कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका नाम ही डरा देने के लिए काफी है। क्योंकि, इस बीमारी के साथ इसका उपचार भी थोड़ा मुश्किल होता है। कैंसर की शुरुआत हमारे शरीर में तब होती है, जब सेल्स अनियंत्रित हो कर बढ़ने लगते हैं। कैंसर हमारे शरीर के किसी भी हिस्से से शुरू हो सकता है और फैल सकता है। ऐसा ही एक कैंसर है स्किन कैंसर। इनमें से बेसल सेल कार्सिनोमा (Basal Carcinoma Cancer) और स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous Cell Carcinoma) बेहद सामान्य स्किन कैंसर (Skin Cancer) हैं। जिनके उपचार के लिए कई तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। आज हम इन स्किन कैंसर्स के उपचार के लिए प्रयोग होने वाली तकनीकों क्रायोथेरेपी (Cryotherapy), क्यूरेटेज और इलेक्ट्रोडेसिकेशन (Curettage and Electrodesiccation) के बारे में आपको जानकारी देने वाले हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में विस्तार से। सबसे पहले जान लेते हैं स्किन कैंसर के बारे में:
स्किन कैंसर क्या है?
स्किन कैंसर (Skin Cancer) यानी स्किन सेल्स में होने वाली एब्नार्मल ग्रोथ। यह ग्रोथ आमतौर पर त्वचा के उन भागों में होती है, जो सूरज की रोशनी के सीधे संपर्क में आते हैं। हालांकि, यह कैंसर त्वचा के अन्य हिस्सों में भी हो सकता है। स्किन कैंसर के तीन मुख्य प्रकार हैं बेसल सेल कार्सिनोमा (Basal Cell Carcinoma Cancer) ,स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous cell carcinoma) और मेलेनोमा (Melanoma)। स्किन कैंसर की संभावना को सूरज की हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन के संपर्क में नहीं आने से कम किया जा सकता है। यही नहीं, इस कैंसर के जल्दी निदान से न केवल इसका उपचार संभव है, बल्कि जटिलताओं से भी बचा जा सकता है। अब जानते हैं स्किन कैंसर (Skin Cancer) के लिए प्रयोग की जाने वाली तकनीकों यानी क्रायोथेरेपी (Cryotherapy) , क्यूरेटेज और इलेक्ट्रोडेसिकेशन (Curettage and Electrodesiccation) के बारे में। शुरुआत करते हैं क्रायोथेरेपी से।
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क्रायोथेरेपी क्या है? (Cryotherapy)
क्रायोथेरेपी (Cryotherapy) को कई नामों से जाना जाता है जैसे क्रायोसर्जरी (Cryosurgery), क्रायोएबलेशन (Cryoablation) आदि। इस तकनीक में असामान्य टिश्यूज को जमाने और नष्ट करने के लिए ठंडे तरल पदार्थ या किसी इस्ट्रूमेंट का प्रयोग किया जाता है। इसमें प्रयोग होने वाले इंस्ट्रूमेंट को क्रायोप्रोब (Cryoprobe) कहते हैं। इन टिश्यूज को ठंडा करने के लिए लिक्विड नाइट्रोजन (Liquid Nitrogen), लिक्विड नाइट्रस ऑक्साइड (Liquid Nitrous Oxide) या कम्प्रेस्ड आर्गन गैस (Compressed Argon Gas) का इस्तेमाल किया जाता है। केवल स्किन कैंसर ही नहीं बल्कि क्रायोथेरेपी को कई अन्य कैंसर्स और स्वास्थ्य स्थितियों के उपचार में भी प्रयोग किया जा सकता है, जैसे
- प्रोस्टेट कैंसर (Prostate cancer)
- लिवर कैंसर (Liver cancer)
- सर्वाइकल कैंसर (Cervical cancer)
- बोन कैंसर (Bone Cancer)
- सर्विक्स में प्री कैंसर्स सेल्स (Precancerous Cells in Cervix)
- रेटिनोब्लास्टोमा (Retinoblastoma)
- स्किन कंडीशंस जैसे वार्ट्स, स्किन टैग्स या डार्क स्पॉट्स (Skin Conditions)
क्रायोथेरेपी (Cryotherapy) बेहद आसान प्रक्रिया है और इसमें दर्द भी बहुत कम होता है। इसमें ओपन सर्जरी का इस्तेमाल भी नहीं होता और रोगी जल्दी ठीक हो जाता है। इसलिए, इस प्रक्रिया को लाभदायक माना जाता है। अब जानते हैं कि क्रायोथेरेपी (Cryotherapy) कितने प्रकार की है और इसे कैसे किया जाता है?
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क्रायोथेरेपी के प्रकार (Types of Cryotherapy)
क्रायोथेरेपी (Cryotherapy) में डॉक्टर असामान्य टिश्यू को बहुत अधिक ठंडा करते हैं, जिसके लिए वो ठंडी चीजों का प्रयोग करते हैं। यह टिश्यू इतनी ठंड में नष्ट हो जाते हैं। इनका प्रयोग कैसे करना है, यह बात इस बात पर निर्भर करती है कि इस असामान्य टिश्यू की स्थिति क्या है? क्रायोथेरेपी दो तरह की होती है एक एक्सटर्नल और दूसरी इंटरनल। एक्सटर्नल क्रायोथेरेपी (External Cryotherapy) को उन एब्नार्मल टिश्यूज पर प्रयोग किया जाता है, जो स्किन पर होते हैं। इन पर फ्रीजिंग एजेंट्स को लगाने के लिए कॉटन स्वैब या स्प्रेइंग डिवाइस को इस्तेमाल किया जाता है। जबकि शरीर के अंदर के कैंसर के उपचार के लिए क्रायोप्रोब (Cryoprobe) का प्रयोग किया जाता है। जिसे शरीर में एक छोटा कट लगा कर त्वचा के अंदर डाला जाता है। इसे इंटरनल क्रायोथेरेपी कहा जाता है। जानिए इसे कैसे किया जाता है?
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यह प्रक्रिया कैसे की जाती है?
क्रायोथेरेपी एक सिंपल तकनीक है। एक्सटर्नल क्रायोथेरेपी (Cryotherapy)के लिए रोगी को कोई तैयारी नहीं करती पड़ती। लेकिन, अगर रोगी को इंटरनल क्रायोथेरेपी से गुजरना है, तो उसे कुछ चीजों का ध्यान रखना पड़ेगा, जैसे इससे पहले कुछ खास दवाईयों का सेवन न करना, डॉक्टर की सलाह के अनुसार खाना पीना आदि। इसके लिए आप डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं। यह सर्जरी इस तरह से की जाती हैं:
- अगर मरीज को इंटरनल क्रायोथेरेपी (Cryotherapy) की सलाह दी गई है। तो इस प्रक्रिया में डॉक्टर किसी डिवाइस या कॉटन स्वैब (Cotton swab) की मदद से कोल्ड एजेंट्स को असामान्य टिश्यूज पर लगते हैं। इसमें सामान्य रूप से लिक्विड नाइट्रोजन का प्रयोग किया जाता है।
- अगर एक्सटर्नल क्रायोथेरेपी के लिए कहा गया है, तो इसमें मरीज त्वचा में एक चीरा लगाया जाता है। उस चीरे से क्रायोप्रोब को त्वचा में इन्सर्ट किया जाता है, ताकि कोल्ड एजेंट्स को प्रभावित स्थान तक पहुंचाया जा सके। इसमें एनेस्थीसिया (Anesthesia) भी दिया जा सकता है।
एक्सटर्नल क्रायोथेरेपी (Cryotherapy) के बाद रोगी की त्वचा लाल हो सकती है, उसमे सूजन हो सकती है और कुछ दिनों तक दर्द भी हो सकती है। लेकिन, ऐसा होना सामान्य है। अगर आपको इस प्रक्रिया को लेकर कोई भी संदेह या सवाल है, तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
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क्रायोथेरेपी के साइड इफेक्ट क्या हैं? (Side effects of Cryotherapy)
क्रायोथेरेपी (Cryotherapy) को मिनिमली इनवेसिव ट्रीटमेंट है (Minimally Invasive Treatment) कहा जाता है। जिसमें कम दर्द और ब्लीडिंग होने की संभावना रहती है। यही नहीं, इस प्रक्रिया से स्वस्थ टिश्यूज को नुकसान होने का जोखिम भी नहीं होता है। लेकिन, इसके भी कुछ साइड इफेक्ट हैं। अगर इस तकनीक के बाद रोगी को कोई भी साइड-इफेक्ट नजर आता है, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरुरी है। स्किन कैंसर की स्थिति में इस प्रक्रिया के साइड इफेक्ट इस प्रकार हैं:
- प्रभावित स्थान पर ब्लीडिंग या दर्द (Bleeding or Pain)
- बोन फ्रैक्चर (Bone Fractures)
- नर्व डैमेज (Nerve Damage)
- सूजन, स्केरिंग या स्किन इंफेक्शन (Swelling, Scarring, or Skin Infection)
इसके साथ ही इसके कुछ अन्य साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं, जैसे प्रभावित स्थान पर पस निकलना और बुखार होना। यह इंफेक्शन के संकेत हो सकते हैं, इसलिए इन स्थितियों में तुरंत मेडिकल हेल्प लेना जरूरी है। क्रायोथेरेपी (Cryotherapy) के बाद रोगी बहुत जल्दी स्वस्थ महसूस करने लगता है। इसलिए, अधिकतर स्किन कंडीशंस में इसका तकनीक का प्रयोग किया जाता है। यह तो थी क्रायोथेरेपी के बारे में पूरी जानकारी। अब जान लेते हैं स्किन कैंसर (Skin Cancer) की स्थिति में प्रयोग होने वाली अन्य तकनीकों के बारे में, जिन्हें क्यूरेटेज और इलेक्ट्रोडेसिकेशन (Curettage and Electrodesiccation) कहा जाता है।
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क्यूरेटेज और इलेक्ट्रोडेसिकेशन क्या है? (curettage and electrodesiccation)
क्रायोथेरेपी की तरह क्यूरेटेज और इलेक्ट्रोडेसिकेशन (Curettage and Electrodesiccation) का प्रयोग भी स्किन कैंसर (Skin Cancer) के उपचार के रूप में किया जाता है। इनका प्रयोग बेसल सेल कार्सिनोमा (Basal Cell Carcinoma Cancer) और स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous cell carcinoma) को रिमूव करने के लिए किया जाता है। इस तकनीक में डॉक्टर प्रभावित त्वचा को स्क्रैप करते हैं। जिसके लिए क्यूरेट (Curette) का प्रयोग किया जाता है। क्यूरेट चम्मच की शेप का एक इंस्ट्रूमेंट होता है। कैंसर्स टिश्यू को सफलतापूर्वक रिमूव करने के बाद उस स्थान को डॉक्टर द्वारा कॉटराइज किया (Cauterize) यानी दागा जा सकता है, ताकि ब्लीडिंग की संभावना कम हो सके। जानते हैं कि क्योंकि होता है इस तकनीक का प्रयोग?
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क्यूरेटेज और इलेक्ट्रोडेसिकेशन का प्रयोग क्यों किया जाता है ?
क्यूरेटेज और इलेक्ट्रोडेसिकेशन (Curettage and Electrodesiccation) का प्रयोग उन मरीजों पर किया जाता है, जो अधिक इनवेसिव सर्जिकल प्रक्रियाओं (Invasive Surgical Procedures) को सहन नहीं कर पाते हैं। जिन लोगों में लो रिस्क बेसल सेल कार्सिनोमा (Basal Cell Carcinoma Cancer) और स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous cell carcinoma) होते हैं। उनमें भी इस प्रक्रिया का प्रयोग करना सबसे बेहतरीन माना जाता है। इसके साथ ही इनका इस्तेमाल उन लोगों पर भी किया जा सकता है, जिन्हें प्रीकैंसर्स स्किन कंडीशंस (Precancerous Skin Condition) हैं। जिसे एक्टीनिक केराटोसिस (Actinic Keratosis) भी कहा जाता है।
इस प्रक्रिया के कारण कुछ निशान पड़ सकते हैं। इसलिए, इस तकनीक को आमतौर पर शरीर के उन हिस्सों में किया जाता है, जहां निशान न दिखाई दें। यदि किसी मरीज के हेयर फॉलिकल्स (Hair Follicles) में कैंसर विकसित हो गया है, तो ट्यूमर को रिमूव करने में क्यूरेटेज और इलेक्ट्रोडेसिकेशन प्रभावी नहीं हो सकता है। इसका प्रयोग आमतौर पर छाती, पीठ, पेट आदि पर किया जाता है। अब जानिए क्यूरेटेज और इलेक्ट्रोडेसिकेशन (Curettage and Electrodesiccation) से जुड़े रिस्क फैक्टर्स के बारे में।
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क्यूरेटेज और इलेक्ट्रोडेसिकेशन के जोखिम (Risks of curettage and electrodesiccation)
ऐसा माना जाता है कि अगर कोई अनुभवी डॉक्टर क्यूरेटेज और इलेक्ट्रोडेसिकेशन (Curettage and Electrodesiccation) को करता है, तो जोखिम होने की संभावना बहुत कम होती है। लेकिन, इसके भी कुछ जोखिम हो सकते हैं जो इस प्रकार हैं:
- प्रभावित स्थान पर दर्द, सूजन या ब्लीडिंग (Pain, Swelling, or Bleeding)
- स्कॉरिंग, जो लम्बे समय तक दर्दभरे और खुजली वाले हो सकते हैं (Scarring)
- कैंसर का फिर से होना (Recurrence of Cancer)
हालांकि, इस तकनीक के कई लाभ भी हैं जैसे इस प्रक्रिया में बहुत कम समय लगता है और इसमें टांके भी नहीं लगाए जाते हैं। यही नहीं क्यूरेटेज और इलेक्ट्रोडेसिकेशन (Curettage and Electrodesiccation) के बाद रोगी खुद ड्राइव करके घर भी जा सकता है। लेकिन, इस ट्रीटमेंट के बाद डॉक्टर कुछ सलाह आपको देंगे जिनका पालन करना आपके लिए बेहद जरूरी है। प्रभावित स्थान को ठीक होने से 6 हफ्ते लग सकते हैं। इस तकनीक के बाद अगर आपको प्रभावित स्थान पर बहुत अधिक दर्द, ब्लीडिंग, पस, बुखार, ठंड लगना जैसे लक्षण नजर आते हैं तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें क्योंकि यह इंफेक्शन के लक्षण हो सकते हैं।
यह तो थी क्रायोथेरेपी (Cryotherapy), क्यूरेटेज और इलेक्ट्रोडेसिकेशन (Curettage and Electrodesiccation) के बारे में पूरी जानकारी। जिनका प्रयोग स्किन कैंसर (Skin Cancer) के ट्रीटमेंट में किया जाता है। अब जान लेते हैं कि स्किन कैंसर से बचाव के लिए हमें क्या करना चाहिए?
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स्किन कैंसर से कैसे बचें (Prevention of Skin Care)
स्किन कैंसर फाउंडेशन (Skin Cancer Foundation) के अनुसार सूरज की हानिकारक किरणें न केवल स्किन कैंसर (Skin Cancer) की वजह बनती है। बल्कि इससे त्वचा संबंधी और भी कई समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में इनसे बच कर हम स्किन कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं। स्किन कैंसर से बचाव के कुछ तरीके इस प्रकार हैं :
- अपनी त्वचा को सूरज की हानिकारक किरणों से सीधे संपर्क में आने से बचाएं।
- जब भी बाहर निकलें, अपनी त्वचा को पूरी तरह से ढक कर ही जाएं। इसके लिए हैट, स्कार्फ, चश्मा आदि का प्रयोग कर सकते हैं। दोपहर बारह बजे से लेकर तीन बजे तक खासतौर पर इन किरणों से दूर रहें।
- टैनिंग से भी बचें इसके लिए एंटी-टैनिंग क्रीम (Anti-tanning) आदि का प्रयोग करें।
- नवजात शिशुओं को भी धुप में बाहर निकालने से परहेज करें।
- अपनी त्वचा की समय-समय पर जांच करते रहें।
- साल में एक बार डर्मेटोलॉजिस्ट (Dermatologist) से अपनी त्वचा की जांच अवश्य कराएं।
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उम्मीद है कि क्रायोथेरेपी (Cryotherapy), क्यूरेटेज और इलेक्ट्रोडेसिकेशन (Curettage and Electrodesiccation) के बारे में आप जान गए होंगे। इन तकनीकों और त्वचा कैंसर के बारे में पूरी जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से भी संपर्क कर सकते हैं। स्किन कैंसर (Skin Cancer) भी एक भयानक स्थिति है। लेकिन, सही समय पर निदान से इसका उपचार हो सकता है। इसके लिए आपको इसके लक्षणों को ध्यान में रखना होगा। इसके साथ ही अपनी जीवनशैली को हेल्दी बनाए रखें। अच्छा खाएं, व्यायाम करें, तनाव से बचें और पर्याप्त नींद लें। इससे न केवल स्किन कैंसर बल्कि कई अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है।