backup og meta

क्या पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग कराना सही हैं? जानें क्या है प्रक्रिया

क्या पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग कराना सही हैं? जानें क्या है प्रक्रिया

“अरे! तुम्हें तो पीसीओए है। पीसीओएस के साथ तुम्हारा प्रेग्नेंट होना काफी मुश्किल है।” अगर आप पीसीओएस या पीसीओडी की शिकार हैं तो आपको ऐसी बातें सुनने को जरूर मिली होंगी। लेकिन इस बात पर अगर गौर फरमाया जाए कि पीसीओएस के साथ प्रेग्नेंट होना मुश्किल है, लेकिन नामुमकिन नहीं। विज्ञान और चिकित्सा प्रणाली वर्तमान में इतनी बेहतर हो गई है कि पीसीओएस के साथ प्रेग्नेंसी संभव है। इसके लिए सभी विकल्पों में एक विकल्प आता है पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग का। पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग कराने का निर्णय महिला या उसके परिवार का निर्णय होगा। ऐसे में महिला और उसके पति या परिवार को डॉक्टर से मिल कर एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया के बारे में बात कर लेनी चाहिए। इस आर्टिकल में आप पीसीओएस और एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानेंगे।

और पढ़ें : PCOS से छुटकारा ​पाने में मदद कर सकती है ऐसी डायट, जानें क्या खाना है और क्या नहीं

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) या पीसीओएस क्या है?

लॉकडाउन में पीसीओएस पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS)

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) या पीसीओडी के बारे में जानने से पहले हमें ये जानना होगा कि महिला की ओवरी का मुख्य काम क्या है? ओवरी दो प्रकार के सेक्स हॉर्मोन का निर्माण करती है, जिसे एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन कहते हैं। ये हॉर्मोन महिलाओं में मेंस्ट्रुअल साइकिल (पीरियड्स) को सुचारू रूप से नियंत्रित करते हैं। एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हॉर्मोन यूटेराइन लाइनिंग बनाने में भी मदद करते हैं। साथ ही ये हॉर्मोन एंड्रोजंस और टेस्टोस्टेरोन नामक मेल हॉर्मोन का भी कुछ मात्रा में निर्माण करते हैं। 

दूसरी तरफ, ओवरी में अपरिपक्व अंडे (Immature eggs) होते हैं, जिसे फॉलिकल्स कहा जाता है। हर महीने में एग फॉलिकल ओवरी से निकलता है और एग या अंडे के रूप में विकसित होता है। अंडे के परिपक्व होने और ओवरी से बाहर निकल कर फर्टिलाइजेशन के लिए तैयार होने के समय को ओव्यूलेशन पीरियड कहते हैं। इस ओव्यूलेशन पीरियड में जब अंडा या एग फर्टिलाइज नहीं हो पाता है, तो गर्भाशय से बाहर निकल जाता है। इसके बाद गर्भाशय में बने यूटेराइन लाइनिंग पीरिड्स के रूप में वजायना से बाहर निकल जाता है। 

दिल्ली के मधुकर रेनबो चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल की प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ व डायरेक्टर डॉ. जयाश्री सुंदर के अनुसार, “पांच में से एक महिला आज पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) या पीसीओडी की परेशानी से गुजर रही है। महिलाओं में हॉर्मोन के असंतुलन के कारण ओवरी का बड़ा होना और उसमें सिस्ट के बनने जैसी प्रक्रिया होती है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) में महिला के ओवरी में अंडे बनने बंद हो जाते हैं, क्योंकि उसकी ओवरी बड़ी हो जाती है। ऐसा हॉर्मोनल असंतुलन के कारण होता है, जिससे ओवरी में सिस्ट बन जाते हैं और ओवरी फॉलिकल्स को विकसित होने से रोकते हैं। जिससे पीरियड्स में अनियमितता जैसी समस्या होती है और फर्टिलिटी पर असर पड़ता है।”

और पढ़ें : लॉकडाउन में पीसीओएस को कैसे दें मात? फॉलो करें ये टिप्स

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) या पीसीओएस के लक्षण क्या है?

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) के लक्षण सभी महिलाओं में अलग-अलग दिखाई दे सकते हैं, इसके लिए आपको जानकारी होना चाहिए कि पीसीओएस के लक्षण क्या हैं?

पीसीओएस या पीसीओडी के लक्षणों की अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकती हैं।

[mc4wp_form id=”183492″]

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) या पीसीओएस के कारण क्या हैं?

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) या पीसीओडी किन कारणों से होता है, अभी तक इसकी कोई सटीक जानकारी नहीं हो पाई है। वैज्ञानिकों का अभी तक मानना है कि पीसीओएस या पीसीओडी हॉर्मोनल बदलाव और आनुवंशिक कारणों से होता है। इस बात की पुष्टि करने के लिए स्विटजरलैंड के कुछ रिसर्च ने एक रिसर्च की। जिसमें 52 परिवारों को शामिल किया गया। जिसमें से 58 प्रतिशत मरीजों में पाया गया कि पीसीओएस के लक्षण मरीज के साथ ही उसकी बहन में भी पाए गए। इसके बाद पीसीओएस के लिए जिम्मेदार जीन्स को ढूंढने का प्रयास किया गया। लेकिन इस रिसर्च में शामिल सभी परिवारों में एक मुख्य जीन्स नहीं, बल्कि पीसीओएस के लिए कई अलग-अलग जीन्स की भागीदारी देखी गई। 

और पढ़ें : प्रेग्नेंसी में स्ट्रेस का असर पड़ सकता है भ्रूण के मष्तिष्क विकास पर

क्या पीसीओएस के साथ प्रेग्नेंसी संभव है?

पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग

अगर आप में पीसीओएस के लक्षण दिखाई दे रहे हैं और आप इस बात को लेकर चिंता में है कि पीसीओएस के साथ प्रेग्नेंसी होना काफी मुश्किल है, तो आपका डरना बिल्कुल गलत है। अगर आपको पीसीओएस या पीसीओडी की शिकायत तो भी आप मां बन सकती हैं। बहुत सारी महिलाएं पीसीओएस के साथ कभी-कभी ओव्यूलेट या अंडे का उत्सर्जन करती हैं। इस ओव्यूलेशन टाइम में सेक्स करने से वह महिला प्रेगनेंट हो सकती है। हालांकि, पीसीओएस या पीसीओडी में पीरियड्स अनियमित होते हैं, तो भी जब ओव्यूलेशन होता है, तब सेक्स करने से महिला के गर्भवती होने के चांसेस बढ़ जाते हैं। 

इसके अलावा कुछ महिलाओं को कई महीनों तक पीरियड्स ना आने की समस्या होती है। इसलिए जरूरत पड़ने पर महिला अगर चाहें तो पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग करा सकती है और बाद में आईवीएफ विधि से गर्भवती हो सकती है। इसके अलावा कुछ डॉक्टर्स इनफर्टिलिटी के लिए क्लोमिफेन (clomiphene) या लेट्रोजोल (letrozole) नामक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। एक रिसर्च में ये बात सामने आई है कि क्लोमिफेन (clomiphene) के साथ 60 से 70 प्रतिशत महिलाएं प्रेग्नेंट हुई हैं और ये दवा इनफर्टिलिटी के इलाज के लिए प्रभावी है।

और पढ़ें : क्या प्रेग्नेंसी के दौरान एमनियोसेंटेसिस टेस्ट करवाना सेफ है?

क्या पीसीओडी(PCOD) या पीसीओएस (PCOS) के साथ एग फ्रीजिंग (egg freezing) कराना सुरक्षित है?

जैसा कि पहले ही बताया गया है कि पीसीओडी या पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग कराना महिला की अपनी च्वॉइस होगी। अमूमन महिलाओं को पीसीओएस के साथ आईवीएफ कराने की जरूरत नहीं पड़ती हैं, क्योंकि वे सामान्य तरीके से भी प्रेग्नेंट हो सकती हैं। लेकिन फिर भी पीसीओएस के लक्षणों को देखते हुए भविष्य में प्रेगनेंट होने के लिए रिस्क नहीं लेना चाहते हैं, तो पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग करा सकती हैं। पीसीओएस के साथ महिलाओं में एंटी-म्यूलेरियन लेवल (anti-Müllerian levels) काफी हाई होता है। असल में, पीसीओएस से ग्रसित महिलाओं का एंटी-म्यूलेरियन हॉर्मोन (AMH) लेवल सामान्य महिलाओं की तुलना में 2 से 3 गुना ज्यादा होता है। एंटी-म्यूलेरियन हॉर्मोन (AMH) एग फ्रीजिंग के लिए एक इंडिकेटर की तरह काम करता है कि, एक बार में महिला के कितने एग फ्रीज हो सकते हैं। लेकिन फिर भी अगर आप एग फ्रीजिंग के बारे में सोच रही हैं तो अपने डॉक्टर से जरूर बात कर लें। आइए अब जानते हैं एग फ्रीजिंग के पूरे प्रोसेस के बारे में…

एग फ्रीजिंग (Egg Freezing) क्या है?

पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग उसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन

एग फ्रीजिंग, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि महिला के अंडे को फ्रीज किया जाता है। एग फ्रीजिंग को एग बैंकिंग, उसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन (oocyte cryopreservation) भी कहा जाता है। एग फ्रीजिंग असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (ART) के जरिए किया जाता है। जिसमें किसी भी महिला के प्रसव काल (reproductive period) यानी कि बच्चे पैदा करने की सही उम्र में उसके गर्भाशय से अंडे को निकाल कर प्रिजर्व (संरक्षित) किया जाता है। इसके बाद भविष्य में महिला जब भी चाहें अपने अंडे को फर्टिलाइज करा के मां बन सकती है। इस पूरी प्रक्रिया को ही एग फ्रीजिंग कहते हैं।

और पढ़ें : हेल्थ इंश्योरेंस से पर्याप्त स्पेस तक प्रेग्नेंसी के लिए जरूरी है इस तरह की फाइनेंशियल प्लानिंग

एग फ्रीजिंग (Egg Freezing) कराने की सही उम्र क्या है?

एग को फ्रीज कराने का अगर प्लान बना रहे हैं, तो उसके लिए एक सही उम्र होती है। जिस उम्र में महिला के अंडे हेल्दी होते हैं और उनकी प्रजनन क्षमता भी अच्छी होती है। अगर एक सामान्य महिला एग फ्रीजिंग करा रही है, तो उसके लिए सही उम्र 25 से 30 साल है। लेकिन अगर किसी महिला को पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग करानी है तो वह 20 साल से 30 साल की उम्र के बीच में अपने अंडे फ्रीज करा सकती है। इसके बाद महिला जब चाहें, तब अपने फ्रीज किए हुए एग्स के साथ मां बन सकती है। 

किन महिलाओं को एग फ्रीजिंग कराना चाहिए?

एग फ्रीजिंग-egg freezing process

पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग कराने के बारे में तो पहले ही जिक्र हो चुका है। आजकल भाग-दौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर महिलाएं कुछ पाना चाहती हैं, अपने करियर में एक बेहतर मुकाम चाहती हैं। ऐसे में वे बच्चे 30 साल की उम्र के बाद पैदा करती है। उम्र ज्यादा होने के साथ ही प्रेग्नेंसी में कई तरह की समस्याएं भी आ सकती है, जिससे बचने के लिए महिलाएं एग फ्रीजिंग के ऑप्शन को चुनती हैं। इसके अलावा कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रसित महिलाएं भी एग फ्रीजिंग जैसे विकल्प को चुनती हैं। अगर किसी महिला को कैंसर हुआ है तो उसे रेडिएशन थेरिपी या कीमोथेरिपी करानी पड़ सकती है। ऐसे में ओवरी, फॉलिकल और एग्स पर इफेक्ट पड़ सकता है। इस स्थिति में एग फ्रीजिंग एक बेहतर विकल्प के रूप में निकल कर सामने आता है। पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग कराना महिला का खुद का चयन होगा। इससे आपको अगर रेगुलर पीरियड्स ना भी आए तो आईवीएफ विधि से आप गर्भवती हो सकती हैं।

पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग (egg freezing) कराने से पहले क्या करना चाहिए?

एग फ्रीजिंग कराने से पहले आपको अपने परिवार से सहमति ले लेनी चाहिए। इसके बाद आप अपने डॉक्टर से मिल कर इस बारे में बात करें। डॉक्टर आपको एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया, फायदे, नुकसान सभी पहलुओं के बारे में समझाएंगे। इसके साथ ही वह आपकी आयु, स्वास्थ्य और फैमिली प्लानिंग के बारे में विस्तार से बात करेंगे। 

जब आपकी पूरी तरह से राय बन जाएं कि आपको एग फ्रीजिंग करानी ही है, तो फिर डॉक्टर आपके फर्टिलिटी की जांच करेंगे। जिसमें आपके हॉर्मोन्स का लेवल, ओवरी, फॉलिकल्स, फैलोपियन ट्यूब आदि की जांच की जाएगी। हॉर्मोन की जांच के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट कराते हैं और ओवरी, फॉलिकल्स, फैलोपियन ट्यूब की जांच कराने के लिए अल्ट्रासाउंड कराने के लिए कह सकते हैं। ये टेस्ट कराने के पीछे का मुख्य उद्देश्य होता है कि आपके ओवरी से गुड क्वालिटी के एग्स निकाले जा सके। इसके अलावा एक ध्यान देने वाली बात ये है कि एग फ्रीजिंग के पहले डॉक्टर द्वारा बताई गई हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करें।

और पढ़ें : पीसीओएस के साथ गर्भवती होने में कितना समय लगेगा?

पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग (egg freezing) कैसे की जाती है?

पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग

एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया डॉक्टर द्वारा की जाती है। एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया को तीन चरणों में पूरा किया जाता है:

  1. ओवेरियन स्टिम्युलेशन
  2. फॉलिक्युलर को मॉनिटर करना 
  3. एग को निकालना

ओवेरियन स्टिम्युलेशन (Ovarian Stimyuleshn)

ओवेरियन स्टिम्युलेशन के लिए थोड़ा वक्त लगता है, जिसमें हॉर्मोन की दवाएं दी जाती है, जैसे- फॉलिकल-स्टीम्यूलेटिंग हॉर्मोन (FSH) और ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन (LH)। ये हॉर्मोन ओवरी में ज्यादा मात्रा में एग्स बनाने में मदद करते हैं, इसलिए इसे प्रक्रिया शुरू होने के बाद पहले और दूसरे दिन दिया जाता है। ओवेरियन स्टिम्युलेशन एग फ्रीजिंग की सबसे पहली प्रक्रिया है, इसलिए इसमें एग्स को फ्रीज करने के लिए तैयार कराया जाता है। इसके बाद गोनैडोट्रॉपिन-रिलीजिंग हॉर्मोन (GnRH) की दवा एग फ्रीज कराने वाली महिला को दी जाती है। गोनैडोट्रॉपिन-रिलीजिंग हॉर्मोन (GnRH) एग्स को जल्दी रिलीज होने से रोकती है, जिससे डॉक्टर सही समय पर एग्स को निकाल पाते हैं। गोनैडोट्रॉपिन-रिलीजिंग हॉर्मोन (GnRH) के इंजेक्शन को फॉलिकल-स्टीम्यूलेटिंग हॉर्मोन (FSH) और ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन (LH) के देने के तीसरे या चौथे दिन में दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को ओवेरियन स्टिम्युलेशन कहते हैं। जिसके बाद हॉर्मोन्स के कामों को मॉनिटर करने की बारी आती है।

फॉलिक्युलर ( Follicular) को मॉनिटर करना 

हॉर्मोंस के इंजेक्शन देने के बाद एग्स ज्यादा मात्रा में बने हैं या नहीं, इसकी जांच की जाती है। जिसमें ब्लड सैंपल को टेस्ट कर के ये पता लगाया जाता है कि शरीर में हॉर्मोन का लेवल क्या है और ये सही तरह से काम कर रहे हैं या नहीं। इसके बाद ओव्यूलेशन और एग्स के विकास को जांचने के लिए अल्ट्रासाउंड किया जाता है। ऐसा हो सकता है, जिसके लिए आपको रोजाना या डॉक्टर के बुलाने पर हॉस्पिटल जाना पड़े। इसके साथ ही डॉक्टर के द्वारा बताई गई लाइफस्टाइल और डायट को फॉलो करना पड़ेगा। इसके बाद डॉक्टर एग्स निकालने की तैयारी करेंगे।

एग (Egg) को निकालना

एग्स के विकास के मॉनिटरिंग के बाद पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग की आखिरी प्रक्रिया को किया जाएगा। जिसमें डॉक्टर एग्स के पूरी तरह से विकसित हो जाने के बाद उन्हें निकालने की तैयारी करेंगे। इसके लिए डॉक्टर एग्स को निकालने के 36 घंटे पहले महिला को ह्यूमन क्रोनिऑनिक गोनैडोट्रॉपिन (hCG) इंजेक्शन देंगे, जो ओव्यूलेशन को प्रोत्साहित करेगा, ताकि इंजेक्शन के 36 घंटे बाद एग्स आराम से सुरक्षित निकाले जा सकें। इसके बाद एग फ्रीजिंग करने के लिए एग्स निकालने की तैयारी करते हैं। इस प्रक्रिया को करने में 10 से 20 मिनट का वक्त लगता है। 

इस प्रक्रिया को करने के लिए महिला को आराम से लेटने के लिए कहा जाता है। इसके बाद डॉक्टर वजायना के द्वारा अल्ट्रासाउंड प्रोब को डालते हैं, ताकि एग्स को साफ तौर पर देखा सके। इसके बाद ओवरी में एक सुई डाली जाती है जो ओवरी के हर फॉलिकल के अंदर तरल पदार्थ को डालते हैं। फॉलिकल के अंदर ये फ्लूइड इम्ब्रियोलॉजिस्ट के द्वारा डाला जाता है, ताकि वे अच्छे से एग्स को माइक्रोस्कोप में देख कर उसकी जांच कर सकें। फिर हेल्दी एग्स को विशेष तकनीकों का उपयोग करके आइसोलेट और फ्रीज किया जाता है। इसके बाद डॉक्टर एग्स को लंबे समय के लिए फ्रीज कर देते हैं।

और पढ़ें : प्रेग्नेंसी प्लानिंग के पहले कर लें ये 7 काम

एग फ्रीजिंग (egg freezing) की प्रक्रिया के बाद क्या होता है?

एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया के बाद आप जब भी मां बनना चाहें, तब एग को निषेचित (Fertilize) किया जाएगा। इसके बाद भ्रूण बनने पर उसे महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर दिया जाएगा। इसके बाद डॉक्टर महिला को कई बार मिलने के लिए बुलाएंगे कि वह प्रेग्नेंट हुई या नहीं। कुछ महिलाओं में एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया एक बार में पूरी नहीं हो पाती है, तो उन्हें ये प्रक्रिया कई बार करानी पड़ती है। आसान शब्दों में कहें तो कुछ महिलाओं में एक बार में उतने एग्स नहीं बन पाते हैं, जिसे फ्रीज किया जा सके। इस स्थिति में कई बार में पर्याप्त एग्स निकाल कर फ्रीज करने की कोशिश की जाती है। 

एग को कैसे फ्रीज किया जाता है?

पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग

पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया को पूरा करने के बाद एग्स को हार्वेस्ट किया जाता है। तुरंत एग्स को निकाल कर लिक्विड नाइट्रोजन में -190 डिग्री सेल्सियस तापमान में फ्रीज किया जाता है। उसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन के बाद जब चाहे तब एग्स को स्पर्म के साथ फर्टिलाइज कराया जा सकता है। 

और पढ़ें : इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट क्या हैं? जानिए कैसे होता है बांझपन का इलाज

एग फ्रीजिंग (Risl of egg freezing) के संभावित खतरे क्या हैं?

एग फ्रीजिंग के बाद कुछ खतरे देखे गए हैं, जिसके बारे में आपको जानना चाहिए :

  • पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग कराने वाली महिलाओं में ओवेरियन हाइपरस्टीम्युलेशन सिंड्रोम (OHSS) विकसित होने का खतरा रहता है। ओवेरियन हाइपरस्टीम्युलेशन सिंड्रोम (OHSS) में महिलाओं की ओवरी में सूजन आ जाती है और फ्लूइड निकल कर शरीर में फैल जाता है।  ये उन महिलाओं को होता है, जो एग्स डेवलपमेंट के लिए गोनैडोट्रॉपिन का इंजेक्शन लेती हैं। आपको बता दें कि गोनैडोट्रॉपिन हॉर्मोन का इंजेक्शन एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया में दिया जाता है।
  • एग फॉलिकल में भरा फ्लूइड ओवरी के अंदर बढ़ने लगता है। कभी-कभी ये फ्लूइड या तरल पदार्थ इतने बढ़ जाते हैं कि शरीर के अन्य अंगों तक भी पहुंच सकते हैं।
  • एग फ्रीज करने के बाद कई बार एग्स जब पिघलाने की प्रॉसेस की जाती है तो एग्स जीवित नहीं रह पाते हैं। इस स्थिति में एग फ्रीजिंग करने वाले क्लीनिक पैसे रिफंड नहीं करते हैं। जिससे आपको आर्थिक नुकसान भी हो सकता है।

उपरोक्त सभी एग फ्रीजिंग में संभावित खतरें हैं, जरूरी नहीं है कि सभी के साथ ऐसा हो ही। पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग में सभी महिलाओं में इसका साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिलता है। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप एग फ्रीजिंग के पहले अपने डॉक्टर से सारे जोखिम के बारे में बात कर लें।

और पढ़ें : प्रेग्नेंसी में रागी को बनाएं आहार का हिस्सा, पाएं स्वास्थ्य संबंधी ढेरों लाभ

भारत में एग फ्रीजिंग कराने का खर्च कितना है?

पहले आपको बता दें कि एग फ्रीजिंग एक महंगी प्रक्रिया है। भारत में अभी एग फ्रीजिंग पिछले दशक में आई एक नई प्रक्रिया है। एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया आईवीएफ से मिलती-जुलती सी है, इसलिए इसमें भी खर्च आईवीएफ के बराबर ही आता है। एग फ्रीजिंग का खर्च दो भागों में बंटा है, पहला तो आईवीएफ प्रक्रिया से एग्स को निकलवाने का खर्च, दूसरा एग्स को फ्रोजन स्टेज में बनाए रखने का खर्च होता है। भारत में आईवीएफ प्रॉसेस से एग्स को निकालने की पूरी प्रक्रिया में 50,000 से 1,00,000 या उससे अधिक का खर्च आ सकता है। इसके बाद एग को फ्रोजन स्टेज में रखने के लिए सालाना खर्च 15,000 से 30,000 रुपए आता है। अब आप सोच में पड़ गए होंगे कि इतने खर्च के बाद भी अगर सफलता नहीं मिली तो क्या करेंगे? ज्यादा सोचें नहीं, बल्कि भारत में एग फ्रीजिंग का सक्सेस रेट देखें।

भारत में एग फ्रीजिंग कितना सफल है?

भारत में एग फ्रीजिंग का सक्सेस रेट अभी तक एवरेज ही पाया गया है। भारत में 21 केसेस पर स्टडी करने के बाद अब तक एग फ्रीजिंग के बाद गर्भवती होने में सफलता का रेट 47% से 52.5% रही है। हालांकि, अभी भारत में बहुत सारे लोग एग फ्रीजिंग के बारे में या तो नहीं जानते हैं, या इसे कराने से हिचकते हैं। वहीं, पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग हो या फिर किसी भी स्वास्थ्य समस्या में आपको एग फ्रीज कराना हो तो उसके लिए आपका खानपान, उम्र और एग क्वालिटी मायने रखती है। इसलिए अगर आप एग फ्रीजिंंग के लिए सोच रही है तो 25 से 35 साल है।

और पढ़ें : प्रेग्नेंसी के दौरान कितना होना चाहिए नॉर्मल ब्लड शुगर लेवल?

क्या एग फ्रीजिंग को इंश्योरेंस कवर करता है?

भारत में एग फ्रीजिंग का कोई इंश्योरेंस कवर नहीं है। इसके अलावा सामान्य हेल्थ इंश्योरेंस के अंतर्गत भी एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया कवर नहीं होती है। वहीं, आपको एग फ्रीज कराने के लिए आईवीएफ प्रक्रिया अपनाने पर बैंक से लोन जरूर मिल सकता है। आजकल तो कई आईवीएफ क्लीनिक लोन प्रोसेस को खुद से ईएमआई (EMI) पर करने के ऑफर भी देते हैं।

उम्मीद करते हैं कि पीसीओएस के साथ एग फ्रीजिंग से संबंधित सभी प्रश्नों के जवाब आपको मिल गए होंगे। इसके अलावा एग फ्रीजिंग कब और कैसे कराना है, ये आपका स्वयं का फैसला है। इसके लिए आप अपने परिवार से जरूर बात कर लें। वहीं, एग फ्रीजिंग किसी अच्छे डॉक्टर और क्लीनिक में ही कराएं आर इसके सभी अच्छे और जोखिम भरे पहलुओं के बारे में जरूर बात कर लें। आपको ये लेख कैसा लगा, अपनी प्रतिक्रिया आप हमें कमेंट कर के बता सकते हैं। अगर आपको इस विषय में अधिक जानकारी चाहिए तो अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

[embed-health-tool-ovulation]

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

‘PCOS and the Lockdown’ Webinar with Dr. Jayasree Sundar Director, Obstetrics & Gynecology of Madhukar Rainbow Children’s Hospital, New Delhi Accessed on 22/9/2020

Anti-mullerian hormone as a diagnostic and prognostic tool for PCOS patients https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4171421/ Accessed on 22/9/2020

Lack of association between polycystic ovary syndrome and embryonic aneuploidy https://doi.org/10.1016/j.fertnstert.2006.12.018 Accessed on 22/9/2020

Treatment of infertility in women with polycystic ovary syndrome: approach to clinical practice https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4642490/ Accessed on 22/9/2020

Familial Clustering in the Polycystic Ovarian Syndrome https://doi.org/10.1159/000293493 Accessed on 22/9/2020

Ovarian Hyperstimulation Syndrome: A Narrative Review of Its Pathophysiology, Risk Factors, Prevention, Classification, and Management https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/29892142/ Accessed on 22/9/2020

Prevention of Ovarian Hyperstimulation Syndrome: A Review https://doi.org/10.1155/2015/514159 Accessed on 22/9/2020

Successful birth of the frozen oocyte baby in India https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2700691/#:~:text=The%20success%20rates%20in%20oocyte,oocyte%20being%201.52%E2%80%931.8%25. Accessed on 22/9/2020

Social oocyte freezing https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4154335/ Accessed on 22/9/2020

Comparison of different stimulation protocols used in in vitro fertilization: a review doi: 10.3978/j.issn.2305-5839.2015.04.09 Accessed on 22/9/2020

Committee Opinion No. 584: Oocyte Cryopreservation doi: 10.1097/01.AOG.0000441355.66434.6d Accessed on 22/9/2020

Current Version

05/07/2022

Shayali Rekha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Manjari Khare


संबंधित पोस्ट

किन मेडिकल कंडिशन्स में पड़ती है आईवीएफ (IVF) की जरूरत?

आईवीएफ (IVF) के साइड इफेक्ट्स: जान लें इनके बारे में भी


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 05/07/2022

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement