आपने टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज के बारे में तो सुना ही होगा। लेकिन, क्या आपने डायबिटीज के एक और प्रकार LADA डायबिटीज (LADA Diabetes) के बारे में सुना है? शायद नहीं सुना होगा क्योंकि यह एक सामान्य बीमारी नहीं है। जबकि डायबिटीज दिनोंदिन एक आम बीमारी बनती जा रही है। आज हम आपको बताने वाले हैं LADA डायबिटीज (LADA Diabetes) के बारे में। जानिए क्या है यह डायबिटीज और किस तरह यह अलग है डायबिटीज के प्रकारों से। सबसे पहले जान लेते हैं डायबिटीज के बारे में।
डायबिटीज क्या है? (Diabetes)
डायबिटीज की बीमारी तब होती है जब हमारा ब्लड ग्लूकोज जिसे ब्लड शुगर कहा जाता है, बहुत हाय हो जाता है। ब्लड ग्लूकोज, हमारी एनर्जी का मुख्य स्त्रोत है और यह हमें उस भोजन से मिलता है जिसे हम खाते हैं। इसके साथ ही इंसुलिन वो हॉर्मोन है जो हमारे अग्नाशय द्वारा बनाया जाता है। यह हॉर्मोन, ऊर्जा के लिए उपयोग किए जाने के लिए भोजन से मिले ग्लूकोज को कोशिकाओं में जाने में मदद करता है। कभी-कभी हमारा शरीर पर्याप्त या बिलकुल भी इंसुलिन नहीं बना पाता है। ऐसा भी होता है कि हमारा शरीर इंसुलिन का अच्छी तरह से उपयोग नहीं कर पाता है।
तब यह ग्लूकोज खून में रहता है और कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाता। समय के साथ, रक्त में बहुत अधिक ग्लूकोज होने से डायबिटीज और कई अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि डायबिटीज का कोई इलाज नहीं है। लेकिन डायबिटीज को मैनेज करने और स्वस्थ रहने के कई तरीके हैं। अब जानते हैं LADA डायबिटीज (LADA Diabetes) के बारे में।
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LADA डायबिटीज क्या है? (LADA Diabetes)
LADA का फुल फॉर्म है लेटेंट ऑटोइम्यून डायबिटीज इन एडल्ट्स (Latent Autoimmune Diabetes in Adults), जिसे टाइप 1.5 डायबिटीज के नाम से भी जाना जाता है। यह वो स्थिति है जो टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज दोनों की विशेषताओं को शेयर करती है। इस डायबिटीज का निदान युवावस्था में होता है और यह धीरे-धीरे टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) की तरह सेट हो जाती है। लेकिन टाइप 2 डायबिटीज के विपरीत, LADA एक ऑटोइम्यून बीमारी है और आहार और जीवनशैली में बदलाव से इसका रिवर्सिबल संभव नहीं है। अगर किसी को LADA की समस्या है तो टाइप 2 की तुलना में आपके बीटा सेल अधिक तेजी से काम करना बंद कर सकते हैं।
इस डायबिटीज को कई बार या अक्सर टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) समझा जा सकता है। अगर आपका वजन संतुलित है, आप एक एक्टिव लाइफस्टाइल जी रहे हैं और आपको Type 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) की समस्या है तो ऐसा हो सकता है कि असल में आप LADA डायबिटीज (LADA Diabetes) से पीड़ित हों।
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LADA और अन्य डायबिटीज में क्या अंतर है? (Difference between LADA and other Diabetes)
लेटेंट ऑटोइम्यून डायबिटीज इन एडल्ट्स (Latent Autoimmune Diabetes in Adults) ऑटोइम्यून डायबिटीज का धीरे-धीरे बढ़ने वाला प्रकार है। अन्य ऑटोइम्यून डिजीज (Autoimmune Disease) टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) की तरह LADA डायबिटीज (LADA Diabetes) तब होती है जब हमारा अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन बंद कर देता है। इससे अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचता है। लेकिन, टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) के विपरीत, LADA में , आपको अक्सर निदान होने के बाद कई महीनों से लेकर सालों तक इंसुलिन की आवश्यकता नहीं होगी। कई शोधकर्ता यह मानते हैं कि LADA, टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) का एक सबटाइप है। लेकिन, अधिकतर लोग इसे अलग तरह की डायबिटीज नहीं मानते हैं। अन्य शोधकर्ताओं का मानना है कि LADA टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज के बीच का प्रकार है।
नेशनल इंस्टीटूट्सऑफ हेल्थ (National Institutes of Health) के अनुसार अगर आपमें टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) का निदान होता है और अगर आपका वजन संतुलित है, आप शारीरिक रूप से एक्टिव हैं या आपने हाल ही में बिना किसी प्रयास के आपने अपना वजन कम किया है, तो अपने डॉक्टर से बात करें कि क्या आपका उपचार अभी भी आपके लिए सबसे अच्छा है? शुरू में LADA को ब्लड शुगर को कंट्रोल कर के मैनेज किया जा सकता है। इसके लिए डायट, कम वजन, व्यायाम या ओरल मेडिकेशन आदि मददगार साबित होते हैं। लेकिन, जब शरीर इंसुलिन बनाने की अपनी क्षमता को खोने लगता है, तो ऐसे में आपको इंसुलिन शॉट्स की जरूरत हो सकती है। हालांकि,LADA के बारे में अभी और अधिक रिसर्च करनी जरूरी है, ताकि इसके लिए बेहतरीन ट्रीटमेंट को ढूंढा जा सके।
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LADA डायबिटीज के लक्षण (Symptoms of LADA Diabetes)
LADA डायबिटीज के लक्षण पहले अस्पष्ट हो सकते हैं। LADA के कई लक्षण हो सकते हैं जैसे कीटोएसिडोसिस (Ketoacidosis), जिसके कारण सांस में बदबू और हाय ब्लड प्रेशर होना आदि शामिल हैं। LADA से पीड़ित कुछ लोगों में टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) दोनों के लक्षणों के एक साथ उपस्थित हो सकते हैं। यह लक्षण इस प्रकार हैं
- बहुत अधिक प्यास (Excessive Thirst)
- लगातार पेशाब (Frequent Urination)
- बहुत अधिक भूख (Excessive Hunger)
- बहुत अधिक थकावट (Extreme Fatigue)
- आंखों की रोशनी का धुंधला होना (Blurry Vision)
- कट और नील पड़ना जो धीरे धीरे ठीक होते हैं (Cuts and Bruises that Heal Slowly)
- अधिक खाने के बाद भी वजन का कम होना (Weight Loss)
- हाथों और पैरों में गुदगुदी, दर्द या सुन्नपन (Tingling, Pain, or Numbness in Hands or Feet)
अगर इस समस्या का उपचार न किया जाए तो यह शरीर के लिए हानिकारक हो सकती है। जानिए, क्या हैं इसके कारण?
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LADA के कारण (Causes of LADA)
LADA डायबिटीज (LADA Diabetes) के कारणों को समझने के लिए आपको इस डायबिटीज और अन्य डायबिटीज के बीच में अंतर के बारे में जानना जरूरी है। टाइप 1 डायबिटीज को ऑटोइम्यून कंडीशन माना जाता है क्योंकि यह आपके शरीर द्वारा पैंक्रियाटिक बीटा सेल्स (Pancreatic Beta Cells) को नष्ट करने का परिणाम है। यह वो सेल हैं जो शरीर को इंसुलिन बनाने में मदद करते हैं। इंसुलिन वो हॉर्मोन है जो शरीर में ग्लूकोज को स्टोर करते हैं। जिन लोगों को टाइप 1 डायबिटीज होती है उन्हें जीवित रहने के लिए इंसुलिन को इंजेक्ट करना पड़ता है।
टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) को मुख्य रूप से शरीर द्वारा इंसुलिन के प्रभाव को रेसिस्ट करने की विशेषता माना जाता है। इंसुलिन रेजिस्टेंस का कारण जेनेटिक हो सकता है या इसके पीछे कई एनवायर्नमेंटल फैक्टर भी हो सकते हैं जैसे डायट में कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा अधिक होना, कम एक्टिविटी या मोटापा। टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) को जीवन में बदलाव या ओरल मेडिकेशन द्वारा मैनेज किया जा सकता है। लेकिन शरीर की शुगर को कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन की भी जरूरत होती है।
LADA के कारणों में जेनेटिक फैक्टर भी शामिल हो सकते हैं जैसे ऑटोइम्यून कंडीशंस की फैमिली हिस्ट्री। जब इस स्थिति में अग्नाशय को नुकसान होता है, तो शरीर पैंक्रियाटिक बीटा सेल्स (Pancreatic Beta Cells) को नष्ट कर देता है। जैसा टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) में होता है। अगर LADA डायबिटीज (LADA Diabetes) से पीड़ित व्यक्ति मोटा है या उसका वजन अधिक है तो इंसुलिन रेजिस्टेंस भी हो सकती है।
LADA का कारण पैंक्रियाटिक सेल्स (Pancreatic Cells) इंसुलिन या अग्नाशयी कार्यों में शामिल एंजाइमों के खिलाफ ऑटोएंटीबाडीज (Autoantibodies) का विकास है। अग्नाशय और उसके फंक्शन को प्रभावित करने वाली एंटीबॉडीज, शरीर के ब्लड शुगर के प्रति प्रतिक्रिया करने के तरीके को प्रभावित कर सकते हैं। LADA के विकसित होने से सम्बन्धित कुछ रिस्क फैक्टर्स भी हैं, जो इस प्रकार हैं:
- मोटापा या अधिक वजन (Obesity or Excessive Weight)
- लो बर्थ वेट (Low Birth Weight)
- लो फिजिकल एक्टिविटी (Low Physical Activity)
- शोधकर्ताओं के अनुसार जिन लोगों में यह मल्टीपल रिस्क फैक्टर होते हैं। उनमें LADA के विकसित होने की संभावना अधिक होती है जैसे लो बर्थ वेट और एडल्ट ओवरवेट।
- साइकोसोशल स्ट्रेस (Psychosocial Stress) भी LADA के विकसित होने का एक रिस्क फैक्टर हो सकता है
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LADA डायबिटीज का निदान कैसे होता है? (Diagnosis of LADA Diabetes)
LADA डायबिटीज (LADA Diabetes) युवावस्था में होती है और इसे अधिकतर टाइप 2 डायबिटीज समझ लिया जाता है। लेकिन, अधिकतर लोग जो इससे पीड़ित होते हैं उनकी उम्र चालीस से अधिक होती है और कुछ लोग सत्तर या अस्सी उम्र में भी इस समस्या का अनुभव कर सकते हैं। इस डायबिटीज के निदान में कुछ समय लग सकता है क्योंकि अधिकतर लोग इसे टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) समझ लेते हैं। टाइप 2 ट्रीटमेंट जैसे मेटफोर्मिन (Metformin)भी इस डायबिटीज के लक्षणों को मैनेज करने में मददगार साबित हो सकती है। आमतौर पर इस समस्या से पीड़ित लोगों को टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) के मुकाबले इंसुलिन की अधिक जरूरत होती है और उनमें ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए दवाईयों का रिस्पांस पुअर होता है। LADA डायबिटीज (LADA Diabetes) से पीड़ित लोग:
- मोटे नहीं होते
- निदान के समय उनकी उम्र 30 से अधिक नहीं होती।
- ओरल मेडिकेशन या लाइफस्टाइल और डायटरी बदलावों से डायबिटीज के लक्षण मैनेज करने में सक्षम नहीं होते।
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LADA के लिए टेस्ट (Tests For LADA)
किसी भी तरह की डायबिटीज के निदान के लिए यह टेस्ट कराने जरूरी हैं:
- फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोस टेस्ट (Fasting Plasma Glucose Test) : यह टेस्ट रोगी से खून का सैंपल ले कर किया जाता है, इस टेस्ट से पहले रोगी को आठ घंटे तक भूखा रहना पड़ता है।
- ओरल ग्लूकोज टोलेटरन्स टेस्ट (Oral Glucose Tolerance Test) : इस टेस्ट में भी खून का सैंपल ले कर किया जाता है। इस टेस्ट से पहले रोगी को आठ घंटे फास्ट रखना पड़ता है और टेस्ट से दो घंटे पहले हाय ग्लूकोज वाला पेय पीना पड़ता है।
- इसके साथ ही रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट (Random Plasma Glucose Test) और खास एंटीबॉडी के लिए एक और ब्लड टेस्ट किया जा सकता है। जानिए कैसे संभव है इस समस्या का उपचार।
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LADA का उपचार कैसे किया जाता है? (Treatment of LADA Diabetes)
LADA डायबिटीज (LADA Diabetes) शरीर में पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करने के परिणामस्वरूप होती है। लेकिन, चूंकि इसकी शुरुआत धीरे-धीरे होती है, ओरल मेडिकेशन्स जो टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) का इलाज करती हैं, शुरुआत में इसका इलाज करने के लिए काम कर सकती हैं। हालांकि, इसके लिए कुछ खास इलाज नहीं है। लेकिन, उपचार का लक्ष्य पैंक्रियाटिक सेल फंक्शन (Pancreatic Cell Function) को प्रिज़र्व करना है। ऐसा करने के लिए, रोगी को इंसुलिन इंजेक्शन भी दिए जा सकते हैं।
कुछ एंटीडायबिटिक दवाईयां भी पैंक्रियाटिक सेल डिस्ट्रक्शन (Pancreatic Cell Destruction) को धीमा करने में मदद कर सकती हैं। जिसमे DPP-4 इन्हिबिटर्स (DPP-4 Inhibitors) और ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट (Glucagon-Like Peptide-1 Receptor Agonists) शामिल हैं। इंसुलिन ट्रीटमेंट भी इस डायबिटीज के लिए बेहतरीन है। हालांकि, डॉक्टर रोगी के लक्षणों के अनुसार अलग उपचार की सलाह दे सकते हैं।
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LADA डायबिटीज से जुडी जटिलताएं क्या हैं? (Complications of LADA Diabetes)
डायबिटीज से पीड़ित लोग इस समस्या के कारण अधिक प्यास या भूख और लगातार पेशाब की समस्या महसूस कर सकते हैं। अगर ऐसा है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। LADA डायबिटीज (LADA Diabetes) से जुडी कुछ जटिलताएं इस प्रकार हैं:
- किडनी डैमेज (Kidney Damage)
- नर्व डैमेज (Nerve damage)
- आंख और विजन के डिसऑर्डर (Disorders of the Eye and Vision)
- कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक इस समस्या से पीड़ित लोगों को टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) से पीड़ित लोगों के मुकाबले अधिक कार्डिओवैस्कुलर स्थितियां को सामान करना पड़ता है। इन लोगों का ब्लड कोलेस्ट्रॉल भी टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगो से अधिक होता है।
- डायबिटिक कीटोएसिडोसिस (Diabetic Ketoacidosis) LADA से जुडी एक कम्प्लीकेशन है और डायबिटिक कीटोएसिडोसिस केटोएसिडोसिस के कारण डायबिटीज कोमा भी हो सकता है।
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LADA डायबिटीज (LADA Diabetes) के साथ रहने वाले लोगों में टाइप 2 मधुमेह (Type 2 Diabetes) के खास लक्षण हो सकते हैं। लेकिन, उनका शरीर एंटीबॉडी का उत्पादन करता है, जो शरीर द्वारा ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के तरीके को प्रभावित करते हैं। LADA से प्रभावित लोग इंसुलिन इंजेक्शन या अन्य दवाइयों का प्रयोग कर के ब्लड शुगर को कंट्रोल कर सकते हैं और अग्नाश्य में होने वाले नुकसान को भी कम कर सकते हैं। अभी इस समस्या से बचाव का कोई तरीका नहीं है। लेकिन, टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) की तरह ही कुछ जेनेटिक फैक्टर है जो इस कंडीशन को बदतर बनाने के मददगार है।
इसके जल्दी निदान और सिम्पटम्स को मैनेज करके कम्प्लीकेशन से बचा जा सकता है। इसके साथ ही अपने जीवनशैली में बदलाव ला कर भी आप डायबिटीज को मैनेज कर सकते हैं जैसे सही आहार का सेवन, व्यायाम, तनाव से बचना, पर्याप्त नींद आदि। अगर आपको इसका कोई भी लक्षण नजर आता है तो तुरंत मेडिकल हेल्प लेना भी जरूरी है।
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