वेपिंग से शरीर को बहुत नुकसान पहुंचता है। हाल ही में भारत में ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। ये केवल अपने ही देश में नहीं बल्कि विदेशों में भी लोगों को बीमार कर रही है। आपको जानकर हैरानी होगी कि वेपिंग से 800 से ज्यादा बीमारियां होने का खतरा रहता है। U. S. में वेप जूस (टीएचसी युक्त तरल) के कारण लोगों में बीमारी बढ़ रही है। जांच के दौरान वेप जूस में प्रतिबंधित पदार्थ पाए गए हैं।
यह भी पढ़ेंः स्मोकिंग छोड़ने के लिए वेपिंग का सहारा लेने वाले हो जाएं सावधान!
वेप जूस के जोखिम
FDA इंवेस्टीगेशन के दौरान पता लगाने की कोशिश किया जा रहा है कि आखिर वेप जूस किस कदर लोगों को बीमार कर रहा है। 18 नमूनों को लेकर उनकी जांच की गई। कुछ वेप मैटीरियल डिस्पेंसरी से खरीदें गए थे और कुछ ब्लैक मार्केट से। कुछ में पेस्ट्रीसाइड्स और विटामिन ई ऑयल (वेपिंग इलनेस को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार) पाया गया। ऑपरेशन के वाइस प्रेसिडेंट का कहना है कि ‘मुझे नहीं लगता है कि कोई भी व्यक्ति ऐसा कार्ट लेना चाहेगा जिसमे हाइड्रोजन साइनाइड लिखा हो। ई-सिगरेट के बाहर ‘CYANIDE’ का लेबल लगा होता है। NBC की जांच में पाया गया कि लोगों को टीएचसी और निकोटीन पोड्स के बारे में ज्यादा जानकारी नही है।’
CDC ने इंवेस्टीगेशन के दौरान फेफड़ों की बीमारी (Vaping-Associated Pulmonary Illness) CDC और FDA ने बीमार 86 लोगों का इंटरव्यू लिया और बीमारी के कारण को पहचानने की कोशिश करी। वेप जूस से होने वाली बीमारी का मुख्य कारण नहीं पता चल सका। CDC के प्रिंसिपल डायरेक्टर ने कहा कि ‘प्रोडेक्ट में हानिकारक तत्व के बारे में पता नहीं चल पा रहा है।’ उन्होंने कहा कि ‘लेबल में जानकारी न होने की वजह से हमे पता लगाने में दिक्कत हो रही है। लोगों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा है कि वो जो वेप जूस ले रहे हैं, उसमे किन जहरीलें तत्वों का प्रयोग किया जा रहा है।’ ड्यूक यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में, वेप जूस में मेन्थॉल और पुदीने के स्वाद वाले पुलेगोन (Pulegone) पाए गए। पुलेगोन को FDA ने भोजन में प्रतिबंधित किया है।
यह भी पढ़ेंः ई-सिगरेट पीने से अमेरिका में सैकड़ों लोग बीमार, हुई 5 लोगों की मौत
फेफड़ों के लिए नुकसानदेह
फेफड़ो से पीड़ित लोगों की जांच में पाया गया कि वो अधिक मात्रा में अलग-अलग वैराइटी के वेप जूस प्रोडेक्ट यूज कर रहे थे। ये ऑर्थेराइज्ड और अनऑर्थेराइज्ड दोनों तरह की जगह से लिए गए प्रोडेक्ट थे। मेडिकल ऑफिसर जेनिफर लेडेन ने कहा कि ’86 लोगों का इंटरव्यू लेने के बाद एक तरह के ब्रांड की बात सामने नहीं आई है। सभी लोगों ने विभिन्न प्रकार के ब्रांड यूज किए थे।’ कुछ अध्ययनों से संकेत मिला है कि वेप जूस से बनने वाला भाप फेफड़ों के लिए नुकसानदेह होता है। साल 2018 की नेशनल एकेडमीज प्रेस (NAP) की रिपोर्ट में पाया गया कि ई-सिगरेट के एक्सपोजर से श्वसन प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। हालांकि, इसके कारण फेफड़ों को किस तरह के जोखिम हो सकते हैं इसका पता लगाने के लिए अभी भी उचित अध्ययन करने की आवश्यकता है।
दिल के लिए वेप जूस के नुकसान
प्रारंभिक शोधों में इसका दावा किया जा चुका है कि वेप जूस दिल के लिए हानिकारक है। साल 2019 की रिपोर्ट में इसका दावा किया गया है कि ई-लिक्विड एरोसोल में हानिकारक तत्व, ऑक्सीकरण एजेंट, एल्डिहाइड और निकोटीन की मात्रा होती है। वेप जूस के इस्तेमाल के समय सांस लेने के दौरान एरोसोल की मात्रा सबसे ज्यादा दिल के कार्यों और संचार प्रणाली (Circulatory System) को प्रभावित करता है। वहीं, नेशनल एकेडमीज प्रेस (NAP) की साल 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक ई-सिगरेट का इस्तेमाल करने से दिल की धड़कन तेज हो सकती है। साथ ही, यह हाई ब्लड प्रेशर का भी कारण बन सकती है।
इसके अलावा साल 2019 में भी वेप जूस के ऊपर एक अध्ययन किया गया। जिसमें लगभग 450,000 प्रतिभागियों को लेकर सर्वेक्षण किया गया। इस सर्वे में पाया गया कि जिन लोगों ने पारंपरिक सिगरेट और ई-सिगरेट दोनों का धूम्रपान किया है, उनमें हृदय रोगों के होने की संभावना अधिक पाई गई। जबकि, सिर्फ ई-सिगरेट या वेप जूस का इस्तेमाल करने वाले लोगों में स्ट्रोक, दिल का दौरा, एंजाइना और हृदय रोग के जोखिम भी देखे गए। हालांकि, सर्वेक्षण के दौरान वैज्ञानिकों का निष्कर्ष रहा कि ई-सिगरेट या वेप जूस का इस्तेमाल करना, स्मोकिंग करने की आदत के कम जोखिम भरा है।
यह भी पढ़ेंः ड्रग्स के बाद कस्टम अधिकारियों ने जब्त की ई-सिगरेट
दांतों और मसूड़ों का वेप जूस का प्रभाव
ओरल हेल्थ के लिए लिहाज से वेप जूस और वेपिंग काफी जोखिम भरा पाया गया है। साल 2018 के एक अध्ययन में बताया गया है कि ई-सिगरेट एयरोसोल के संपर्क में आने से बैक्टीरिया का विकास करता है, जो दांतों के साथ-साथ उनकी सतहों और मसूड़ों को भी नुकसान पहुंचाता है। इससे पहले साल 2016 के एक अन्य अध्ययन में दावा किया गया था कि वेप जूस मसूड़ों के सूजन का कारण बन सकता है। इसके कारण पीरियडोंटल रोगों का जोखिम भी तेजी से बढ़ सकता है। वहीं, साल 2014 में किए गए अध्ययन में दावा किया गया था कि, वेप जूस से बनने वाले भाप के कारण मसूड़ों, मुंह और गले में जलन होने की समस्या हो सकती है।
वेप जूस का स्वास्थ्य के लिए अन्य नुकसान क्या है?
साल 2018 में NAP की तरफ से जारी की गई रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि वेप जूस का इस्तेमाल करने से शरीर की कोशिकाओं में ढीलापन आता है, जो ऑक्सीडेटिव तनाव और डीएनए को नुकसान पहुंचाता है। इनमें से कुछ कोशिकीय परिवर्तन दीर्घकालिक रूप से कैंसर के विकास का कारण भी बन सकती है। हालांकि, अभी भी इस बात पर शोध किया जा रहा है कि क्या वेपिंग का भाप कैंसर का कारण बना सकता है या नहीं। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) की रिपोर्ट के मुताबिक, निकोटीन के साथ वेप जूस का सेवन करना ब्रेन के विकास को स्थायी रूप से प्रभावित कर सकता है।
यह भी पढ़ेंः ई-सिगरेट की बिक्री, उत्पादन, विज्ञापन पर लगा पूर्ण प्रतिबंध
किन स्थितियों में उपचार की जरूरत हो सकती है?
अगर आप वेप जूस का सेवन करते हैं, तो निम्न स्थितियों के होने पर आपको जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिएः
- बहुत ज्यादा खांसी आना
- सांस लेने में कठिनाई होना
- दिल की धड़कनी की गति तेज होना
ध्यान रखें कि अगर आपको पहले से ही दिल से जुड़ी कोई स्वास्थ्य स्थिति या अस्थमा की समस्या है, तो बेहतर होगा कि आप वेप जूस का सेवन न करें।
ऊपर दी गई वेप जूस से जुड़ी सलाह किसी भी चिकित्सा को प्रदान नहीं करती हैं। वेप जूस के बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।
और पढ़ेंः-
गर्भनिरोधक दवा से शिशु को हो सकती है सांस की परेशानी, और भी हैं नुकसान
ब्रेन स्ट्रोक कम करने के लिए बेस्ट फूड्स
क्या डायबिटीज से हो सकती है दिल की बीमारी ?
जब दिल की धड़कन बढ़ने लगे तो, समझ लो कि प्यार नहीं ब्रोकन हार्ट हो गया है
[embed-health-tool-bmi]