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World Forestry Day: किसी वरदान से कम नहीं है ये जानिए जड़ी बूटियों के फायदे

World Forestry Day: किसी वरदान से कम नहीं है ये जानिए जड़ी बूटियों के फायदे

प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को विश्व भर में ‘अंतरराष्ट्रीय वन दिवस’ मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य वन संरक्षण के प्रति जागरुकता फैलाना है। हर साल जंगलों में आग लगने की वजह से सैकड़ों हेक्टेयर वन भूमि आग की भेंट चढ़ रही है। इसमें न जाने कितनी बेशकीमती जड़ीबूटियां नष्ट हो गई हैं। वहीं बढ़ती आबादी के कारण अंधाधुंध वृक्ष काटे जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय वन दिवस के मौके पर जानते हैं कुछ ऐसी जड़ी बूटियों के फायदे (Benefits of herbs) के बारे में बताएंगे जो आसानी से उपलब्ध हो सकें। इनमें कई जड़ी बूटियां तो ऐसी भी हैं जिन्हें आप अपने घर पर भी लगा सकते हैं।

आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है, जिसमें 1200 से ज्यादा औषधीय जड़ी बूटियों का वर्णन है। इन सभी जड़ी बूटियों को सेहत का खजाना माना जाता है। हर जड़ी बूटी में स्वास्थ्य के कई गुण समेटे हुए होते हैं। इसका उद्देश्य मन, शरीर और आत्मा को संतुलन में रखकर स्वास्थ्य को बनाए रखना है।

जड़ी बूटियों के फायदे (Benefits of herbs) : त्रिफला (Triphala)

त्रिफला एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। सालों से भारत में इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जा रहा है। त्रिफला तीन हर्ब्स का मिश्रण है। इसमें आंवला (amla), हरड़ (myrobalan) और बहेड़ा (belleric) शामिल हैं। कई अध्ययनों के अनुसार, त्रिफला में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स के उत्पादन को सीमित करते हैं। साथ ही इससे शरीर को होने वाले नुकसान को रोकते हैं। इसके अलावा त्रिफला हृदय रोग से लेकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को रोकने के लिए गुणकारी माना जाता है। कब्ज में इसका चूर्ण खाने की सलाह दी जाती है। यह आंतों की सफाई के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। यह एक विरेचक है जो मल को आसानी से निकालने में मदद करता है। आंतों की सफाई के साथ यह आमदोष को भी दूर करता है।

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जड़ी बूटियों के फायदे (Benefits of herbs) : गिलोय (Giloy)

गिलोय को अमृता के नाम से भी जाना जाता है। इसके नाम में ही इसके गुणों की व्याख्या होती है। गिलोय की बेल ज्यादातर घरों में पाई जाती है। यह आसानी से कहीं भी लगाई जा सकती है। इसके तने के रस को निकालकर काढ़ा बनाकर पेय के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। स्वाद में यह बहुत कड़वा होता है। प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए इसे काफी फायदेमंद माना जाता है। इसका इस्तेमाल आर्थराइटिस, गाउट, त्वचा रोग, हृदय रोग आदि में किया जाता है। डेंगू के बुखार में भी इसे लेने की सलाह दी जाती है। प्लेटलेट्स की घटी मात्रा को नॉर्मल करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है।

 गुग्गुल (Guggul)

जड़ी बूटियों के फायदे (Benefits of herbs) चाहिए, तो आप गुग्गुल का इस्तेमाल कर सकते हैं। आयुर्वेद में गुग्गुल का प्रयोग पौराणिक समय से कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए किया जाता है। यह जड़ीबूटी भारत, बंगलादेश और पाकिस्तान में पाई जाती है। औषधीय गुणों से भरपूर गुग्गुल का उपयोग कई दवाओं में किया जाता है। हेल्दी स्किन जोड़ों में फ्रीली मूवमेंट, सूजन को दूर करने और टिश्यूज के डिटॉक्सिफिकेशन को बढ़ावा देने के लिए शरीर के बाहरी हिस्से पर इसका पेस्ट लगाया जाता है। दांत और मसूड़ों को स्वस्थ रखने के लिए इसको गार्गल के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।

इसके तने में से सफेद रंग के दूध जैसा पदार्थ निकलता है जो स्वास्थ्य के लिए कई तरफ से लाभकारी होता है। यह पौधा बारिश के मौसम में वृद्धि करता है। सर्दी और गर्मी के मौसम इसका विकास रूक जाता है। 2009 में 43 वयस्कों पर किए गए एक शोध में पाया गया कि जो लोग कैप्सूल के फॉर्म में 2160 मिलीग्राम गुग्गुल लेते हैं उनका कोलेस्ट्रॉल लेवल, प्लेसिबो दवाई लेने वाले लोगों की तुलना में काफी हद तक कम हुआ। 2007 में ह्यूमन सेल्स पर हुई स्टडीज के मुताबिक गुग्गुलस्टेरोन (गुग्गुल में पाया जाने वाला एक कंपाउड) प्रोस्टेट कैंसर के सेल्स को कम करता है।

जड़ी बूटियों के फायदे: अश्वगंधा (Ashwagandha)

अश्वगंधा आयुर्वेद में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली औषधि है। भारत में लगभग तीन हजार सालों से इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक उपचार में होता आ रहा है। आमतौर पर इसकी फसल भारत में ही की जाती है। यह स्ट्रेस हारमॉर्न को संतुलित, थकान को दूर और ऊर्जा बढ़ाने के लिए अच्छा माना जाता है। इसकी जड़ को सुखाकर चूर्ण बनाकर उपयोग में लाया जाता है। कुछ लोग इसका उपयोग सोचने की क्षमता में सुधार, दर्द और सूजन को कम करने के लिए करते हैं। यह ट्यूमर कोशिकाओं को नष्ट करने में भी मदद करता है। इसके अलावा यह कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करके हृदय रोग के जोखिम को कम करता है।

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 ब्राह्मी (Brahmi)

जड़ी बूटियों के फायदे (Benefits of herbs) चाहिए, तो आप ब्राह्मी का इस्तेमाल कर सकते हैं। ब्राह्मी को दिमाग के टॉनिक के रूप में जाना जाता है। यहां तक कि इसकी पत्तियां भी मस्तिष्क की तरह दिखती है। यह यादाश्त को बढ़ाता है। इसे नर्व टॉनिक के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह नर्व सेल्स को पोषण प्रदान करता है। इस औषधीय पौधे का इस्तेमाल मेमोरी लॉस, हाई ब्लड प्रेशर, नींद की समस्या, खांसी, हेयरफॉल, यूरिनरी डिसऑर्डर, ब्लड डिसऑर्डर, हिस्टीरिया, मिर्गी आदि के लिए किया जाता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं जो कैंसर सेल्स को बढ़ाने वाले तत्वों को जड़ से खत्म कर देता है। गठिया दर्द से परेशान लोगों के लिए इसे काफी उपयोगी माना जाता है।

जड़ी बूटियों के फायदे: जीरा (Cumin)

जीरा का इस्तेमाल हर घर में मसाले के तौर पर किया जाता है। यह एक एरोमेटिक हर्ब है, जो पुराने समय से ग्रीक, रोमन और मिस्त्र संस्कृति का हिस्सा रहा है। आयुर्वेद में कई दवाओं में इसका इस्तेमाल दवा बनाने के लिए किया जाता है। डायजेशन संबंधित परेशानियों के लिए इसे बेहद उपयोगी माना जाता है। इसके साथ ही यह डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल को मेंटेन करता है। इसमें आयरन होता है जिस वजह से एनीमिया के पेशेंट्स के लिए भी इसे गुणकारी माना जाता है। इसके अलावा यह थकान और तनाव को कम करता है।

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 घृतकुमारी (Aloe vera)

जड़ी बूटियों के फायदे (Benefits of herbs) चाहिए, तो आप घृतकुमारी का इस्तेमाल कर सकते हैं। एलोवेरा (घृतकुमारी) एक पौधा है जो कई रोगों के इलाज के लिए अत्यंत उपयोदी है। इसकी पत्तियों में से गूदा निकालकर त्वचा रोगों को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है। पाचन संबंधी रोगों और अर्थराइटिस के इलाज के लिए भी इसको फायदेमंद माना जाता है। जिन महिलाओं के मासिक धर्म में अनियमितता रहती है उन्हें भी इसका इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है। एक शोध के अनुसार, इसका इस्तेमाल मिर्गी के दौरे (seizures), कोलाइटिस, अवसाद, मधुमेह, अस्थमा, जुकाम, मोतियाबिंद, बवासीर, ऑस्टियोआर्थराइटिस, आंखों की समस्या और कैंसर जैसी बीमारियों में किया जाता है।

जड़ी बूटियों के फायदे: तुलसी (Basil)

तुलसी को आयुर्वेद में जड़ी बूटियों की रानी कहा जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर यह पौधा भारत में लगभग सभी घरों में आसानी से मिल जाएगा। इसमें एंटी-फंगल, एंटी-पायरेटिकस, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-सेप्टिक, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-कैंसर गुण पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों, तना और जड़ का इस्तेमाल कई बीमारियों की दवा बनाने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग भूख न लगना, फ्लूइड रिटेंशन, जुकाम, वॉर्ट्स, पेट में ऐंठन, गैस, किडनी संबंधित परेशानी और पेट के कीड़ों के इलाज के लिए किया जाता है। सांप और कीट के कांटने पर भी इसे उपयोगी माना जाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी यह मददगार है।

जड़ी बूटियों के फायदे: हल्दी (Turmeric)

हल्दी भारत में सर्वाधिक मसालों में एक है। लगभग हर घर में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसकी जड़ का प्रयोग कई दवाओं में किया जाता है। त्वचा रोगों, अपच, अल्सर, गॉलब्लेडर डिसऑर्डर, अर्थराइटिस, रक्तशोधक, आदि में इसका प्रयोग किया जाता है। दुनियाभर में कई प्रकार के कैंसर के इलाज में भी इसके प्रभावजनक परिणाम सामने आए हैं। इसमें करक्यूमिन (curcumin) नामक केमिकल पाया जाता है, जोकि सूजन को कम करता है। यही कारण है कि सूजन को दूर करने के लिए इसे लेने की सलाह दी जाती है।

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जड़ी बूटियों के फायदे: मंजिष्ठा (Manjistha)

मजीठ पौधे की जड़ को मंजिष्ठा कहते हैं। इस पौधे का वानस्पातिक नाम रूबिया कॉर्डिफोलिया एल (Rubia Cordifolia L) है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल कई रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। डायबिटीज, हृदय रोग और कैंसर की रोकथाम के लिए इसे रामबाण माना जाता है। वजन कम करने के लिए इसका काढ़ा पीने की सलाह दी जाती है। पथरी के उपचार में भी इसे उपयोगी माना जाता है। मंजिष्ठा गुर्दे (किडनी) और पित्त की थैली की पथरी के इलाज में लाभकारी होती है।

आंवला (Gooseberry)

जड़ी बूटियों के फायदे (Benefits of herbs) चाहिए, तो आप आंवला का इस्तेमाल कर सकते हैं।आंवला का पौधा भारत, मध्य पूर्व और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में पाया जाता है। हजारों सालों से इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाओं में किया जा रहा है। एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर यह फल स्वाद में खट्टा होता है। इसमें फासफोरस, कैल्शियम, फोलिक एसिड, पोटैशियम, आयरन, कैरोटीन और मैग्नीशियम पाए जाते हैं। आमतौर पर इसका इस्तेमाल हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, पैनक्रियाज में सूजन, धमनियों को मजबूत करने के लिए, ऑस्टियोअर्थराइटिस, मोटापा आदि के उपचार के लिए किया जाता है।

जड़ी बूटियों के फायदे: अशोक (Arjuna)

अशोक की छाल कार्डियोवैस्क्युलर बीमारियों के लिए बेहद गुणकारी होती है। कई शोध में भी इससे होने वाले फायदों की पुष्टी की गई है। इसका इस्तेमाल हृदय, दाहहर, श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर तथा अपच में किया जाता है। इसके चूर्ण को गर्म पानी में मिलाकर लेने के लिए कहा जाता है। स्त्रीरोग की समस्याओं में यह टॉनिक के रूप में कार्य करता है। मासिक धर्म में बहुत ज्यादा खून बहने की समस्या में अशोक की छाल का काढ़ा दिया जाता है। इसका इस्तेमाल करने से मासिक धर्म की अनियमितता की परेशानी भी दूर हो जाती है।

आमतौर पर आयुर्वेदिक हर्ब का सीमित मात्रा में सेवन सुरक्षित माना जाता है। बहुत सारे शोध में भी इसकी पुष्टी हो चुकी है। हालांकि, कभी भी बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं और ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। कभी भी इसकी खुराक खुद से निर्धारित करने की गलती न करें। सावधानी के लिए किसी भी हर्ब का इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से जरूर कंसल्ट करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Herbs and its benefits: https://www.verywellhealth.com/popular-ayurvedic-herbs-88822 Accessed March 03, 2020

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Herbs Benefits: https://www.researchgate.net/publication/30387048_Health_benefits_of_herbs_and_spices_Public_Health  Accessed March 03, 2020

Herbal Medicine: https://www.healthline.com/nutrition/herbal-medicine  Accessed March 03, 2020

Herbal Supplements: https://www.mayoclinic.org/healthy-lifestyle/nutrition-and-healthy-eating/in-depth/herbal-supplements/art-20046714  Accessed March 03, 2020

Current Version

25/08/2021

Mona narang द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Bhawana Awasthi


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Mona narang द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/08/2021

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