इसके बाद एक डॉक्टर और दो नर्स द्वारा महिला का डायग्नोसिस किया गया। डॉक्टर की देख-रेख में महिला ने एक पूरा दिन बिताया। इसके बाद जांच की गई तो भी महिला के ब्लड मे 0.36 एल्कोहॉल पाया गया। इसके बाद 20 दिन तक रोज शाम को महिला की एल्कोहॉल के लिए जांच की गई और परिणाम एक जैसे थे। इस डायग्नोसिस के आधार पर जज ने महिला के ऊपर लगे चार्ज हटा दिए। इस निर्णय के लिए इस बात को भी आधार बनाया गया कि महिला को इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि उसे ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम (Auto-Brewery Syndrome) है।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर लो कार्ब डायट फॉलो की जाए, तो इस सिंड्रोम को कंट्रोल किया जा सकता है। वहीं इस अवस्था से जूझ रहें 95 प्रतिशत लोगों को पता ही नहीं होता कि उन्हें यह समस्या है। वहीं यह भी संभावना है कि भविष्य में इस तरह के कई और मामले सामने आएं।
ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम का इलाज कैसे करें?
ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम का इलाज संभव है। इसके लिए आपको अपने डॉक्टर को दिखाना होगा। आपके डॉक्टर कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को कम करने के लिए कह सकते हैं। इसके साथ ही क्रोहन डिजीज जैसी बीमारी का भी इलाज किया जाता है, ताकि आपके गट में फंगस का बैलेंस बना रहे। इसके लिए आपके डॉक्टर आपको एंटीफंगल दवाएं दे सकते हैं। एंटीफंगल ड्रग्स और अन्य दवाएं ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम को ठीक करने में मददगार होती हैं, जैसे :
- फ्लूकोनाजोल
- नाइस्टैटिन
- ओरल एंटीफंगल कीमोथेरिपी
- एसिडोफाइलस टैबलेट्स
इन दवाओं के साथ-साथ आपको न्यूट्रिशनल चेंजेस भी करने होंगे, यानी कि आपको एंटीफंगल दवाओं के साथ निम्न चीजों को नहीं खाना है :