दैनिक तनाव और अनहेल्दी फूड हैबिट्स, अनियमित समय पर खाना, बहुत अधिक खाना या चलते-फिरते खाना, हमारे खराब पाचन तंत्र का कारण बनता है। नतीजतन, हम में से अधिकांश लोग गैस, पेट फूलना, अपच, पेट दर्द और दस्त जैसे लक्षणों का सामना करते हैं। शोध से पता चलता है कि लगभग 74 प्रतिशत अमेरिकी आबादी गैस्ट्रिक डिस्कंफर्ट के साथ रहती है। आयुर्वेद के अनुसार, खराब पाचन और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) प्रॉबल्म मुख्य रूप से पाचन प्रणाली में कम अग्नि या डायजेस्टिव सिस्टम की वजह से होती है। खाना पचाने के लिए आयुर्वेदिक दवा (Ayurveda for digestion) की भी मदद ली जा सकती है और आसानी से अपने पाचन तंत्र को मजबूत बनाया जा सकता है। आइए जानते हैं।
खाना पचाने के लिए आयुर्वेदिक दवा (Ayurveda for digestion) की जरूरत क्याें?
खाना पचाने के लिए आयुर्वेदिक दवा (Ayurveda for digestion) से पहले आपको पाचन तंत्र के बारे में जानना जरूरी है। आयुर्वेद के अनुसार, जो लोग आहार संबंधी नियमों का पालन नहीं करते और बिना आत्म नियंत्रण के भोजन का सेवन करते हैं, वे अजीर्ण (अपच) के शिकार हो जाते हैं। इससे शरीर में विभिन्न बीमारियां होने लगती हैं। आयुर्वेद में पाचन प्रक्रिया को तेजस (बुद्धि), ओजस (जीवन शक्ति) और प्राण (जीवन-शक्ति) की अच्छी गुणवत्ता के विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। पाचन प्रक्रिया एक व्यापक शब्द है, जिसमें हमारे भोजन का सकल पाचन, तत्वों का पाचन (शुगर, अमीनो एसिड, वसा), सेलुलर मेटाबॉलिज्म, साथ ही सेंसरी इनपुट्स, थॉट्स और आइडियाज का पाचन शामिल है। स्वस्थ पाचन क्रिया भोजन को अच्छे पोषण में परिवर्तित करने के लिए महत्वपूर्ण होती है, जो अपशिष्ट पदार्थों को अलग करके बाहर निकालती है।
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खाना पचाने के लिए आयुर्वेदिक दवा (Ayurveda for digestion) : अपच क्या है?
आयुर्वेद में अग्नि (डायजेस्टिव फायर) को लाइफ सोर्स के रूप में देखा जाता है। यह आपके अच्छे पाचन और चयापचय कार्यों के लिए बेहद जरूरी आयुर्वेदिक एलिमेंट है। आप जो खाते हैं वह इस अग्नि को पोषण देता है और इसे मजबूत करता है। इसलिए संतुलित आहार आपके पाचन तंत्र को मजबूत कर सकता है। वहीं, अस्वथ्य भोजन डायजेस्टिव सिस्टम को कमजोर कर सकता है या असंतुलित अग्नि का कारण बन सकता है। भोजन को पचाने या उचित पाचन की कमी में एक असामान्यता को अपच (Dyspepsia) कहा जाता है। अपच, गैस्ट्रो-इन्टेस्टाइनल विकारों की एक वजह बन सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार, हानिकारक खाद्य पदार्थ, जैसे कि तले हुए खाद्य पदार्थ, प्रोसेस्ड मीट और बहुत ठंडे खाद्य पदार्थ, ऐसे अपचित अवशेषों का निर्माण कर सकते हैं, जो टॉक्सिन्स बनाते हैं। इसे आयुर्वेदिक शब्दों में “अमा” कहा जाता है। यह अमा कई बीमारियों का मूल कारण है। इससे बचने और खाना पचाने के लिए आयुर्वेदिक दवा दी जा सकती है।
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खाना पचाने के लिए आयुर्वेदिक दवा (Ayurveda for digestion) : पाचन शक्ति कमजोर होने के लक्षण क्या हैं?
- सीने में जलन होना,
- कब्ज होना,
- भूख कम लगना,
- थकावट महसूस होना,
- भोजन के बाद असहज महसूस करना,
- स्टूल पास करने में परेशानी होना
- काले रंग का स्टूल,
- पेट के ऊपरी हिस्से में सूजन,
- अपच होना आदि।
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पाचन के लिए आयुर्वेद : खराब पाचन तंत्र के कारण क्या हैं?
कमजोर पाचन तंत्र के कई संभावित कारण हैं और यह अक्सर असंतुलित जीवनशैली से संबंधित होता है। कमजोर पाचन तंत्र के सामान्य कारणों में शामिल हैं:
- ज्यादा खाना या जल्दी-जल्दी खाना
- वसायुक्त, चिकना या मसालेदार भोजन
- बहुत अधिक कैफीन, शराब, चॉकलेट या कार्बोनेटेड पेय
- धूम्रपान
- स्ट्रेस
कभी-कभी अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के कारण भी पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है, जिसमें शामिल हैं:
- पेट की सूजन (Gastritis)
- पेप्टिक अल्सर (Peptic ulcer)
- सीलिएक डिजीज (Celiac disease)
- पित्ताशय की पथरी (Gallstones)
- कब्ज
- अग्न्याशय की सूजन (Pancreatitis)
- अमाशय का कैंसर
- इंटेस्टिनल ब्लॉकेज (Intestinal blockage)
- आंत में रक्त का प्रवाह कम होना (Intestinal ischemia)
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खाना पचाने के लिए आयुर्वेदिक दवा (Ayurveda for digestion) व घरेलू उपाय
पाचन तंत्र मजबूत करने के उपाय में शामिल करें धनिया
खाना पचाने के लिए आयुर्वेदिक दवा के साथ आप घरेलू उपाय भी कर सकते हैं। वैदिक चिकित्सा में बड़े पैमाने पर धनिया का इस्तेमाल किया जाता है। धनिया के बीज की तासीर ठंडी होती है और ये दानें अपने पाचक गुणों के लिए जाने जाते हैं। धनिया शरीर में अतिरिक्त गर्मी और एसिड को ठंडा करता है और एक नेचुरल कार्मिनेटिव (एक ऐसा पदार्थ है जो हमारे पाचन तंत्र से गैस को खत्म करता है) माना जाता है। इस कारण से, यह इर्रिटेबल बाउल डिजीज (IBD), रिफ्लक्स और एसिडिटी को कम करने में विशेष रूप से उपयोगी है।
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पाचन तंत्र मजबूत करने का एक उपाय- जीरा
कमजोर पाचन शक्ति को मजबूत करने के लिए जीरा काफी फेमस है। जीरा पाचन को बढ़ाता है और गैस, जी मिचलाना, ब्लॉटिंग और पेट की जलन को कम करता है। यह ब्लड स्ट्रीम में पोषक तत्वों के अवशोषण को तेज करता है और बड़ी आंत में पानी के अवशोषण में मदद करके दस्त को कम करता है।
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पाचन तंत्र मजबूत करने का एक उपाय- अदरक
बेहतर पाचन के लिए आयुर्वेद में अदरक का इस्तेमाल खूब किया जाता है। यह कम हुई डायजेस्टिव फायर को बढ़ाने और स्वस्थ पाचन एंजाइमों के स्राव को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली जड़ी बूटी है। अदरक एक त्रिदोषज जड़ी बूटी (Tri-doshic herb) है। मतलब यह वात, पित्त और कफ को संतुलित करती है। अदरक को उसके उत्तेजक गुण की वजह से जाना जाता है। इसे मांसपेशियों में दर्द और स्वस्थ रक्त परिसंचरण में मदद करने के लिए जाना जाता है। यह विशेष रूप से मतली, पेट फूलना, हिचकी और एसिड रिफ्लक्स (Acid reflux) को कम करने के लिए उपयोगी है।
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पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए करें सौंफ का सेवन
सौंफ के नाजुक और सुगंधित बीज अपने पाचक गुणों के लिए जाने जाते हैं। गैस और ब्लॉटिंग से राहत देने के अलावा सौंफ मतली और एसिड रिफ्लक्स को कम करने में मददगार है। सौंफ एक प्राकृतिक एंटीस्पास्मोडिक (Antispasmodic) है, यही वजह है कि इसका उपयोग बाउल टेंशन (Bowel tension) और पेट के निचले हिस्से में दर्द (Abdominal pain) को कम करने के लिए किया जाता है। सौंफ बिना पित्त को बढ़ाए पाचन अग्नि को बढ़ाने में विशेष रूप से प्रभावी है।
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पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए आंवला
आंवला पेट के लिए बेहद ही गुणकारी है। आंवला पाउडर को एक कप पानी में मिलाएं और खाली पेट इसका सेवन करें। मजबूत पाचन शक्ति के लिए यह बहुत ही अच्छी आयुर्वेदिक रेमेडी है।
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पाचन के लिए आयुर्वेद में इलायची का महत्व
इलायची, जिसे ‘सभी मसालों की रानी’ के रूप में भी जाना जाता है, साधारण खाद्य पदार्थों के स्वाद को बढ़ाने के साथ ही पाचन को भी दुरुस्त करती है। यह कई तरह के फूड्स से अम्लीय प्रभावों को कम करती है। इसी तरह, यह अक्सर दूध उत्पादों और मिठाइयों में सुगंधित स्वाद और पाचन गुणों के लिए इस्तेमाल की जाती है।
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पाचन के लिए आयुर्वेद: एलोवेरा
पाचन शक्ति को दुरुस्त करने के लिए एलोवेरा का सेवन करे। इसके सेवन से सभी तरह के पाचन सम्बन्धी रोग दूर होते हैं, जिसमें पेट का अल्सर भी शामिल है। एलोवेरा जेल को पानी के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है।
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पाचन के लिए आयुर्वेद: त्रिफला
मजबूत डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए त्रिफला (आंवला, हरड़ और बहेड़ा) का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। कमजोर पाचन तंत्र को ठीक करने के लिए एक चम्मच त्रिफला चूर्ण का सेवन खाली पेट करने की सलाह दी जाती है। तीन जड़ी-बूटियों का यह मिश्रण आपके डाइजेस्टिव सिस्टम को स्ट्रॉन्ग करने के साथ ही कब्ज से निजात दिलाता है।
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हल्दी
हल्दी, पाचन तंत्र के लिए पाचन अग्नि में मदद करती है और शरीर में ऊतकों में जमा विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करती है। यह जीआई ट्रैक्ट में बिना पचे भोजन के निर्माण को कम करने काम करती है। अपने एंटीबैक्टीरियल गुणों के कारण, हल्दी पेट और आंतों में रोगजनक बैक्टीरिया को रोकने में मदद करती है और अपच, पेट के अल्सर और इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम को ठीक करने में मदद करती है। हालांकि, हल्दी का उपयोग कम मात्रा में किया जाना चाहिए, क्योंकि अधिक मात्रा में सेवन करने पर यह पित्त को बढ़ा सकती है।
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खाना पचाने के लिए आयुर्वेदिक दवा व थेरेपी
घरेलू उपाय के साथ खाना पचाने के लिए आयुर्वेदिक दवा और थेरेपी भी आप ले सकते हैं। कमजोर पाचन शक्ति को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक थेरिपी इस प्रकार हैं –
पाचन तंत्र मजबूत करने के उपाय : सर्वांग स्वेदन
इस आयुर्वेदिक थेरेपी में स्वेद यानी पसीने के द्वारा शरीर में मौजूद टॉक्सिन्स को दूर किया जाता है, जिसकी वजह से पाचन शक्ति मजबूत बनती है।
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पाचन तंत्र मजबूत करने के उपाय : शोधन
मजबूत पाचन शक्ति के लिए शोधन आयुर्वेदिक चिकित्सा (बायो-क्लींजिंग थैरेपी) के बाद शमन थेरेपी की भी सलाह दी जाती है। शरीर में अम्ल को संतुलित करके पेट में जलन आदि से निजात दिलाने में यह थेरेपी कारगर होती है।
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पाचन तंत्र मजबूत करने के उपाय : विरेचन कर्म
विरेचन शरीर को डिटॉक्स करने की एक आयुर्वेदिक थेरेपी है। इसमें कई तरह की जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है। पेट में मौजूद एक्स्ट्रा एसिड को इससे निकालने में मदद मिलती है।
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खाना पचाने के लिए आयुर्वेदिक दवा
- शंख वटी की 250-500 मिलीग्राम को शहद / गर्म पानी / छांछ (Buttermilk) के साथ 7-10 दिन का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
- हिंगवास्तका चूर्ण की 1.5-3 ग्राम मात्रा को घी या गुनगुने पानी के साथ 7-10 दिन तक लेने से अपच की समस्या दूर होती है।
- कमजोर पाचन तंत्र को ठीक करने के लिए संजीविनी वटी की 125 मि.ग्रा को गर्म पानी के साथ 7 से 10 दिन तक इस्तेमाल करें।
नोट: ऊपर बताई गई किसी भी दवा का सेवन डॉक्टर या हर्बलिस्ट की सलाह से ही किया जाना चाहिए। उपचार की अवधि और दवा की खुराक हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकती है।
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पाचन के लिए आयुर्वेद : पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए योग (Yoga for digestive system)
निम्नलिखित योगाभ्यास अपच में फायदेमंद होते हैं। हालांकि, इन्हें केवल योग चिकित्सक के मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिए।
1. सूर्य नमस्कार, कटिचक्रासन, भुजंगासन, धनुरासन, वज्रासन, सेतुबंधासन, पवनमुक्तासन आदि।
2. प्राणायाम (अनलोम-विलोम, भस्त्रिका)।
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खाना पचाने के लिए आयुर्वेदिक दवा के साथ ये टिप्स भी अपनाएं
स्वस्थ खाएं : दिन में तीन बार भोजन करें
- खाना पचाने के लिए आयुर्वेदिक दवा के साथ आपको ये टिप्स भी अपनानी चाहिए। आयुर्वेद में मील्स को स्किप करने की मनाही है, क्योंकि ये डाइजेस्टिव रिदम को बाधित कर सकता है। हैवी ब्रेकफास्ट, पर्याप्त लंच और हल्का डिनर आपकी डाइजेस्टिव फायर को सही बनाए रखने के लिए अच्छा होता है।
- जैसे ही आप उठते हैं, एक कप गर्म पानी में एक बड़ा चम्मच नींबू का रस मिलाकर पिएं। इससे टॉक्सिन्स को रिलीज करने में मदद मिलती है और डाइजेस्टिव ट्रैक्ट साफ होता है। मिड मॉर्निंग ब्रेकफास्ट के लिए, ताजे फल का सेवन करें।
- आयुर्वेद के हिसाब से दोपहर के भोजन में दो या तीन प्रकार की सब्जियां शामिल करनी चाहिए, जिनमें से एक पत्तेदार हरी सब्जी होनी चाहिए; एक कटोरी दाल, एक छोटी सर्विंग गर्म सूप, ताजा दही आदि।
- डिनर के लिए एक छोटी मील लें। सब्जी / दाल के सूप के साथ एक चपाती लें।
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हाइड्रेट रखें खुद को
- दिन में बहुत सारा शुद्ध पानी पिएं, लेकिन भोजन के साथ पानी या पेय पदार्थों का सेवन सीमित रखें।
- आइस्ड, कार्बोनेटेड या कैफीन युक्त पेय पदार्थ न लें और भोजन के साथ एल्कोहॉल और दूध के सेवन से बचें।
- रात में बिस्तर पर जाने से पहले एक गिलास गर्म दूध का सेवन आपके पाचन को दुरुस्त रखेगा।
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अपने भोजन का सेवन समय पर करें
रोजाना लगभग एक ही समय पर खाएं। सोने और जागने के चक्र की तरह ही आपका पाचन भी नियमित दिनचर्या से लाभान्वित होगा।
गलत फूड कॉम्बिनेशन से बचें
बेहतर पाचन के लिए आयुर्वेद में कुछ खाद्य संयोजनों की रूपरेखा दी गई है। इनके विपरीत कुछ गलत फूड कॉम्बिनेशन शरीर में अमा को बढ़ाते हैं। जैसे-
- दूध का सेवन नमकीन या खट्टे पदार्थों के साथ नहीं किया जाना चाहिए।
- खरबूजे को भारी भोजन जैसे पनीर, तले हुए खाद्य पदार्थ या भारी अनाज के साथ नहीं खाना चाहिए।
- सामान्य तौर पर फलों का सेवन अकेले ही किया जाना चाहिए क्योंकि ये बहुत जल्दी पच जाते हैं।
- दूध के साथ मांस या मछली नहीं लेनी चाहिए।
- शहद को कभी भी गर्म करना या पकाना नहीं चाहिए।
नोट: यदि आप ऊपर दिए गए भोजन दिशानिर्देशों और भोजन सुझावों का पालन करते हैं, तो आप सबसे असंगत खाद्य संयोजनों से बचेंगे।
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भोजन की तैयारी और सर्विंग पर दें ध्यान
- अपना भोजन प्यार और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ तैयार करें। आयुर्वेद के हिसाब से हर चीज कनेक्टेड है। वैदिक परंपरा में, लोग खाना बनाने से पहले नहाते थे और अग्नि को धन्यवाद देते थे।
- जब आप परेशान हों या तनावग्रस्त हों, तो भोजन तैयार ना करें या खाना न खाएं। क्योंकि आपका लिवर और पाचनतंत्र नकारात्मक भावनाओं से प्रतिकूल रूप से प्रभावित होता है और उस भोजन को कुशलता से पचा नहीं पाएगा।
- अपने घर या कार्यस्थल में खाने के लिए निर्धारित क्षेत्र या कमरे में खाएं।
- सुनिश्चित करें कि भोजन करने के समय जरूरत का सामान आपके पास हो ताकि आप बीच में उठे नहीं।
- माइंडफुल ईटिंग (mindful eating) की आदत डालें : मल्टी टास्किंग करते हुए खाना खाने की आदत अक्सर लोगों में देखी जाती है, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती है, जिनसे बचा जा सकता है। शांत वातावरण में माइंडफुल ईटिंग का अभ्यास करें।
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माइंडफुल ईटिंग के लिए अन्य आदतें
- जब आप भोजन करते हैं तो फोन पर बात न करें।
- टेलीविजन न देखें।
- भोजन को निगलने से पहले खूब चबाएं।
- भोजन के दौरान गर्म पानी के कुछ घूंट पाचन में मदद करेंगे, लेकिन किसी भी पेय का बहुत अधिक सेवन न करें।
- भोजन करने के बाद, कुछ मिनट के लिए चुपचाप बैठें।
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पर्याप्त नींद लें
अच्छे पाचन के लिए आयुर्वेद के अनुसार पर्याप्त नींद लें। जब हम सो रहे होते हैं तब केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और पाचन कार्य रेस्ट और डाइजेस्ट मोड पर पीक पर होता है, इसलिए हर रात आठ घंटे की नींद लेना महत्वपूर्ण है।
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भोजन के बाद टहलें
खाना पचाने के लिए आयुर्वेदिक दवाओं (Ayurveda for digestion) के बारे में आपने जान लिया पर भोजन के बाद कम से कम 15 से 20 मिनट तक टहलना पाचन क्रिया को दुरुस्त रखता है। टाइप 2 मधुमेह (Type 2 Diabetes) वाले लोगों के लिए, खाने के बाद रक्त शर्करा के स्तर को कम कर सकता है। खड़े होकर खाना न खाएं इससे पाचन शक्ति कमजोर होती है।
हेल्दी रहने के लिए डायजेशन का दुरुस्त रहना बेहद ही जरूरी है। आयुर्वेद के नियमों का पालन करके डायजेस्टिव सिस्टम (Digestive health) को सुधारा जा सकता है। इसके लिए खाने के नियमों का पालन करने के साथ ही नियमित रूप से व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करें।
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