ड्रिंक एंड ड्राइव दुनिया भर में एक बड़ी समस्या है। साथ ही अलग-अलग देशों में इसको लेकर सख्त कानून भी है। इसके बावजूद भारत और विश्व भर में इसके मामले सामने आते ही रहते हैं। ऐसा ही एक मामला अमेरिका के न्यू यॉर्क में सामने आया है। लेकिन इस मामले में ऐसा क्या है जिसके लिए हम पूरा आर्टिकल ही लिख रहे हैं। यह मामला है ही ऐसा कि किसी को भी सोचने को मजबूर कर दे। मामला है ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम का।
और पढ़ें : वजन बढ़ाने के लिए दुबले पतले लोग अपनाएं ये आसान उपाए
यहां न्यू यॉर्क के बफैलो इलाके की 35 साल की एक महिला पर ड्राइव अंडर इंफ्लूएंस (DUI) का चार्ज लगा, जिसे एक साल बाद हटा भी लिया गया। इसके लिए महिला के वकील द्वारा दी गई दलील ही है जो इस पूरे मामले को खास बनाता है और ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम ही हमारे इस मामले पर लिखने की वजह बनता है। इस महिला के वकील की कोर्ट में दलील थी कि महिला का शरीर खुद ही एल्कोहॉल प्रोड्यूस करता है।
आपको लगे कि शायद यह वकील का कोई कानूनी दांव-पेंच हो। लेकिन ऐसा नहीं है दरअसल यह एक स्वास्थ्य समस्या है। जिसे ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम (Auto-Brewery Syndrome) कहा जाता है। इस समस्या के दौरान शख्स की हाव-भाव बिल्कुल उसी तरह के होते हैं जैसे के किसी के शराब पीने के बाद होते हैं। इतना ही नहीं उसके ब्लड में एल्कोहॉल की मात्रा भी अधिक पाई जाती है। यहीं कारण है कि साल भर पहले इस महिला पर निर्धारित मात्रा से ज्यादा शराब पीकर गाड़ी चलाने का चार्ज लगा। महिला के खून में उस समय 0.33 फीसदी एल्कोहॉल मिला, जो कि अमेरिका में निर्धारित मात्रा से चार गुना ज्यादा था।
और पढ़ें : ब्लड प्रेशर की समस्या है तो अपनाएं डैश डायट (DASH Diet), जानें इसके चमत्कारी फायदे
ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम (Auto-Brewery Syndrome) क्या है?
इस सिंड्रोम से पीड़ित लोगों के शरीर में सामान्य खाना खाने पर भी औसतन से कहीं ज्यादा मात्रा में यीस्ट पैदा होता है। यह छोटी आंत में इकट्ठा हो जाता है और जहां यह एल्कोहॉल में बदल जाता है। यहां से यह सीधा खून में मिल जाता है। इसी कारण खून की जांच करने पर शरीर में एल्कोहॉल की मात्रा अधिक पाई जाती है। इस सिंड्रोम को गट फरमेंटेशन सिंड्रोम (Gut Fermentation Syndrome) भी कहा जाता है यानि इस अवस्था को दो नामों से जाना जाता है। यह एक दुर्लभ समस्या है लेकिन जिन्हें भी यह समस्या होती है वे उसी तरह महसूस करते हैं जैसे शराब पीने के बाद कोई करता है। पिछले साल अक्टूबर में यह महिला भी इसी अवस्था में थी जब इसे ट्रैफिक पुलिस द्वारा रोका गया।
और पढ़ें : प्रेग्नेंसी में एल्कोहॉल का सेवन नुकसानदायक है या नहीं? जानिए यहां
क्या था यह पूरा मामला
बफैलो न्यूज (Buffalo News) द्वारा जारी खबर में कहा गया कि एक 35 साल की स्कूल टीचर को शाम सात बजे के करीब तब रोका गया था जब उसकी गाड़ी से काफी ज्यादा धुआं निकल रहा था और रबर के जलने की भी बदबू आ रही थी। ऑफिसर्स ने जब पास जाकर देखा तो गाड़ी के आगे के एक टायर से पूरी तरह से हवा निकली हुई थी। वहीं स्टीरिंग पर बैठी महिला की आंखे लाल हो रखी थीं और वह ठीक से बोल भी नहीं पा रही थी। जिसके बाद उसका शराब को लेकर टेस्ट किए गए तो पाया गया कि उसके शरीर में काफी ज्यादा मात्रा में एल्कोहॉल था।
और पढ़ें : विटामिन-ई की कमी को न करें नजरअंदाज, डायट में शामिल करें ये चीजें
जांच के दौरान हुआ चौकाने वाला खुलासा
महिला की जब शाम सात बजे के करीब जांच की गई तो उसके शरीर काफी ज्यादा मात्रा में एल्कोहॉल मिला। लेकिन, महिला ने पुछताछ में बताया कि उसने शाम 5 बजे केवल तीन ड्रिंक्स लिए थे। इसके बाद महिला के वकील ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला महिला के वजन के हिसाब से अगर वह 10 ड्रिंक्स लेती तब उसके शरीर में इतनी मात्रा में एल्कोहॉल होना चाहिए था। इसके बाद महिला के वकील ने पैनोला कॉलेज टेक्सस की बारबरा कॉर्डेल से संपर्क किया। बारबरा की 2013 में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी, जिसमें एक ऐसे शख्स का जिक्र था जिसके शरीर में खुद एल्कोहॉल प्रड्यूस हो रहा था।
और पढ़ें : लो कैलोरी एल्कोहॉलिक ड्रिंक्स के साथ सेलिब्रेट करें यह दीपावली
ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम का पता लगाने के लिए किया गया डायग्नोसिस
इसके बाद एक डॉक्टर और दो नर्स द्वारा महिला का डायग्नोसिस किया गया। डॉक्टर की देख-रेख में महिला ने एक पूरा दिन बिताया। इसके बाद जांच की गई तो भी महिला के ब्लड मे 0.36 एल्कोहॉल पाया गया। इसके बाद 20 दिन तक रोज शाम को महिला की एल्कोहॉल के लिए जांच की गई और परिणाम एक जैसे थे। इस डायग्नोसिस के आधार पर जज ने महिला के ऊपर लगे चार्ज हटा दिए। इस निर्णय के लिए इस बात को भी आधार बनाया गया कि महिला को इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि उसे ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम (Auto-Brewery Syndrome) है।
और पढ़ें : उम्र के हिसाब से जरूरी है महिलाओं के लिए हेल्दी डायट
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर लो कार्ब डायट फॉलो की जाए, तो इस सिंड्रोम को कंट्रोल किया जा सकता है। वहीं इस अवस्था से जूझ रहें 95 प्रतिशत लोगों को पता ही नहीं होता कि उन्हें यह समस्या है। वहीं यह भी संभावना है कि भविष्य में इस तरह के कई और मामले सामने आएं।
ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम का इलाज कैसे करें?
ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम का इलाज संभव है। इसके लिए आपको अपने डॉक्टर को दिखाना होगा। आपके डॉक्टर कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को कम करने के लिए कह सकते हैं। इसके साथ ही क्रोहन डिजीज जैसी बीमारी का भी इलाज किया जाता है, ताकि आपके गट में फंगस का बैलेंस बना रहे। इसके लिए आपके डॉक्टर आपको एंटीफंगल दवाएं दे सकते हैं। एंटीफंगल ड्रग्स और अन्य दवाएं ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम को ठीक करने में मददगार होती हैं, जैसे :
- फ्लूकोनाजोल
- नाइस्टैटिन
- ओरल एंटीफंगल कीमोथेरिपी
- एसिडोफाइलस टैबलेट्स
इन दवाओं के साथ-साथ आपको न्यूट्रिशनल चेंजेस भी करने होंगे, यानी कि आपको एंटीफंगल दवाओं के साथ निम्न चीजों को नहीं खाना है :
- शुगर
- कार्बोहाइड्रेट्स
- एल्कोहॉल
और पढ़ें : कोलेस्ट्रॉल हो या कब्ज आलू बुखारा के फायदे हैं अनेक
ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम से बचने के लिए आपको अपने डायट में भी बदलाव लाना होगा। अपने पेट के फंगस को बैलेंस करने के लिए आपको लो कार्बोहाइड्रेट डायट लेना होगा। निम्न फूड्स को ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम में न लें :
- कॉर्न सिरप
- व्हाइट ब्रेड और पास्ता
- हाई फ्रक्टोस कॉर्न सिरप
- व्हाइट राइस
- व्हाइट फ्लोर
- आलू के चिप्स
- शक्कर से बने ड्रिंक्स, जिसमें ग्लूकोज, फ्रक्टोज, डेक्सट्रोज, माल्टोज, लेवुलोस को अवॉयड करें
- फ्रूट जूस
आप निम्न चीजों को ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम में खा सकते हैं :
- साबूत अनाज और पास्ता
- ब्राउन राइस
- ताजी पकी सब्जियां
- ड्राई फ्रूट्स
- ओट्स
- जौ
- ब्रान
- मूंग दाल
- किनोवा
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
[embed-health-tool-bmi]