- पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका आनुवंशिकता के कारण भी हो सकती है। अगर माता-पिता में इस रोग के जीन हैं तो बच्चे को होने के भी चांसेस रहते हैं।
- कभी-कभी पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका पर्यावरण के कारण भी होता है। पर्यावरण में बदलाव या कुछ वायरस भी इस रोग को पैदा करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
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पोलिमेल्जिया रुमेटिका (Polymyalgia Rheumatica) का पता कैसे लगाया जाता है?
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका का पता लगाना थोड़ा कठिन है। क्योंकि इसके लक्षण गठिया की तरह होते हैं। जिसमें जोड़ों, मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द रहता है।
परीक्षण के दौरान गतिविधि की सिमा का पता लगाने के लिए डॉक्टर आराम से आपकी गर्दन, हाथों और पैरों को हिलाने की कोशिश करेंगे। जिसका पता लगाने के लिए डॉक्टर आपको ब्लड टेस्ट कराने के लिए कहते हैं। इसके अलावा आपको एरेथ्रोसाइट सेडिमेंटेशन रेट, सी-रिएक्टिव प्रोटीन और सीआरपी टेस्ट करवाने की भी सलाह दी जा सकती है।
लेकिन इन टेस्ट से भी पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका का पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है। क्योंकि टेस्ट में रूमेटाइड आर्थराइटिस जैसी समस्याएं भी सामने आती हैं।
आपके डॉक्टर जोड़ों और ऊतकों में सूजन का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए कहेंगे। अल्ट्रासाउंड में उच्च तरंगों वाली साउंड रेडिएशन की मदद से शरीर के अलग-अलग अंगों के सॉफ्ट टिशू की विस्तृत तस्वीर बनाई जाती है। इसकी मदद से पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका और टेम्पोरल आर्टेराईटिस के बीच अंतर करने में मदद मिलती है।
पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका और टेम्पोरल आर्टेराईटिस के बीच संबंध होने के कारण आपके डॉक्टर बायोप्सी करवाने की भी सलाह दे सकते हैं। बायोप्सी एक सुरक्षित प्रक्रिया है जिसमें धमनियों के ऊतकों का छोटा-सा नमूना निकाला जाता है।
इसके बाद नमूने को टेस्ट के लिए लैब भेज दिया जाता है जहां सूजन के लक्षणों की जांच की जाती है। बायोप्सी केवल तभी की जाती है जब डॉक्टर को रक्त वाहिकाओं में सूजन के लक्षण दिखाई देते हैं।
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पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका का इलाज क्या है? (Treatment for Polymyalgia Rheumatica)
फिलहाल तो पॉलिमायाल्जिया रूमैटिका का कोई सटीक इलाज नहीं है। अगर आपके डॉक्टर को यहोने का संदेह होता है या आपकी रिपोर्ट इस बीमारी का जिक्र होता है तो डॉक्टर आपको लो-डोज कॉर्टिस्टेरॉइड देते हैं, जैसे- प्रीड्निसॉन। ये दवा तुरंत आराम पहुंचाती है। इसके अलावा नैप्रॉक्सेन और आईब्यूप्रोफेन जैसे पेनकीलर भी दिए जाते हैं। लेकिन कॉर्टिस्टेरॉइड का लंबे समय तक प्रयोग करने से कुछ रिस्क फैक्टर भी हैं :
- हाय ब्लड प्रेशर
- हाय कोलेस्ट्रॉल
- वजन का बढ़ना (Weight gain)
- डिप्रेशन (Depression)
- ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis)
- मोतियाबिंद
- शुगर लेवल (Sugar level) का हाई हो जाना या डायबिटीज होना
दवाओं के साइड इफेक्ट को कम करने के लिए डॉक्टर आपको रोजाना कैल्शियम का सेवन करने की सलाह देंगे। इसके साथ ही आपको विटामिन डी (Vitamin D) सप्लीमेंट्स भी लेने के लिए कह सकते हैं। इसके अलावा फिजियोथेरिपी से भी डॉक्टर आपको राहत पहुंचाने की कोशिश करते हैं।
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