आज की भागदौड़ भरी जिंदगी और जीवनशैली की वजह से कभी न कभी हर किसी ने स्ट्रेस का सामना किया होगा। हालात यह हैं कि, आजकल बच्चों में भी स्ट्रेस की समस्या देखी जा रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्ट्रेस है क्या? दरअसल, स्ट्रेस शारीरिक प्रतिक्रिया है, जो कि किसी शारीरिक, रासायनिक और भावनात्मक कारण की वजह से होती है। इसमें शारीरिक व मानसिक बेचैनी, चिड़चिड़ापन, गुस्सा आदि पैदा होता है और आपका शारीरिक स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है। जिससे अन्य स्वास्थ्य समस्याएं (Health problem) पैदा हो सकती हैं।
स्ट्रेस (Stress) या तनाव होना सामान्य बात है। लेकिन मुश्किल तब होती है, जब इसकी स्थिति बिगड़ती जाती है। स्ट्रेस होने पर एड्रेनालाईन (Adrenaline) हमारे पूरे शरीर में दौड़ने लगता है। जिसके कारण धड़कन तेज होने लगती हैं। मानसिक और शारीरिक चेतना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। एसी स्थिति में कई शरीरिक समस्याएं हाेने लगती हैं। जिसके कारण घबराहट, पसीना आना और शरीर में कंपन महसूस होने लगता है। तनाव ज्यादा समय तक बने रहना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।
जैसे कि इसका प्रभाव लंबे समय तक बना रहे तो ये हमारे इम्यून सिस्टम (Immune system) और हृदय के लिए घातक बन सकता है। इसके अलावा मानसिक क्षमता भी प्रभावित होती है। कई बार तो सोचने और समझने की क्षमता भी कम हो जाती है। तनाव उस समय और भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सतका है, जब आपको हर बार आर या पर जैसी स्थिति महसूस होने लगती है।
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स्ट्रेस मुख्यतः दो प्रकार का होता है। जैसे-
यह लघु अवधि का स्ट्रेस होता है। यह अचानक हुई घटनाओं के कारण हो सकता है, जैसे यदि आपका किसी दोस्त या फैमिली मेंबर से झगड़ा हो गया हो या आपके सामने अचानक कोई खतरा आ गया हो आदि। यह किसी नयी चीज या स्थिति का सामना करने पर भी हो सकता है। लेकिन, यह स्थिति गुजरने के बाद खत्म हो जाता है।
इस तरह का स्ट्रेस तब होता है, जब आपको तनावग्रस्त कई स्थितियों से बार-बार गुजरना पड़ रहा होता है। जैसे कि, जिंदगी में एक के बाद एक कई उतार-चढ़ाव होना, सेना, राजनीति जैसी किसी चुनौतीपूर्ण नौकरी करना आदि। लेकिन, यह भी एपिसोड या स्थिति गुजरने के बाद खत्म होने लगता है। लेकिन, लंबे समय तक चलने पर यह खतरनाक हो सकता है।
इस बारे में फोर्टिस अस्पताल मुलुंड के न्यूरोलॉजी विभाग के सलाहकार डॉ धनुश्री चोंकर का कहना है कि तनाव के दौरान दिमाग में आने वाली नकारात्मक सोच कई हेल्थ रिस्क को बढ़ा सकती है। नकारात्मक प्रभाव संकट के रूप में जाना जाता है। सकारात्मक या नकारात्मक स्थिति, तनाव की धारणा पर निर्भर करती है, साथ ही उनके नियंत्रण की भावना और सामना करने की क्षमता पर निर्भर करती है। लंबे समय तक तनाव बने रहना संकट की ओर ले जाता है।जो बदले में हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। कई अध्ययनों ने खराब शारीरिक स्वास्थ्य और स्ट्रेस के बीच एक मजबूत संबंध पाया है। जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली यानि कि इम्यूनिटी को भी प्रभावित करता है। बढ़ता तनाव, कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम, तंत्रिका तंत्र और न्यूरो-एंडोक्राइन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। यह ग्लूकोज को चयापचय करने के लिए शरीर की क्षमता को कम करता है। कई बार बढ़ते तनाव के कारण भी शरीर में इंसुलिन का निमार्ण नहीं हो पाता है। तनाव से बचने के लिए मेडिटेशन सबसे अच्छा उपाय है।
जब आपके शरीर में तनाव का स्तर काफी लंबे समय तक उच्च रहता है, तो आपमें क्रॉनिक स्ट्रेस की समस्या पैदा हो जाती है। इस प्रकार का स्ट्रेस आपके शरीर के लिए काफी खतरनाक हो सकता है और दिल की बीमारी, स्ट्रोक, हाई ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन, ऑटोइम्यून डिजीज, अचानक वजन घटना, स्किन डिजीज, नींद संबंधित समस्या जैसी घातक बीमारियों का कारण भी बन सकता है। इसकी वजह से आप बार-बार बीमार भी पड़ सकते हैं।
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स्ट्रेस की वजह से आपको विभिन्न लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है और यह लक्षण इतने आम होते हैं कि, जल्दी से इन पर ध्यान भी नहीं जाता। इसके अलावा, धीरे-धीरे यह लक्षण गंभीर होते जाते हैं और काफी खतरनाक साबित भी हो सकते हैं। आइए, स्ट्रेस के लक्षणों के बारे में जानते हैं।
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स्ट्रेस के लक्षण हर किसी मरीज में अलग-अलग हो सकते हैं। इसके अलावा, यह लक्षण अन्य कारणों से भी हो सकते हैं। इसलिए, अगर आपको तनाव के लक्षणों को लेकर कुछ सवाल या शंका है, तो अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।
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स्ट्रेस के पीछे विभिन्न स्थितियां या कारण हो सकते हैं। इसमें किसी चीज का खतरा, किसी स्थिति या व्यक्ति का सामना करने का डर, रिश्ता टूटने या उसमें लड़ाई, जिंदगी में बड़ा बदलाव, आर्थिक समस्याएं, ऑफिस स्ट्रेस, बच्चे या फैमिली से जुड़े कारण, कोई क्रॉनिक बीमारी से जूझना, किसी अपने की मृत्यु या भविष्य की चिंता जैसी अनेक स्थितियां शामिल हो सकती हैं। इन स्थितियों की वजह से हमारे शरीर में मौजूद हार्मोन में असंतुलन पैदा होता है। इन हार्मोन को स्ट्रेस हार्मोन भी कहा जाता है।
जब आपको किसी खतरे का एहसास होता है, तो आपके दिमाग के बेस पर मौजूद हाइपोथैलामस प्रतिक्रिया करता है और वह आपके एंड्रेनल ग्लैंड तक संकेत और हॉर्मोन भेजता है। यह हार्मोन आपको खतरे का सामना करने के लिए तैयार करता है, जिसे एंड्रेनालाईन कहा जाता है। हालांकि, यह मुख्य स्ट्रेस हार्मोन नहीं है। कॉर्टिसोल मुख्य स्ट्रेस हार्मोन होता है, जो कि उच्च तनावग्रस्त स्थितियों में पैदा होता है। यह लंबे समय तक रहने पर आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
स्ट्रेस लंबे समय तक बना रहने के कारण हमारे हृदय के लिए घातक बन सकता है। कई बार ये हार्ट अटैक का कारण भी हो सकता है। वैसे तो तनाव के बहुत सारे कारण हो सकते हैं। लेकिन जरूरी ये है कि हमें समस्याओं का समाधान निकालना जरूरी है।
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स्ट्रेस का पता लगाने के लिए कोई निर्धारित टेस्ट उपलब्ध नहीं है। यह ऐसी मानसिक व शारीरिक प्रतिक्रिया है, जिससे अनेक शारीरिक व मानसिक संकेत देखने को मिलते हैं। इन संकेत व लक्षणों को पहचानने के बाद डॉक्टर आपमें तनाव की पुष्टि कर सकता है या बेहतर पता करने के लिए किसी मनोवैज्ञानिक के पास काउंसलिंग के लिए भेज सकता है। जिसमें आमने-सामने बात करके व्यक्ति की मनोस्थिति के बारे में पता लगाया जा सकता है। इस प्रकार के कुछ लक्षणों की तरफ भी ध्यान दें, जैसे कि-
स्ट्रेस को नियंत्रित करने के लिए आपको निम्नलिखित तरीकों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे-
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स्ट्रेस मैनेजमेंट (Stress management) के दौरान अपने शारीरिक संकेतों को पहचानने के लिए खुद को प्रशिक्षित करें। शायद आपकी गर्दन अकड़ जाती है, आपके पेट में दर्द होता है या आपकी हथेलियों से पसीना आता है। आपके शरीर के अंदर क्या हो रहा है, ये सभी लक्षण आपके स्ट्रेस के कारण हो सकते हैं। जिस मिनट आप स्ट्रेस महसूस करने लगते हैं, आपकी नाड़ी तेज हो जाती है, आपका दिल तेजी से धड़कने लगता है और शरीर में हाॅर्मोन कोर्टिसोल (Cortisol) और एड्रेनालाइन (Adrenaline) सहित रिलीज हो जाता है। यदि आप अपने अंदर के संकेतों को पहचान सकते हैं, तो उन्हें अनदेखा करने के बजाए आपको सही उपचार की तरफ फोकस करना चाहिए।
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ज्यादातर ऑफिस में लोगों का रक्तचाप (blood pressure) काम करते समय बढ़ जाता है क्योंकि बॉस या सहकर्मी कुछ महत्वपूर्ण काम करने का एक्सट्रा बर्डन दे देते हैं। आप सफल होना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में स्ट्रेस पैदा होना जाहिर सी बात है। अत्यधिक वर्क लोड के दौरान आप परेशान करने वाली बातों को खुद से कहीं और शिफ्ट करें और काम को आगे बढ़ने के एक अवसर के रूप में देखें। अपना ध्यान बढ़ाएं और वास्तव में किसी भी समस्या को खुद पर हावी होने न दें।
जब आप स्ट्रेस में होते हैं, तो आपके सिर के अंदर की आवाज तेज, डरावनी और लगातार हो जाती है। यह आपको बताता है “मैं बहुत गुस्से में हूं,” या “मैं ऐसा कभी नहीं कर पाऊंगा।” इस नकारात्मक आवाज को खुद से दूर रखने के लिए “अपने आप से लॉजिकल और शांत स्वर में बात करें। इस स्थिति में खुद के अंदर सकारात्मकता को इंजेक्ट करने की कोशिश करें”। खुद से बात करें और समस्या का हल ढूंढने की कोशिश करें। गर्मा गर्मी में आप कई बार चीजों को खराब कर बैठते हैं इसलिए बेहतर होगा कि शांत मन से खुद से सवाल करें और कोई हल निकालने की कोशिश करें।
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स्ट्रेस को कम करने के लिए गहरी सांस लेना कमाल की सरल रणनीति है। जब आप चिंतित महसूस करते हैं, तो आपकी सांस छोटी और अधिक अनियमित होने लगती है। पेट का ध्यान रखते हुए तीन बड़ी सांसें लेना और छोड़ना आपके पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम के लिए अच्छा है। आप ऐसा तब भी कर सकते हैं, जब आप अपने कंधों को नीचे कर रहे हों, अपनी गर्दन को घुमा रहे हों या अपने कंधों को घुमा रहे हों। गहरी सांस लेने से स्ट्रेस के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है।
आपको अकेले ऑफिस में नर्व-वेकिंग मोमेंट्स का सामना नहीं करना चाहिए। हर किसी को कुछ खास लोगों पर भरोसा करने की जरूरत है, जिन्हें वे दबाव महसूस होने पर बुला सकते हैं। ऐसे व्यक्ति का चयन सावधानी से करें। आप ऐसे इंसान से अपने संर्पक को हमेशा बनाए रखें, जिसके सामने आप दिल खोल कर अपनी बात कह सकें और जो आपके प्रश्नों का हल खोजने में आपकी मदद कर सकें। ऐसे किसी का साथ मिलने से आप कुंठाओं को बाहर निकालने और फिर से संगठित होने में कामयाब हो जाते हैं।
आपको महत्वपूर्ण कार्यों को प्राथमिकता देने वाली टू-डू लिस्ट बनानी चाहिए। एक तरह से ये स्ट्रेस से मुकाबला करने का दूसरा तरीका है। लेखन का कार्य मन को केंद्रित करता है। आपको जो कुछ भी करने की जरूरत है, उसे लिखें और उस पर अमल करने की कोशिश करें। स्ट्रेस को दूर करने में ये एक्सरसाइज आपकी बहुत मदद करती है।
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क्यों न हम अपने दिन की शुरुआत एक पॉजिटिव एटीट्यूड, अच्छे प्लानिंग के साथ करें? ऐसा करके न सिर्फ अनचाही स्थितियों से निपटा जा सकता है, बल्कि वर्कप्लेस स्ट्रेस को भी हैंडल करना आसान होगा। आप कल से अपने दिन की शुरुआत इस एक्सरसाइज से करके देखें आपको खुद में बहुत बदलाव महसूस होगा।
बेहतर टाइम मैनेजमेंट के बहुत फायदे हैं।6च यह हमें फोकस रखता है, प्राथमिकताओं का बोध कराता है और स्ट्रेस (stress) को भी कम करता है। अपने प्लानिंग में कुछ रिजर्व समय भी रखें, ताकी किसी बिगड़ी बात या काम को समय रहते रिपेयर कर सकें। समय का उचित प्रबंधन करना बेहद जरूरी है। इससे आपका स्ट्रेस कम होने में मदद होगी।
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ये बात समझ लें कि हर इंसान मल्टीटास्किंग नहीं होता। ये दो नाव पर सवारी करने वाली बात है। इसलिए, जिन कामों में आप बेहतर हैं उसमें अपना पूरा योगदान दें। बहुत कुछ सीखने और करने में जो काम आता है, उसे भी भूल जाने का खतरा रहता है। इसलिए अपने काम को बेहतर तरीके से करने के लिए पूरी तरह उस पर फोकस करें।
अपने काम के प्रति ईमानदार और फोकस रहें। इस बात के लिए हमेशा कंर्फम रहिए कि आपको क्या चाहिए। अक्सर तीन पांच और काम के परिणाम के प्रति अनिश्चिता अक्सर स्ट्रेस का कारण बनती है।
ऐसे किसी भी काम से बचिए जिसे आप जबरदस्ती कर रहे हों। ये काम आपके स्ट्रेस को बढ़ा सकते हैं और कार्य क्षमता को भी घटा देते हैं।
वर्क लोड अक्सर स्ट्रेस को ट्रिगर करने और सेहत को खराब करने का कारण बनता है। यह हमारी काम करने की क्षमता को भी घटा देता है। यह निजी संबंधों पर भी बुरा असर डालता है। ऐसे में एक सच्चा साथी नया दृष्टिकोण समझने में मददगार होता है। आप इस तरह से स्ट्रेस मैनेजमेंट करके खुद को स्ट्रेस से बाहर निकाल सकते हैं। अगर लगे कि समस्या ज्यादा बढ़ रही है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
तनाव को कम करने में स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीक आपकी मदद कर सकती है:
आप ऐसे इंसान से अपना संर्पक को हमेशा बनाए रखें जिसके सामने आप दिल खोलकर अपनी बात कह सके और जो आपके प्रश्नों का हल खोजने में आपकी मदद कर सके। ऐसे किसी का साथ मिलने से आप कुंठाओं को बाहर निकालने और फिर से संगठित होने में कामयाब हो जाते है। एक सच्चा साथी नया दृष्टिकोण समझने में मददगार होता है। इस तरह के संबंधों को बनाने में समय लगता है और उन्हें पोषण की आवश्यकता होती है। यह भी संभव है कि आपको अहसान वापस करने के लिए कहा जाए और आप उसके लिए हमेशा तैयार रहे।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और स्ट्रेस मैनेजमेंट टिप्स मिल गए होंगे। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
डिस्क्लेमर
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Why stress happens and how to manage it/https://www.medicalnewstoday.com/articles/145855.php August 25, 2019
Stress Management/https://www.helpguide.org/articles/stress/stress-management.htm August 25, 2019
Stress Management: How to Reduce, Prevent, and Cope with Stress/https://www.brainline.org/article/stress-management-how-reduce-prevent-and-cope-stress August 25, 2019
What Is Stress Management?/https://www.heart.org/en/healthy-living/healthy-lifestyle/stress-management/what-is-stress-management August 25, 2019
Current Version
15/09/2021
Shivani Verma द्वारा लिखित
के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी
Updated by: Niharika Jaiswal