिसऑर्डर
इन कारणों के अलावा अन्य कारण भी हो सकते हैं। जैसे-
- दिन में बच्चे का ज्यादा सोना या बच्चे में बेचैनी होना
- बच्चे में चिड़चिड़ापन होना या मूड स्विंग की परेशानी
- बार-बार बच्चे को अनुशासन की बात बताना
- बच्चों को किसी भी काम पर फोकस न कर पाना
अगर आपका बच्चा ठीक से नहीं सो रहा है तो डॉक्टर से संपर्क करें। अच्छी नींद हेल्थ को फिट रखने के लिए अहम भूमिका निभाती है।
इंसोम्निया के जोखिम (Insomnia Risks)
अनिद्रा के साथ मुझे क्या समस्याएं हो सकती हैं?
अनिद्रा की समस्या व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रुप से प्रभावित करती है। पर्याप्त नींद लेने वालों की अपेक्षा अनिद्रा से पीड़ित व्यक्ति की लाइफ क्वालिटी खराब होती है। यही नहीं अनिद्रा के कारण उसके काम करने की क्षमता पर भी असर पड़ता है। व्यक्ति को डिप्रेशन, चिंता,उच्च रक्तचाप, हृदय रोग,यादाश्त कमजोर होना सहित कई स्वास्थ्य समस्याएं होने का जोखिम रहता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। यदि अनिद्रा के कारण दिन में काम करने में परेशानी होती है तो जल्द ही अपने डॉक्टर को दिखाएं। स्लीप डिसऑर्डर से पीड़ित होने पर डॉक्टर मरीज को विशेष जांच के लिए स्लीप सेंटर भेजते हैं। हर किसी के शरीर पर अनिद्रा अलग प्रभाव डाल सकती है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें।
इंसोम्निया का उपचार (Treatment of Insomnia)
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
अनिद्रा का निदान कैसे किया जाता है?
अनिद्रा का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का चिकित्सा इतिहास भी देखते हैं। इसके अलावा मरीज से उसके स्लीप पैटर्न से जुड़े कुछ सवाल पूछे जाते हैं और एक हफ्ते तक डायरी में अपने स्लीप पैटर्न को नोट करने की सलाह दी जाती है। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
- ब्लड टेस्ट-अनिद्रा से जुड़ी थॉयरायड और अन्य बीमारियों का पता लगाने के लिए यह जांच की जाती है।
- पॉलीसोम्नोग्राफ-यह पूरी रात चलने वाला एक स्लीपिंग टेस्ट है जो स्लीप पैटर्न को रिकॉर्ड करता है।
- एक्टिग्राफी-यह एक डिवाइस है जिसे मरीज की कलाई में पहनाकर उसके सोने और जागने के पैटर्न को मापा जाता है।
इसके अलावा मरीज को कुछ दिन तक स्लीप सेंटर में रखकर उसके मानसिक विकारों की जांच की जाती है और अनिद्रा के लक्षण को नोटिस किया जाता है। जरुरत पड़ने पर परिवार के सदस्यों से बात की जाती है ताकि ये पता चल सके कि परिवार के कौन लोग इस बीमारी के शिकार हैं।
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अनिद्रा का इलाज कैसे होता है?
अनिद्रा का कोई सटीक इलाज नहीं है। लेकिन, कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में अनिद्रा के लक्षणों को कम किया जाता है। डॉक्टर आमतौर पर नींद की दवाओं पर कुछ हफ्तों से अधिक समय तक निर्भर रहने की सलाह नहीं देते हैं। लेकिन कुछ दवाएं ऐसी हैं जिन्हें लंबे समय तक यूज किया जा सकता है। अनिद्रा के लिए निम्न मेडिकेशन की जाती है :
- एस्जोपिक्लोन (Eszopiclone)
- रामेल्टन (Ramelteon)
- जैलेप्लोन (Zaleplon)
- जोल्पिडेम (Zolpidem)
इस दवाओं का साइड इफेक्ट भी हो सकता है इसलिए इन दवाओं का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से संभावित दुष्प्रभाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें।
इसके अलावा मरीज को थेरिपी दी जाती है जिसमें उसे बिस्तर पर जाने से कुछ देर पहले ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने और चिंता को कम करने की सलाह दी जाती है। कुछ मरीजों को बिस्तर पर मोबाइल फोन या लैपटॉप का इस्तेमाल न करने की सलाह दी जाती है और जीवनशैली बेहतर बनाने के लिए कहा जाता है।
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इंसोम्निया का घरेलू उपचार (Home remedies for Insomnia)
जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे अनिद्रा को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?
अगर आपको अनिद्रा की समस्या है तो आपके डॉक्टर आपको पर्याप्त एक्सरसाइज करने के साथ ही पोषक तत्वों से भरपूर आहार के बारे में बताएंगे। इसके साथ ही पर्याप्त पानी पीने और रात में सोने से पहले चॉय, कॉफी एवं कार्बोनेटेड पेय पदार्थों से परहेज करने की सलाह दी जाती है। मरीज को निम्न फूड्स खाने की सलाह दी जाती है:
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
नींद न आना किसी गंभीर बीमारी को न्योता देने के लिए काफी है। इसलिए, नींद नहीं आने की स्थिति में खुद से इलाज न करें। इंसोम्निया या नींद न आने से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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