कोलैजेन के बारे में आपने बहुत बार सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कोलैजेन का काम क्या है? कोलैजेन हमारी त्वचा और कनेक्टिव टिश्यू के बीच एक ग्लू की तरह काम करता है। आसान भाषा में समझ लीजिए कि कोलैजेन हमारे त्वचा की संरचना बनाने में लगभग 70 प्रतिशत की भागीदारी निभाते हैं। शरीर में कोलेजन की कमी होने से त्वचा पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि कोलैजेन क्या है? कोलेजन डायट का सेवन करके कैसे त्वचा को निखारा जा सकता है? कोलैजेन किन फूड्स में पाया जाता है? कोलैजेन सप्लीमेंट्स लेना कितना सुरक्षित है?
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कोलैजेन क्या है?
कोलैजेन एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जो हमारी त्वचा और कनेक्टिव टिश्यू के बीच में पाया जाता है। इंसान के शरीर में लगभग 30 फीसदी कोलेजन पाया जाता है। कोलैजेन में 19 अमीनो एसिड जैसे- ग्लाइसिन, प्रोलिन, हाइड्रॉक्सीप्रोलाइन, लाइसिन और आर्जिनिन आदि शामिल हैं। वहीं, 29 प्रकार के कोलेजन पाए जाते हैं। मनुष्य के शरीर में मुख्य रूप से फर्स्ट से थर्ड प्रकार के कोलैजेन पाए जाते हैं। टाइप फर्स्ट मुख्य रूप से त्वचा, टेंडॉन, नसों, अंगों और हड्डियों में मौजूद होता है। टाइप सेकेंड कार्टिलेज में और टाइप थर्ड रेटिकुलर फाइबर में पाया जाता है।
कोलैजेन डायट एक ऐसी डायट है, जिसमें हमें चीनी और कार्बोहाइड्रेट को नजरअंदाज कर कोलैजेन से भरपूर फूड्स का सेवन करना चाहिए। कोलैजेन डायट के सेवन से यौवन, ऊर्जा और सुंदरता बनी रहती है। कोलैजेन डायट के अलावा आप कोलैजेन सप्लीमेंट्स या कोलैजेन इंजेक्शन ले सकते हैं।
शरीर में कोलैजेन की कमी होने से क्या परेशानियां हो सकती हैं?
उम्र बढ़ने के साथ कोलैजेन के निर्माण की शरीर में कमी होती जाती है। जब ऐसा होता है, तो त्वचा का लचीलापन और एपिडर्मल थिकनेस में कमी होती है। यह त्वचा को नुकसान पहुंचाता है और झुर्रियों, सिकुड़ी त्वचा और सूजी हुई त्वचा जैसी परेशानियां होती हैं। कोलैजेन कमी से भी टेंडॉन और लिगामेंट्स कम लचीले हो सकते हैं। मांसपेशियां सिकुड़ सकती हैं और कमजोर हो सकती हैं। साथ ही जोड़ों में दर्द, ऑस्टियोआर्थराइटिस और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं भी हो सकती हैं। कोलैजेन की कमी बालों के विकास को कम कर सकती है और बालों को पतला बनाती है।
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कोलैजेन डायट के फायदे क्या हैं?
कोलैजेन डायट का सेवन करने से कई तरह के स्वास्थ्य लाभ होते हैं। कोलेजन डायट के फायदे निम्न हैं :
- स्किन टोंड होती है
- बाल कम झड़ते हैं
- चेहरे की त्वचा में मौजूद कोलेजन को रिस्टोर करने में मदद करती है
- नींद को बेहतर करती है
- मांसपेशियों को मजबूत करती है
- हड्डियों को स्वस्थ बनाती है
- इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती है
- दिल का ख्याल रखती है
- एंटीऑक्सीडेंट और डिटॉक्सीफिकेशन को बढ़ाती है
- उम्र को बढ़ाती है
- सेक्शुअल क्षमता और हॉर्मोन को बढ़ावा देती है
- मूड स्विंग होने से रोकती है और मन को शांत रखती है
- वजन को नियंत्रित करती है
कोलैजेन डायट से होने वाले फायदे तो जान लिए, लेकिन अभी तक इन फायदों की कोई वैज्ञानिक पुष्टि नहीं हुई है। ये फायदे लोगों द्वारा कोलैजेन डायट अपनाने के बाद महसूस किए गए प्रभाव पर आधारित है।
कोलैजेन डायट में कौन से फूड्स खा सकते हैं?
कोलैजेन डायट में हमें उच्च कोलेजन युक्त फूड्स का ही चुनाव करना चाहिए, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि जब भी आप कोलैजेन डायट की शुरूआत करें तो शुगर और कार्बोहाइड्रेट को पूरी तरह से कम कर दें। कोलैजेन डायट की शुरूआत करने से पहले अपने डायटीशियन या डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
सिट्रस फ्रूट
सिट्रस यानी कि खट्टे फल, सिट्रस फल में विटामिन-सी पाया जाता है। विटामिन-सी प्रो-कोलेजन के निर्माण में मुख्य भूमिका निभाता है। इसके साथ ही विटामिन-सी शरीर को कोलैजेन निर्माण के लिए प्रेरित करता है। हालांकि, शरीर को पूरी तरह विटामिन-सी मिलना मुश्किल होता है। इसके लिए आपको खट्टे फल, जैसे- संतरे, अंगूर, नींबू और लाइम को अपनी डायट में शामिल करें। आप सुबह नाश्ते में कुछ अंगूर और संतरे की कुछ फलियां ले सकते हैं।
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बेरीज
बेरीज में विटामिन-सी प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। बेरीज में आप स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, ब्लैकबेरी, रैस्पबेरी आदि को खा सकते हैं। अगर आप एक कप बेरी खाते हैं तो आपको संतरे की तुलना में ज्यादा विटामिन-सी मिलता है। इसके साथ ही बेरीज में एंटी-ऑक्सिडेंट गुण पाए जाते हैं। एंटी-ऑक्सिडेंट त्वचा को डैमेज होने से बचाने में मदद करते हैं।
मौसमी फल
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बहुत सारे मौसमी फलों में विटामिन-सी पाया जाता है, जैसे- आम, किवी, अनानास और अमरूद। अमरूद में जिंक भी पाया जाता है। जिंक कोलैजेन के निर्माण में विटामिन-सी के साथ को-फैक्टर की तरह काम करता है।
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लहसुन
लहसुन में कई सारे प्राकृतिक गुण होते हैं। लहसुन खाने का जायका बढ़ा देता है। लहसुन में सल्फर पाया जाता है। सल्फर एक जरूरी मिनरल है, जो कोलैजेन के ब्रेकडाउन को रोकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि लहसुन जितना मन करे उतना खा सकते हैं। ज्यादा मात्रा में लहसुन के सेवन से आपके सीने में जलन हो सकती है। लहसुन का कितना सेवन आपको करना चाहिए, इसके लिए अपने डॉक्टर या डायटीशियन से संपर्क कर सकते हैं।
हरी पत्तेदार सब्जियां
हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करने से आप कोलैजेन डायट को अच्छे से फॉलो कर सकते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियां हेल्दी डायट का एक अहम हिस्सा है। हरी पत्तेदार सब्जियों में क्लोरोफिल पाया जाता है। क्लोरोफिल में एंटीऑक्सिडेंट गुण पाए जाते हैं। हरी पत्तेदार सब्जियों में पालक, केल, सलाद की पत्तियां आदि शामिल हैं। कुछ शोध में ये बात सामने आई है कि क्लोरोफिल का सेवन करने से त्वचा में कोलेजन का निर्माण होता है।
बीन्स
बीन्स में ज्यादा मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। साथ ही इसमें अमीनो एसिड की भी थोड़ी मात्रा पाई जाती है। कोलैजेन को सिंथेसाइज होने के लिए अमीनो एसिड की जरूरत होती है। बीन्स में कॉपर और अन्य पोषक तत्व भी कोलेजन के निर्माण में मदद करते हैं।
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काजू
काजू खाना किसे नहीं पसंद होगा। काजू खाने से आपको जिंक और कॉपर मिलता है। जिंक और कॉपर कोलैजेन निर्माण में मददगार हो सकता है। इसलिए आप स्नैक्स में काजू खा सकते है।
टमाटर
टमाटर विटामिन-सी से भरपूर होता है। एक टमाटर में लगभग 30 प्रतिशत महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो कोलैजेन के निर्माण के लिए जरूरी होते हैं। टमाटर में लाइकोपीन भी पाया जाता है। लाइकोपीन त्वचा के लिए फायदेमंद माने जाने वाले एंटी-ऑक्सिडेंट्स में से एक है। इसलिए आप रोजाना दो टमाटर का सेवन कच्चा या पका कर खा सकते हैं।
शिमला मिर्च
शिमला मिर्च को कई तरीकों से खाया जा सकता है। शिमला मिर्च को सलाद या सैंडविच में कई सब्जियों के साथ डाल कर खा सकते हैं। शिमला मिर्च में विटामिन-सी, कैपसाइसीन, एंटी-इंफ्लमेटरी कंपाउंड आदि पाए जाते हैं। जो कोलैजेन का निर्माण करते हैं और एजिंग के कारण चेहरे पर आने वाली झुर्रियों को ठीक करते हैं।
अंडे की सफेदी
अंडे में अन्य जानवरों के अंडे की तरह कनेक्टिव टिश्यू नहीं पाए जाते हैं। अंडे की सफेदी में बहुत ज्यादा मात्रा में प्रोलाइन पाया जाता है। प्रोलाइन एक प्रकार का अमीनो एसिड है, जिसकी मदद से कोलैजेन का निर्माण होता है।
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मछली
अन्य जानवरों के मांस की तरह मछलियों में भी हड्डियां और लिगामेंट्स होते हैं, जो कोलैजेन बनाते हैं। बहुत सारे लोग ये बात मानते हैं कि मरीन कोलैजेन, यानी कि समुद्री जीवों को खाने से मिलने वाला कोलैजेन शरीर में आसानी से सोखा जा सकता है, लेकिन जब हम मछली खाते हैं तो हम सिर्फ उसका मीट का हिस्सा खाते हैं। इस तरह से मछली खाने से हमें पर्याप्त मात्रा में कोलैजेन नहीं मिल पाता है। क्योंकि मछली के सिर, स्केल्स और आईबॉल में कोलैजेन की सबसे अधिक मात्रा रहती है। इसलिए अगर मछली के इन अंगों को खाना चाहिए, ताकि आपको कोलैजेन की पर्याप्त मात्रा मिल सके।
चिकन
चिकन कोलैजेन से भरपूर होता है। यही कारण है कि कोलैजेन के ज्यादातर सप्लीमेंट्स चिकन से बने होते हैं। चिकन का सफेद मांस पूरी तरह से कनेक्टिव टिश्यू से बना होता है। चिकन का सेवन करने से कनेक्टिव टिश्यू हमारे शरीर में जाकर कोलैजेन का ज्यादा मात्रा में निर्माण करते हैं। कुछ अध्ययनों में ये बात सामने आई है कि चिकन की गर्दन और कार्टिलेज खाने से ज्यादा मात्रा में डायट्री कोलैजेन मिलता है। जिसे आर्थराइटिस के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
जानवरों की हड्डियों का शोरबा
चिकन मटन खाने से लोगों को कोलेजन मिलता है। इसलिए पशुओं की हड्डियों से बना शोरबा खाएं। शोरबा बनाने से कोलैजेन के एक्सट्रैक्ट सीधे हमें मिलते हैं। शोरबा में कैल्शियम, मैग्निशियम, फॉस्फोरस, कोलेजन, ग्लूकोसामिन, कॉन्ड्रॉटिन, अमीनो एसिड आदि न्यूट्रिएंट्स पाए जाते हैं।
कोलैजेन डायट के नुकसान क्या हो सकते हैं?
जहां फायदा होता है, वहीं पर नुकसान भी होता है। इसलिए कोलैजेन डायट को लेने से पहले हमें अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। क्योंकि कोलैजेन डायट के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं :
- अंडे और मछलियों के खाने से एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है
- सीने में जलन भी हो सकती है
- कुछ लोगों ने कोलैजेन डायट फॉलो करने के बाद पेट ज्यादा भरा हुआ महसूस किया है और स्वाद को भी बेकार बताया है। वहीं, ज्यादा कोलैजेन के सेवन से त्वचा मोटी हो जाती है और शरीर के अंग भी डैमेज हो सकते हैं।
क्या कोलैजेन सप्लीमेंट्स लेना सुरक्षित है?
ज्यादातर कोलैजेन सप्लीमेंट हाइड्रोलाइजेशन प्रक्रिया से बनाए जाते हैं। हाइड्रोलाइजेशन से कोलेजन हाइड्रोलाइज्ड फॉर्म में बदल जाता है। कोलैजेन का हाइड्रोलाइज्ड फॉर्म हमारे शरीर द्वारा आसानी से अवशोषित कर लिया जाता है। कोलेजन सप्लीमेंट्स हमेशा टैबलेट्स, कैप्सूल और पाउडर फार्म में पाया जाता है। कुछ कोलैजेन सप्लीमेंट्स को इंजेक्शन के द्वारा भी लिया जा सकता है। अगर हर रोज 20 ग्राम से ज्यादा कोलैजेन सप्लीमेंट्स लिया जाता है तो वह हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
कुछ रिसर्च में पाया गया है कि जानवरों के हड्डियों और टेंडॉन से बने कोलैजेन सप्लीमेंट्स में कुछ वायरस हो सकते हैं। इसके अलावा कुछ टॉक्सिक मेटल पाया जा सकता है। इसलिए किसी भी तरह का कोलैजेन सप्लीमेंट्स खरीदने से पहले उसके इन्ग्रिडिएंट्स के बारे में जान लें। बिना डॉक्टर के परामर्श के आप कोलैजेन सप्लीमेंट्स का सेवन न करें।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और कोलैजेन डायट से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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