बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल पेरेंट्स की पहली प्राथमिकता होती है। सारी सावधानियां बरतते हुए भी बच्चों को जुकाम, सिरदर्द, पेट खराब होना या ऐसी ही बहुत सी परेशानियां होना आम बात है। इसके अलावा बच्चे कई तरह के डिसऑर्डर के भी शिकार हो जाते हैं। बच्चों के डिसऑर्डर अलग-अलग तरह के हो सकते हैं। लेकिन, बच्चों के डिसऑर्डर को जानना और उसकी सही देखभाल से बच्चा आसानी से इनसे निजात पा सकता है। ऐसे में पेरेंट्स के लिए भी बच्चों की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं की जानकारी जरूरी हो जाती है।
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अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (एएपी) की ओर से कुछ सामान्य बच्चों के डिसऑर्डर, बचपन की बीमारियों और उनके इलाजों में बारे में बताया गया है। बच्चों के डिसऑर्डर के बारे में माता-पिता को पता होना इसलिए भी जरूरी है कि वह ऐसी किसी भी स्थिति में बच्चों की मदद कर सकें।
बच्चों के डिसऑर्डर जो सबसे सामान्य हैः
गले में खराश है भी है एक बच्चों का डिसऑर्डर
बच्चों के डिसऑर्डर अलग-अलग तरह के हो सकते हैं। गले में खराश होना भी एक आम बच्चों का डिसऑर्डर है और यह उनके लिए दर्दनाक हो सकता है। हालांकि वायरस के कारण होने वाली गले में खराश को एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत नहीं होती है। इन मामलों में बच्चों को किसी खास दवा की जरूरत नहीं होती और बच्चे को सात से दस दिनों राहत मिल जाती है। इसके अलावा बच्चों के गले में खराश एक इंफेक्शन के कारण हो सकती है, जिसे स्ट्रेप्टोकोकल (streptococca) (स्ट्रेप थ्रोट) कहा जाता है।
केवल गले को देखकर स्ट्रेप को डायग्नोस नहीं किया जा सकता है, एक लैब टेस्ट या इन-ऑफिस रैपिड स्ट्रेप टेस्ट जिसमें गले का एक स्वैब शामिल हो। स्वैब स्ट्रेप के डायग्नोस की पुष्टि करने के लिए जरूरी है। बच्चों के डिसऑर्डर में स्ट्रैप बहुत कॉमन है। स्ट्रेप का टेस्ट पॉजिटिव होने पर आपका बाल रोग विशेषज्ञ एक एंटीबायोटिक लिखेगा। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आपका बच्चा एंटीबायोटिक का पूरी कोर्स ले, भले ही लक्षण बेहतर हों या चले जाएं।
शिशुओं और बच्चों को गले में खराश हो जाती है और उनकी स्ट्रेप्टोकोकस बैक्टीरिया से संक्रमित होने की अधिक आशंका रखती हैं। स्ट्रेप मुख्य रूप से खांसी और छींक के माध्यम से फैलता है और आपका बच्चा केवल एक खिलौने को छूकर इससे ग्रसित हो सकता है।
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बच्चों के विकारों में कान के दर्द को भी न भूलें
बच्चों में कान का दर्द आम है और इसके कई कारण हो सकते हैं, जिसमें कान में संक्रमण (ओटिटिस मीडिया), तैरने के कारण, जुकाम या साइनस इंफेक्शन से, दांतों का दर्द, जो कान में दर्द को बढ़ाता है। इस दर्द का सही कारण जानने के लिए आपके डॉक्टर को आपके बच्चे के कान की जांच करने की जरूरत होगी। वास्तव में आपके डॉक्टर द्वारा जांच आपके बच्चे की परेशानी का सटीक डायग्नोसिस करने का सबसे अच्छा तरीका है। अगर आपके बच्चे के कान में दर्द तेज बुखार के साथ हो, तो यह आपके बच्चे में बीमारी के दूसरे लक्षण हैं। ऐसी परेशानी हो, तो आपका डॉक्टर इसके लिए एंटीबायोटिक दे सकता है। मीडिल इयर इंफेक्शन के लिए एमोक्सिसिलिन एंटीबायोटिक सबसे ज्यादा कॉमन है। बहुत से कान के इंफेक्शन वायरस के कारण होते हैं और इनमें एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत नहीं होती है।
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यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन
ब्लेडर इंफेक्शन को यूरिनरी ट्रेक्ट इंफेक्शन या यूटीआई भी कहा जाता है। बच्चों के डिसऑर्डर में यूटीआई बचपन से किशोर उम्र के बच्चों में और अडल्ट में पाया जा सकता है। यूटीआई के लक्षणों में यूरिन के दौरान दर्द या जलन शामिल है, बार-बार या तुरंत यूरिन करने की जरुरत, एक बच्चे द्वारा बेडवेटिंग की परेशानी हो सकती है।
आपके बच्चे के डॉक्टर को इलाज करने से पहले एक यूटीआई टेस्ट करने के लिए यूरिन सैंपल की जरूरत हो सकती है। बच्चे के यूरिन में होने वाले बैक्टीरिया के आधार पर डॉक्टर आपके बच्चे के उपचार को तय कर सकता है।
बच्चों के डिसऑर्डर की वजह स्किन इंफेक्शन भी
बच्चों के डिसऑर्डर में स्किन इंफेक्शन काफी सामान्य है। स्किन इंफेक्शन वाले अधिकांश बच्चों में सही इलाज के लिए स्किन टेस्ट की जरूरत होती है। कई बार डॉक्टर बच्चे की स्किन देखकर इलाज बता देता है। लेकिन, कई बार बच्चों के लिए टेस्ट कराना जरूरी हो जाता है। बच्चे की परेशानी के आधार पर डॉक्टर अलग-अलग दवाएं दे सकता है।
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ब्रोंकाइटिस भी है बच्चों का डिसऑर्डर
क्रोनिक ब्रोंकाइटिस फेफड़ों में संक्रमण है और या ज्यादातर अडल्ट में देखा जाता है। अक्सर “ब्रोंकाइटिस” शब्द का इस्तेमाल छाती के वायरस के लिए किया जाता है और इसमें एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत नहीं होती है।
ब्रोंकियोलाइटिस बच्चों के डिसऑर्डर में खतरनाक
ठंड और फ्लू के मौसम के दौरान शिशुओं और छोटे बच्चों में ब्रोंकियोलाइटिस आम है। जब आपका बच्चा सांस लेता है तो घरघराहट की आवाज सुनी जा सकती है। बच्चों के डिसऑर्डर में ब्रोंकियोलाइटिस अक्सर एक वायरस के कारण होता है, जिसमें एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत नहीं होती है। इसके बजाए डॉक्टर आपके बच्चे को सांस लेने में परेशानी, खाने में दिक्कत या डिहाइड्रेशन के लक्षण को देखता है। अस्थमा वाले रोगियों के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं को ब्रोंकोलाइटिस वाले अधिकांश शिशुओं और छोटे बच्चों को नहीं दिया जाता है। प्री मेच्योर बच्चों को इस परेशानी के लिए अलग इलाज दिया जा सकता है।
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दर्द भी है बच्चों में आम विकार
किसी भी तरह के दर्द का इलाज आप खुद न करें। अपने बाल रोग विशेषज्ञ से बात करें कि आपके बच्चे को दर्द के लिए कौन सी दवाई देनी है। क्योंकि डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाई आपके बच्चे के वजन ओर उसकी स्वास्थ्य अवस्था पर आधारित होगी।
नार्कोटिक दर्द की दवाएं आम चोट, कान में दर्द या गले में खराश जैसी शिकायतों वाले बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। बच्चों के लिए कोडीन का उपयोग कभी नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह बच्चों में गंभीर समस्याओं से जुड़ा हुआ है।
बच्चों के डिसऑर्डर में कॉमन कोल्ड भी शामिल
सर्दी रेसपिरेटरी ट्रेक्ट में वायरस के कारण होती है। कई छोटे बच्चे हर साल छह से आठ बार सर्दी से बीमार होते है। कॉमन कोल्ड के लक्षण (बहती नाक, कंजेशन और खांसी) दस दिनों तक रह सकते हैं।
नाक में हरे बलगम का मतलब यह नहीं है कि एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत है। आम जुकाम को कभी भी एंटीबायोटिक्स की जरूरत नहीं होती है।
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खांसी भी है एक बच्चों का विकार
खांसी आमतौर पर वायरस के कारण होती है और इसमें अक्सर एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत नहीं होती है। जब तक आपके डॉक्टर द्वारा सलाह नहीं दी जाती है तब तक चार साल से कम उम्र के बच्चों या चार से छह साल के बच्चों के लिए खांसी की दवा नहीं दी जाती है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि खांसी की दवाएं चार साल और उससे कम आयु वर्ग में काम नहीं करती हैं और इसके गंभीर दुष्प्रभावों की आशंका होती है।
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