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क्या सामान्य है प्रेग्नेंसी के दौरान कंधे में दर्द होना?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 13/03/2021

    क्या सामान्य है प्रेग्नेंसी के दौरान कंधे में दर्द होना?

    प्रेग्नेंसी ऐसा समय है जो महिलाओं के लिए खुशियों के साथ ही कई तरह की चुनौतियां भी लेकर आता है। इस दौरान कमर, पीठ से लेकर शरीर के अलग-अलग हिस्सों में अक्सर दर्द होता रहता है। अन्य हिस्सों की तरह ही प्रेग्नेंसी के दौरान कंधे में दर्द (Shoulder Pain in Pregnancy) होना भी आम है, लेकिन कई बार यह किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या के कारण भी हो सकता है। इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं प्रेग्नेंसी के दौरान कंधे में दर्द (Shoulder Pain in Pregnancy) होने के कुछ कारण और कैसे इससे बचा जा सकता है।

    प्रेग्नेंसी के दौरान कंधे में दर्द के सामान्य कारण (Causes of shoulder pain in pregnancy)

    कमर, पैर और पीठ दर्द की तरह ही प्रेग्नेंसी के दौरान कंधे में दर्द (Shoulder Pain in Pregnancy) कभी भी शुरू हो सकता है और आमतौर पर यह सामान्य होता है जिसमें ज्यादा घबराने कि जरूरत नहीं है। दरअसल, यह गर्भावस्था में मांसपेशियों (muscles) और जोड़ों (joints) में होने वाले बदलवा के कारण होता है। इसके अलावा पीठ पर अधिक दबाव देना, गलत तरीके से बैठना और सही पोश्चर (posture) में नहीं बैठना व ज्यादा देर तक खड़े रहने से भी कंधे में दर्द (shoulder pain) की समस्या हो सकती है। प्रेग्नेंसी के दौरान कंधे में दर्द (Shoulder Pain in Pregnancy) स्टिफनेस (stiffness) जैसा होता है और यह ज्यादा गंभीर नहीं होता। यदि आपको गंभीर दर्द हो रहा है, तो डॉक्टर से सलाह लें।

    पहली तिमाही (First trimester)

    यदि आपको प्रेग्नेंसी की शुरुआती अवस्था में ही कंधे में दर्द महसूस हो रहा है, तो इसका कारण प्रेग्नेंसी के कारण होने वाला हॉर्मोनल बदलाव हो सकता है। प्रेग्नेंट होने पर या इससे पहले ही आपका शरीर रिलैक्सिन (relaxin) नामक हॉर्मोन बनाने लगता है। यह हॉर्मोन आपके शरीर को बच्चे के विकास (child growth) और जरूरत के हिसाब से विकसित होने में मदद करता है। इससे कनेक्टिव टिशू ढीले होते हैं और यही दर्द की वजह है, शरीर के अलग-अलग हिस्सों में दर्द महसूस होता है जिसमें कंधें का दर्द भी शामिल है।

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    दूसरी तिमाही (Second trimester)

    जैसे-जैसे भ्रूण का विकास होता है उसे पोषण देने के लिए शरीर का भी विकास होता है। दूसरी तिमाही (second trimester) में आपका बेबी बंप (baby bump) दिखने लगता है और हेल्दी प्रेग्नेंसी (healthy pregnancy) के लिए आपके बॉडी शेप (body shape) से लेकर वजन तक में बहुत बदलाव दिखने लगता है। प्रेग्नेंट महिला (pregnant woman) के शरीर में होने वाले बदलाव का असर उनके सोने के तरीके, बैठने, खड़े होने या चलने के तरीके पर दिखने लगता है। यहां तक कि कुछ महिलाओं को बेबी बंप भले साफ न दिखे, लेकिन प्रेग्नेंसी के कारण होने वाले शारीरिक बदलावों का असर दिखने लगता है। शरीर में होने वाले बदलावों का असर मांसपेशियों पर पड़ता है और इसी वजह से मांसपेशियों में दर्द होने लगता है जिसमें कंधे का दर्द भी शामिल है।

    तीसरी तिमाही (Third trimester)

    तीसरी तिमाही में प्रेग्नेंट महिला के शरीर में बहुत बदलाव आते हैं, उनका शरीर बच्चे की डिलीवरी के लिए तैयार होता है और इसके परिणामस्वरूप शरीर में कई तरह के दर्द का अनुभव होता है। 2015 के एक अध्ययन के मुताबिक, सामान्य महिलाओं की तुलना में गर्भवती महिलाओं की रीढ़ की हड्डी (spine) ज्यादा कर्व्ड (curved) हो जाती है। यानी उनका स्पाइन कुछ अंग्रेजी के ‘S’ अक्षर जैसा दिखने लगता है और इसकी वजह है कि उनका शरीर बच्चे के बढ़ते वजन को हैंडल करने के लिए तैयार होता है। रीढ़ की हड्डी में होने वाले इन बदलावों के कारण पीठ और कंधे की मांसपेशियों (shoulder muscles) में भी बदलाव होता है और इसकी वजह से प्रेग्नेंसी में कंधे में दर्द होने लगता है और यह बिल्कुल सामान्य है। इसके अलावा तीसरी तिमाही में रिलैक्सिन हॉर्मोन का स्राव होता रहता है, जो आपके लिगामेंट्स (ligaments ) को रिलैक्स करता है, जिससे आपके पेल्विक बोन्स जॉइंट (pelvic bone joints) ढीले होकर खुल जाएं और ठीक तरह से डिलीवरी हो जाए। शरीर के दूसरे जॉइंट्स भी ढीले होते हैं जिसमें कंधों के जॉइंट्स भी शामिल है और इनके ढीले होने के कारण ही कंधों में दर्द होने लगता है।

    प्रेंग्नेंसी के दौरान कंधे में दर्द के गंभीर कारण (Serious causes of shoulder pain in pregnancy)

    प्रेग्नेंसी के दौरान कंधे में दर्द: Shoulder Pain in Pregnancy

    कई बार कंधे में दर्द किन्हीं गंभीर कारणों से भी हो सकता है। इसलिए प्रेग्नेंसी के किसी भी ट्राइमेस्टर में यदि आपको कंधें में गंभीर दर्द या असहजता महसूस होती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। कंधे में दर्द के गंभीर कारण अलग-अलग हो सकते हैं।

    एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (ectopic pregnancy)

    यदि आपको प्रेग्नेंसी के एकदम शुरुआत यानी पहली तिमाही (first trimester) में ही कंधे में दर्द का अनुभव होने लगे तो इसकी वजह एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (ectopic pregnancy) या ट्यूबल प्रेग्नेंसी (tubal pregnancy) हो सकती है।  एक्टोपिक प्रेग्नेंसी में भ्रूण गर्भाशय के बाहर फैलोपियन ट्यूब में ही इंप्लांट हो जाता है। प्रेग्नेंट होने के 4 से 12 हफ्ते के अंदर एक्टोपिक प्रेग्नेंसी के लक्षण नजर आ सकते हैं या प्रेग्नेंसी (pregnancy) का पता चलने के पहले भी लक्षण नजर आ सकते हैं यदि आप डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाती हैं। ऐसी स्थिति में आपके कंधे में तेज दर्द होता है ठीक उस जगह पर जहां कंधे बांह से जुड़ते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान कंधे में यह गंभीर दर्द का कारण यह है कि पेट में रक्तस्राव (abdominal bleeding) होता है, जो भले ही दिखाई न दे, लेकिन यह शरीर की मांसपेशियों को प्रभावित करता है जिसकी वजह से दर्द होता है। ऐसी स्थिति में कंधे में दर्द के साथ ही अन्य लक्षण भी दिख सकते हैं जिसमें शामिल है-

    • पेट में दर्द (stomach pain)
    • बेहोशी (faintness)
    • मितली या उल्टी आना (nausea or vomiting)
    • वजाइना से ब्लीडिंग होना (vaginal bleeding)
    • पेट में ब्लोटिंग की समस्या (stomach bloating or fullness)
    • मल त्याग के समय दर्द (pain during bowel movements)
    • डायरिया (diarrhea)

    एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (ectopic pregnancy) की स्थिति में तुरंत उपचार की जरूरत होती है।

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    पित्ताशय की पथरी (Gallstones)

    पित्ताशय की पथरी भी कंधे में दर्द का कारण हो सकती है। एक बार यदि यह ट्यूब या डक्ट में फंस जाए तो गंभीर लक्षण दिखने लगते हैं। यदि प्रेग्नेंसी (pregnancy) की दूसरी तिमाही (second trimester) में आपको दाहिने कंधे में दर्द होता है तो इसका मतलब है कि आपको पित्ताशय की पथरी (gallstones) हो सकती है। इसके अन्य लक्षणों में शामिल हैः-

    • मितली और उल्टी (nausea and vomiting)
    • ऊपरी पेट की दाहिने (upper right abdomen) तरफ गंभीर दर्द जो बढ़ता ही जाता है
    • पेट के बीच (middle of abdomen ) में अचानक दर्द होना और उसका बढ़ना
    • शोल्डर ब्लेडस (shoulder blades) के बीच में बैक पेन (back pain)

    पित्ताशय की पथरी (gallstones) के कारण होने वाला दर्द कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटों तक रह सकता है। गंभीर मामलों में मरीज को तेज बुखार (high fever) और यहां तक कि जॉन्डिस (jaundice) भी हो सकता है। गंभीर ब्लॉकेज (serious blockage ) होने पर मरीज को सर्जरी (surgery) करवानी पड़ती है, लेकिन ज्यादातर मामलों में जीवनशैली (lifestyle ) में बदलाव करके इस समस्या का उपचार किया जाता है। निम्न बदलाव किए जाते हैं-

    • नियमित रूप से समय पर भोजन करना (eating regular meals)
    • फाइबर (fiber) से भरपूर चीजों का अधिक सेवन
    • तली चीजों (fried foods) से परहेज
    • मीठी चीजों (sugary foods) से परहेज
    • कार्बोहाइड्रेट (carbs) से परहेज
    • नियमित रूप से हल्की एक्सरसाइज (exercise) करें

    प्रीएक्लैम्पसिया (Preeclampsia)

    दूसरी तिमाही और तीसरी तिमाही में प्रेग्नेंसी में कंधे में दर्द की एक वजह प्रीएक्लैम्पसिया (preeclampsia) भी हो सकता है। यह एक गंभीर स्थिति है जिसमें प्रेग्नेंट महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान या डिलिवरी के बाद हाई ब्लड प्रेशर (high blood pressure) या अन्य जटिलताएं होती हैं। इसके लक्षण आमतौर पर गर्भावस्था के 20 हफ्ते बाद दिखते हैं, लेकिन कई बार यह जल्दी भी दिख सकते हैं। कंधे में दर्द के अलावा प्रीएक्लैम्पसिया (preeclampsia के अन्य लक्षणों में शामिल है-

    • चेहरे पर सूजन (face swelling)
    • हाथों में सूजन (swelling of the hands)
    • सिरदर्द (headache pain)
    • दृष्टि में बदलाव (changes in vision)
    • धुंधला दिखना (blurred vision)
    • प्रकाश से संवेदनशीलता (sensitivity to light)
    • गहरी सांस (deep breathing) लेने पर दर्द
    • पेट के ऊपरी हिस्से (upper abdomen) में दर्द
    • पेट के ऊपरी हिस्से में दाहिनी तरफ दर्द
    • मितली और उल्टी (nausea and vomiting)
    • सांस लेने में दिक्कत (difficulty breathing)

    प्रीएक्लैम्पसिया (preeclampsia) का समय पर उपचार जरूरी है, वरना यह मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। यदि किसी महिला को सामान्य प्रीएक्लैम्पसिया (preeclampsia) है तो डॉक्टर रेग्युलर चेकअप के लिए बुला सकता है और दिन में कई बार उनका ब्लड प्रेशर चेक किया जाता है। ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के लिए उन्हें दवा के साथ ही, लो सोडियम डायट (low-sodium diet) और बेड रेस्ट की भी सलाह दी जाती है। यदि प्रीएक्लैम्पसिया (preeclampsia) की स्थिति में सुधार नहीं होता है तो डॉक्टर समय से पहले बच्चे की डिलिवरी की सलाह दे सकता है, क्योंकि आमतौर पर डिलिवरी के बाद यह समस्या ठीक हो जाती है या जल्दी रिकवर हो जाती हैं।

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    प्रेग्नेंसी के दौरान कंधे के सामान्य दर्द से राहत पाने के उपाय  (Treatment for shoulder pain during pregnancy)

    प्रेग्नेंसी के दौरान कंधे में दर्द: Shoulder Pain in Pregnancy

    यदि प्रेग्नेंसी के दौरान कंधे में दर्द (सामान्य दर्द) से राहत पाने के लिए आप कुछ आसान तरीके आजमा सकती हैं-

    • सामान्य स्ट्रेचिंग (stretching) करें
    • प्रशिक्षित प्रोफेशनल से मसाज करवाएं
    • हल्के गर्म पानी से नहाएं
    • वॉर्म या कोल्ड कंप्रेसेस का इस्तेमाल (warm or cold compresses)
    • पोश्चर सपोर्ट (posture support)
    • तकिया का सहारा लेकर सोना

    डॉक्टर की सलाह पर पेन किलर ले सकती हैं। कंधे के दर्द के गंभीर कारणों जैसे एक्टोपिक (ectopic), पित्ताशय की पत्थरी (gallstones) और प्रीएक्लैम्पसिया (preeclampsia) होने पर आपको मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत है।

    प्रेग्नेंसी के दौरान कंधे में दर्द से बचाव  (Prevention of shoulder pain in pregnancy)

    आमतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान कंधे में दर्द से बचाव नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसका सटीक कारण पता नहीं होता, लेकिन हां, आप इसे गंभीर होने से जरूर बचा सकती हैं। इसके लिए डॉक्टर से सलाह लें और उनसे पूछें की इस दौरान आप अपने ब्लड प्रेशर (blood pressure) को कैसे नियंत्रित कर सकती हैं।

    प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड प्रेशर (blood pressure during pregnancy) को नियंत्रित रखने के लिए इन बातों का ध्यान रखें-

    • पूरे दिन में पर्याप्त पानी पीएं
    • खाने में नमक की मात्रा सीमित करें
    • डायट में प्रोटीन (protein) की मात्रा बढ़ाएं
    • जब भी संभव हो पैर ऊपर रखें
    • ज्यादा देर तक खड़ी न रहें
    • रोजाना हल्की-फुल्की एक्सरासइज (light exercise) करें
    • फास्ट फूड (fast food) परहेज करें
    • तली चीजों (fried food) से परहेज करें

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    प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ दर्द ऐसे होते हैं जिसे कंट्रोल नहीं किया जा सकता, लेकिन हेल्दी लाइफस्टाइल (healthy lifestyle) अपनाकर प्रेग्नेंसी के दौरान (during pregnancy) होने वाली जटिलताओं को जरूर थोड़ा कम किया जा सकता है। इसलिए डायट से लेकर एक्सरसाइज और एहतियाहत बरतने के बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर लें। प्रेग्नेंसी में किसी भी महिला को अपना दोहरा ख्याल रखना होता है, क्योंकि उसकी सेहत से ही बच्चे की सेहत जुड़ी होती है।

    डिस्क्लेमर

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    Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 13/03/2021

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