ट्रगस पियर्सिंग यानी कि तुंगिका पर कान छिदवाना। ट्रगस या तुंगिका कान का एक मांसल और कार्टिलेज का बना हिस्सा है। इसे आसान भाषा में आप समझ सकते हैं कि कान का छेद, जिससे आवाज कान में जाती है, उसके आगे तरफ लगभग एक सेंटीमीटर की कार्टिलेज की बनी एक छोटी सी ग्रोथ होती है। उसे ही ट्रगस कहते हैं। लोगों का मानना है कि ट्रगस पियर्सिंग कराने से हमारे सेहत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस आर्टिकल से हम जानेंगे कि ट्रगस पियर्सिंग का स्वास्थ्य लाभ क्या है, ट्रगस पियर्सिंग कराने के बाद देखभाल कैसे करें आदि।
यह भी पढ़ें- यूज्ड ग्रीन टी बैग से मिल सकते हैं ये 5 फायदे
ट्रगस पियर्सिंग क्या है?
ट्रगस पियर्सिंग कान के लोब के ठीक ऊपर की तरफ पाए जाने वाले ठोस और मुड़ सकने वाला कार्टिलेज का बना भाग है। जिसे हिंदी में तुंगिका कहते हैं। ट्रगस हमारे कानों में इयरफोन को सहारा देने का काम करता है। प्रोफेशनल पियर्सर का मानना है कि ट्रगस पियर्सिंग कराने में लोगों को कम दर्द होता है। क्योंकि ये एक दर्दरहित जगह है, जहां पर शरीर को छिदवाया जा सकता है, लेकिन ट्रगस पियर्सिंग में दर्द होगा या नहीं ये बात ट्रगस की मोटाई पर निर्भर करती है। अगर ट्रगस मोटा होगा तो ट्रगस में भेदी सुई के द्वारा दर्द हो सकता है, लेकिन ऐसा 10 में से मात्र 4 लोगों के साथ होता है। डॉक्टर्स का मानना है कि ट्रगस पियर्सिंग करने से माइग्रेन में राहत मिलती है।
यह भी पढ़ें-कई तरह की होते हैं त्वचा रोग (Skin disease), जानिए इनके प्रकार
ट्रगस पियर्सिंग कराने का फायदा क्या है?
कान छिदवाना तो फैशन माना जाता है, लेकिन इसके कुछ स्वास्थ्य संबंधी फायदे भी होते हैं।
- कान छिदवाना आपकी खूबसूरती को बढ़ा सकता है।
- कान छिदवाना महिला और पुरुष दोनों पर सूट करता है।
- तुंगिका पर कान छिदवाना एक्यूपंक्चर का काम करता है। जिससे सिरदर्द और माइग्रेन जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।
तुंगिका पर कान छिदवाना माइग्रेन में कारगर कैसे है?
माइग्रेन और सिरदर्द के लिए वेगस नर्व ही जिम्मेदार होती हैं, तो ऐसे में ट्रगस पियर्सिंग मदद कर सकती है। वेगस नर्व लंबी होती है और यह बाहरी कान के कई हिस्सों में फैलती है, जिसमें डैथ और ट्रगस शामिल हैं। रिसर्चर्स कई मेडिकल कंडीशन के बारे में भी सोध कर रहे हैं, जिनमें वेगस नर्व स्टिमुलेशन (VNS) कारगर साबित हो :
वेगस नर्व स्टिमुलेशन (VNS) भी माइग्रेन के सिरदर्द के लिए एक उभरता हुआ इलाज है। यह व्यक्ति को होने वाले दर्द से राहत दिला सकता है। बहुत से लोग मानते हैं कि वेगस नर्व को उत्तेजित यानी कि स्टिमुलेट करके ट्रगस पियर्सिंग से माइग्रेन के दर्द से राहत मिल सकती है और सिरदर्द भी होने से रोका जा सकता है।
कुछ लोगों को माइग्रेन में सिर में एक तरफ दर्द का अनुभव होता है, उन्हें उसी तरफ कान छिदवाने से राहत मिलती है। लेकिन अभी तक इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है कि जहां दर्द हो रहा है, उधर ही कान छिदवाना राहत दे सकता है। माइग्रेन के इलाज के रूप में कार्टिलेज को छेदना शरीर के अंग को एक्यूपंक्चर करने के समान है। एक्यूपंक्चर एक चायनीज विधि है। जिसमें कई हेल्थ कंडीशन का इलाज करने के लिए शरीर पर विशेष स्थान पर सुइयों को चुभा कर इलाज किया जाता है।
यह भी पढ़ें: कलर थेरेपी क्या है और रंगों से कैसे किया जाता है उपचार?
ट्रगस भेदी प्रक्रिया पर रिसर्च क्या कहती हैं?
ट्रगस भेदी प्रक्रिया पर कई रिसर्च की गई है, जिसमें से कुछ निम्न हैं :
- फिलहाल इस बात पर रिसर्च जारी है कि माइग्रेन के दर्द के इलाज के लिए ट्रैगस पियर्सिंग कैसे काम करता है? हालांकि, यह ट्रगस के ठीक सीधे पाए जाने वाले डायथ की पियर्सिंग के आधार पर काम करता है, ऐसा रिसर्चर्स का मानना है। माइग्रेन के लिए ट्रगस पियर्सिंग कितना प्रभावी है या नहीं, इस बात का अभी तक कोई आधार नहीं है।
- एक रिसर्च का मानना है कि एक्यूपंक्चर ट्रीटमेंट और पियर्सिंग के बीच एक संबंध हो सकता है। ट्रगस और डैथ आपके कान पर लगभग एक ही प्रेशर प्वॉइंट हैं। जो एक्यूपंक्चरिस्ट द्वारा माइग्रेन और सिरदर्द का इलाज करने के लिए टारगेट किया जाता है।
- एक्यूपंक्चरिस्ट माइग्रेन के लक्षणों से राहत दिलाने के लिए कान के कार्टिलेज में सुइयां लगाते हैं। एक्यूपंक्चरिस्ट का यह मानना है कि कार्टिलेज पर एक्यूपंक्चर करने से ब्रेन में सभी बंद चैनलों को सक्रिय करता है।
- एक रिसर्च के मुताबिक पियर्सिंग ट्रीटमेंट की तुलना में माइग्रेन और सिरदर्द के लिए एक्यूपंक्चर को बेहतर माना गया है। कई शोधों में माइग्रेन में इलाज में पियर्सिंग को प्लेसिबो ट्रीटमेंट माना गया है। प्लेसिबो ट्रीटमेंट एक प्रकार का मनोवैज्ञानिक ट्रीटमेंट है, जिससे व्यक्ति को लगता है कि अब वह कान छिदवा लिया है तो उसका माइग्रेन ठीक हो गया है।
यह भी पढ़ें : एलोवेरा के फायदे: सिर्फ त्वचा में निखार ही नहीं इसके हैं अन्य फायदे
ट्रगस पियर्सिंग कराने में रिस्क क्या हो सकते हैं?
ट्रगस पर कान छिदवाना कभी-कभी जोखिम से भरा होता है :
- ज्वैलरी को गलत तरीके से पहनना
- ज्वैलरी से या भेदन यंत्र (piercing equipment) से एलर्जी होना
- इंफेक्शन
- ब्लीडिंग
- सूजन
- स्कार हो जाना
- दर्द होना
- नर्व डैमेज हो जाना
- माइग्रेन के लक्षणों का ज्यादा होना
ट्रगस में पियर्सिंग के बाद देखभाल कैसे करें?
ट्रगस में कान छिदवाना तो आसान है, लेकिन उसकी देखभाल करना थोड़ा कठिन है। क्योंकि जब कान छेदे हुए स्थान पर इंफेक्शन हो जाता है तो उसका विशेष ध्यान देना होता है। ट्रगस के पियर्सिंग के बाद उसे ठीक होने में ही 3 से 6 महीने का समय लगता है।
यह भी पढ़ें : वैक्सिंग के बाद हो जाते हैं स्किन पर दानें? अपनाएं ये घरेलू उपाय
सही ज्वैलरी पहनें
ज्यादातर ज्वैलरी निकिल मेटल की बनी होती है, जिससे लोगों को एलर्जी हो सकती है और जिससे ट्रगस में इंफेक्शन हो सकता है। जिससे खुजली, लालपन, ब्लीडिंग आदि परेशानियां हो सकती हैं। ऐसे में आप ज्वैलरी को बदल लें। ट्रगस में आपको स्टड, ट्रगस हूप या मोती डाली हुए रिंग पहननी चाहिए। आप निम्न मेटल की ज्वैलरी ट्रगस में पहन सकते हैं :
- सोने की
- सिल्वर की
- स्टेनलेस स्टील
- टाइटेनियम
- नोइबियम
ट्रगस की सफाई का रखें ध्यान
अगर आपने हाल ही में कान छिदवाया हैं तो रोजाना कम से कम तीन से चार बार उसे जरूर साफ करें। कान को छूने से पहले अपने हाथ अच्छे से साफ कर लें। हाथों को अच्छे तरह से साबुन से धोने के बाद सुखा लें। इसके बाद ही ट्रगस या कान के आसपास के हिस्से को छुएं। इसके अलावा आप पियर्सर द्वारा दिए गए क्लीनजर से ही ट्रगस को साफ करें।
निम्न चीजों से ट्रगस को कभी भी न साफ करें :
- एल्कोहॉल
- आइडोपोविडोन (बेटाडिन)
- क्लोरेक्साइडिन
- आइसोप्रोपिल एल्कोहॉल
- हाइड्रोजन पराक्साइड
- ऑइंटमेंट
- इयर केयर सॉल्यूशन
ट्रगस की सिंकाई करें
आप एक सॉल्ट सॉल्यूशन बनाएं, जिसमें ¼ चम्मच नॉन-आयोडाइज्ड नमक में लगभग 30 मिलीलीटर पानी मिलाएं। उस सॉल्यूशन में पेपर टॉवेल को भिगाएं। इस पेपर टॉवेल को सॉल्यूशन में से निकालें और ट्रगस छेदे हुए स्थान पर 5 से 10 मिनट तक रखें। इस प्रक्रिया को वार्म कम्प्रेस कहते हैं। जिससे आपको हल्की संवेदनशीलता महसूस हो सकती है। इसे दिन में दो से तीन बार दोहराएं।
कैमोमाइल टी बैग से करें सेंकाई
कैमोमाइल में ऐसा अवयव पाया जाता है, जो ट्रगस में इंजरी को तेजी से भरने में सक्षम होता है। कैमोमाइल कम्प्रेस के लिए कैमोमाइल टी बैग को एक कप गर्म पानी में भिगा लें। इसके बाद कैमोमाइल टी बैग को हल्का गर्म रखते हुए ट्रगस छिदे हुए स्थान पर 5 से 10 मिनट तक रखकर सिंकाई करें। इसे दिन में कम से कम दो से तीन बार करें।
एलोवेरा जलन को करेगा कम
एलोवेरा में खुजली और जलन के कम करने के गुण होते हैं। साथ ही ये स्कार को पड़ने से भी रोकता है। ट्रगस पियर्सिंग कराने पर उसके आसपास का हिस्सा हीट निकालता है यानी कि उसके आसपास के हिस्से का तापमान बढ़ जाता है। उस स्थान पर एलोवेरा का जेल निकाल कर रूई की मदद से लगाएं। ऐसा दिन में दो से चार बार करें। आपको राहत मिलेगी।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई मेडिकल जानकारी नहीं दे रहा है। ट्रगस पियर्सिंग की अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
और पढ़ें :-
एसी भी हो सकता है आपके बालों के टूटने-झड़ने का कारण
स्किन एलर्जी से जुड़े सवालों का जवाब मिलेगा क्विज से, खेलें और जानें
स्किन कैंसर के 10 लक्षण, जिन्हें आप अनदेखा न करें
स्किन टाइप के हिसाब से चुनें अपने लिए बॉडी लोशन